सबकुछ वैसा ही चल रहा था लेकिन अभी तक उनको एक भी ऐसा सबूत नही मिला था जिससे सूरज की सच्चाई सबके सामने ला सके और युविका की जिंदगी बर्बाद होने से बचा ले। ऐसे ही एक महीना गुजर गया और युविका की सगाई का दिन आ गया। इस बीच उसने कई बार कोशिश की थी कि वह अपने दोस्तों से बात करके उन्हें मना सके लेकिन उसके किसी भी दोस्त ने उसकी बात नही सुनी, उसने सोचा था वह अपने सारे दोस्तों को अपनी सगाई में बुलाएगी। लेकिन किसी ने उसकी बात पर ध्यान नही दिया। जब कुछ नही बचा तो उसने अपने सारे दोस्तों के फोन पर मैसेज कर दिया कि नवरात्रि की चतुर्थी को मेरी सगाई है तुम लोग प्लीज़ सब आना , मुझे अच्छा लगेगा। फिर भी उनमे से कोई भी उसकी सगाई में नही गया। केवल सनाया ही आयी थी। सूरज और उसकी फैमिली और बाकी के रिश्तेदार भी आ चुके थे और सभी बहुत खुश थे।
गुलाबी रंग का लहंगा पहने अपने रूम में बैठी युविका आज किसी परी से कम नही लग रही थी लेकिन न जाने क्यों उसके चेहरे पर खुशी नही थी जो हमेशा रहती थी। उसे तो खुश होना चाहिए कि फाइनली उसकी सगाई उस इंसान से हो रही जिसे वब चाहती थी तभी उसके रूम पर सनाया आयी।
सनाया-" कितनी प्यारी लग रही मेरी दोस्त, किसी की नजर न लगे।" युविका-" हम्म..."
सनाया-"क्या हुआ , तू उदास क्यों है?"
युविका-" मुझे मेरे दोस्तों की बहुत याद आ रही, कोई नही आया।"
सनाया-"तुझे लगता है इतना सब होने के बाद भी वो आएंगे।"
युविका-" कम से कम मेरी लाइफ का इतना इम्पोर्टेन्ट दिन था उन्हें आना चाहिए। वह सब तो मुझे दोस्त मानते थे।"
सनाया-"देख तू बुरा मत मानना लेकिन एक बात बोलूँ, गलती उनकी नही है तू उनके लिए आज भी उनकी दोस्त है , लेकिन रिश्ता तूने खत्म किया है उन्होने नही तो अब उनके यहां न होने से तुझे फर्क क्यों पड़ रहा? तुझे तो खुश होना चाहिए न कि तेरी शादी सूरज से हो रही।"
युविका-"पता नही क्यों लेकिन आज मुझे सबकी बहुत याद आ रही।"
सनाया-" ठीक है तू उदास न रह , वरना मेकअप खराब हो जाएगा और नीचे चल सब तेरा इंतजार कर रहे।"
युविका-" तुम चलो मैं बस पाँच मिनट में आती हूँ।"
सनाया-"ओके मैं बाहर वेट कर रही तेरा, माँ ने मुझे तुझे नीचे ले जाने के लिए बोला है।"
इतना बोलकर सनाया रूम से बाहर चली जाती है और एक नंबर डायल करती है।
दूसरी तरफ युविका एक आखिरी बार अवि का नंबर डायल करती है। दूसरी तरफ पूरी बेल जाती है लेकिन कॉल रिसीव नही होती, अवि जानबूझकर कॉल नही उठाता। युविका अपना फोन वहीं रूम पर रखकर बाहर चली जाती है। सनाया युविका को लेकर नीचे चली जाती है और दूसरी तरफ इतनी ही देर में कोई युविका के रूम में चुपके से जाकर एक लिफाफा उसके रूम पर छोड़कर वापस रूम को उसी तरफ बन्द कर वहाँ से चला जाता है।
सगाई में अभी दस मिनट बाकी थे। सूरज अपने दोस्तों से युविका को मिलवा रहा था, बाकी सब भी एन्जॉय कर रहे थे कि तभी सनाया अपने हाथ मे कोल्ड ड्रिंक का गिलास लेकर आती है और जानबूझकर सूरज से भिड़ जाती है जिससे सारी कोलड्रिंक युविका के ऊपर गिर जाती है और उसकी ड्रेस खराब हो जाती है।
