अवि, सिद्धार्थ और अक्षरा तीनो वहीं खड़े बदली हुई युविका को देख रहे थे। ये उनकी युविका नही थी, वह युविका जिसके लिए उसके दोस्त ही सब कुछ थे,जो अपने दोस्तों के लिए कुछ भी करने से पीछे नही हटती थी। आज छोटी सी बात के लिए उनसे दोस्ती तोड़कर चली गयी थी। दूर खड़ा कोई उनको इस तरह उदास देखकर मुस्कुरा रहा था। आखिरकार उसने वह कर दिया था जो वह चाहता था। दूसरी तरह प्रताप रोशनी को समझा रहा था। एक साल बाद फिर वह लोग वही पर आ खड़े हो गए थे जहां से उन्होंने अपनी दोस्ती शुरू की थी। अगले दिन अगस्त फर्स्ट वीक का संडे था और साथ मे फ्रेंडशिप डे।
सूरज का पता पाकर अब अवि को एक नई उम्मीद मिली थी, ये उसके पास एक आखिरी मौका था अपनी युविका को पाने का। सनाया ने पूरी डिटेल्स भेज दी, वो कहाँ रहता है? क्या करता है और कहाँ जाता है? उसने सिद्धार्थ को सारी बातें समझाई और साथ में ही सूरज पर नजर रखने के लिए बोला लेकिन ये काम उन दोनों के लिए थोड़ा मुश्किल था क्योंकि सिद्धार्थ और अवि को तो सूरज जानता था और बाकी उन दोनों के इतने कॉन्टेक्ट्स भी नही थे कि किसी और से वह ये बात बोल सके, अब एक ही इंसान ऐसा था जो उनकी मदद कर सकता था और वह था अर्जुन। अब अवि सोच रहा था कि अर्जुन से कैसे बात की जाए और इस वक्त वह घर गया था। उसने सोचा जब अर्जुन वापस आएगा तो मैं उसे पूछूंगा की नाराज क्यों है और उसे पूरी बात समझाऊँगा।
रक्षाबन्धन का दिन आ गया। अवि और सिद्धार्थ रूम पर अकेले बैठे थे, दोनो ही अपनी अपनी बहनों को बहुत मिस कर रहे थे, वैसे तो अवि की कोई बहन नही थी लेकिन चाचा की लड़कियां उसके राखी बांधती थी। इसलिए वह हर बार घर जाता था। इस बार अपनी परेशानी घर वालों को पता न चले इसलिए घर नही गया। तभी सिद्धार्थ रूम पर आया और उसने बताया कि उसकी राखी आयी है, दीदी ने भेजी है। अवि राखी देखकर खुश हो गया लेकिन फिर उदास हो गया। तभी सिद्धार्थ ने उसको राखी बांधी और उससे खुद भी राखी बंधवाई। दोनो दोस्तों ने साथ में ही रक्षाबन्धन मनाया।
दूसरी तरफ युविका ने भी अपने सारे भाइयों को राखी बांधी। आजकल सूरज उसे एक मिनट के लिए भी अकेला नही छोड़ता था , अब तो घरवालों की भी परमिशन मिल गयी थी इसलिए युविका भी कुछ नही कहती थी। जाने क्यों युविका को सूरज के अलावा आजकल कोई दिखता नही था? गलती उसकी भी नही थी, वह उस दौर से गुजर रही थी जहाँ अक्सर ऐसा ही होता है। हमारे हालात सिर्फ हम ही समझ पाते है , सामने वाला हमे कभी नही समझ पाता। उसने सिर्फ सूरज से प्यार किया था सच्चा वाला प्यार , उसे कभी सूरज गलत नही लगा। सूरज भले ही उसे छोड़ कर चला गया हो लेकिन उसके दिल से सूरज कभी नही जा पाया इसलिए वापस आने पर उसने सूरज की सारी गलतियां भुला दी , उसे ये नही पता था कि ये अब पहले वाला सूरज नही है।
