अगले दिन मंडे था और साथ ही अवि के लिए ये पाँचवें सेमेस्टर का पहला दिन था। युविका अब सेकंड ईयर में पहुँच गयी थी हालांकि रिजल्ट आना अभी बाकी था।
नेक्स्ट डे सब कॉलेज आ गए सिवाय युविका के, अक्षरा को भी अर्जुन पूरे एक महीने बाद देख रहा था, वह बड़े ध्यान से उसकी तरफ हाथ हिलाती चली आ रही थी। अर्जुन अक्षरा को देखने में बिजी था और अवि उसको, जब काफी देर तक अर्जुन ने पलकें नही झपकाई तो अवि उसको चिकोटी काटते हुए बोला-"अरे बस कर भाई वह पास आ गयी है। अब तो घूरना बन्द कर दे।"
अवि के चिकोटी काटने पर अर्जुन का ध्यान अक्षरा से हटकर अवि की तरफ गया और वह हड़बड़ा कर बोला-" हां भाई तू कुछ कह रहा था क्या?"
"बस यही की आप इतने ध्यान से किसको देख रहे थे?" पास आती हुई अक्षरा बोली।
अवि-"वो तो बस तुम....."
अर्जुन हड़बड़ाहट से वहां से जाने लगा तो अक्षरा फिर बोली-"अरे अर्जुन सर क्या हुआ , मेरे आते ही आप कहाँ चल दिये?"
अर्जुन-"अरे कुछ नही मेरे एक फ्रेंड को मुझसे कुछ काम है। वह मुझे अभी बुला कर गया है। वही जा रहा हूँ।"
अक्षरा-"तब ठीक है जाइये मुझे लग रहा था आप मुझसे डर के भाग रहे।"
अर्जुन-" मैं तुमसे क्यों डरूंगा? कुछ भी बोलती हो।"
अक्षरा-"मैंने तो ऐसे ही बोला, ठीक है आप जाओ।"
इसके बाद अर्जुन वहां से चला गया। अवि अभी भी वही खड़ा था। वह शायद किसी के आने का वेट कर रहा था , अक्षरा जानती थी कि वह किसका वेट कर रहा लेकिन वह भी अवि की तकलीफ समझती थी। उसने धीरे से कहा-"आपका कोई दोस्त नही बुला रहा आपको?"
अवि-"नही मुझे कोई नही बुलाता, और मैं इसके जैसे इतने सारे दोस्त ही नही रखता हूँ। मेरे तो बस कुछ गिने चुने दोस्त ही है।
अक्षरा-"जैसे कौन कौन?"
अवि-"अर्जुन , सिद्धार्थ, तुम,वरुण,रोशनी और..."
अक्षरा-" और.."
अवि-"और युविका..."
अक्षरा-" हम्म, वैसे आपको युविका दिखी क्या? वह कॉलेज आ गयी।"
अवि-"नही मुझे नही दिखी, वह शायद अभी नही आयी है।"
तभी सिद्धार्थ और रोशनी भी एक दूसरे से झगड़ा करते हुए वहां आ गए।
अक्षरा-"अरे क्या हुआ, तुम लोग झगड़ा क्यों कर रहे हो?"
सिद्धार्थ-" तुम्हे पता है आज इसने क्या किया है?"
अक्षरा-"नही हमे तो नही पता बताओ क्या किया इसने?"
सिद्धार्थ-"इसको प्रताप ने प्रोपोज़ किया और इसने उसका प्रपोजल एक्सेप्ट भी कर लिया और उसे हमारे ग्रुप में शामिल होने का न्यौता भी दे दिया।"
"व्हाट! युविका को पता चला तो तुम जानती हो क्या होगा?"अक्षरा और अवि दोनो एक साथ बोले।
रोशनी-"युविका को मैं समझा लुंगी। वैसे भी यार वह इतना बुरा नही है जितना युविका उसे समझती है। उसने मुझसे युविका के लिए सॉरी भी बोला है और वह युविका से माफी मांगने के लिए तैयार है।"
अवि-"लेकिन रोशनी तुम युविका का गुस्सा तो जानती हो न।"
रोशनी-"तो क्या करूँ मैं छोड़ दूं अपने प्यार को, जैसे उसने आपको छोड़ दिया , सबको आपका प्यार दिख गया फिर केवल उसे ही क्यों नही दिखा? कितना प्यार करते है आप उससे , और उसने क्या किया सूरज को अपना लिया जो उसे छोड़कर चला गया था और उसे अब वैसे भी हम लोगों के लिए टाइम कहाँ है? मैं युविका जितनी महान नही हूँ। प्रताप इतना भी बुरा नही है जितना वह समझती है गलती उसकी भी थी उस दिन। मैं प्यार करती हूं उससे। मैं उसे नही छोड़ सकती।"
इतना कहकर रोशनी वहां से जाने लगती है।
अक्षरा-"रोशनी रुको प्लीज़ !"
