आज की सुबह में एक अलग ही नशा था। रेणुका कई दिनों बाद आज किचन में कुछ बना रही थी और कैसे न बनाती, वैभव तीन साल बाद घर वापस जो आ रहा है। वैभव के लिए गाजर का हलवा बनाते-बनाते ,वो ऐसे खो गई जैसे वो वैभव के पूरे बचपन को फिर से जी रही हो। हालांकि अभी वैभव को आने में 3–4 घंटे और थे पर आज रेणुका को एक शादी में भी जाना था और वो जाना cancel नहीं कर सकती थी क्योंकि रेणुका की खास दोस्त, ऋद्धि मल्होत्रा के बेटे की शादी थी। रेणुका ने समाज और दोस्तों में खूब व्यवहार कमाया है इसलिए उसका इस शादी में जाना तो जरूरी था ही पर अभी रेणुका के दिमाग में परफेक्ट बहू की जो खोज चल रही है, उसका मानना था कि शायद इस शादी में वो खोज पूरी हो जाए। ऋद्धि मल्होत्रा,शहर की नामी डिजाइनर है, शादी में शहर और शहर के बाहर के सभी मशहूर परिवार आयेंगे, और रेणुका बस इसी बात का फायदा उठाकर अपने लिए परफेक्ट बहू  ढूंढ लेना चाहती है।

हलवा बना कर रेणुका ने उसे फ्रिज में रखवा दिया और लट्टू काका को वैभव की सारी पसंद की चीजें बनाने को पहले ही बोल दिया था। इसके बाद रेणुका शादी में जाने के लिए तैयार होने लगी,आज के फंक्शन के हिसाब से उसने एक गहरे नीली रंग की साड़ी पहनने का फैसला किया क्योंकि नीली साड़ी में रेणुका एक दम ग्रीक goddess जैसी लगती है और वो आज उस शादी में एक ऐसी ही छवि के साथ नजर आना चाहती थी। उसने अपने ड्राइवर को बुलाया और उसके साथ “Riverside resort” के लिए निकल गई।

रास्ते भर वो बस खिड़की के बाहर लड़कियों को देखती रही कि कैसे भी करके उसे वो लड़की मिल जाए जिसे देखकर पूरा शहर रेणुका की पसंद की तारीफ करता न थके।

वैसे तो रेणुका दुनिया की नज़र में बहुत मॉडर्न है पर जब बात बहू की आती है तो अच्छे-अच्छे लोगों की सोच पिछड़ी हो जाती है। इसमें गलती सिर्फ रेणुका की नहीं है, हमारे समाज की सोच बहू बेटियों को लेकर थोड़ी पिछड़ी ही रही है और रेणुका भी इसी समाज का हिस्सा है।  

रेणुका की नजर में भी परफेक्ट बहू  का मतलब एक ऐसी लड़की ही है जो मिस इंडिया से भी ज्यादा खूबसूरत हो, जो घर का सारा काम कर सके और जो- जी मम्मी जी कहकर चुपचाप रेणुका की हर बात माने! कम शब्दों में कहे तो रेणुका को भी एक सर्वगुण सम्पन्न लड़की चाहिए थी जिसमें किसी प्रकार की कोई कमी न हो। जो इतनी परफेक्ट हो कि जब बोले तो मुंह से फूल झड़े, और जब हंसे तो मौसम खिल उठे पर ये बात जितनी सुनने में सुंदर लगती है, सच्चाई से ये उतनी ही दूर है और रेणुका भी ये बात अच्छे से जानती है कि असलियत में लोग इतने परफेक्ट नहीं होते है इसलिए वो पूरा छान बीन करके ही किसी लड़की को अपनी बहू बनाना चाहती थी!

रेणुका अपने खयालों में इतनी खोई रही कि उसे पता ही नहीं चला कब उसके ड्राइवर ने resort के बाहर गाड़ी रोक दी।

वहां पहुंचते ही रेणुका सबसे मिलने जुलने में बिज़ी हो गई पर उसके दिमाग में बस एक ही चीज़ चल रही थी– आखिर कौन होगी उसकी परफेक्ट गृहलक्ष्मी! सबसे मिलने के बाद रेणुका अपनी खास दोस्त सुनीता के साथ रिसेप्शन में खाना खाने के लिए चली गई। रिसेप्शन एरिया में जाते ही वो चारों तरफ परफेक्ट लड़कियों को ढूंढने लगी जैसे कोई गिद्ध अपने शिकार को तलाश रहा हो! रेणुका की घूमती आंखें देख सुनीता भी हैरान हो गई और उसने रेणुका से आखिर पूछ ही लिया, “रेणुका, किसी को ढूंढ रही हो क्या?”

