जब रोहन, राहुल प्रकाश मेहरा की party में पहुंचा तो उसने सोचा नहीं था वो तान्या को इस तरह से जान पाएगा… हालांकि विवेक ने तान्या की birthday party के बारे में उसे नहीं बताया था.. उसकी मुलाकात एक deal के सिलसिले में राहुल प्रकाश मेहरा से होनी थी, लेकिन उसे क्या पता था तान्या से इस मुलाकात का अंजाम क्या होने वाला था… तान्या को lawn में छोड़कर रोहन अन्दर आ चुका था...party पूरे शबाब पर थी… हर कोई अपनी मस्ती में गुम था, सिवाय राहुल प्रकाश मेहरा के, जो राहुल प्रकाश मेहरा का बेटा था। वो बहुत परेशान दिखाई दे रहा था….. जैसा कि तान्या ने उसे बताया था वैभव अपने पापा राहुल प्रकाश मेहरा के साथ उनके business में involve नहीं होना चाहता था… वो US में अपना business करना चाहता था इसके लिए या राहुल प्रकाश उसकी हेल्प करें.. या यूं कहें India का business wind up करके सारा पैसा वैभव के बिजनेस में invest कर दें। इस बात को लेकर बाप बेटे के बीच काफी tension थी और यह बात किसी से भी छुपी नहीं थी। जब रोहन राहुल प्रकाश मेहरा के घर पंहुचा था तब भी वैभव उनसे कुछ कह रहा था और राहुल प्रकाश गुस्से में उससे बात कर रहे थे। loud music की वजह से शायद उनकी बात किसी ने भी न सुनी हो.. लेकिन वैभव के चेहरे का रंग देखकर रोहन समझ गया, दोनो के बीच क्या बात हो रही होगी… अगर तान्या ने उसे इस बारे में कुछ नहीं बताया होता तो वो भी राहुल प्रकाश मेहरा और वैभव मेहरा के बीच जो कुछ चल रहा था वो नहीं समझ पाता…. रोहन और विवेक के पहुंचते ही वैभव वहां से उठकर चला गया… राहुल मेहरा का mood ख़राब ही दिखाई दे रहा था…। वैसे विवेक इतना कुछ नहीं जानता था इसलिए relax था… रोहन ने राहुल मेहरा से हाथ मिलाया और मेहरा साहब ने बैठने को कहा…
तभी राहुल प्रकाश मेहरा ने कहा- (Rahul Prakash Mehra)- You know so many friends are waiting for me, so tell me what can I do for you…
Rohan- Perhaps Vivek has told you each and everything about my work and deal ... Before we start working together, I would like to know your terms and conditions.
राहुल प्रकाश ने कहा-(Rahul Prakash Mehra)- Gentleman, I am a businessman…. और businessman का एक ही motive होता है Profit and only Profit.. अगर आप मुझे profit दे सकते हो then deal done…
Vivek - Sir, ये हमारी guarantee है आपको लॉस नहीं होगा… आप जानते हैं आपके जैसे कई businessman ने हमारे काम में interest लिया और उन्हें profit हुआ… You know better..
राहुल प्रकाश ने कहा(Rahul Prakash Mehra)- Of course, but my concern is time frame which is important for me… मुझे थोड़ा time दें… we will meet again then I will get more clarity about the deal.. After that we will close the deal..
Rohan - Right Sir..
