अगली सुबह अम्मा को जब पता चला कि रेणुका अभी तक उठीं नहीं है तो उन्होंने पूरा घर सिर पर उठा लिया।
 
अम्मा ( गुस्से में बड़बड़ाती हुई) –  दोपहर के 12 बजने को आए हैं और मैडम जी अभी तक घोड़े बेचकर सो रही हैं। एक तो पूरी रात खराब कर दी और ऊपर से अब नाश्ता भी अकेले बैठ के करो, हुँह!!
 
अम्मा रेणुका की जितनी भी बुराई करे, उसके बिना अम्मा को एक पल भी अच्छा नहीं लगता। आखिर रेणुका के साथ नोक झोंक में ही वो अपनी बोरियत भरे समय को काट लेटी हैं। वैसे भी उनके बेटे के जाने के बाद एक रेणुका ही तो है जो उन्हें उनके बेटे जितना ही चाहती है।
 

रेणुका की नींद आज थोड़ी लेट ही खुली। रात के भयानक सपने के बाद उसके चेहरे की सफेद चमक आज थोड़ी पीली सी पड़ गई। रेणुका आंखों के नीचे काले गड्ढे और सूजी-सूजी आंखे लिए बिस्तर पर बैठे-बैठे ही वैभव को वापस बुलाने के बारे में सोच-विचार करने लगी।
 

हालांकि रेणुका अच्छे से जानती थी कि वैभव इतनी आसानी से उसकी बात नहीं मानेगा पर वो किसी भी हालत में वैभव को घर बुलाना चाहती थी। कल रात वाले उस डरावने सपने के बाद वो किसी भी तरह से बस वैभव को लंदन में रुकने नहीं देना चाहती थी। इसलिए रेणुका ने तय किया कि वो एक ऐसा प्लान बनाएगी जिससे वैभव को घर वापस लौटने से कोई भी न रोक पाए। रेणुका मन ही मन वैभव को वापस बुलाने की तरकीब सोचने लगी।

रेणुका (मन में ) – रेणुका कुछ सोच ,कुछ ऐसा कि वैभव तुझे मना कर ही ना पाए। कुछ तो तड़कता भड़कता प्लान बना।
 

वैभव वैसे तो उसके पिता के जाने के बाद अम्मा और अपनी मां की कोई बात टालता नहीं पर उसे अपनी आजादी भी बहुत पसंद है। वो अपनी आजादी के आगे कभी किसी को नहीं आने देता और लंदन सिर्फ वो शहर नहीं है जहां वो नौकरी करता है बल्कि वैभव के लिए लंदन वो शहर है जहां उसे उसकी पहचान मिली है। उस शहर ने उसे आजादी दी है, अपने सपनों को देखने और उन्हें पूरा करने की आजादी। रेणुका ये बात बहुत अच्छे से जानती है और इसी बात के कारण उसे डर भी लग रहा है कि वैभव शायद उसकी बात न माने।

आधी नींद में जब रेणुका को कुछ समझ नहीं आया तो उसने तय किया कि वो थोड़े फ्रेश माइंड से ये सब सोचेगी ताकि उसे कोई अच्छा सा प्लान मिल सके जिससे वो वैभव को आसानी से ब्लैकमेल कर सके। वो जल्दी से नहाने के लिए चली गई, नहाते समय भी उसके दिमाग में बस वैभव को वापस बुलाने की बातें ही चल रही थी। रेणुका अक्सर नहाने में काफी समय लगाती है, उसका मानना है की कोई भी काम जल्दी नहीं करना चाहिए क्योंकि जल्दी का काम शैतान का होता है हालांकि आज रेणुका को वैभव से जल्दी से जल्दी बात करनी थी इसलिए उसने अपनी सहूलियत के हिसाब से जल्दी नहाने में ही समझदारी समझी।

नहाकर उसने अपनी अलमारी से एक सुन्दर सी गुलाबी साड़ी निकाली और बिना किसी देरी के पहन ली। रेणुका का दिमाग इतना खोया हुआ था कि वो अपनी लाल बिंदी तक लगाना भूल गई। वही लाल बिंदी जो उसे उसके पति के साथ होने का एहसास दिलाती है। दरअसल रेणुका अपने पति से बहुत प्यार करती थी, उसके पति को उसके चेहरे पर वो लाल बिंदी बहुत अच्छी लगती थी इसलिए उसने अशोक साहनी के जाने के बाद भी वो लाल बिंदी लगाना बंद नहीं किया। उसे लगता है उस बिंदी के सहारे वो आज भी अपने पति के करीब है। जब वो बहुत टेंशन में होती है तब वो अक्सर अपने पति, अशोक साहनी, की तस्वीर से बातें करती है। कानों में बालियां पहनते समय जब उसकी नज़र आईने पर दिख रही अशोक साहनी की तस्वीर पर गई तो उसकी आंखे हल्की सी नम हो गई। उसने तुरंत लाल बिंदी ढूंढी और उसे लगाकर, दीवार पर टंगी उस तस्वीर के पास चली गई।
 

रेणुका ( दुखी मन से) – मुझे कोई तो रास्ता बताओ जिससे मैं वैभव को हमेशा के लिए घर वापस बुला लूं? मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है। आज आप होते तो..