रेणुका मन में इतनी खोई हुई थी कि उसके मुंह से गलती से निकल गया,

रेणुका (खोई हुई) – हां अपनी बहू।

सुनीता हैरान हो गई, अचानक रेणुका को भी एहसास हुआ की उसने क्या ही बोल दिया है।

रेणुका – अरे! मेरा मतलब था वैभव भी अब बड़ा हो गया है, मै सोच रही हूं उसके लिए भी एक अच्छी सी लड़की देखकर उसकी शादी करा दूं!

सुनीता बोली, “हां वैभव शादी की उम्र का तो हो गया है पर तूने वैभव से पूछा है?”

रेणुका (थोड़ी हैरान)– उससे क्या पूछना? शादी तो वो मेरी ही मर्ज़ी से ही करेगा।

सुनीता आगे कुछ कहती पर वो रेणुका को अच्छे से जानती थी। रेणुका को अपना standard इस दुनिया में हर चीज़ से ज्यादा प्यारा था और कोई भी लड़की जो इस standard में फिट नहीं बैठती, उसे रेणुका कभी भी अपनी बहू नहीं बनाएगी! तो सुनीता ने बिना इस बात को खींचे बस इतना कहा कि, “हां ये भी है, चल अपन पाव भाजी खाकर आते हैं। याद है पहले हम कैसे साथ में हर रात भोपाल की सड़कों पर निकल जाते थे?”

रेणुका ( मुस्कुराते हुए) – हां यार,चल!

सुनीता तो पाव भाजी खाने में व्यस्त हो गई पर रेणुका ने पाव भाजी के साथ-साथ लड़कियों पर भी अपनी नजर गड़ाए रखी। थोड़ी देर ढूंढने के बाद उसकी नजर एक खूबसूरत लड़की पर गई। अच्छी कद काठी और रंग में गोरी, आसमानी नीले रंग का कुर्ता पहने हुए, वो अपनी सहेली के साथ खड़ी थी, वो ऐसी लग रही थी जैसे आसमान की कोई परी हो। रेणुका की नजर उससे हटने का नाम ही नहीं ले रही थी, मन ही मन रेणुका को लगा जैसे उसे उसके बेटे के लिए बहू मिल गई हो। रेणुका ने बिना किसी देरी के, सुनीता को कोनी मारी और पूछा,

रेणुका – सुनीता ये लड़की कौन है?

सुनीता को पाव भाजी के बीच लड़की की बात समझ नहीं आई, वो चिढ़कर रेणुका से पूछने लगी तो रेणुका ने कहा,

रेणुका ( धीमी और गुस्से भरी आवाज में) – अरे धीरे बोल थोड़ा, ये सामने नीले सूट वाली को देख, इसे जानती है क्या?

सुनीता थोड़ी देर गौर से देखने पर बोली  “इसे तो नहीं जानती पर इसके साथ वो काले सूट में है न, उसे जानती हूँ, रुको एक मिनट।  

सुनीता उस काले सूट वाली लड़की के पास जाकर उससे हँस-हँस कर बातें करने लगी और यहां रेणुका पाव–भाजी खाने की एक्टिंग करती रही। थोड़ी देर तक बातें करने के बाद सुनीता उस नीले सूट वाली लड़की से भी बात करने लगी। वहां सुनीता की बातें खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही थी और यहां रेणुका acting कर कर के परेशान हो गई थी। आखिर 20–25 मिनट की बातचीत के बाद सुनीता वापस  रेणुका के पास लौटकर आ ही गई।  

रेणुका – पता चला ,किसकी बेटी है?

सुनीता ने बताया की वो नीले सूट वाली लड़की ऋद्धि मल्होत्रा के दूर के रिश्तेदार की बेटी है।

रेणुका – अच्छा, और क्या पता चला?

रेणुका सुनीता से सारी पूछताछ करती रही पर सुनीता को भी उस लड़की के नाम ,पढ़ाई और उसके परिवार के नाम के अलावा ज्यादा कुछ पता नहीं चल पाया। इस बात से रेणुका थोड़ी दुखी हो गई।  

रेणुका (थोड़े गुस्से में)  – तुझे बस इत्ती सी खबर पता करने के लिए भेजा था मैंने वहां?

