आज रेणुका की सुबह एक अंजान आदमी से फोन पे बात हुई, रेणुका उसकी बात सुनते ही बेड पर पड़ी नोटबुक उठाकर उसमें कुछ लिखने लगी। अचानक ही उसके दिमाग में कुछ आया और उसने पूछा

रेणुका – पर कितने बजे?

अंजान आदमी ने रेणुका को समय बताया और बाकी जानकारी के लिए थोड़ा इंतजार करने को कहा। रेणुका उसका फोन काटने के बाद नहाने के लिए चली गई।

आखिर कौन था ये अनजान आदमी और वो कौनसी जानकारी की बात कर रहा था?
 
दरअसल, कल के फंक्शन के बाद, रेणुका के दिमाग से वो लड़की जाने का नाम ही नहीं ले रही थी। कल जब वो रिजॉर्ट से वापस  आई तब तक वैभव भी गहरी नींद में सो गया था और इधर फंशन वाली लड़की के कारण रेणुका भी खयालों में इतना खो गई थी कि वो वैभव की घर वापसी के बारे में भूल ही गई। इसलिए वो रात में वैभव से बिना मिले ही अपने कमरे में चली गई थी। रात में वो अपने बिस्तर पर बैठे-बैठे बस उस लड़की की छान बीन करने के ज़रिए ढूंढती रही। बहुत देर सोचने के बाद  रेणुका को याद आया कि सुनीता ने एक बार किसी डिटेक्टिव को अपने किसी दोस्त के लिए हायर किया था। पहले तो रेणुका को सुनीता से पूछने में थोड़ा अजीब लगा पर फिर उसने सुनीता को फोन लगा ही दिया। पूरा सच बताये बिना, रेणुका ने बातों-बातों में सुनीता से उस डिटेक्टिव का नंबर निकलवा लिया और फिर बिना देर के उस ने तुरंत कॉल कर दिया।

रेणुका – हेलो, मै रेणुका साहनी बोल रही हूं, मैने व्हाट्सएप पर आपको कुछ डिटेल्स भेजी है, मै उम्मीद करूंगी कि आप जल्दी से जल्दी मुझे उससे जुड़ी हर जानकारी पता करके दे बताएंगे।

रेणुका ने उस डिटेक्टिव से बात कर के अपने कपड़े बदले और अपने बिस्तर पर जाकर लेट गई। रात बहुत हो चुकी थी और रेणुका भी दिन भर की भागदौड़ में थक गई थी इसलिए उस लड़की के बारे में सोचते-सोचते ही उसकी आंख थोड़ी देर में ही लग गई।

सुबह उठते ही डिटेक्टिव ने रेणुका को उस लड़की की कुछ डिटेल्स दी जिसे वो नोटपैड में लिखकर नहाने के चली गई! बाथरूम से बाहर आकर वो तैयार होने लगी और फिर अपनी लाल बिंदी लगाने के बाद रेणुका ने नोटपैड में लिखे एड्रेस और टाइम को अपने फोन के रिमाइंडर में सेट कर लिया। New Market, shop no. 37, 11 बजे! ये वो समय था जिस समय शादी वाली वो लड़की उस दुकान पर आने वाली थी। रेणुका ने अपने पति की फोटो के सामने उस लड़की के बारे में बताया और फिर नीचे हॉल में नाश्ता करने के लिए चली गई। नीचे पहुंच कर वो देखती है कि वैभव ने आज का नाश्ता अम्मा और लट्टू काका के साथ मिलकर पहले ही बना लिया है। रेणुका को बहुत पछतावा हुआ कि वो इन सब बातों में वैभव को अपने हाथ से हलवा तक नहीं खिला पाई। नम आंखे लेकर वो वैभव के गले लग गई। मां को इतने समय बाद देख कर वैभव की आंखों में भी आंसू आ गए।

वैभव ने माहौल को हल्का करने के लिए बात पलटी…

वैभव – यार बहुत भूख लग रही है, लट्टू काका जल्दी नाश्ता लगवा दो और फ्रिज में जो हलवा रखा है उसे भी गर्म करके लगवा दो आप!

लट्टू काका ने सारा नाश्ता डाइनिंग टेबल पर लगवाया तब तक अम्मा ,वैभव और रेणुका आपस में बात करने में लगे गए।

रेणुका – अम्मा ,आज मै बहुत खुश हूँ, कितने दिनों बाद पहले जैसा लग रहा है ना इस घर में , जब वैभव के पापा थे तो…

ये कहते कहते रेणुका का गला भर गया और वो चुप हो गई.. वैभव ने रेणुका के कंधे पर हाथ रखा और बोला

वैभव – अब तो हम रोज़ ऐसे ही साथ में नाश्ता करेंगे मां!! Chill!

रेणुका( बहुत खुश होकर) – रोज? तू अब वापस नहीं जाएगा ना?