अवि-" उसे जाने दो अक्षरा , अभी वो गुस्से में है।"
अक्षरा चुप हो गयी और रोशनी वहां से चली गयी। अवि की आंखों में आंसू थे भले ही युविका को उसका प्यार नही दिखा लेकिन रोशनी जो कुछ भी युविका के लिए बोलकर गयी थी उससे उसका दिल बहुत दुखा था। वो युविका से सच्चा प्यार करता था और प्यार में हमेशा यही होता है भले ही वह इंसान कितना भी गलत क्यों न हो, लेकिन जब कोई दूसरा उसे गलत कहता है तो हमे बुरा लगता है। गलत नही कहा था रोशनी ने , जब सबने अवि का प्यार देखा तो फिर केवल युविका ही क्यों नही देख पायी थी?
अक्षरा-"सर उसकी तरफ से मैं सॉरी बोलती हूँ,प्लीज़ आप बुरा मत मानियेगा, वो ऐसी ही है। उसे भी बहुत बुरा लगता है जब आपको इस हाल में देखती है।"
अवि-"नही मुझे क्यों बुरा लगेगा? उसने मेरे लिए थोड़ा ही कुछ बोला है। युविका के लिए बोला है।"
अक्षरा-"सिद्धार्थ और सर आप यहां पर अभी जो भी बात हुई है , युविका को कुछ मत बोलना प्लीज़।"
"ठीक है हम नही बोलेंगे।" दोनो साथ मे बोले।
अवि-"ठीक है मैं क्लास जा रहा हूँ,मेरी क्लास का टाइम हो गया है।"
अक्षरा-"ओके सर आप जाइये।"
वहां पर कोई और भी था जिसने रोशनी और उसके बाद अक्षरा की सारी बातें सुनी थी और जिसे नही पता था कि अवि युविका को पसन्द करता है। वह पहले से ही इस ग्रुप को तोड़ना चाहता था और इसके बाद उसका काम और आसान हो गया।
उसने खुद से कहा-"अब आएगा मजा।"
अवि क्लास में जाकर चुपचाप बैठ गया। तभी थोड़ी देर बाद अर्जुन भी उसके बगल में आकर बैठ गया जो अभी तक कहीं और बैठा था।
अर्जुन-"क्या हुआ कोई बात हो गयी क्या?
अवि-" नही तो "
अर्जुन-" मैने रोशनी को देखा था वह काफी गुस्से में थी। उसको किसी ने कुछ बोला क्या?"
अवि ने उसको सारी बात बतायी , जिसे सुनकर अर्जुन बोला-"हाँ मैं जानता हूँ प्रताप थोड़ा बुरा है लेकिन इतना भी नही , और प्यार वैसे भी अच्छे अच्छे इंसान को बदल देता है, हो सकता है वह भी बदल जाये। लेकिन उसने जो युविका के लिए बोला वो भी गलत नही बोला। हम सबको तेरा प्यार दिख गया फिर उसे...."