तब राहुल प्रकाश मेहरा ने कहा- (Rahul Prakash Mehra)- Nice to meet you.. Please enjoy the party… Excuse me…
राहुल मेहरा विवेक कि दी हुई डील के बारे में दुबारा सोचना चाहते थे। उसके लिए फिर से मिलना तय हुआ.. राहुल मेहरा वहां से जा चुके थे और lawn में तान्या अब भी अकेली बैठी थी… अब वहां रुकना ठीक नहीं था… विवेक ने रोहन से कहा वो जल्द ही दूसरी meeting fix करेगा.. वहां से निकलते वक्त न जाने क्यूं रोहन का मन हुआ वो तान्या को bye बोलकर जाए… वो अब भी हाथ में सिगरेट पकड़े हुए कहीं खोई थी। रोहन चाहता तो बिना मिले भी जा सकता था लेकिन किस्मत फिर से एक नई कहानी लिखने को तैयार थी। वैसे भी ज़िंदगी की नई-नई कहानियों का सामना रोहन ने बखूबी किया था… ऐसे कई किरदारों से रोहन की जान पहचान होती , और फिर किसी मोड़ पर उसका रास्ता बदल जाता। तान्या के पास पहुंच कर उसने अपना इरादा बदल लिया… वो वापस लौटने ही वाला था तभी तान्या ने कहा…
Tanya - क्या हुआ.. पापा ने मना कर दिया…
Rohan- How do you know??? You are sitting here…
Tanya - I know everything about my Papa… वो कोई काम आसानी से नहीं करते…. और तुम यहां आए हो मेरी birthday party… this is bullshit… खैर कोई बात नहीं.. तुम मुझे अपनी deal बता सकते हो I mean discuss कर सकते हो…वैसे Papa ने मुझे आज कोई gift नहीं दिया है… तो as a birthday gift मैं तुम्हारी deal पर approval ले लूंगी..
रिश्ते बनाए नहीं जाते.. भरोसा जताया नहीं जाता… साथ किसी के चला नहीं जाता…यह सब किस्मत की बात थी… रोहन के proposal के लिए तान्या ख़ुद उससे बात कर रही थी, जबकि उसे deal के बारे में कोई जानकारी नहीं थी… आख़िर क्यूं तान्या को रोहन पर ऐतबार हो गया था… ये बात ख़ुद रोहन समझ नहीं पा रहा था… तभी कुछ सोचकर रोहन ने कहा…
Rohan- No Thanks Tanya… जाने से पहले मैं एक बार फिर से birthday wish करने आया था.. Happy birthday Tanya.. God bless you…
Tanya - Thank you so much Rohan… रुको न थोड़ी देर… तुम्हारे लिए drinks मंगवाऊं??… After all, we are friends now…
रोहन ने गौर से तान्या की तरफ़ देखा, मानो उसे समझने की कोशिश कर रहा हो….. जैसी वो दिख रही थी, वैसी थी नहीं…. न जाने कितना दर्द उसने अपने अंदर छुपा रखा था, जो निकलने के लिए कुलबुला रहा था, जिसे उसने मानो कस कर पकड़ रखा हो….. लेकिन कई बार जिस डोर से हम अपनी ज़िंदगी को पकड़ कर रखते हैं, वो डोर कमज़ोर पड़ जाती है… कुछ ऐसा ही उस वक्त तान्या की आंखों से बयां हो रहा था। उसकी बातों में सच्चाई थी.. रोहन ने हाथ बढ़ाकर कहा…
Rohan - Of course, I am your friend… call me anytime… this is my card…
Tanya - Do you have a pen??
रोहन ने तान्या को पेन दिया और तान्या ने उसके हाथ पर अपना नंबर लिख दिया… रोहन और तान्या की ये पहली मुलाकात थी.. लेकिन रोहन जब वहां से निकला तो उसे लगा उसे तान्या की birthday party में आना ही था, जैसे किस्मत ख़ुद तान्या से उसे मिलवाना चाहती हो। रास्ते में विवेक को drop करके रोहन घर पहुंचा। आज दरवाजा बबलू ने नहीं बल्कि कंचन ने दरवाज़ा खोला… कंचन को इतनी रात दरवाज़े पर देखकर रोहन थोड़ा हैरान हुआ लेकिन फिर मुस्कुराते हुए अपने कमरे में चला गया… आज उसका mood काफी ठीक था, वो भी तब जब आज उसका काम नहीं हुआ था। जब से कंचन यहां आई है, इस तरह से रोहन को खुश उसने कभी नहीं देखा था… कंचन को थोडा़ अजीब लगा… वो दरवाज़ा बंद करके रोहन के कमरे तक गई और उससे पूछा…
Kanchan - कुछ चाहिए तो बता दीजिएगा…
Rohan- तुम जाकर सो जाओ… मां सो गई ना??
