रात के 3 बज रहे थे और रेणुका साहनी अपने आलीशान बिस्तर पर बहुत देर से करवट बदल रही थी। बाहर तूफानी बारिश थी जो रुकने का नाम नहीं ले रही थी और अंदर रेणुका के मन में दूसरा तूफान घर कर गया था। वो गहरी नींद में तो थी पर ऐसा लग रहा था जैसे कोई तनाव उसके और उसकी नींद के बीच आ रहा हो। जैसे-जैसे घड़ी की सुइयां आगे बढ़ रही थी, उसके चेहरे की चमक भी कमजोर होती जा रही थी। तभी अचानक रेणुका का शरीर पसीने से तर–ब–तर हो गया और वो जोर से रुआंसी आवाज़ में चिल्लाने लगी।

रेणुका (डर से चिल्लाते हुए)– मुझसे अब और बर्तन मत मंजवाओ, मैं इतने सारे बर्तन नहीं माँज सकती।

रेणुका पता नहीं किस गहरे सपने में थी, वो बहुत देर तक एक ही बात चिल्लाती रही और रोती रही। थोड़ी देर बाद वो थोड़ी शांत हुई पर अचानक फिर वो सिसकने लगी और नींद में बड़बड़ाने लगी –

रेणुका (सिसकते हुए) – मेरे हाथ, मेरे हाथ कितने कोमल थे, अब इनमें नेलपेंट भी सुन्दर नहीं लगेगी।


ये बोलते-बोलते रेणुका फिर रोने लगी। रेणुका एक दम ऐसे रो रही थी जैसे किसी छोटे से बच्चे को स्कूल में बहुत सारा होमवर्क दे दिया हो पर रेणुका की रोने की आवाज सुनते ही कोई रेणुका के कमरे में आ गया।

अम्मा (तेज और sarcastic बूढ़ी आवाज में)– क्या हुआ रेणुका, घोड़े की तरह क्यों हिनहिना रही है?

अम्मा,रेणुका साहनी की सास हैं। सिर्फ रिश्ते में ही नहीं,बल्कि स्वभाव से भी वो रेणुका की सास ही हैं। हर सास बहू की तरह, रेणुका और अम्मा भी एक दूसरे को कुछ खास पसंद नहीं करतीं थीं पर उनका रिश्ता एक दम नींबू के मीठे अचार की तरह है। जिसमें खट्टेपन के साथ थोड़ी मिठास भी है। वो एक दूसरे से झगड़ती तो रहती हैं पर एक दूसरे के बिना रह भी नहीं सकती। एक दूसरे की बातों को काटना  तो जैसे उनकी सबसे पसंदीदा आदत है।

अम्मा रेणुका को कभी गंभीरता से नहीं लेती लेकिन आज तो रेणुका की हालत देखकर अम्मा भी हैरान थी।

अम्मा ने फिर रेणुका को आवाज़ लगाई पर रेणुका टस से मस न हुई। बहुत देर आवाज़ लगाने पर भी जब रेणुका की नींद नहीं खुली तो अम्मा ने अपनी लाठी रेणुका के पैर पर मार दी।

रेणुका डर के मारे उठी और ऐसे हाथ चलाने लगी जैसे वो बर्तन साफ कर रही हो।

रेणुका (रुआंसी आवाज में) – मै सारे बर्तन माँज दूंगी, मुझे मत मारो प्लीज!

अम्मा( गुस्से में) – पागल हो गई है क्या? कौन से बर्तन?

अम्मा ने गुस्से में अपने हाथ से रेणुका के सिर पर मारा तब जाकर रेणुका अपनी गहरी नींद से बाहर आई। रेणुका अभी भी पसीने से तर–ब–तर हो रही थी पर अम्मा को देख जैसे उसकी जान में जान आ गई। इसलिए नहीं कि अम्मा को देखकर उसे खुशी हुई बल्कि इसलिए क्योंकि उसे समझ आ गया था कि वो बस एक डरावना सपना था जिससे रेणुका बाहर आ गई है।

अम्मा ( आश्चर्य में) – इतनी देर से चिल्ला रही है, आखिर किसके घर के बर्तन माँजने चली गई थी?

