विवेक, रोहन को समझाकर एसी जगह ले जा रहा था जहां जाना उसकी क़िस्मत में लिखा था।  विवेक और रोहन जहाँ जा रहे थे उसके बारे में बहुत ज़्यादा दोनों में से किसी को मालूम नहीं था। हमेशा की तरह विवेक ने मीटिंग फिक्स  करवा दी थी… आज रोहन जिससे मिलने जा रहा था वो शहर के बहुत बड़े बिज़नसमैन  थे। विवेक और रोहन जिस जगह पर पहुंचे वहां पार्टी शुरू हो चुकी थी…एक ऐसी पार्टी जहां दिखता कुछ और है और अन्दर से होता कुछ और है…रास्ते में विवेक ने राहुल प्रकाश मेहरा के बारे में रोहन को बता दिया था जिनसे उसे मिलकर डील फाइनल  करनी थी।  वैसे देखा जाए तो रोहन की मार्केटिंग विवेक करता था। रोहन को अब शहर में लोग जानने लग गए थे। सिर्फ़ विवेक के कहने से रोहन के काम में कोई पैसे इन्वेस्ट करे, ये थोड़ा मुश्किल था इसलिए वहां रोहन का जाना ज़रूरी हो जाता। राहुल प्रकाश मेहरा एक सुलझे हुए बिज़नसमैन  हैं जिसे अच्छे से मालूम है कहां उनका फायदा है। वैसे भी अच्छे बिज़नसमैन  की यही खासियत होती है कि वो सिर्फ़ और सिर्फ़ अपना फायदा देखता है। इधर रोहन को ऐसे बड़े लोग को देखने की जैसे आदत पड़ चुकी है… वो जानता था कैसे और कब वो अपनी चाल चलेगा जिससे सामने बैठा शख्स कितना भी चालक क्यूं न हो चारो खाने चित्त हो जाए… रोहन के लिए भी किसी भी हाल में डील हासिल करना ज़रूरी था। जब विवेक और रोहन वहां पहुंचे तो  पार्टी  शुरू हो चुकी थी… दरअसल ये  पार्टी  राहुल प्रकाश मेहरा की बेटी तान्या के जन्मदिन की थी, जहां शहर के बड़े-बड़े बिज़नस टाइकून  आए हुए थे, जिनमें से कुछ को विवेक पहचानता भी था और उनके साथ मिल भी चुका था लेकिन पैसों का नशा ऐसा होता है, जहां सब कुछ याद होते हुए भी हम अंजान बनने का नाटक करते हैं… वैसे ऐसे नाटकों को देखने की आदत रोहन को हो चुकी थी।  काफ़ी देर तो दोनों यूं ही घूमते रहे क्यूंकि राहुल प्रकाश मेहरा बहुत बिजी थे।  उनके आस पास काफ़ी लोग थे,  हालांकि राहुल प्रकाश मेहरा ने विवेक को देख लिया था और इशारों में बैठने को कहा था। उनके पास इंतज़ार के अलावा कोई रास्ता नहीं था… जिसके लिए यह  पार्टी  रखी गई थी, वो नशे में थी और किसी पर भी बुरी तरह नाराज़ हो रही हो…

म्युजिक  में तान्या की आवाज़ ज़्यादा सुनाई नहीं दे रही थी तभी तान्या ने कहा…

 

तान्या  -आई सेड स्टॉप द म्यूजिक  

 

अचानक म्युजिक  बंद हो गया। तान्या को देखकर राहुल प्रकाश मेहरा और एक नौजवान लड़का दोनों उसकी तरफ़ गए जहां तान्या खड़ी थी और थोड़ी ही दूरी पर रोहन और विवेक खड़े थे… जहां कुछ देर एक अजीब सी हलचल थी वहां शोर थम गया था… राहुल प्रकाश मेहरा, तान्या को संभाल रहे थे और उस लड़के से कह रहे थे ' उसे ध्यान देना चाहिए ' … विवेक ने रोहन को धीरे से कहा…

 

विवेक  - ये दोनों राहुल प्रकाश मेहरा के बच्चे हैं… ये तान्या है जिसके लिए  पार्टी  हो रही है और ये उनका लड़का वैभव प्रकाश मेहरा है जो यू.एस. से पढ़ाई करके लौटा है…

 