Kanchan- अभीी सोई हैं… बार-बार आपके बारे में पूछ रही थीं आप वापस आए या नहीं…
कंचन के ये कहते ही रोहन अपनी मां के कमरे तक गया… मां सो रही थी… उसकी मां को light on करके सोने की आदत थी…. पहले ऐसा नहीं था जब उसके पापा योगेश उसके साथ थे। ख़ैर अपनी मां को सोता देख वो वापस अपने कमरे की तरफ़ चला गया.. कंचन भी अपने कमरे में चली गई… उसे वापस जाना था इसलिए उसने अपना बैग पैक कर लिया था। काव्या hospital में admit थी… रोहन रोज़ उससे मिलकर हालचाल लेता.. लेकिन अभी तक काव्या ने अपने accident के बारे में किसी को कुछ नहीं बताया था.. इसलिए रोहन को ही उसकी देखभाल करनी पड़ रही थी। रोहन के कहने पर उसने सिर्फ़ अपने घर पर inform कर दिया था, वो business trip पर बाहर गई है और जल्द ही वापस आ जाएगी। घर पर बात न करना आख़िर काव्या की क्या मजबूरी थी, रोहन समझ नहीं पा रहा था। कंचन वापस अपने शहर जा चुकी थी… station पर कंचन उसकी मां हेमलता के लिए थोड़ी उदास थी… रोहन ने कहा था, वो manage कर लेगा.. उसके बावजूद वो जानती थी, रोहन कितना और कैसे अपनी मां का ख्याल रख पाएगा… कंचन का जाते वक्त दिल किया कि वो अपने जाने का program cancel कर दे लेकिन कुछ सोचकर उसने इरादा बदल लिया। रोहन ने कंचन से जल्दी आने कि दरख्वास्त कि थी… कंचन ने हां में सिर हिला दिया था। कंचन के जाते ही और उसकी मां के साथ-साथ उसका घर भी उदास हो गया था। रोहन ने अपनी मां के अकेलेपन को महसूस किया था… बबलू भी थोड़ा चुप-चुप रहने लगा था। कहते हैं जब आपकी खुशियां इंसान दूसरों में ढूँढने लगता है तो वो ख़ुद को असहाय और लाचार महसूस करता है। कंचन रोहन के यहां सिर्फ काम करती है… उसे हमेशा के लिए रोकना ना ही सही था और न ही रोहन का उसपर कोई हक़। काव्या के चोटें पूरी तरह से ठीक नहीं हुई थी लेकिन हॉस्पिटल से वो discharge हो गई थी… वो इस हाल में वापस घर नहीं जाना चाहती थी तभी काव्या ने रोहन से कहा…
Kavya - If you don't mind, क्या मैं तुम्हारे साथ तुम्हारे घर में रह सकती हूं… I need a break from my relatives and everyone else around me..
Rohan - काव्या वो तो ठीक है लेकिन तुम मेरे साथ कैसे रह सकती हो… I mean, मेरे घर पर तुम्हारा यूं रुकना…
Kavya - Of course, I know.. जब मुझे problem नहीं है तो तुम्हें क्या problem है??
Rohan - Problem है काव्या.. मैं तुम्हें इस वक्त नहीं समझा सकता…
Kavya - OK I will manage…
काव्या ने ठंडी सांसें ली और चुप हो गई.. रोहन नहीं चाहता था कि काव्या उसके साथ रहे.. वो अपनी मां से क्या कहेगा?? उनके सवालों का क्या जवाब देगा??? कहीं मां ने साथ नहीं रहने का फैसला कर लिया तो क्या करेगा?? लेकिन इन सवालों के बावजूद रोहन काव्या को उसके हाल पर नहीं छोड़ना चाहता था….तो क्या फिर एक बार रोहन बढ़ाएगा मदद के काव्या कि तरफ हाँथ ? या काव्या को न चाहते हुए भी अपने घरवालों से करेगी contact ?
जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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