रेणुका ने सिसकते हुए अम्मा को अपना पूरा सपना सुनाया। दरअसल, सपने में उसका बेटा वैभव एक फिरंगन बहू ले आया था जो रेणुका से घर का सारा काम करवा रही थी। रेणुका को कभी भी बर्तन माँजना पसंद नहीं था पर उसके सपने में उसकी फिरंगन बहू उससे घर के, पड़ोसी के, यहां तक की घर के काम वालों तक के बर्तन माँजने के लिए दे रही थी। इस बात को सुनकर अम्मा को थोड़ी हंसी आ गई पर अम्मा ने चुप रहने में ही समझदारी समझी।

रेणुका ( डरी आवाज में) – अम्मा आपको पता है, उस फिरंगन ने मुझे धमकी दी कि अगर मैने घर के सारे बर्तन समय से नहीं माँजे तो वो मुझे वृद्धाश्रम भेज देगी।

ये कहते हुए रेणुका फूट-फूट कर रोने लगी। अम्मा को रेणुका की हालत देखकर फिर से हंसी आ गई।

अम्मा (फुसफुसाते हुए)– वृद्धाश्रम तो मैं ही कब का भेज देती तुझे पर एक बूढ़ी दूसरी बूढ़ी को वृद्धाश्रम भेजते हुए अच्छी नहीं लगती!

रेणुका ( आश्चर्य से) – कुछ कहा आपने?

वैसे रेणुका अम्मा के सभी ताने खूब समझती है और करारा जवाब देना भी जानती है पर अभी उसके सपने के डर ने उसे अम्मा को जवाब देने से रोक दिया। फिरंगन बहू के सपने ने रेणुका की रूह तक को डरा दिया था पर ऐसा क्या हुआ था कि उसे ऐसा अजीबों गरीब सपना आया?

रेणुका साहनी ,भोपाल शहर के एक नामी बिजनेसमैन की विधवा है। कुछ सालों पहले दिल का दौरा पड़ने के कारण उसके पति, अशोक साहनी, की मृत्यु हो गई थी। तब से ही वो अपने इस बड़े से घर में अपनी सास – अम्मा, के साथ रहने लगी। उनका एक बेटा भी है जिसका नाम वैभव है। वैभव हमेशा से ही पढ़ने में बहुत अच्छा था और उसे घर के business में कभी कोई रुचि नहीं रही इसलिए वो कुछ सालों पहले लंदन MBA करने के लिए चला गया था। अब वो लंदन की ही एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करता है।

रेणुका अपने बेटे के लिए एक perfect बहू की तलाश में तो कुछ समय से थी ही लेकिन एक किटी पार्टी ने उसकी इस तलाश को एक जुनून में बदल दिया।

वो अभी भी उस सपने के दर्द से बाहर नहीं निकल पा रही थी।

रेणुका ( डर में मन ही मन बोलते हुए) – वो अगर मुझसे बर्तन मंजवाएगी तो मेरे हाथ भी मर्दों जैसे हों जाएंगे, मै ऐसा नहीं होने दे सकती! मै वैभव को इस घर में फिरंगन नहीं लाने दे सकती।

दरअसल इस सपने से ठीक 7 घंटे पहले रेणुका एक किटी पार्टी में गई थी। रेणुका उम्र में 60 साल की है पर अम्मा की भाषा में कहें तो ऐसा लगता है जैसे रेणुका ने कल ही अपना सोलहवां जन्मदिन मनाया हो। पति के जाने के बाद  रेणुका ने अपना जीवन अपनी किटी parties और दोस्तों को समर्पित कर दिया। हर रोज़ या तो वो सज-धज कर किसी पार्टी में जा रही होती है या फिर रेणुका के सारे दोस्त उसके घर पार्टी के लिए आते हैं।

