रेणुका को ज़रा भी अंदाजा नहीं था कि आज जिस लड़की का उसने पीछा किया है, उस हरकत का परिणाम क्या होगा। उसने सपने में भी ये अनुमान नहीं लगाया होगा कि ये सामान्य सी लगने वाली घटना, उसके जीवन के अगले 24 घंटे में कितना बदलाव लाने वाली है ।
रेणुका वैभव से बात करने के बाद कैफे से सीधा अपने घर की ओर निकल गई , और दूसरी तरफ ऋद्धि मल्होत्रा के घर में तहलका मच गया।
रास्ते भर रेणुका उस लड़की के बारे में ही सोचती रही। वो लड़की रेणुका को इतनी पसंद आ गई थी कि उसने उस लड़की को अपने मन में अपनी बहू बना लिया था। फिलहाल रेणुका बस अभी इस चीज के बारे में सोच रही थी कि वो कैसे उस लड़की के मां बाप से उसका हाथ वैभव के लिए मांगे। वो अपनी ख्याली दुनिया में पकवान बनाकर खुश थी , इतनी ज्यादा खुश कि रेणुका ने मन ही मन खुद को दो तीन बार शाबाशी भी दे दी। उसकी इस ख्याली दुनिया की खुशियों में थोड़ी ही देर में आग लगने वाली थी जिसकी चिंगारी को अभी वो खुद भड़का कर आई थी। थोड़ी देर में जब वो अपने घर के main गेट से होते हुए हॉल में पहुंची तो उसके फोन पर एक कॉल आया। ये कॉल किसी और का नहीं ऋद्धि मलहोत्रा का था, वही ऋद्धि मलहोत्रा जिसके घर की शादी में रेणुका ने उस लड़की को देखा था। ऋद्धि, रेणुका की अच्छी दोस्त है पर शादी के दो दिन बाद उसका फोन आता देख रेणुका थोड़ी घबरा गई। कहीं न कहीं शायद उसे भी आने वाले तूफान का अंदाजा हो गया था।
रेणुका हॉल में सोफे पर जाकर बैठी और फिर उसने ऋद्धि का फोन उठाया। ऋद्धि ने बिना हाय हेलो किए, गुस्से में उससे पूछा, “रेणुका तेरा दिमाग खराब हो गया हैं क्या, ये क्या करती फिर रही है तू?”
रेणुका एक सेकंड को कुछ समझ नहीं पाई पर जब ऋद्धि ने उसे पूरी बात बताई तो रेणुका को थोड़ा गुस्सा आ गया। उसे अभी भी अपनी गलती पूरी तरह से नजर नहीं आ रही थी। बल्कि वो तो उस लड़की के घरवालों से उल्टा नाराज हो गई कि उन लोगों ने उससे बात करने की जगह ऋद्धि को बीच में क्यों कर दिया। ऋद्धि ने बहुत कोशिश की रेणुका को समझने की कि रेणुका को उस लड़की का पीछा नहीं करना चाहिए था पर रेणुका थी कि सुनने का नाम ही नहीं ले रही थी!
ऋद्धि ने कहा, “रेणुका, तुझे अगर वो लड़की पसंद आई थी तो मुझसे पूछती न, यूं खुद किसी के पीछे लग जाएगी क्या?”
रेणुका का दिमाग इतना खराब हो गया था कि ऋद्धि की कोई भी बात उसके दिमाग के अंदर नहीं जा रही थीं। उसके दिमाग में अभी बस ये चल रहा था कि उसकी दो दिन की पूरी मेहनत पानी में चली गई। अब उसे फिर से एक नई लड़की ढूंढनी पड़ेगी और फिर से पूरी जानकारी जुटाना पड़ेगी। ऋद्धि कुछ तो बोल रही थी पर रेणुका फिर अपने खयालों में खो गई। “तू सुन रही है ना मेरी बात?” ऋद्धि ने पूछा।
इसपर रेणुका ने बिना कोई जवाब दिए,ऋद्धि का कॉल काट दिया। उस समय रेणुका इतनी गुस्से में आ गई थी कि उसने ऋद्धि को ब्लॉक ही कर दिया। ऋद्धि तो एक अच्छी दोस्त की तरह रेणुका को समझा रही थी पर रेणुका का ये परफेक्ट बहू का जुनून दिन–बा–दिन पागलपन में बदलता जा रहा था। रेणुका ऋद्धि को ब्लॉक करके खुद अपने कमरे में जाकर बैठ गई। तब ऋद्धि भी गुस्से में थी तो उसने भी फिर से रेणुका को कॉल नहीं किया।
रेणुका के जीवन में अचानक से उथल पुथल मच गई थी और इधर वैभव रेणुका से कैफे में मिलने के बाद, उसी चाय की टपरी पर चाय पीने के लिए आ गया। बहुत देर तक तो वैभव वहां अकेला चुपचाप खड़ा रहा और मन ही मन किसी सवाल से जूझता रहा। फिर थोड़ी देर बाद उसने पिछली बार की तरह दो चाय मंगवा ली और अपनी चाय पीने के बाद वो किसी की याद में खो गया। उसका चेहरा ऐसा लग रहा था जैसे कोई सवाल उसे बार बार परेशान कर रहा हो। कुछ देर वो उसी सवाल में उलझ गया और उस दूसरे भरे कप को देखता रहा पर अचानक जब उसकी नजर अपनी घड़ी पर पड़ी तो उसे याद आया कि उसने अपनी मां से डिनर का वादा किया था। वो वहां से उठकर तुरंत जाने लगा। वो चाय का भरा कप वहीं उस टेबल पर रखा रहा। टपरी वाले दादू से रहा नहीं गया और वो आखिर पूछ ही पड़े – “बेटा! वो लड़की नहीं आई तुम्हारे साथ?”
