कहानी का नायक अपनी प्रेमिका के इंतजार में कई रातें जागता है। रातों की नींद में वह सपनों और वास्तविकता के बीच की रेखा को खो देता है, जहाँ समाचारों की भयावह घटनाएँ, जैसे ऑनर किलिंग, उसके अवचेतन में प्रवेश कर जाती हैं। सुबह होते ही वह एक अजीब सी बेचैनी और भारीपन महसूस करता है, मानो सपनों की करुणा उसके मन पर छा गई हो।
तीसरे दिन, उसकी प्रेमिका लौटती है, आँखों में आँसू और चेहरे पर उदासी लिए। संवाद के दौरान, वह अपने पिता की क्रूरता का संकेत देती है, जबकि नायक अपने इंतजार के दिनों में लिखी कविताओं का उल्लेख करता है। इन कविताओं में उसकी भावनाएँ- प्रेम, गुस्सा, उदासी-व्यक्त होती हैं, जो उसके इंतजार की तीव्रता को दर्शाती हैं।
नायक का प्रेमिका के लिए किया गया इंतजार उसकी मानसिक स्थिति को प्रभावित करता है, जिससे वह सपनों और वास्तविकता के बीच उलझ जाता है।
एक संवेदनशील कहानी है, जो पाठक को प्रेम, प्रतीक्षा और सामाजिक यथार्थ के बीच की जटिलताओं से परिचित कराती है।
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