Modern दुनिया के लिए भूत प्रेत या काली शक्तियां सिर्फ़ कहानियों तक ही सीमित हैं। लोग इन बातों को सच नहीं मानते। वैसे भी जब तक किसी शक्ति से आपका सामना ना हो आप उसे एक भ्रम ही मानते हैं लेकिन छैल में ऐसा नहीं था। पहाड़ियों के बीच बसा ये छोटा सा शहर देखने में जितना सुंदर और आकर्षक लगता था, उतना ही रहस्यमयी था। ये नक़्शे पर तो दिखता था लेकिन इसका इतिहास अपने आप में एक बड़ा रहस्य था। यहां के लोग काली ताक़तों में यकीन करते हैं लेकिन इस सच को मानते नहीं। उनके सामने सब कुछ हो रहा है लेकिन फिर भी वो हर बात से अनजान हैं। यही बात इस जगह को और भी ज्यादा रहस्यमयी बनाती है। मीरा और उसकी टीम इसी सच को सामने लाने यहां आई है। उनके लिए भूत प्रेत और काली ताकतों जैसी बातें कोरी कल्पनाएं ही हैं।

उन्हें लगता है छैल उन्हीं पचासों कहानियों जैसा ही है जिनका उन्होंने पहले पर्दाफाश किया है लेकिन उन्हें ये नहीं पता कि उनका ये भ्रम टूटने वाला है। उन्हें ये भी नहीं पता कि इस बार उनका सामना कैसी ताकतों से होना है और इस बात का एहसास मीरा को इस सीक्रेट नोट से शायद हो भी गया।

वैसे तो वो उस नोट को किसी की शैतानी मान सकती थी लेकिन उसने यही बातें अपने सपने में भी सुनी थीं। ये मात्र एक संयोग नहीं हो सकता। इस नोट ने उसके अंदर एक डर भर दिया लेकिन फिर भी वो पीछे नहीं हट सकती थी। उसने तय किया कि वो ये बात अपने साथियों को नहीं बताएगी।

उसने उस नोट को अपने बैग में रख लिया। उसे अब सबसे पहले समीर के बारे में पता लगाना था। सुबह वो तैयार होकर जब नीचे नाश्ते के लिए पहुंची तो उसने देखा हॉल में कुछ अनजाने चेहरे थे। मीरा ने मनोहर से पूछा कि ये लोग कौन हैं? उसने बताया ये इस गेस्ट हाउस के temporary कर्मचारी हैं। जब भी कोई गेस्ट आता है तो इन्हें बुला लिया जाता है। गेस्ट्स के जाने के बाद इनकी भी छुट्टी हो जाती है। पांच छः गेस्ट्स तक तो वो अकेला ही संभाल लेता है लेकिन बहुत दिनों बाद उनके गेस्ट हाउस में इससे ज़्यादा गेस्ट्स आए हैं इसीलिए उसने इन लोगों को मदद के लिए बुला लिया। मनोहर ने मीरा को चाय दी और मीरा चाय की चुस्कियां लेते हुए कुछ सोचने लगी।

अनाया और रोहन अभी तक नीचे नहीं आए थे। मीरा ने कुछ सोच कर अपने हैंड बैग से एक तस्वीर निकाली और मनोहर को दिखाते हुए पूछा कि क्या उसने इस शख्स को कहीं देखा है? मनोहर तस्वीर देखते ही उस शख्स को पहचान गया। उसने कहा ये तो समीर जी हैं। छः महीने पहले जब वो पहली बार छैल आए थे तो यहीं रुके थे। फिर उन्हें पास की पहाड़ी पर एक घर रेंट पर मिल गया जिसके बाद वो यहां से चले गए। मीरा की एक्साइटमेंट बढ़ गई। उसने मनोहर से पूछा कि क्या उसने समीर को हाल फ़िलहाल में कहीं देखा है?

मनोहर ने बताया कि वो अक्सर उनसे मिलने जाया करता था लेकिन दस दिन पहले जब वो उनके घर गया तो वहां कोई नहीं था। मनोहर ने ये भी बताया कि उसकी समीर से आख़िरी मुलाक़ात दो हफ़्ते पहले इसी मार्केट में हुई थी। उन्होंने तब कहा था कि आज कल वो कुछ ज़्यादा बिज़ी रहने लगे हैं इसलिए घर से कम ही निकलते हैं। मीरा ने मनोहर से समीर के किराए वाले घर का एड्रेस ले लिया। इतनी देर में अनाया और रोहन भी नीचे आ गए। उसने उन्हें भी सारी बात बतायी। इसके बाद वो तीनों समीर के घर के लिए निकल गए।