सुनीता ने कहा, “अरे,अब सीधा थोड़ी न पूछ लेती। थोड़ी बहुत बात घुमा कर जितना पता कर सकती थी पूछ आई, तू टेंशन मत ले, ऋद्धि से बात करके सब पता कर लेंगे हम। बाकी अब पाव भाजी छोड़ दे…”

ये कहते-कहते सुनीता हंसने लगी पर रेणुका के चेहरे के भाव ज़रा भी नहीं बदले। उसके मन में वो लड़की घर कर गई थी और रेणुका का परफेक्ट बहू का जो जुनून था वो अब उसके खुद के वश के बाहर हो गया था। इसलिए बिना किसी देर के रेणुका ने तय किया कि वो खुद ही ऋद्धि मल्होत्रा से उस लड़की के बारे में पूछेगी पर ऋद्धि अभी शादी में बिज़ी थी और रेणुका देर नहीं करना चाहती थी इसलिए रेणुका ने ऋद्धि की जगह शादी में आए दूसरे लोगों से बात करके जानकारी जुटाना ही सही समझा।

रेणुका ने उस लड़की के चारों तरफ सब को ध्यान से देखा ताकि वो किसी न किसी तरीके से बस उस लड़की की खबर ले सके। थोड़ी देर बाद तो रेणुका ने हद्द ही कर दी। वो उस लड़की की सभी दोस्तों के पास जा जाकर उनसे बातों बातों में उस लड़की के बारे में पूछने लगी। रेणुका ने किसी से उसकी आदतों के बारे में पूछा तो किसी से ये कि वो खाना कैसा बनाती है? रेणुका साहनी के सवालों ने तो उस लड़की के सभी दोस्तो तक को awkward फ़ील  करा दिया। यहां तक तो फिर भी ठीक था पर दिक्कत तो तब हुई जब रेणुका ने उस लड़की की सगी बहन से ही उसके कैरेक्टर के बारे में पूछ लिया और वो सिर्फ उस सवाल पर नहीं रुकी, और जानने की चाहत में न जाने उस लड़की की बहन से कैसे-कैसे सवाल कर बैठी जिसके बाद उस लड़की ने ये बात अपने मां बाप को जाकर बता दी। लड़की के मां बाप को ये बात ज़रा भी पसंद नहीं आई पर उन्होंने ऋद्धि मल्होत्रा की इज्जत रखकर इस बात को तवज्जो नहीं दिया और कोई हंगामा नहीं किया।

दूसरी तरफ वैभव 10 घंटे की फ्लाइट लेकर आखिरकार भोपाल, अपने शहर लौट आया था, हालांकि उसे जरा भी अंदाजा नहीं था कि उसकी मां ने आज क्या किया है। भोपाल लौटते ही जैसे अपने शहर की हवा और खुशबू में वैभव खो सा गया। अपने शहर की हवा में वैसे कुछ तो बात होती है। यूं कहें कि दिसम्बर की हवा थोड़ी अलग होती ही है। रस्ते भर वो अपने बचपन की और जवानी की यादें ताज़ा करता रहा पर उन सभी यादों में वो एक याद उसके ज़हन पर हावी होने लगी जो आज भी उसकी सबसे पसंदीदा याद है। उस याद को फिर से जीने के लिए वो अपर लेक से घूमते हुए अपने एरिया की सबसे फेमस चाय की दुकान पर चाय पीने के लिए उतर गया। वहां वैभव ने दो चाय तो मँगवायीं पर सिर्फ एक ही पी और कुछ वक्त रुकने के बाद ,दूसरे चाय के कप को वहीं छोड़कर अपने घर की ओर लौट गया। वापस लौटते समय, वो उस एक भरे कप को ऐसे देखता रहा जैसे किसी खास के लिए उसे वहां छोड़कर जा रहा हो। घर पहुंचते ही रेणुका को वहाँ न देख कर वैभव ने उसे call किया और नाराज़ होते हुए कहने लगा,

वैभव – हेलो मां! ये क्या बात हुई? आप मुझे बुलाकर खुद घर पर नहीं हो।

रेणुका – अरे तू पहुँच भी गया क्या? बस मैं थोड़ी देर में आई! मुझे लगा यहां से जल्दी फ्री हो जाऊंगी पर कोई बात नहीं, मैं बस अभी आई!

वैभव – हां मां , मैं वेट कर रहा हूँ!

मां से बात करके वैभव अम्मा के पास जाकर बैठ गया। थोड़ी देर उनसे इधर-उधर की बातें और अम्मा से रेणुका की बुराई सुनने के बाद वो अपने कमरे में आराम करने चला गया।

यहां रेणुका भी अपने ड्राइवर के साथ resort से वापस आने के लिए निकल गई। रेणुका के दिमाग में अब भी वो लड़की ऐसे घूम रही थी जैसे उस लड़की के अलावा इस दुनिया में कोई भी लड़की उसकी परफेक्ट बहू नहीं बन सकती। रास्ते भर वो बस ये सोचती रही कि कैसे वो उस लड़की के बारे में सारी जानकारी जुटा ले ताकि वो उसे अपनी बहू बना पाए।  

क्या उस लड़की के मां बाप रेणुका के ऐसे बर्ताव के बाद उससे कोई रिश्ता बनाना चाहेंगे? आखिर वैभव ने चाय की टपरी पर वो दूसरा कप किसके लिए लिया था? क्या रेणुका का डर सच्चाई में तो नहीं बदल जाएगा?


जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

 

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