वैभव इस बात पर चुप ही रहा, और नाश्ता करने लगा। रेणुका को भी अभी इस बारे में बात नहीं करनी  थी, उसे अभी कुछ जरूरी काम था, और वो काम था शादी वाली उस लड़की का पीछा करना, 10 बज चुके थे और उसे किसी भी हालत में 11 बजे तक उस एड्रेस पर पहुंचना था जो उसे उस डिटेक्टिव ने बताया था।

रेणुका ने भी बिना कुछ कहे ,अपना नाश्ता खत्म किया और बाहर जाने के लिए उठ गई।

वैभव – आप कहीं जा रहे हो?

रेणुका ( थोडे गुस्से में) – हां कुछ जरूरी काम था! पीछे से क्यों टोका? अब वो लड़की नहीं मिली तो?

वैभव- लड़की? कौन सी लड़की?

रेणुका- उफ्फ़,कुछ नहीं।

रेणुका ने अपनी जुबान संभाली और जाते जाते अम्मा को प्रणाम किया और वैभव से बिना कुछ कहे ही वहां से चली गई। वैभव को अंदर ही अंदर बुरा लग रहा था, उसे पता था की रेणुका चाहती है की वो अब यहीं रह जाए लेकिन उसे जाना पड़ेगा, उसके अपने कुछ कारण थे जो उसे इस शहर में रुकने से उसे रोक रहे थे!

थोड़ी देर में रेणुका ड्राइवर के साथ न्यू मार्केट पहुंच गई। जिस शॉप का डिटेक्टिव ने एड्रेस दिया था वो थोड़ी अन्दर गली में थी और वहां कार नहीं पहुंच सकती थी इसलिए रेणुका ने ड्राइवर को कार पार्किंग एरिया में ले जाने को कह दिया और खुद मेन रोड पर ही उतर गई। वहां से वो अंदर सीधा पैदल ही निकल गई। जाते जाते उसने देखा कि वो लड़की भी वहां पास की ही एक दुकान पर छोले भटूरे खा रही थी, तो रेणुका भी उसी दुकान पर जाकर बैठ गई और उस लड़की की चाल ढाल को करीब से नोटिस करने लगी। उसे एक टक देखने के थोड़ी देर बाद रेणुका ने अपने पर्स में से एक छोटी सी डायरी निकाल ली और उसमें कुछ टिक करने लगी। उस डायरी के दूसरे पन्ने पर पहले से ही पेन से “ मेरी बहू” की हेडिंग लिखी हुई थी। हेडिंग के नीचे कुछ पॉइंट्स this type word in english for future for easy reading भी लिखे हुए थे जिसमें नाक की लंबाई से लेकर हाथ के नेलपेंट तक के बारे में रेणुका ने सब कुछ लिखा हुआ था। उस लड़की को देखते देखते रेणुका जितनी बातें समझ पाई, वो सारी बातें रेणुका ने उस डायरी में भर दी, जैसे उसने कौनसा रंग का नेलपेंट लगाया है, वो किस हाथ से खाना खा रही है, खाना खाते समय उसके मुंह से चप-चप की आवाज तो नहीं आती, क्या वो खाने के बीच पानी पीती है, यहां तक कि उसमें ये तक लिखा था कि उसके पैर की उंगलियों का साइज क्या है क्योंकि रेणुका इन सब बातों में थोड़ा ज्यादा मानती थी , अगर किसी लड़की के पैर के अंगूठे के ठीक बगल में जो उंगली होती है वो ज्यादा लंबी हो तो रेणुका मानती है कि वो लड़की बहुत ज्यादा dominating होती है और वो ऐसी लड़की को अपने घर की बहू नहीं बनाना चाहती जो उससे ज्यादा dominating हो। वो परफेक्ट बहू तो चाहती है पर वो अपने घर में अपना दबदबा भी हमेशा कायम रखना चाहती है। बहुत देर तक examine करने के बाद रेणुका उस लड़की से काफी इंप्रेस हो चुकी थी। वो हर मायने में रेणुका की लिस्ट में परफेक्ट बैठ रही थी। कुछ समय बाद उसने देखा कि उस लड़की ने दुकान वाले को पैसे दिए और वहां से निकल गई। रेणुका ने भी अपने अधूरे छोले भटूरे छोड़कर टेबल पर पैसे रखे, और बाहर निकलने लगी पर तभी दुकानदार ने रेणुका को रोक कर पूछा, “मैम आपको छोले भटूरे पसंद नहीं आए क्या?”