तीनों मनोहर के बताये रास्ते पर आगे बढ़ते रहे। घर तक पहुँचने के लिए उन्हें एक ऊंची पहाड़ी चढ़नी पड़ी थी।  काफ़ी देर चलने के बाद उन्हें एक घर भी दिख गया। तीनों वहां पहुंच कर इधर उधर देखते हुए घर के मालिक को ढूंढने लगे लेकिन वहाँ कोई मिला नहीं। घर के बाहर की हालत को देखते हुए ऐसा लग रहा था जैसे यहां महीनों से कोई नहीं आया होगा। तीनों लोग घर के मेन गेट को खोलने की कोशिश कर रहे थे। उन्हें ये देखकर हैरानी हुई कि घर का दरवाज़ा खुला हुआ था। अंदर जाते ही वो लोग घर का कोना कोना देखने लगे। तभी मीरा की नज़र एक कमरे में गई जहां टेबल पर उसकी और समीर की फ़ोटो रखी हुई थी। मीरा को समझते देर ना लगी कि ये उसके समीर का ही कमरा है।

मीरा के पीछे पीछे अनाया और रोहन भी उस कमरे में जाते हैं। पूरा कमरा बिखरा हुआ था। ऐसे लग रहा था जैसे समीर ने सामान समेटने की हड़बड़ी में पूरा सामान फैला दिया हो। सबकी नज़रें कमरे की जांच में जुट गईं। इधर उधर खोजते हुए मीरा की नज़र समीर के बैग पर पड़ी। वो उसके बैग को अच्छे से पहचानती थी। उसने उस बैग को खोला तो उसे दो डायरियां मिलीं। दोनों पूरी तरह से भरी हुई थीं। मीरा पहचान गई कि ये समीर की ही हैंडराइटिंग थी। समीर ने अपनी इन डायरीज़ में ऐसा कुछ लिखा था जिस पर इन तीनों का यकीन कर पाना बहुत मुश्किल था।

समीर ने अपनी डायरी में एक फैमिली का ज़िक्र किया था। शायद ये घर उसी फैमिली का था। फैमिली के हेड एक डॉक्टर थे, जिनका बेटा काली ताकतों के वश में चला गया था। काली ताक़तें उसे हर रोज़ घर से बाहर बुलाती थीं और जो भी उसे बचाने जाता उसके शरीर के टुकड़े टुकड़े हो जाते थे। समीर ने इस डायरी में उन काली ताकतों का सामना करने के कुछ तरीक़े भी लिखे थे। अपने आख़िरी पन्ने पर समीर ने लिखा था कि उसे लगा कि उसने आत्मा हर्ता और उसकी ताकतों को हरा दिया लेकिन ये सब इतना आसान नहीं था। ये ताक़तें उन जड़ों की तरह हैं जिनका कोई अंत नहीं।

इसके साथ ही समीर ने एक खास दिन के राज़ का भी जिक्र किया था। उस दिन जो कुछ भी होता है वो किसी को याद नहीं रहता। हैरानी की बात ये थी कि समीर ने जिस दिन के बारे में बताया था उस दिन का नाम उसकी दोनों डायरीज़ के हर पन्ने से मिट चुका था। किसी को नहीं पता चला कि आख़िर समीर किस दिन के बारे में बताना चाह रहा था।

अनाया समीर की डायरीज़ को बड़े ग़ौर से पढ़ रही थी। भूत प्रेत जैसी बातों को हमेशा से वहम बताने वाली अनाया की अचानक से समीर की लिखी बातों में दिलचस्पी बढ़ गई। वो उसकी डायरी ऐसे पढ़ने लगी जैसे वो किसी मिशन पर निकली हो और उसका रास्ता समीर की डायरी में ही मिलने वाला हो।

समीर ने अपनी डायरी में इस घर में मौजूद एक छुपे हुए कमरे का भी ज़िक्र किया था। मीरा उस कमरे को ढूंढने में लग गई। वो लोग घर की हर दीवार को बहुत ग़ौर से देखने लगे। तभी मीरा की नज़र हॉल के कोने में बने वॉशरूम पर गई। वो उस वाशरूम में एंटर हुई और वहां की हर चीज़ को बड़े ग़ौर से देखने लगी। रोहन ने उससे कहा कि ये बस एक वॉशरूम है उसे यहां कुछ नहीं मिलने वाला। मीरा ने पूछा, क्या उसने इस घर की हालात देखी? पूरा घर गंदा है सिवाय इस वॉशरूम के जबकि किसी भी घर में वहाँ का वाशरूम ही सबसे ज़्यादा गंदा होता है। टॉयलेट सीट से लेकर दीवारों तक सब एकदम क्लीन है जैसे इसका किसी ने कभी यूज़ ही ना किया हो। मीरा ने आगे कहा कि उसे पूरा यकीन है कि उस ख़ुफ़िया कमरे का रास्ता इसी वॉशरूम में मिलेगा। इतना कहते हुए मीरा टॉयलेट फ़्लश का लीवर घुमाने लगी और इसके साथ ही टॉयलेट सीट अपनी जगह से खिसकने लग गयी। ये देखकर रोहन डर के मारे पीछे हो जाता है।

