डिसक्लेमर: "यह केस वास्तविक घटनाओं से प्रेरित है, लेकिन इसमें प्रस्तुत सभी पात्र और घटनाएं पूरी तरह से काल्पनिक हैं। किसी भी वास्तविक व्यक्ति, स्थान, या घटना से कोई समानता मात्र एक संयोग है।"
घने अंधेरे और धूल से भरे उस माइन की गहराई में, जहां हर कदम जैसे मौत की सरहद के क़रीब ले जा रहा था. अरविंद सिंह और उनकी टीम एक ऐसी जगह पर थे, जहां अब तक न जाने कितनी ज़िदगियाँ हमेशा के लिए खामोश हो चुकी थीं. माइन का माहौल एकदम भारी था. जमीन पर फैली काली धूल, हर एक सांस के साथ फेफड़ों में घुल रही थी. वहां हवा में अजीब सी ठंडक थी. जो सिर्फ डर से महसूस होती है. ऐसा लग रहा था कि माइन की दीवारें ख़ुद गहरे अतीत के राज़ छिपाए हुए सांस ले रही हों.
बाहर की दुनिया में, धनबाद शहर में, लोग अभी भी अपने रोज़ के कामों में लगे हुए थे. शायद उन्हें अंदाज़ा भी नहीं था कि, इसी धरती के नीचे इतनी गहराई में क्या हो रहा है. कितनी घिनौनी सच्चाई छुपी है. इधर माइन के अंदर अरविंद और उसकी टीम के लिए हर एक पल तनाव से भरा हुआ था. वह रेस्क्यू टीम, जिसका इंतज़ार टीम कर रही थी. वो आ चुकी थी. जैसे ही उनकी नज़रें फिर से माइन की गहराई में गईं, उन्हें महसूस हुआ कि असली खतरा अभी ख़त्म नहीं हुआ है.
फैंटम का साया अभी भी उनके सिर पर मंडरा रहा था, और ये साया अंधेरे में जितना धुंधला था, उतना ही सच्चा भी था. दीवारों पर पड़े पुराने कोयले के निशान, हर दिशा में जाती सुरंगें, और रहस्यमयी सन्नाटा, इन सबमें फैंटम की मौजूदगी का एहसास गहरा होता जा रहा था. ऐसा लगता था जैसे उस अदृश्य ताकत ने खुद को इन सुरंगों में घुला-मिला लिया हो, और वह हर कदम पर, हर कोने में उन्हें देख रहा हो.
हर छोटी से छोटी आवाज़, कहीं दूर से गिरते पत्थर की आवाज़, दीवारों पर घिसटती किसी चीज़ का एहसास, हर एक चीज़ ने उस डर को और भी भयानक बना दिया था. अरविंद और उसकी टीम के दिलों में सिर्फ एक ही सवाल गूंज रहा था: “क्या हम इस जिंदा डर से बच पाएंगे?”
लेकिन अरविंद के भीतर का पत्रकार अब चुप रहने वाला नहीं था। उसने माइन की सच्चाई की गहराई तक जाकर, कई सच्चाइयों का पर्दाफाश किया था. लेकिन ये मामला कुछ अलग था. उसकी जांच इस बार सिर्फ सबूतों तक सीमित नहीं थी. यह एक अदृश्य दुश्मन से भी जूझने का मामला था.
उसे यकीन था कि इस खौफ के पीछे कोई और साजिश छिपी है. जितना वह फैंटम के बारे में सुनता आ रहा था, उसे अब समझ आ रहा था कि ये केवल किसी प्रेत की कहानी नहीं हो सकती. यह डर फैलाने का कोई सोचा-समझा षड्यंत्र था. जो लोगों को कमज़ोर करनें और डरानें के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है?
अरविंद की धड़कनें तेज हो चुकी थी. वह अब सिर्फ एक पत्रकार नहीं था, जो सच्चाई का पीछा कर रहा था. अब यह उसकी ज़िद बन चुकी था. उसे हर हाल में इस फैंटम की सच्चाई का पर्दाफाश करना था, चाहे इसके लिए उसे खुद अपनी जान भी क्यों न जोख़िम में डालनी पड़े.
अंधेरे माइन के भीतर हर क़दम जैसे मौत के एक और क़दम नज़दीक ले जा रहे थे. अरविंद के भीतर का पत्रकार उबल रहा था, उसका गुस्सा अब अपने चरम पर था. वह जानता है कि, यह सब बस अंधविश्वास नहीं है. इसके पीछे कोई साजिश है.
अरविंद की सांसें तेज चल रही थी, उसकी मुठ्ठियाँ कस गई थी, और उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी, जैसे वह किसी रहस्य का पर्दाफाश करने वाला हो. वह अब और इंतजार नहीं कर सकता था. उसने अपनी टीम की ओर देखा, और उनकी आँखों में भी वही डर देखा जो हर किसी के दिल में था.