ये बोलते-बोलते रेणुका की आंखे और गला भर गया। उसने बहुत कोशिश की पर वो अपने आंसू रोक नहीं पाईं। उसने तस्वीर की तरफ फिर देखा तो उसके दिमाग में एक बेहतरीन idea आया। उसका चेहरा साफ बता रहा था कि उसे वैभव को ब्लैकमेल करने का रास्ता मिल गया है। उसने अशोक की तस्वीर को देखकर बड़े प्यार से thankyou बोला। उसी समय अम्मा भी रेणुका को आवाज़ लगाने लगी, तो रेणुका अपने कमरे से निकलकर नीचे हॉल की तरफ चली गई। अम्मा को प्रणाम करके रेणुका डाइनिंग टेबल पर बैठ गई। लट्टू काका ,जो इस घर में पिछले 30 साल से काम कर रहे हैं, उन्होंने रेणुका के लिए टेबल पर नाश्ता लगाया जिसमें रेणुका के लिए उन्होंने नारियल पानी भी रख दिया। उन्हें रेणुका की हालत देख समझ आ गया था कि आज रेणुका की तबियत कुछ ठीक नहीं है।

रेणुका (मुस्कुराते हुए) – थैंक यू लट्टू काका।
 

रेणुका के चेहरे पर अब थोड़ी सी रौनक आ गई थी। अब ये लट्टू काका के नारियल पानी की वजह से था या रेणुका के मन में चल रहे वैभव को ब्लैकमेल करने वाले प्लान की वजह से ,ये तो बस रेणुका ही जानती थी। उसने नाश्ता करने के तुरंत बाद अपना मोबाइल उठाया और वैभव को कॉल मिला दिया।

अम्मा भी थोड़ी देर बाद अपनी जाप माला लेकर डाइनिंग टेबल के पास ही आ गई। अम्मा रेणुका की कटाई करने के अलावा अपना सारा वक्त मंदिर, शास्त्र और जाप करने में ही बिताती हैं पर जैसे ही वैभव ने रेणुका का फोन उठाया, अम्मा का पूरा ध्यान उनकी जाप से रेणुका की बातों पर चला गया।

रेणुका – हेलो बेटा, कैसे हो ?
 
वैभव – ठीक हूँ मां, आप कैसे हो? कल आपका फोन अचानक बंद हो गया, मैं तो डर ही गया था।

रेणुका गुस्से में अम्मा की तरफ देखते हुए और बोली, 

रेणुका- हां वो गलती से ज़मीन पर गिर गया था। तू ये सब छोड़ मुझे तुझसे एक जरूरी बात करनी है।

वैभव – हां मां बोलिए

रेणुका – तू इस हफ्ते तक घर वापस आजा

वैभव ये बात सुनकर अटपटा गया क्योंकि रेणुका ने पहले कभी वैभव को ऐसे नहीं बुलाया था। वो भी इतनी जल्दी  आने को तो कभी नहीं कहा। लंदन कोई पड़ोस का मोहल्ला नहीं है।

वैभव – मां ,सब ठीक है न? अम्मा या आप, किसी की तबीयत खराब है क्या ? कल भी आपसे बात नहीं हो पायी थी।
 

रेणुका – नहीं सब ठीक है, पर अब मैं इस घर में अकेले नहीं रह सकती, मुझे ये दीवारें काटने को दौड़ने लगी है, तू आजा बस! 

वैभव ने दुनिया भर के कारण बताए पर रेणुका अपनी बात पर अड़ी रही और जब वैभव फिर भी अपने घर ना आने की बात पर अड़ा रहा तो रेणुका ने चाल में अपना हुकुम का इक्का चल दिया।
 

रेणुका ( सिसकते हुए) – आज तेरे पापा जिंदा होते तो मैं तुझसे कभी किसी चीज़ की चाहत नहीं रखती। मुझे लगा था इनके जाने के बाद तू मेरा और अम्मा का सहारा बनेगा पर तुझे तो बस तेरी आजादी चाहिए। फिर हम चाहे जियें या मरें!
 

अम्मा (धीरे से) – कितना ड्रामा कर रही है रेणुका?
 

रेणुका ने फोन को म्यूट करके अम्मा से कहा,
 

रेणुका– कल अगर बीमार होने के लिए मान जाती तो ये सब करने की नौबत ही नहीं आती। अब चुप रहो!
 

उधर वैभव रेणुका की बात सुनकर एक दम शांत हो गया। वो गहरी सोच में चला गया। आज से पहले रेणुका ने उससे कभी ऐसी बातें नहीं की थी। थोड़ी देर के बाद वैभव ने हिम्मत जुटाई और इस चुप्पी को तोड़ने की कोशिश की।
 

वैभव (डरी हुई आवाज में) – मां , आप कैसी बातें कर रहे हो
?