कुछ ही देर में वो लोग देखते हैं कि टॉयलेट सीट के नीचे एक तहखाने जैसी कोई जगह है। एक एक कर के तीनों नीचे उतरते हैं।

नीचे उन्हें जो दिखा, वो उन तीनों ने आज से पहले कभी नहीं देखा था। पूरे कमरे की दीवारों पर अजीब आकृतियां बनी हुई थीं। ये आकृतियां काली सी पड़ गई थीं। ऐसा लग रहा था जैसे इस जगह पर हवन होते रहे हों। उसी दरवाज़े के एक कोने में एक अलमारी मिलती है। मीरा ने जब उस अलमारी को खोला तो उसे वहां बहुत सी तस्वीरें मिलीं। किसी परिवार की तस्वीरें। हर तस्वीर पर तारीखें लिखी हुई थीं।

मीरा को ये समझते देर नहीं लगी कि इस जगह किसी तरह की बलि दी जाती थी और जो परिवार इन काली ताकतों के अधीन रहा ये तस्वीरें उन्हीं की हो सकती हैं। इसका मतलब था कि काली ताकतें कई सालों से इस जगह पर कब्जा जमा कर बैठीं थीं। मीरा और रोहन दीवार पर बनी उन अजीब आकृतियों और उन तस्वीरों को देख रहे थे लेकिन अनाया कहीं और ही खोयी हुई थी।

उसे लग रहा था जैसे कमरे में उन तीनों के अलावा भी कोई है। वो उनकी फुसफुसाहट को महसूस कर रही थी। ये आवाज़ें बच्चों की थीं। जैसे वो अनाया से बात करने की कोशिश कर रहे हों। धीरे धीरे अनाया को अपने सामने दर्जन भर बच्चे भी दिखने लगे। उन सबके गले में मालाएं और माथे पर काला टीका लगा हुआ था। ठीक वैसे ही जैसे बलि के लिए किसी बकरे को तैयार किया जाता है। वो सभी अनाया की ओर इशारा कर रहे थे। अनाया ये सब देख एकदम से चौंक गई। उसके चेहरे से साफ़ झलक रहा था कि वो बहुत डरी हुई है। इस ठंडी घाटी में भी उसे पसीना आ रहा था। मीरा ने उसकी घबराहट को नोटिस कर लिया था।  

उसने अनाया से पूछा कि उसे कुछ हुआ है क्या.. लेकिन अनाया किसी को नहीं बताना चाहती थी कि उसे भूत प्रेत या काली शक्तियों में यकीन है। उसे लगा कि अगर वो बच्चों वाली बात सबको बताएगी शायद सब उसका मज़ाक़ उड़ाएं इसलिए उसने ऐसे दिखाया जैसे वो बिल्कुल ठीक है।

तभी सबको ऐसा महसूस हुआ जैसे तहखाने के ऊपर कोई है। रोहन ने तहखाने की तस्वीरें अपने कैमरे में क़ैद कर ली थीं। अब उन्हें यहां कोई काम नहीं था। वो लोग ऊपर आकर देखने लगे लेकिन वहां कोई नहीं था। फिर सब वापस गेस्ट हाउस लौट गए।

गेस्ट हाउस पहुँचकर रोहन को बहुत भूख लगी थी इसलिए वो मीरा के साथ खाना खाने चला गया। अनाया ने कहीं जाने से माना कर दिया और अपने रूम में चली गई। अब वो ख़ुद पर सवाल उठा रही थी। वो भला ऐसी चीज़ों पर कैसे यकीन कर सकती है? उसने तो अपने करियर में ऐसे कई केस सॉल्व किए हैं। फिर इस बार उसे ये काली ताक़तों वाली बात सच क्यों लग रही है? उसे ये सोच कर डर लगने लगा कि कहीं वो भी तो इन छैल वालों की तरह अंध विश्वास में तो नहीं फंस गई?

यही सब सोचते हुए धीरे से उसे नींद आ गई। मीरा ने उसे डिनर के लिए कॉल कर के एक दो बार जगाने की कोशिश भी की लेकिन वो उठी नहीं।

फिर रात को क़रीब दो बजे अनाया को महसूस हुआ जैसे उसका बेड हिल रहा हो। उसकी आंख खुली तो पूरे कमरे में अंधेरा था। उसे लगा जैसे भूकंप आ रहा हो लेकिन फिर उसने देखा घर का बाक़ी सामान नहीं हिल रहा। उसने जब अपने पैरों की तरफ़ देखा तो उसकी धड़कनें जैसे थम सी गईं। वो बुत सी बन गई क्योंकि उसके सामने एक साया था, जैसे ये कोई बच्चा हो। वही उसके बेड को बार बार हिला रहा था।

किसका साया अनाया को डरा रहा है? क्या अनाया किसी बड़ी मुसीबत में फंस गई है?

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

 

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