अरविंद के चेहरे पर अब डर नहीं था. उसनें चारों ओर देखा, जैसे वह इस जगह से हर राज़ खींचकर बाहर निकालना चाहता हो. उसके अंदर अब सिर्फ एक ही बात घूम रही थी. इस फ़ैंटम का अंत. अरविंद ने ग़ुस्से से कहा...
अरविन्द: "ये फ़ैंटम…ये कोई भूत नहीं है. इसके पीछे कोई इंसान है, जो सबको डरा कर अपने फायदों का खेल खेल रहा है. और अब वो सच हम सामने लाने वाले हैं"
उसके शब्दों में इतनी ताकत थी कि, आवाज़ की गूंज माइन की दीवारों से टकराकर और हिम्मत के साथ वापस आई. अरविंद जानता है कि, किस तरह से इस जगह पर डर का इस्तेमाल किया गया है. हर एक हादसा, हर एक मौत सिर्फ़ एक खौफ़नाक साज़िश का हिस्सा बनी है. अब, वह इस सच्चाई को बेनकाब करने वाला है.
उधर, मीना अब तक हर चीज़ को एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देख रही थीं. उनके लिए ये माइन और इसके हादसे बस एक पज़ल थे. जिन्हें साइंस और सबूतों के आधार पर सुलझाना था. मीना हमेशा हर बात का एक वैज्ञानिक आधार खोजती है. लेकिन इस बार, उसे ऐसा लगने लगा था कि शायद जो कुछ भी हो रहा था, वह सिर्फ विज्ञान से नहीं समझा जा सकता. मीना नें धीरे-धीरे सोचते हुए, हल्की आवाज़ में बोला...
मीना: "ये सिर्फ़ भूत-प्रेत की कहानियाँ नहीं हैं. लालच और बदले की आग भी उतनी ही ख़तरनाक हो सकती है , जितनी कि कोई अदृश्य ताकत"
मीना के लिए यह एक नया अनुभव था. एक ऐसी स्थिति, जिसमें डिबेट और साइंस के बजाय भावनाएँ और इंसानी कमज़ोरी हावी हो रही थीं. वह सोच में डूबी हुई थीं कि कैसे इस फ़ैंटम ने इतने लोगों को अपने चंगुल में फंसा लिया. क्या यह वाकई कोई अदृश्य ताकत थी, या फिर यह बस इंसान के लालच और डर का नतीजा था?
माइन के अंदर की हवा अब और भारी हो चुकी थी. अरविंद और मीना दोनों ही एक ऐसे सच के करीब थे, जो न केवल उनकी ज़िन्दगी बदलने वाला था, बल्कि इस पूरी जगह की कहानी को भी हमेशा के लिए बदल देगा. अरविंद के चेहरे पर एक हल्की मुस्कान आई. उसे यकीन हो गया था कि सच सामने है. उसने सच को टटोलते हुए बोला...
ARVIND: “तुमने लोगों को डराकर सिर्फ अपना खेल खेला, लेकिन अब ये ख़त्म हो जाएगा.”
NARRATION: अरविंद को पता चल गया था की, वो किससे बात कर रहा है. सामनें खड़ा था राका. राका के चेहरे पर एक शैतानी मुस्कान थी. जैसे उसने जीत की बाज़ी अपनें नाम कर ली हो. उसनें अपनें इस हिडन चेहरे को सबके सामने उजागर कर दिया था. उसने ही फैंटम का डर फैलाया था. सिर्फ इसलिए ताकि वह माइन पर कब्ज़ा जमाए रख सके और लोगों को डरा-धमकाकर अपने अधीन कर सके. जो लोग फैंटम के खौफ़ से घबराए हुए थे. वे असल में राका के जाल में फंसे हुए थे. अरविंद की आंखों में गुस्सा था. उसने कभी नहीं सोचा था कि जिस फैंटम का पीछा करने के लिए वह इतनी दूर तक आया है. असल में इंसानी लालच और साजिश का नतीजा होगा.
राका की चालें बहुत गहरी थी. उसने हर किसी को धोखा दिया था. अरविंद ने देखा कि कैसे हर कोई राका के खेल का शिकार बन गया था. लेकिन उसकी सोच में एक बात अब भी खटक रही थी. अगर फैंटम सिर्फ़ एक साजिश थी, तो ये भयानक हादसे क्यों हो रहे थे? अरविंद ने राका से पूछा...
अरविन्द : "तो ये सब एक धोखा था...राका, तुमनें सबको बेवकूफ बनाया. लेकिन क्या ये सारा खौफ़ तुम्हारी वजह से था, या कुछ और भी है?"