रक्षाबन्धन की छुट्टियां खत्म हो गयी थी , सारे बच्चे अपने अपने घरों से वापस आ गए।अर्जुन भी वापस आ गया। अवि ने कई बार सोचा कि वह अर्जुन से बात करे लेकिन उसकी हिम्मत ही नही हुई।
दूसरी तरफ अर्जुन की नाराजगी अवि से नही युविका से थी , उसे लगता था युविका की वजह से उसने अपने दोस्त को खो दिया, युविका ने सबके लिए कितना कुछ गलत बोला लेकिन अवि ने कभी उसको गलत नही समझा। उसे ये भी डर था कि कहीं अक्षरा को पता चल गया कि वह उसे पसन्द करता है तो उसे छोड़ न दे। इसलिए कुछ टाइम के लिए वह सबसे दूर हो गया था, ऐसा नही था कि उसे अपने दोस्तों की परवाह नही थी , बस उसने दिखाना छोड़ दिया था। भले ही वह अवि के रूम पर न रहता हो लेकिन उसे हर एक बात की खबर रहती थी।
एक दिन शाम को अवि उदास होकर हॉस्टल की छत पर खड़ा सामने शहर को देख रहा था तभी उसके कंधे पर किसी ने हाथ रखा, उसने जैसे ही पलट कर देखा तो उसकी आंख से आंसू छलक गए। ये अर्जुन था जो अवि को ढूंढते ढूंढते छत पर आया था। उसे सूरज के बारे में अवि को कुछ बताना था।
अवि-"अर्जुन तुम !" अर्जुन-" हां क्यों नही हो सकता क्या?" अवि-" नही ऐसा नही है।" अर्जुन-" तो फिर कैसा है?"अवि-" तूने तो मुझसे बात करना ही बन्द कर दिया था।" अर्जुन-"तो मना तो सकता था।" अवि-"मुझे पता ही नही है कि तू गुस्सा क्यों था?"
अर्जुन-" पूछ तो सकता था।" अवि-"तुझे पता है न मैं कितना परेशान था और तू भी छोड़ गया।"
अर्जुन-"सॉरी यार , मुझे समझ नही आ रहा था मैं क्या करूँ? युविका तेरे लिए कितना कुछ बोल गयी और फिर भी तू उससे प्यार करता है उसकी बुराई नही सुन सकता , इसलिए मैं गुस्सा हो गया था। उस दिन क्लास में भी जब मैंने युविका को कुछ बोला तो तूने मुझसे झगड़ा कर लिया।"
अवि-"यार इसमे उसकी कोई गलती नही है। हालात ही ऐसे है वह सूरज से प्यार करती है लेकिन उसे नही पता न कि सूरज सिर्फ उसका इस्तेमाल कर रहा है। अगर हम उसकी जगह होते तो शायद हम भी यही करते और अब तो उसकी सगाई भी है।"
अर्जुन-"सॉरी यार माफ कर दे, अब तो भाभी वही बनेगी, वैसे सगाई कब है?"
अवि-"अगले महीने।"
अर्जुन-" टाइम तो काफी है सूरज की सच्चाई सामने लाने का , लेकिन हमारे पास उसके खिलाफ कोई सबूत नही है। वैसे एक बात और आज मैने उसे कॉलेज की किसी लड़कीं से बात करते देखा था, मैं उस लड़की की शक्ल तो नही देख पाया लेकिन आवाज कुछ जानी पहचानी लग रही थी।"
अवि-" कॉलेज की कौन सी लड़की हो सकती है यार, आवाज किसकी थी?"
अर्जुन-"आवाज तो कुछ कुछ शायरा जैसी लग रही थी लेकिन उसको सूरज से क्या काम हो सकता है?"
अवि-" ये तो वहीं रहती है जहां सूरज का घर है।"
अर्जुन-" सूरज का घर , तुझे कैसे पता कि सूरज का घर वही है?"