रेणुका उसे जवाब देने लगी और इधर वो लड़की न्यू मार्केट की भीड़ में कहीं खो गई। दुकान से बाहर निकलकर रेणुका ने चारों तरफ देखा पर वो लड़की उसे दूर दूर तक नजर नहीं आई। तो रेणुका उस दुकान पर पहुंच गई जहां का एड्रेस उसके पास था और उसके सौभाग्य से उसे वो लड़की वहां नजर भी आ गई पर रेणुका ने जो देखा उसे देखकर उसके होश ही उड़ गए। वो लड़की दुकान से बाहर निकली और एक लड़के से सीधा गले मिलने लगी। फिर उससे कुछ देर बात करने के बाद वो उसकी गाड़ी में बैठकर निकल गई। रेणुका ने तुरंत अपने डिटेक्टिव को उस गाड़ी का नंबर भेजा और अपने ड्राइवर को कॉल करके बुला लिया। थोड़ी देर बाद डिटेक्टिव ने रेणुका को एक लोकेशन भेजी तो रेणुका ने अपने ड्राइवर को उस लोकेशन पर ले चलने के लिए इशारा किया kaha

वहां पहुंचते ही उसने देखा कि वो दोनों बड़े तालाब के पास एक कैफे में बैठे हुए है। रेणुका की उम्र के हिसाब से उस कैफे में जाना उसे थोड़ा अटपटा लगा पर वो फिर भी उस कैफे में जाकर बैठ गई और उसने टेबल पर अपनी “मेरी बहू” वाली डायरी निकाल कर रख ली। उसने ठीक उस लड़की के सामने वाली टेबल ली ताकि वो उस लड़की और उस लड़के की बातें आराम से सुन सके और अपनी डायरी में वो सब बातें विस्तार से लिख सके।

वो लड़की रेणुका को पहचानी तो नहीं थी पर थोड़ी देर पहले उसने जब उसे छोले भटूरे की दुकान पर देखा था तो वो समझ गई थी कि दाल में कुछ काला है पर यहां इस कैफे में देखकर उसे यकीन हो गया था कि रेणुका उसका पीछा कर रही है। जब थोड़ी देर बाद उस लड़की की छोटी बहन उस कैफे में आई, तो वो रेणुका को देखकर थोड़ा हैरान हो गई। उसने सीधा उस लड़की से पूछा, “ये यहां क्या कर रही है?” उसकी बहन ने बदले में कन्फ्यूज़ होते हुए पूछा-  “तुम जानती हो इन्हें?” लड़की की बहन ने कहा, “दी, यही है वो जो कल तुम्हारे कैरेक्टर की खबर ले रही थी सबसे।”

लड़की को गुस्सा आ गया था, उन लोगों ने तय किया कि खुद रेणुका से बात करने के बजाय उस कैफे से निकलकर सबसे पहले इस बारे में अपने मां बाप से बातचीत करेंगी।  

 

उधर रेणुका उनको अचानक जाते देख कुछ समझ ही नहीं पाई। वो भी उठकर उनके पीछे जा ही रही थी कि उसे किसी ने आवाज दी। ये आवाज और किसी की नहीं बल्कि वैभव की थी।

वैभव – मां आप इधर? इस कैफे में क्या कर रहे हो?

वैभव को देखकर रेणुका ने धीरे से वो डायरी टेबल से उठाकर अपने पर्स में डाल दी। वैभव ने देख तो लिया पर अपनी मां को इस कैफे में देखकर वो इतना हैरान था कि उसने उस डायरी के बारे में रेणुका से कुछ नहीं पूछा! वैभव ने उन दोनों के लिए कॉफी ऑर्डर की और रेणुका के साथ मौसम और बड़े तालाब के नज़ारे को एंजॉय करने लगा। थोड़ी देर दोनों ने बात की और फिर वैभव ने रेणुका से कहा

वैभव – मां मै रात में खाने के समय मिलता हूँ, मुझे एक काम है, मैं वो करके आता हूं।

रेणुका ( थोड़ा irritate होकर)– हे भगवान! यहां भी तूने काम ढूंढ लिया, please टाइम से आ जाना घर!

उधर उस शादी वाली लड़की और उसकी बहन ने अपने घर पर जब रेणुका की ओछी हरकत के बारे में बताया तो उनके मां बाप आग बबूला हो गए। कल की हरकत पर तो उन्होंने फिर भी रेणुका को माफ कर दिया था पर आज तो रेणुका ने हद ही पार कर दी। इसलिए उन्होंने बिना देर किए ऋद्धि मल्होत्रा, रेणुका की सहेली और अपनी दूर की रिश्तेदार को फोन कर दिया!

क्या ऋद्धि मल्होत्रा रेणुका की इस ओछी हरकत के बाद उसे खरी खोटी सुनाएगी? क्या रेणुका इस असफलता के बाद भी परफेक्ट बहू  की तलाश जारी रखेगी? वैभव को आखिर कौन सा जरूरी काम था जिसके लिए वो रेणुका के साथ घर नहीं गया? 
 

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

 

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