अरविंद के दिमाग में ये सवाल तेजी से दौड़ रहा था. उसकी टीम भी इस सच्चाई से अनजान थी. लेकिन अभी उन्हें और ज़्यादा चौका देने वाली चीज़ बाकी ही थी. अचानक, माइन के गहरे हिस्से से एक अजीब सी आवाज़ हल्की रोशनी के साथ गूंजने लगी. वह आवाज ठंडी और धुंधली थी. सबकी निगाहें उस दिशा में चली गई. ये जगह माइन का सबसे ख़तरनाक और अंधेरे का हिस्सा था, जहां अब तक कोई नहीं पहुंचा था.
राका भी उस आवाज़ की ओर देख रहा था. उसकी शैतानी मुस्कान अब चेहरे से गायब हो चुकी थी. उसे भी एहसास हो रहा था कि जो खेल उसने खेला था, वो अब उसके बस से बाहर हो चुका है. अरविंद और उसकी टीम को पहले यह लगा था कि इस माइन का सारा खौफ़ राका की वजह से था. लेकिन अब इस अजीब आवाज़ ने उनके मन में एक नया डर पैदा कर दिया था. मीना ने घबराई आवाज़ में कहा...
मीना: "ये आवाज़...ये तो किसी इंसान की नहीं लगती. क्या यहां कुछ और भी है?"
मीना के मन में अब शक गहरा हो गया था. वो हमेशा से एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण की नज़र से देखती थी. लेकिन अब इस अनजान आवाज़ और रोशनी ने उन्हें सोचने पर मजबूर कर दिया था. क्या इस माइन में वाकई कोई अदृश्य ताकत थी, जो राका के षड्यंत्र से परे थी? क्या सच में फैंटम जैसी कोई चीज़ थी?
माइन के उस गहरे हिस्से से आती आवाज़ धीरे-धीरे तेज हो रही थी, और उसके साथ-साथ धुंधली रोशनी भी अब और ज्यादा चमकने लगी थी. अरविंद ने अपने साथियों की ओर देखा. उसे पता था कि, अब पीछे हटने का कोई रास्ता नहीं है. अरविंद से कॉन्फिडेन्स के साथ बोला...
अरविन्द: "जो भी है, हमें उसका सामना करना होगा. अगर ये फैंटम नहीं, तो जो भी है, उसे अब हम ख़त्म करेंगे"
NARRATION: उसके शब्दों में एक नई हिम्मत थी. रेस्क्यू टीम और अरविंद की टीम ने माइन के उस गहरे हिस्से की ओर बढ़ने का फैसला किया, जहां से रहस्यमयी आवाजें आ रही थीं. उनके कदम अब और भी भारी हो गए थे, जैसे हर कदम के साथ वे किसी ख़ौफनाक सच के करीब जा रहे हों.
दीवारों पर पुराने समय की तस्वीरें बनी हुई थीं. जिनसे यह साफ हो रहा था कि, यह माइन पहले से ही किसी ख़ास ताकत के साथ रही है. उन आकृतियों में आदिवासी योद्धाओं की छवियाँ थीं, जो किसी स्ट्रगल को बता रही थी. डॉ. मीना ने दीवारों पर उन चित्रों को देखा और उसके दिमाग में अब एक अलग तस्वीर उभर रही थी. यह सिर्फ माइन नहीं थी, यह एक प्राचीन स्थल था, जहां आदिवासियों ने कभी अपनी जान गंवाई थी. यह जगह संघर्ष और उनके श्राप का गवाह थी. मीना ने कहा...
मीना: "ये तो एक पुरानी सभ्यता के अवशेष हैं...शायद यही वो असली फैंटम है, जिसे हम अब तक समझ नहीं पाए"
इससे पहले कि वे और कुछ समझ पाते, एक ज़ोरदार आवाज़ ने सबको हिला कर रख दिया. माइन के अंदर का अंधेरा अचानक और भी गहरा हो गया, और उसी वक़्त उस गहरे हिस्से से एक छाया तेजी से बाहर निकली. सबकी आंखें उस छाया पर टिक गईं. यह फैंटम था, या शायद कुछ और, जिसे अब तक किसी ने नहीं देखा था. एक बार फिर माइन की गहराई से एक और ज़ोरदार आवाज़ आई. मानो ज़मीन के अंदर कोई छिपी हुई शक्ति जाग उठी हो.
कहीं लालच तो कहीं ताक़त, हर गाँव,हर शहर में कहीं का नहीं राका के जैसे लोग, अपने फ़ायदे के लिए लोगों की जान लेनें से भी नहीं चुकते. और हर बार उनसे लड़ते हुए, कोई फैंटम बनने पर मजबूर हो जाता है. क्या यही एक रास्ता है? क्राइम को और करीब से जानने के लिए पढ़ते रहिए।
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