वैभव ये सुनते ही एक दूसरी दुनिया में खो गया। वही दुनिया जिसमें वो थोड़ी देर पहले कुछ सवालों से जूझ रहा था। उसकी आंखे नम हो गई पर उसके पास चाय वाले दादू के सवाल का कोई जवाब नहीं था!
आखिर किस लड़की के बारे में बात कर रहे थे वो टपरी वाले दादू? क्या वैभव की पिछली जिंदगी में कोई था?
वैभव दादू के उस सवाल से एक अजीब सी शर्मिंदगी महसूस करने लगा, पर फिर भी उसने हिम्मत करके दादू से कहा,
वैभव – दादू वो अब हम…
वैभव पूरी बात कर ही नहीं पाया और तभी उसके फोन पर एक नंबर से कॉल आ गया, “हेलो वैभव बेटा!”
वैभव – हेलो कौन?
“इतना बड़ा हो गया है कि अब मेरी आवाज तक नहीं पहचान पा रहा”, सामने वाली लेडी ने कहा।
वैभव – अरे ऋद्धि आंटी आप हो ना, कैसे हो आप?
ऋद्धि बोली, “बस ठीक हूँ बेटा, मुझे कुछ बात करनी थी तुझसे।”
ऋद्धि रेणुका से बहुत गुस्सा हो गई थी पर जब उसका गुस्सा शांत हुआ ,तो उसने फिर से रेणुका को फोन लगाया। जब बार-बार फोन करने के बाद भी रेणुका का फोन नहीं लगा तो वो समझ गई कि रेणुका ने उसे ब्लॉक कर दिया है। रेणुका थोड़े गुस्सैल प्रवृत्ति की तो है पर आज से पहले उसने ऋद्धि को कभी ब्लॉक नहीं किया था। ऋद्धि ,सुनीता और रेणुका बहुत पुराने दोस्त है। इसलिए ऋद्धि का वैभव के साथ भी मां बेटे जैसा ही रिश्ता रहा है। जब ऋद्धि को समझ नहीं आया कि वो रेणुका से कैसे बात करे तो उसने वैभव से बात करना ही सही समझा। अब ऋद्धि को ये तो पता था कि रेणुका को वैभव के लिए एक अच्छी बहू की तलाश है पर उसने रेणुका से इस अजीब व्यवहार की उम्मीद नहीं की थी।
ऋद्धि ने वैभव को रेणुका की आज की हरकत के बारे में विस्तार में बताया कि कैसे रेणुका ने उस लड़की के बारे में जानने के लिए उसका पीछा किया। ऋद्धि ने ये भी बताया कि, “बेटा मैने बहुत कोशिश की कि वो लोग रेणुका को गलत न समझे पर उन्होंने बताया कि रेणुका उस लड़की का 2–3 घंटे तक पीछा करती रही और न जाने अपनी डायरी में क्या लिख रही थी!”
ये सुनकर वैभव एक दम से शांत हो गया। ऋद्धि ने वैभव को बताया कि उस लड़की के घरवालों को रेणुका का ये व्यवहार पागलपन भरा लगा। वैभव ये सुनकर समझ ही नहीं पा रहा था कि ये सब उसकी आंखों से कैसे बच गया। पर जब वैभव ने कड़ी से कड़ी जोड़ी तो वो समझ गया कि क्यों रेणुका सुबह जल्दी घर से निकल गई थी और कैसे रेणुका वैभव को एक ऐसे कैफे में मिली जहां उनकी उम्र का कोई नहीं जाता उसने जब सारी कड़ियाँ जोड़ी तो उसे उस डायरी के बारे में भी याद आ गया जो उसने उस कैफे में उसकी मां रेणुका के पास देखी थी। ऋद्धि की बातें सुनकर वैभव का खून खौलने लगा। उसे नहीं मालूम था कि उसकी मां उससे बिना पूछे उसके लिए लड़की ढूंढ रही है। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था तो ऋद्धि से फोन पर बात करने के बाद वो सीधा अपने घर चला गया!