सनाया-"सॉरी सॉरी युविका तुम्हारी तो ड्रेस खराब हो गयी।"
युविका-"कोई नही सनाया , तुम्हारी गलती नही है मैं अभी साफ करके आती हूं।"
सनाया-"रुको मैं भी चलती हूँ।"
सनाया युविका के साथ उसके रूम पर जाती है युविका
ड्रेस साफ करने वाशरूम में जाती है तब तक सनाया उस इन्वोल्प को देखती है और वापस उसे ऐसे रख देती है कि वह युविका की नजरों में आसानी से पड़ जाए। युविका साफ करने के बाद वापस सनाया सनाया चिल्लाते बाहर आती है लेकिन उसे सनाया रूम में नही दिखाई देती। तभी उसकी नजर उस लिफाफे पर पड़ती है जो उसके बेड में रखा होता है। "ये कौन रख गया, अभी तो नही था यहां पर" युविका मन मे सोचती है। जैसे ही वह उस लिफाफे को उठाने के लिए आगे बढ़ती है उसकी मम्मी वहां आ जातीं है और वह उसे बिना देखे ही वहां से चली जाती है। सनाया रूम पर वापस जाती है तो उसे लिफाफा वैसा ही रखा मिलता है। वह उस लिफाफे को उठा लेती है और एक नंबर डायल करती है।
दूसरी तरफ से-"हाँ दी बोलो।"
सनाया-"हाँ निशि सुनो , एक काम करना है।"
निशि-"हाँ दी बताइये।"
सनाया उसको कुछ समझाती है और निशि ओके बोलकर फोन रख देती है और नीचे चली जाती है।
दूसरी तरफ सूरज आज बहुत खुश था, फाइनली उसने जो प्लान किया था उसका प्लान सक्सेस होने वाला था। उसने भी एक नंबर पर थैंक यू का मैसेज कर दिया।
सगाई का मुहूर्त हो गया था, तभी एक आवाज आई, ये आवाज गोलू की थी।
गोलू-"हां तो जैसा कि आप सब जानते ही है कि आज हमारी किट्टू दी की सगाई हमारे प्यारे सूरज जीजू से होने जा रही है। इससे पहले की दोनो एक दूसरे को रिंग पहनाए हम उन दोनों के कुछ फोटोज और वीडियोज आप सबको दिखाना चाहेंगे।"
सारे लोगों की नजर सामने चल रही स्लाइड पर पहुंच जाती है। छोटी सी युविका , दौड़ती युविका और न जाने कितनी ही फ़ोटो स्लाइड में आकर चली गयी और सबके आंखों में आंसू छोड़ गई। आज उनकी किट्टू इतनी बड़ी हो गयी कि उसकी सगाई हो रही थी। थोड़ी देर बाद सूरज और युविका की साथ की फोटोज चलने लगी। सब बड़े प्यार से उन फोटोज को देख रहे थे, तभी स्लाइड पर एक फोटो शो हुई जिससे सभी के चेहरे पर मुस्कुराहट की जगह हैरानी और गुस्से ने ले ली। सूरज उस फ़ोटो में किसी लड़कीं का हाथ पकड़े गंगा किनारे बैठा था और लोगों के चेहरे के भावों को देखकर ये समझ आ रहा था कि उसके साथ की लड़कीं युविका नही थी। अब उसी लड़कीं के साथ की फोटोज उस स्लाइड में चल रही थी। अलग अलग जगहों की कम से कम दस फोटोज जिनमे डेट भी पड़ी हुई थी। सब हैरानी से फोटोज देख रहे थे, तभी स्क्रीन पर एक वीडीओ चलने लगा , वीडियो में सूरज किसी से फोन पर बात कर रहा था और साथ मे वह लड़कीं भी थी।
सूरज-"तुमने मेरा बहुत साथ दिया , उसके लिए थैंक्स बहुत कम शब्द है। तुमने युविका को उसके दोस्तों के खिलाफ ऐसा भड़काया कि उसने मेरे लिए अपने दोस्तों को ही छोड़ लिया, अरे वह लड़कीं पागल है। थैंक्स नताशा!"