अवि-"अरे सनाया ने मुझे उसका एड्रेस भेजा था और अब हमें उसपर नजर रखनी होगी।"
अर्जुन-" तो फिर हो सकता है वो दोनो एक दूसरे को पहले से जानते हो।"
अवि-" हां हो सकता है, वैसे तुम मेरा एक काम कर सकते हो।"
अर्जुन-"एक क्या जितने मन हो उतने काम बोलो?"
अवि-" अरे वो सूरज पर नजर रखवानी थी, इसलिए कोई लड़का हो तो इस काम के लिए बताओ।
अर्जुन-" इस काम के लिए रोहन से बेहतर कौन हो सकता है। मैं अभी रोहन को बोलता हूं वह कल ही अपना काम शुरू कर देगा।"
अवि-" थैंक यू यार।"
अर्जुन-"भाई को थैंक्स नही बोलते , बस गले लगाते है।"
अवि अर्जुन को गले लगाता है, और फिर उनके बीच सारी गलतफहमियां दूर हो जाती है। अर्जुन रोहन को कॉल करके सारी बातें समझाता है और फिर उसे सूरज का पूरा बॉयोडाटा सेंड कर देता है। रोहन इससे पहले भी बहुत से जासूसी के काम कर चुका था।
अगले दिन सब कॉलेज आये थे, अवि,अर्जुन और सिद्धार्थ ने सोच लिया था कि अगर युविका को सूरज से बचाना है तो सबसे पहले सारे दोस्तों को एक करना होगा और एक दूसरे से कोई भी बात छुपानी नही है। इसलिए सब कैंटीन में इक्कठा हुए। अवि की बात सुनकर सब उसकी हेल्प करने को मान गए। अर्जुन अब भी अक्षरा को इग्नोर कर रहा था इसलिए अवि ने सोचा कि सबसे पहले वह अर्जुन के दिल की बात अक्षरा को बताएगा उसके बाद बाकी का काम होगा। अक्षरा को देखकर उसे इतना तो पता चल गया था कि उसके दिल मे भी अर्जुन के लिए फीलिंग्स है। उन्होंने सूरज के लिए सारा प्लान बनाया और एक एक काम सबको दे दिया गया। प्रताप भी अब उनके ग्रुप का एक हिस्सा था। वरुण को भी इस काम के लिए उन्होंने शामिल कर लिया। साथ न होकर भी सनाया उनके साथ थी। सब अपनी अपनी बात सुनकर वहां से जाने लगे तो अवि ने अर्जुन और अक्षरा को बोला।
अवि-"अक्षरा रुको मुझे तुमसे कुछ बात करनी है।"
अक्षरा-" हाँ सर बताइये।"
अवि-" देखो अक्षरा,इतने दिनों में मुझे एक बात तो समझ आ गयी है कि हम अगर कोई बात किसी से जितनी देर तक छुपायेंगे , सामने वाले को उतनी ही तकलीफ होगी। इसलिए अगर किसी के दिल मे कोई भी बात है तो आज यही बता दो , ताकि आने वाले वक्त में कोई भी गलतफहमी न हो।"
अवि ने अपनी बात बोलते बोलते अक्षरा और अर्जुन के चेहरे की तरफ देखा। उन दोनों की गर्दन नीचे की तरफ झुक गयी। बाकी सब भी वही रुक गए, वह भी उनदोनो को देख रहे थे।
अक्षरा-"नही ऐसी कोई बात नही है सर।"
अवि अब अर्जुन की तरफ देखते हुए-" अर्जुन , तुम्हारी कोई बात।"
अर्जुन-" नही कोई बात नही है मेरी भी।"
अवि-" ठीक है फिर, मैंने तो सिर्फ इसलिए बोला ताकि तुम लोगों को मेरी तरह बाद में पछताना न पड़े। बाकी तुम लोग खुद समझदार हो।"
दोनो की गर्दन अभी भी झुकी थी। दोनो एक दूसरे से नजरें नही मिला पा रहे थे।
अवि-" ठीक है फिर, सब अपने अपने काम में लग जाओ।"