अवि-"बस कर भाई, उसमे उसकी कोई गलती नही है। नही दिखा होगा उसे मेरा प्यार।"
अर्जुन-"तुझे आजतक उसकी गलती कभी दिखी है जो आज दिखेगी।"
अवि-"ठीक है भाई, अब बस कर।"
अर्जुन-" ठीक है।"
तभी गुप्ता सर क्लास में आ गए। सारे बच्चों का ध्यान सर की बातों में था केवल अवि के दिमाग मे पता नही क्या चल रहा था। सर ने दो तीन बार उसका नाम लिया लेकिन अवि को जैसे सुनाई ही नही दिया। जब अर्जुन ने उसे हिलाया तो उसे होश आया कि वहअभी क्लास में है। सर ने उसे क्लास से बाहर कर दिया।
क्लास से बाहर आने के बाद वह गेट के पास पड़ी चेयर पर बैठ गया , तभी उसे सामने से युविका आती दिखाई दी। युविका अकेले नही थी उसके साथ एक लड़का भी था। युविका को देखकर बाकी सब भी अवि के पास आ गए , केवल अर्जुन अपनी क्लास में था। वो सब युविका को कम और उस लड़के को ज्यादा ध्यान से देख रहे थे। युविका जब पास आई तो उसने सबको स्माइल दी। बाकी सब भी उसको देखकर मुस्कुरा दिए सिवाय अवि के, वह तो अभी भी युविका के साथ आये उस लड़के को देखने मे बिजी था। उसे वह लड़का कुछ देखा देखा लग रहा था लेकिन उसने उसे कहाँ देखा था याद नही था। युविका ने सबको बताया कि ये सूरज है।
"सूरज" सबके मुहँ से एक साथ निकला। सूरज देखने मे अच्छा लगता था लेकिन अवि से ज्यादा नही।
युविका एक एक करके सूरज से सबको मिलवाने लगी।
युविका अक्षरा की तरफ इशारा करते हुए बोली-"ये है मेरी बेस्ट फ्रेंड अक्षरा.."
सूरज-"हाय अक्षरा , बहुत सुना है तुम्हारे बारे में युविका से, नाइस टू मीट यू.."
अक्षरा-" हेलो, सेम हियर"
युविका सिद्धार्थ की तरफ इशारा करते हुए-"ये मेरा फ्रेंड सिद्धार्थ.."
सूरज-" हाय सिद्धार्थ"
सिद्धार्थ-"हेलो.."
युविका अब अवि को देखकर–" ये है अवि सर,मेरे सीनियर..."
सूरज-"हाय अवि, तुमसे मिलकर अच्छा लगा।"
अवि जो अभी भी कहीं खोया था हड़बड़ाते हुए बोला-" हाय"
सूरज-"बस युविका तुम्हारे बाकी के फ्रेंड कहाँ है"
युविका-"रोशनी और अर्जुन सर कहाँ है?"
अक्षरा-"अर्जुन सर क्लास में है और रोशनी अपने दोस्तों के साथ होगी।"
सूरज-"ओके , वैसे अच्छा लगा आप सबसे मिलकर।ठीक है युविका तुम क्लास में जाओ। मैं भी चलता हूं अब तो मिलना जुलना लगा ही रहेगा।"
युविका-" ओके बाय सूरज, ध्यान से जाना।"
सूरज-" ओके बाय जान।"
अवि चुपचाप उनकी बातें सुन रहा था।
अक्षरा,सिद्धार्थ और युविका की क्लास थी इसलिए वो तीनो अपनी क्लास में चले गए। अवि वहीं पर बैठा था और सूरज के बारे में सोच रहा था, सूरज को उसने पहले भी कहीं देखा था लेकिन कहाँ उसे याद नही आ रहा था। क्लास खत्म होने के बाद अर्जुन अवि के पास आया तो उसने अर्जुन को बताया कि आज युविका के साथ सूरज भी कॉलेज आया था।
अर्जुन-"तुमने मुझे क्यों नही बुलाया? मैं भी उसे देख लेता।"
अवि-"तुम क्लास में थे।"
अर्जुन-" अब मैं उससे कैसे मिलूगा ?"
अवि-"फिर आएगा वो,तब मिल लेना।"
अर्जुन-"क्या फिर आएगा?"
अवि-"हाँ क्यों नही अब तो जब मन होगा आता जाता रहेगा, उसकी जान का कॉलेज जो है।"
अर्जुन-"मेरा बस चले तो मैं उसकी ही जान ले लूं।"
अवि-"अरे बस शांत , चल रूम पर बहुत भूख लगी है।"
अर्जुन-"ठीक है चलो।"
इसके बाद दोनों रूम पर पहुँचे। रूम पर खाना खाने के बाद उन्होंने फिर से सनाया को कॉल लगाया , लेकिन उसका फोन अभी भी बंद आ रहा था। अवि फिर परेशान था, न सनाया से बात हो पा रही थी और न ही उसे ये याद आ रहा था कि आखिर उसने सूरज को देखा कहाँ पर है। और उसका चेहरा उसे इतने अच्छे से याद कैसे है?