रेणुका ने बिना कुछ कहे वैभव का कॉल काट दिया। अम्मा ने रेणुका को शाबाशी भरी नज़र से देखा और कहा
 

अम्मा – वाह रेणुका, तू तो पूरी ड्रामेबाज़ निकली।
 

रेणुका– अम्मा, आपसे बेहतर कौन जानता है ये बात? आखिर आपकी ही शिष्य हूँ।
 

ये कहते ही वो दोनों ठहाके लगाकर हंसने लगीं। रेणुका अच्छे से जानती थी कि वैभव उसे फिर से फोन करेगा। इसलिए उसने अब सारी चिंता छोड़ दी थी। लट्टू काका से उसने थोड़ा और नारियल पानी मँगवाया और न्यूज़ पेपर पढ़ने लगी। न्यूज़ पेपर पढ़ने के बाद वो मन ही मन सोचने लगी कि भले ही पिछली रात खराब थी पर इस सुबह ने उसका सारा तनाव खत्म कर दिया। ये सोचते-सोचते रेणुका के मन में फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ का वो शेर घूमने लगा , “लंबी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है!”
 

रेणुका को हमेशा से ही पढ़ने का बड़ा शौक रहा है। तो अक्सर वो अपने असली जीवन की सच्चाई को कहानियों, या कविताओं के साथ जोड़ देती है। ऐसा करके वो खुदको ये एहसास दिलाती है कि वो इस दुनिया की परेशानियों में अकेली नहीं है। हालांकि, रेणुका की इस आदत के बारे में वैभव और अम्मा भी नहीं जानते।
 

रेणुका अपने खयालों में खोई हुई थी कि तभी वैभव का कॉल आ गया। रेणुका मुस्कुराई लेकिन वैभव को ना समझ आए इसलिए उसने थोड़ी धीमी आवाज में उससे बात की।
 

वैभव – मां, मैं कल की फ्लाइट से इंडिया आ रहा हूं। अभी सिर्फ 1 महीना ही रुक पाऊंगा। कैसे arrange किया है सब, मैं ही जानता हूँ लेकिन आप प्लीज़ नेक्स्ट टाइम कभी ये मत कहना कि मुझे आप लोगों का कोई खयाल नहीं है।
 

रेणुका ( normal tone)– ठीक है बेटा।
 

रेणुका जानती थी कि अभी सही वक्त नहीं है वैभव को ये बताने का कि वो उसे यहां हमेशा के लिए बुला रही है। इसलिए रेणुका ने बिना कोई और बात किए,वैभव की बातों में हां में हां मिला दी और फोन रखते ही वो अम्मा की तरफ देखकर हंसने लगी। अम्मा भी रेणुका के ड्रामे को देखकर अपनी हंसी नहीं रोक पाई।
 

बिना किसी देरी के, रेणुका ने लट्टू काका को आवाज़ लगाई और वैभव के आने की खबर दी!
 

रेणुका  – लट्टू काका, वैभव आ रहा है। उसके घर आने से पहले घर में उसकी सभी पसंद की चीजें आ जानी चाहिए।
 

लट्टू काका बोले “ठीक है बेटा, तुम टेंशन मत लो। मैं हर चीज की व्यवस्था करवा दूंगा।”
 

लट्टू काका ने घर के सभी नौकरों को बुलाकर , वैभव की सभी पसंदीदा चीजें लाने को कह दिया और वैभव के पसंदीदा खाने की एक लिस्ट बनाकर रसोई घर के काम वालों को थमा दी। इधर रेणुका और अम्मा वैभव के आने की खुशी में फूली नहीं समा रही थी। रेणुका ने तो ये भी तय कर लिया था कि वो कल वैभव के आने पर उसके लिए उसका पसंदीदा गाजर का हलवा खुद अपने हाथ से ही बनाएगी।
 

रेणुका वैभव के घर आने की बात से इतनी खुश थी कि वो दिन में ही सपने देखने लगी। हद तो तब हो गई जब उसने ये तक सोच लिया कि उसकी परफेक्ट बहू की ग्रैंड एंट्री कैसे होगी और जब उसकी बहू उसके घर में चलकर आएगी तो कैसे उसकी सारी किटी party की दोस्त जल फूँक जाएंगी। रेणुका किटी party की उन सभी दोस्तों को करारा जवाब देना चाहती है जिन्हें ये लगता है कि वैभव फिरंगन बहू लेकर आएगा! हालांकि रेणुका का डर पूरी तरह अभी गया नहीं था पर वो इस बात से खुश थी कि कम से कम इस डरावनी रात के बाद सूरज की पहली किरण तो नजर आई!
 

खैर, रेणुका तो अपनी परफेक्ट बहू की परफेक्ट ग्रैंड एंट्री के बारे में सोचकर बहुत खुश थी पर क्या होगा जब वैभव को पता चलेगा इस पूरे षडयंत्र का सच? क्या वो सच सुनने के बाद भी यहाँ रुकेगा? या फिर वो अपनी लंदन की आजाद जिंदगी को रेणुका के लिए कुर्बान कर देगा? 
 

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

 

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