युविका नताशा नाम सुनकर चौक गयी। "नताशा तो समीरा की फ्रेंड है"- उसने मन मे सोचा।
फोन पर आवाज-" जब वह पागल है तो तुम उससे शादी क्यों करना चाहते हो , तुम्हारी इतनी अच्छी गर्लफ्रैंड है मानवी , उससे शादी क्यों नही करते?"
सूरज-"अरे मानवी मेरी गर्लफ्रैंड नही मेरी जान है। उसको मैं कभी नही छोड़ सकता।" वह मानवी को किस करते हुए कहता है।
नताशा-"फिर .."
सूरज-"वह क्या है न मेरे पापा मम्मी को युविका कुछ ज्यादा ही पसन्द आ गयी है इसलिए उन्हें उसे ही बहु बनाना है, वरना वह सारी जायदाद किसी अनाथ आश्रम में दान कर देंगे। उन्हें तो पता है कि मैं कितना बड़ा अय्याश इंसान हूं और उन्हें लगता है वह लड़कीं मुझे सुधार देगी। और वह लड़कीं भी पागल है, उसे लगता है मैं उससे बहुत प्यार करता हूँ। मैं तो सिर्फ पैसों से और मानवी से प्यार करता हूँ।"
नताशा-"फिर शादी के बाद क्या करोगे?"
सूरज-"उससे शादी करने के बाद सारी प्रॉपर्टी मेरे नाम हो जाएगी , फिर मैं मानवी से दूसरी शादी कर लूंगा और फिर युविका को नौकरानी की तरह रखूँगा। दोनो के साथ ऐश करूँगा।"
मानवी-"बहुत मारूंगी।"
सूरज-"अरे जान ऐसा नही कहते, वह भी तो बीवी होगी।"
मानवी-"हाँ लेकिन प्यार सिर्फ मुझसे।"
सूरज-"अच्छा बाबा ठीक है। जो तुम कहो।"
नताशा-"कोई और है क्या साथ मे?"
सूरज-"कोई नही बस मेरी जान है। चलो मैं अभी फोन रखता हूँ।"
वीडियो बन्द हो जाता है , तभी सूरज के गाल पर एक जोर का तमाचा पड़ता है और इसके साथ ही हॉल की लाइट्स ऑन हो जाती हैं।
सूरज-"युविका ये सब झूठ है।"
युविका-" कुछ झूठ नही है, सब सच है। मेरी ही गलती है सूरज मैंने तुमपर दोबारा भरोसा किया।"
सूरज-" किट्टू प्लीज़ मेरी बात तो सुनो।"
युविका -"मुझे कुछ नही सुनना, तुम बस यहां से चले जाओ और जिंदगी में कभी भी अपनी शक्ल मुझे मत दिखाना, सही कहते थे मेरे दोस्त तुम भरोसे के लायक नही हो। मैं ही गलत थी जो तुम्हारे लिए अपने दोस्तों के खिलाफ गयी।"
युविका रोते रोते वही जमीन पर बैठ गयी। उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे। घर में सब हैरान थे कि सूरज इतना गंदा खेल खेल रहा था। उसके मम्मी पापा भी हैरान थे। बस अगर कोई खुश था तो वह थी सनाया, आखिर वह जो चाहती थी वह हो गया। वह युविका के पास आई और उसे चुप कराते हुए निशि के साथ उसके रूम पर ले गयी। दूसरी तरफ युविका के पापा ने सूरज को धक्के मारकर घर से निकाल दिया। उसके मम्मी पापा ने भी युविका के मम्मी पापा से माफी मांगी और सर झुकाए वहां से चले गए। सारे रिश्तेदार भी अपने अपने रास्ते चले गए। अब केवल युविका के घर वाले ही बचे थे। सबको इस बात की खुशी थी कि युविका की लाइफ बर्बाद होने से बचा ली गयी थी। वो लोग मन ही मन उस इंसान का शुक्रिया कर रहे थे जिसने वक्त पर वीडियो भेज दिया।
दूसरी तरफ सनाया युविका के साथ रूम पर गयी और उसके साथ युविका की कजिन निशि भी थी। उसने निशि को पानी लाने के लिए कहा और खुद बैठकर युविका को समझाने लगी लेकिन इंसान का जब बार बार भरोसा टूटता है तो इंसान भी टूटने लगता है। युविका बहुत टूट गयी थी। उसे इस वक्त बहुत देखभाल की जरूरत थी। निशि पानी लेकर आई तो सनाया ने जबरदस्ती युविका को पानी पिलाया और उसे आराम करने के लिए लिटा दिया। तभी युविका की मम्मी वहां आयी और उसके सर पर हाथ फेरने लगी, सनाया रूम से बाहर आई और उसने एक नम्बर डायल किया-" हमारा काम हो गया है और हाँ तुम लोग जरा नताशा की खबर ले लेना, उसने ऐसा क्यों किया?"