सब वहां से अलग अलग होकर अपने अपने रास्ते चले गए। अक्षरा और रोशनी को सूरज की कॉलेज में हर एक्टिविटी पर नजर रखने के लिए कहा गया।
सिद्धार्थ का काम था युविका की सारी एक्टिविटीज पर नजर रखने का। अर्जुन और वरुण को रोहन से सारी इन्फॉर्मेशन कलेक्ट करनी थी और अवि को बस आगे का प्लान सोचना था। सब अपने काम मे लग गए।
एक बार फिर उनका पूरा ग्रुप उनके साथ था , बस कमी थी तो युविका की। अवि को पूरा विश्वास था कि जल्द ही युविका भी उनके साथ होगी।
अर्जुन और अक्षरा के बीच अभी भी कुछ ठीक नही था लेकिन उन्होंने कभी दिखाया नही। सब एक साथ मिलकर सूरज पर नजर रखे थे, वो कहाँ जाता किससे मिलता और क्या करता। दूसरी तरफ युविका कॉलेज तो आती थी लेकिन उस दिन के बाद से उसकी हिम्मत नही हुई कि अपने दोस्तों को फेस कर सके इसलिए क्लास करके सीधे रूम पर चली जाती। युविका अपने उस दिन के बेहवीयर से बहुत दुःखी थी। अब सोचती थी उसने उस दिन जो कुछ भी किया सही नही किया। उसके दोस्तों ने उसके लिए कितना कुछ किया, उसका बर्थडे इतना स्पेशल बनाया और उसने उन दोस्तों को ही छोड़ दिया। वह माफी तो मांगना चाहती थी लेकिन वो किस मुँह से माफी मांगे उसे समझ नही आ रहा था। फिर एक दिन क्लास में युविका अचानक से अक्षरा से भिड़ गयी उसकी बुक्स नीचे गिर पड़ी जिसको उठाने के लिए दोनो नीचे झुकी तो दोनों के सिर आपस मे भिड़ गए।
युविका-"उफ्फ सॉरी!"
अक्षरा-" इट्स ओके" अपनी बुक उठाकर वहां से जाने लगती है।
युविका-"अक्षरा प्लीज़ मेरी बात तो सुनो।"
अक्षरा-"कोई बात सुनने के लिए बची नही है। तुमने सॉरी बोला और मैंने तुम्हें माफ कर दिया। बस बात खत्म।"
युविका-" मैं उस दिन के लिए भी सॉरी बोलना चाहती हूं।"
अक्षरा-" उस दिन की बात वहीं खत्म हो गयी थी , तुमने अपना फैसला सुना दिया था और हमने उस फैसले को मान लिया। अब कुछ कहने सुनने के लिए नही बचा है।" वह फिर से चलने लगती है।
युविका-"अक्षरा प्लीज़..."
अक्षरा-" सॉरी , मुझे देर हो रही है मेरे फ्रेंड्स बाहर मेरा इंतजार कर रहे।"
इतना कहकर अक्षरा वहां से चली जाती है। और युविका वही खड़े उसको देखती रहती है। उसकी आँखों से आंसू बहकर जमीन पर गिर जाते है।
आंख में आंसू तो अक्षरा के भी थे, वह भी युविका को गले लगाकर रोना चाहती थी, लेकिन मजबूर थी। उसे युविका को एहसास दिलाना था कि भले ही दुनिया गलत हो जाये लेकिन दोस्त कभी गलत नही होते।
बाकी सब बाहर खड़े अक्षरा का ही इंतजार कर रहे थे। जैसे ही अक्षरा बाहर आई सबने उसकी आंखों में आंसू देखे, उन्होंने उससे पूछा कि क्या हुआ तो उसने अपने पीछे आ रही युविका की तरफ इशारा किया । सबने जैसे ही पलट कर देखा वह उनकी तरफ ही आ रही थी। सब चुपचाप उसे इग्नोर करके वहां से चले गए और युविका वही खड़ी उनको जाते देखती रही।
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