घर पहुंच कर वैभव सीधा गुस्से में रेणुका के कमरे में चला गया। रेणुका के कमरे का दरवाजा अन्दर से बंद नहीं था। तो वैभव ने धीरे से पहले दरवाजा खोला और जब उसे कमरे में कोई नजर नही आया तो वो सीधा कमरे के अंदर ही चला गया। रेणुका बाथरूम में थी और उसका पर्स वहीं टेबल पर रखा था। वैभव ने जब पर्स में देखा तो उसे वही डायरी मिल गई जो रेणुका ने कैफे में उसके सामने अपने पर्स में छुपाकर रख दी थी। उसने जब वो डायरी खोलकर देखी तो उसके होश ही उड़ गए। जब वैभव ने “मेरी बहू” की हेडिंग वाला पेज देखा तो उसके पैरों तले जमीन सरक गई। उसे ये नहीं मालूम था कि उसकी मां के लिए बहू ढूंढना इतना बड़ा जुनून बन चुका था। वो जैसे जैसे लिस्ट को देख रहा था, उसका डर बढ़ता जा रहा था। जब रेणुका बाथरूम से बाहर आई तो वैभव के हाथ में उस डायरी को देखकर हैरान हो गई। वो डायरी लेने के लिए वैभव के पास आई पर वो समझ गई थी कि अब बहुत देर हो गई है। वैभव बस एकटक रेणुका को देखता रहा, उसके पास कोई शब्द नहीं थे पर वो जानता था कि ऋद्धि के कॉल के बारे में अगर उसने अभी रेणुका को बता दिया तो शायद रेणुका ऋद्धि से सारी जिंदगी बात न करे। वो समझ गया था कि अब रेणुका को कुछ भी समझाने का कोई फायदा नहीं है, रेणुका अपने इस परफेक्ट बहू के जुनून के कारण अभी सही और गलत में फर्क नहीं कर पाएगी।
वैभव ने बहुत कोशिश की कि वो रेणुका को समझा सके कि वो अभी शादी नहीं करना चाहता , और अगर करना भी चाहता है तो अपनी मर्जी से और इस बात को समझाने के लिए उसने कई तर्क दिए कि वो ऐसे किसी भी अंजान लड़की से शादी नहीं कर सकता, और जो चीजें रेणुका उसकी होने वाली बीवी में ढूंढ़ रही है वो उन सब बातों में विश्वास तक नहीं करता। रेणुका ने जैसे उसकी बातों को अनसुना ही कर दिया। उसके दिमाग में अब एक नई लड़की को ढूंढने का जज्बा आ गया था। उसके दिमाग में उसने जो आदर्श बहू बना कर रखी है वो उसे अभी भी ढूंढने के लिए लगी पड़ी थी।
एक तरफ रेणुका अपनी आदर्श बहू के लिए एक अलग जुनून लेकर बैठ गई थी और दूसरी तरफ वैभव इन सब चीजों से परेशान हो गया था। उसकी माँ की जिद्द और उसकी परफेक्ट बहू की परिभाषा देखकर वो बेहद निराश हो गया था। वो अपनी माँ के सामने अपनी बात रखना चाहता था, लेकिन रेणुका उसकी एक नहीं सुन रही थी। उसकी माँ के इस व्यवहार ने उसे अपने ही घर में अकेला कर दिया था लेकिन अभी भी उसके पास एक इंसान था जिससे वो अपने दिल की बात कर सकता था। अम्मा! वो जानता था कि अम्मा उसकी बात को समझेगी। इसलिए रेणुका से इस बारे में आगे बात करने की जगह उसने वहां से जाना ही सही समझा।
क्या अम्मा इसमें वैभव का साथ देकर रेणुका के against बोलेंगी? क्या रेणुका परफेक्ट बहू ढूंढने की पहली असफलता के बाद और ज्यादा अजीबो गरीब हरकतें करेगी? आखिर वैभव से किस लड़की के बारे में पूछा था उस टपरी वाले दादू ने? क्या वैभव किसी से प्यार करता था? और अगर ऐसा है तो क्या होगा रेणुका का जब उसे वैभव का उस चाय टपरी से जुड़ा सच मालूम चलेगा?
जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
No reviews available for this chapter.