रोहन ने समझने के अंदाज़ में सिर हिला दिया… अब इस हंगामे के ख़त्म होने का उसे इंतज़ार था , तभी यहां आने के मकसद में उसे कामयाबी मिलती.. वैभव ने तान्या को लोग से दूर बैठा दिया था। उसके आस पास कोई भी नहीं था..  पार्टी  फिर से शुरू हो गई थी… वहां से जाते वक्त राहुल प्रकाश मेहरा कह गए थे वो अभी आ रहे हैं… बड़े लोगों की ज़िंदगी भी कितनी अजीब होती है…. कहने को तो सब कुछ होता है लेकिन इनके क़रीबी रिश्तों में बहुत दूरी होती है… इतनी दूरी कि रिश्तों का एहसास तक न रहे। अब भी तान्या अकेली बैठी थी और शायद रो रही थी… जिसके लिए इतनी बड़ी  पार्टी  थी उसके रोने से किसी को फ़र्क नहीं पड़ता… रोहन को बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था... उसका वहां दम घुट रहा था…. वो सांस लेने के लिए लॉन की तरफ़ चला गया… पीछे से विवेक ने कुछ कहा भी था..

 

विवेक  - सर यही रहना, मेहरा सर कभी भी आ सकते हैं..

 

रोहन ने आसमान की तरफ़ देखा, बादल थे.. उन्हीं बादलों के पीछे छुपा चांद आंख मिचौली खेल रहा था. वहां चल रही ठंडी हवा सुकून दे रही थी.. वैसे भी छत पर इस तरह घूमने की रोहन को आदत थी… यहां  पार्टी  में क्यूं है,  क्या उसकी deal राहुल प्रकाश मेहरा से हो पाएगी या नहीं, ये सब बिना सोचे रोहन को बस जल्दी से लौट जाना चाहता था पर कहां वो लौट सकता था यही तो सबसे बड़ा सवाल था…लाइटर की आवाज़ से रोहन ने पलटकर देखा.. तान्या उसके पास खड़ी सिगरेट पी रही थी.. उसे देखकर तान्या ने उसकी तरफ़ सिगरेट बढ़ाया..

 

रोहन  - नो थैंक्स , मैं स्मोक नहीं करता..

 

तान्या  - तो यहाँ क्यू खड़े हो ? अंदर जाओ एण्ड हैव फन। इट्स माइ बर्थडे.

 

रोहन  - हैप्पी बर्थडे..

 

तान्या ने रोहन को कोई जवाब नहीं दिया… उसकी आंखों में आसूं थे..

 

रोहन - डॉन्ट क्राइ… आज के दिन आपको खुश होना चाहिए..

 

तान्या  - मैं कोई मशीन नहीं हूं.. जब चाहा खुश हो गई और मर्ज़ी हुई तो मशीन ऑफ कर दिया। जब मेरी मॉम मेरे साथ थीं तब मेरी छोटी छोटी खुशियों का ख़्याल रखती थीं। हर वो बात जो मुझे पता ही न हो, मेरी मॉम को पता होती थी… सब समझ लेती थीं वो पर मैंने क्या किया उनके साथ? मुझे क्यूं नहीं पता चला वो अंदर से कितनी उदास थीं.. वो कभी खुश ही नहीं रहीं मेरे ग्रेट डैड के साथ।  

 

 

रोहन को समझ नहीं आ रहा था, उसे क्या करना चाहिए… तान्या के साथ रहना और उसके किसी भी बात पर रीस्पान्ड करना उसके लिए ज़रूरी था या नहीं… ये रोहन के दिमाग़ में चल रहा था। जब कोई अंजान शख़्स अपनी ज़िंदगी की किताब खोल दे तो ज़्यादा देर तक आप उस किताब से मुंह नहीं फेर सकते हैं… यही हाल रोहन का भी हो रहा था.. तान्या न जाने रोहन से क्यूं अपना दर्द शेयर कर रही थी… अंदर से फिर से म्युजिक  की तेज़ आवाज़ रोहन के कानों तक पहुंच रही थी और सामने खड़ी तान्या जिसकी बर्थ्डै पार्टी  थी वो रोए जा रही थी.. तभी तान्या ने गुस्से से कहा..

 

 

तान्या  - मेरे डैड पैसों से सब खरीदना चाहते हैं लेकिन मेरी मॉम को नहीं बचा पाए ….मैं उन्हे कभी माफ नहीं करूंगी... ही किल्ड माइ मॉम ..।

 

 

रोहन ख़ुद को रोकना चाहता था लेकिन इस बार वो नहीं कर पाया.. उसने धीरे से पूछा..

 


रोहन - क्या हुआ था?