रेणुका को तैयार रहना और दोस्तो के साथ वक्त बिताना बहुत पसंद है। हर दिन की तरह आज भी वो अपनी किटी पार्टी में जाने के लिए तैयार हो रही थी। उसने अपनी बड़ी सी अलमारी में पड़ी ढेरों साड़ियों में से एक गहरे हरे रंग की साड़ी बाहर निकाली और तैयार होने लगी। रेणुका हमेशा अपने माथे पर एक बड़ी लाल बिंदी लगाती है जो उसके चेहरे पर बहुत सुंदर लगती है। उसकी कद–काठी और खूबसूरती को देखकर अक्सर उसकी किटी पार्टी की सहेलियां उसकी तारीफ करते थकती नहीं हैं। अब खुद की तारीफ सुनना किसे पसंद नहीं होता? रेणुका खुद की इतनी तारीफ सुन चुकी है कि वो अपनी बहू भी बिल्कुल अपनी ही जैसी छवि की लड़की को बनाना चाहती है। वो चाहती है कि उनकी बहू इतनी perfect हो कि जब वो शहर में निकले तो चारों तरफ सब बस उसी की तारीफ करते रहे! फिलहाल उनकी बेतुकी पार्टियों के कारण उनका ध्यान बहू ढूंढने पर थोड़ा कम है।

हरी साड़ी में खुद को आईने में देखकर रेणुका ने आईने को ही काजल लगा दिया, और चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कान लेकर चल पड़ी अपनी दोस्त सुनीता के घर। सुनीता, रेणुका के पति के खास दोस्त की पत्नी है। इसलिए रेणुका अपने दिल की बातें अक्सर उन्हें बता दिया करती थी। रेणुका के ड्राइवर ने उसे सुनीता के यहां छोड़ दिया। अन्दर जाते ही रेणुका सुनीता के गले लग गई। वहां रेणुका के और भी दोस्त थे। धीरे-धीरे करके वो सबसे मिली और हॉल में सबके साथ सोफा पर जाकर बैठ गई। सब अपनी-अपनी बहुओं की तारीफ कर रहे थे कि तभी रेणुका की एक किटी वाली दोस्त ने बातों-बातों में पूछा, “रेणुका , तू तेरे बेटे की शादी कब करेगी?”

रेणुका – ढूंढ तो रही हूं,आपकी नजर में कोई अच्छी सी लड़की हो तो बताना।

एक दूसरी दोस्त चुटकी लेते हुए बोली, “अरे रेणुका, तेरा बेटा इतने समय से बाहर है, अब तक तो कोई फिरंगन बहू  ढूंढ भी ली होगी उसने।”

रेणुका (गुस्से में) – मेरा बेटा मुझे सब बताता है और वैसे भी मुझे कोई फिरंगन बहू नहीं चाहिए।

रेणुका की दोस्त ये सुन कर बोल पड़ी, “तू तो ऐसे बोल रही जैसे तेरा बेटा राम है और वो तुझे सब बताता है, लंदन में क्या गुलछर्रे उड़ रहे होंगे, तुझे भनक भी नहीं लगेगी। समझी!”

ये सुनते ही रेणुका का मुंह उतर गया। सुनीता ने रेणुका का चेहरा देखते ही बात पलट दी। सब खेलने में व्यस्त हो गए पर रेणुका का दिल और दिमाग अभी भी फिरंगन बहू के बारे में सोच-सोच कर घबरा रहा था। वो आज किटी पार्टी अधूरी ही छोड़कर सुनीता के घर से निकल गई। घर पहुँचने से पहले ही रेणुका ने ठान लिया कि वो अब वैभव को लंदन में नहीं रहने देगी, क्योंकि क्या पता जो उसकी सहेलियाँ कह रहीं थीं वो सच हो जाए। रेणुका अब वैभव को वापस बुलाने की तरकीब सोचने लगी क्योंकि वैभव ऐसे तो अपना सबकुछ वहाँ छोड़ कर इंडिया नहीं आने वाला था, आखिर था भी तो रेणुका का ही बेटा।

रेणुका( मन ही मन में,घबराई हुई) – कुछ भी करके वैभव को घर वापस बुलाना ही पड़ेगा। मैं किसी फिरंगन को अपनी बहू नहीं बना सकती। क्या करूँ? क्या करूँ?