आज का दिन ऐसे ही गुजर गया लेकिन सनाया की कॉल नही आयी। अवि की परेशानी कम होने की वजह अब बढ़ने लगी थी। अगले कुछ दिनों तक फिर से सब कुछ वैसा ही चलता रहा। अवि की अक्षरा और सिद्धार्थ से कभी कभी बात हो जाती। रोशनी ने ग्रुप छोड़ दिया था और वह पूरे दिन प्रताप के साथ ही बिजी रहती। अर्जुन भी अब अक्षरा से कटा कटा रहता था युविका का तो पता ही नही चलता था, वह कब कॉलेज आती और कब जाती। सब कुछ जैसे बिखर रहा था। उनका ग्रुप अब तो जैसे बचा नही था। फिर एक दिन किसी ने युविका को जाकर वह सारी बातें बता दी जो रोशनी ने उसके लिए बोली थीं। उसने सिर्फ युविका को ये नही बताया कि अवि उसे पसन्द करता है। ये वही इंसान था जो उनके ग्रुप को तोड़ना चाहता था। युविका का गुस्सा सातवें आसमान पर था। वह गुस्से में ही रोशनी के पास गई और इससे पहले की कोई कुछ समझ पाता ,उसने रोशनी को एक जोर का थप्पड़ जड़ दिया। ये सब इतनी जल्दी हुआ कि किसी को कुछ समझ नही आया। उस इंसान ने न जाने कितना मिर्च मसाला लगाकर युविका को सारी बातें बताई थी।
युविका-"तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरे बारे में ऐसा बोलने की?"
रोशनी-"मैंने क्या किया?"
तब तक अवि और बाकी सब भी वहां आ गए।
युविका-"मैने तुम्हे दोस्त समझा और तुम मेरे बारे में ऐसा सोचती थू।"
रोशनी-" बताओ तो मैंने क्या किया?"
युविका-"अब बताने के लिए कुछ नही रहा रोशनी, आज के बाद मुझसे बात मत करना। तुम्हे जो करना है करो।"
रोशनी-" ठीक है मत करना, बाय।"
गुस्से से रोशनी पिया के साथ वहां से चली गयी।
अवि-"तुम्हे उसकी एक बार बात तो सुननी चाहिए।"
युविका-"सर प्लीज़ आप मुझे मत बताइये, मुझे क्या करना चाहिए और क्या नही?"
अवि-"युविका लेकिन...."
युविका-" नही सर मुझे अब किसी की कोई बात नही सुननी। आप सबने मुझसे ये सारी बातें छुपाई । अब मुझे किसी से कोई बात नही करनी। प्लीज मुझे अकेला छोड़ दो।"
अक्षरा-"लेकिन एक बार हमारी बात...."
युविका-" नही अब नही, तुम लोगों ने मेरा विश्वास तोड़ा है, सही कहता है सूरज, तुम लोग विश्वास के लायक नही हो। मैं ही उसकी बात नही मानती थी।"
"सूरज" तीनो एक साथ बोले।
"हां सूरज, उसने उस दिन ही कहा था कि उसे लगता है मेरे दोस्त भरोसे के लायक नही है और मैंने उसे गलत कहा था। लेकिन आज लगता है वह सही था।" युविका ने कहा।
अक्षरा- "तुम्हे हमसे ज्यादा सूरज पर भरोसा है ।"
युविका-"हां अब है।"
अवि-" तुम भूल गयी उसने दो साल पहले क्या किया?"
युविका-"जो कुछ भी किया, लेकिन तुम लोगों की तरह भरोसा नही तोड़ा।"
अवि-" युविका...."
युविका- "सर प्लीज़ मुझे कुछ नही सुनना। मुझे जाने दीजिए।"
इतना कहकर युविका वहां से चली गयी।
क्या लगी कहानी अब नया मोड़? अवि, युविका और सूरज अब क्या होगा इनकी आने वाली ज़िंदगी में? जानने के लिए बने रहिए हमारे साथ।
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