 

तान्या थोड़ी देर चुप रही, शायद वो भी नहीं समझ पा रही थी जिसका नाम तक नहीं जानती,  उससे ये सब डिस्कस करना ठीक है कि नहीं। यही तो ज़िंदगी का खुबसूरत खेल है जिस पर हमें सबसे ज्यादा भरोसा होना चाहिए उस पर रत्ती भर भी यक़ीन नहीं और जिस पर भरोसा तो दूर जान पहचान भी न हो उसके सामने ज़िंदगी की पूरी क़िताब खोल कर हम रख देते हैं। कुछ ऐसा ही भरोसा तान्या रोहन पर कर रही थी.. क्यूं? इसका जवाब तो उसके पास भी नहीं था.. अब तक तान्या चेयर पर बैठ चुकी थी और रोहन को भी उसने बैठने को कहा था… थोड़ी देर तक दोनों चुप रहे फिर रोहन ने धीरे से कहा…

 

रोहन - आई थिंक हमें अंदर चलना चाहिए… यहां आपको ठंड लग रही होगी…

 

ठंड बढ़ गई थी और तान्या ने तो जैकिट भी नहीं पहनी थी। पार्टी के कपड़ों में भी वो मासूम दिख रही थी। एक नॉर्मल सी लड़की जिसे हाई फ़ाई ज़िंदगी नहीं चाहिए थी।   जिसकी खुशियां बहुत बड़ी नहीं थी। वो अपनो के साथ दिल खोल कर बातें करना चाहती थी। तान्या की बड़ी-बड़ी आंखों से आंसू फिर से छलक गए थे..उसने अपने बंधे बालों को खोला जो रह-रह कर उसके चेहरे पर आ रहे थे… तान्या बेहद सुंदर और मासूम दिख रही थी… उसने दोनों पांव उप्पर किये और चेयर  पर आराम से बैठ गई…. गहरी सांस लेकर तान्या ने कहा..

 

तान्या  - मुझे बहुत बातें करने की आदत.. मेरी मॉम  हमेशा कहती “ तान्या कितना बोलती हो तुम” , लेकिन मेरी मॉम ने कभी मुझे बोलने से नहीं रोका। हमेशा मैं बक-बक करती रहती और वो सब सुनती रहती लेकिन कभी मॉम ने ज़ाहिर नहीं होने दिया कि उनके अंदर क्या चल रहा है कितनी तकलीफ़ में थीं वो। हम दोनों में से किसी ने उन्हें नहीं समझा..

 

रोहन - दोनों मतलब??

 

तान्या  - मेरा भाई वैभव , उसे तो बस अपने करिअर से मतलब है। जब उसे यहां नहीं रहना तो क्यूं यू.एस. से वापस आया है.. ही ईज़ सो सेल्फिश , उसको भी मेरे डैड से कोई प्यार नहीं है लेकिन फिर भी वो चाहता है कि उसके बिजनेस में पापा इन्वेस्ट करें जो इंडिया में नहीं वो यू.एस. में करना चाहता है। इस वजह से पापा और वैभव में काफ़ी बहस भी हुई… इन दोनों बाप बेटे को जो करना है करे लेकिन मुझे इन्वाल्व ना करे.. सॉरी सॉरी पता नहीं क्यू  मैं तुम्हें ये सब क्यू सुना रही हूं…

 

अब जाकर उसे ख़्याल आया कि सामने बैठे शख्स को जानती भी नहीं है.. तभी उसने कहा..

 

तान्या  - हाइ आई यम तान्या ..

 

रोहन  - रोहन ..

 

तान्या  - नाइस टू मीट यू!!

 

सर्द रात और खुले आसमान के नीचे बैठे दो अजनबी तान्या और रोहन जिनकी अलग-अलग कहनी थी लेकिन क्या इन दोनों कि कहानी आपसे में जुडने वाली थी? रोहन तान्या कि बातें सुन ही रहा था  तभी विवेक ने रोहन को कॉल किया..

 

रोहन  - हैलो विवेक ..

 

विवेक  - कहां हो सर आप?? मेहरा सर इंतज़ार कर रहे हैं..

 

रोहन - आता हूं..

 

रोहन - सॉरी मुझे चलना होगा… मैं आपकी बात फिर सुनूंगा.. वैसे आप अच्छा बोलती हैं..

 

तान्या  - तुम मुझे तान्या कह सकते हो रोहन…. तुमसे बात करके अच्छा लगा..

 

रोहन  - मुझे भी...  बाय तान्या….

 

रोहन तान्या को वहीं छोड़ कर अन्दर राहुल प्रकाश मेहरा से मिलने आ गया…

क्या रोहन अपनी मुश्किलों को पीछे छोड़ पाएगा? या फिर एक बार उसका सामने होने वाला था किसी नई चुनौती से ?  

 

Continue to next

No reviews available for this chapter.