तभी ड्राइवर ने कार को घर के पार्किंग एरिया में पार्क करके रेणुका को आवाज लगाई। रेणुका वैभव को वापिस बुलाने के खयालों में इतनी खोई थी कि उसे पता ही नहीं चला कब गाड़ी इतना लंबा सफर तय करके घर पहुंच गई। वो वैभव को तुरंत ही कॉल करना चाहती थी पर उसे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर वैभव को वो क्या बहाना देकर यहां हमेशा के लिए रोक सकती है। इसलिए वो रात भर सोचती रही और सोचते-सोचते ही उसकी नींद लग गई। उस बात ने रेणुका को इतना डरा दिया कि वो नींद में भी फिरंगन बहू के सपने देखने लगी और उस सपने से वो इतना डर गई कि उसने नींद खुलने के बाद तुरंत ही वैभव को फोन लगा दिया। वैभव ने फोन उठाया

वैभव – Hi Mom, सब ठीक है? आप इतना लेट तक कैसे जाग रहे हो?

रेणुका ( सिसकते हुए) – कुछ भी ठीक नहीं है वैभव, तू घर आजा अभी के अभी!

वैभव –  मां क्या हुआ? आप ठीक तो हो न? क्या हुआ है?

रेणुका के पास अभी भी कोई जवाब नहीं था पर उसने जैसे ही अम्मा को अपने सामने देखा उसके चेहरे पर एक अलग सी रंगत आ गई। अम्मा रेणुका के चेहरे की रंगत को भांप गई और गुस्से में उसकी तरफ देखने लगीं। अम्मा ने आंखों-आंखों में जैसे रेणुका से कह दिया हो कि वो उनके बीमार होने की कहानी नहीं बनाएगी पर रेणुका तो रेणुका थी।

रेणुका (सिसकते हुए) –वो अम्मा!!....

अम्मा ने गुस्से में रेणुका से फोन छीना और फेंक दिया।

अम्मा (गुस्से में)– आज के बाद तूने मेरे बीमार होने की या मरने की कहानी भी बनाई तो मुझे तेरे मरने की कहानी भी नहीं बनानी पड़ेगी, समझ रही है न? ध्यान रखना रेणुका! सास हूँ तेरी और सास ही रहूंगी। बड़ी आई मुझे बीमार करने वाली। थू थू थू मेरी अच्छी खासी सेहत को नजर लगाती है, देखा नहीं जाता न तुझसे मेरा यूं फिट रहना?

अम्मा के इतना कहने पे रेणुका ने मुंह बना लिया। रेणुका का फोन गिरने से स्विच ऑफ हो गया और उधर वैभव अम्मा का नाम सुनते ही घबरा गया। उसने अम्मा को फोन लगाया तो अम्मा ने रेणुका का पूरा प्लान बर्बाद कर दिया। थोड़ी देर बाद जब रेणुका ने वैभव को फिर से कॉल किया तो रेणुका ने उसे कुछ दिन के लिए घर वापस आने के लिए कहा जिसपर वैभव ने अपने काम के प्रेशर का बहाना देकर इगनोर कर दिया। नाराज़ होकर रेणुका ने तब तो फोन काट दिया पर वो अच्छे से जानती है कि वैभव को वापस बुलाना इतना आसान नहीं है। इसलिए वैभव को ब्लैकमेल करने के लिए उसने एक नया प्लान बनाया।

आखिर क्या प्लान बनाया है रेणुका ने वैभव को वापस बुलाने के लिए? क्या वैभव अपनी मां की बातों से ब्लैकमेल होकर घर लौटकर आयेगा? क्या रेणुका अपनी पसंद की बहू लाने के लिए वैभव को मना पाएगी? 


जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

 

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