दूसरी तरफ से- उसकी फिक्र न करो, युविका कैसी है?"
सनाया-" ठीक नही है बिल्कुल भी टूट गयी है पूरी तरह , बहुत केअर की जरूरत है।"
आवाज-"ठीक है ख्याल रखना उसका तुम, अभी फोन रखते है। नताशा की खबर लेनी है।"
सनाया-"ओके" इतना कहकर फोन कट जाता है और दूसरी तरफ अवि अर्जुन के साथ बाकी सब भी नताशा के पास जाते है और अवि उसे एक खींच कर थप्पड़ मारता है।
समीरा-"व्हाट द हेल , तुमने इसे क्यों मारा?"
अवि-"ये तो तुम इसी से पूछो"
समीरा-"क्या हुआ नताशा?"
नताशा-"कुछ भी तो नही।"
अवि-"अब ज्यादा शरीफ मत बनो समझे, सब पता है मुझे, तुमने ही युविका को भड़काया था। तुम ही सूरज का साथ दे रही थी। क्यों किया तुमने ये सब?"
समीरा-"नताशा तुम,"
नताशा-" हाँ मैं तुम भूल गए अवि तुमने मुझे रिजेक्ट किया था, इसलिए मैं भी चाहती थी कि तुम्हे भी जिंदगी भर अपना प्यार न मिले।"
नताशा की बात सुनकर अवि एक साल पहले की बात सोचने लगता है―
समीरा और नताशा ने एक साथ ही कॉलेज में एडमिशन लिया था और उनका एडमिशन अवि ने कराया था। अवि का फोन नम्बर उन्होंने ले लिया तो दोनो अक्सर करके उसे कॉल कर देती और अवि भी दोस्त समझ कर उनसे बात कर लेता। एक महीने तक उनकी ऐसे ही बात होती रही, फिर समीरा ने नताशा को बताया कि वह अवि को पसन्द करने लगी है तो नताशा को बहुत बुरा लगा , क्योंकि उसके मन मे भी अवि के लिए फीलिंग्स थी। फिर एक दिन जब समीरा कॉलेज नही गयी तो नताशा अकेले ही कॉलेज गयी। उसने सोचा -"आज अच्छा मौका है मैं अवि से अपने दिल की बात बोल दूंगी और फिर अवि मेरा हो जाएगा।" वह जैसे ही कॉलेज पहुँची उसे अवि सामने ही दिख गया। कुछ सोचने के बाद वो अवि के पास गई।
नताशा-"हाय!"
अवि-" हाय नताशा, आज अकेले समीरा नही आई क्या?"
नताशा-"नही उसे कुछ काम था इसलिए और बताओ तुम कैसे हो?"
अवि-"मैं अच्छा हूँ और तुम?"
नताशा-"मैं भी अच्छी हूँ, मुझे तुमसे कुछ बात करनी है।"
अवि- "हां बोलो , क्या बात है?"
नताशा आसपास आने जाने वाले लड़के लड़कियों को देखते हुए बोली-"क्या हम कैंटीन में बैठकर बात कर सकते है?"
अवि-"हां क्यों नही? चलो।"
इसके बाद दोनों कैंटीन चले गए और नताशा एक कार्नर वाली टेबल पर जाकर बैठ गयी। अवि भी उसके सामने चेयर पर बैठ गया।
अवि-"अब बोलो क्या बात करनी थी?"
नताशा-"पहले तुम प्रॉमिस करो , तुम मुझसे गुस्सा नही होंगे।"
अवि-"नही होऊंगा, अब बोलो।"
नताशा -" प्रॉमिस करो पहले।"
अवि-"ठीक है प्रॉमिस।"
नताशा-" मुझे लगता है कि मुझे तुमसे प्यार हो गया है। आई लव यू यार।"
अवि नताशा की बात सुनकर हैरान हो जाता है क्योंकि उसके दिल मे किसी के लिए ऐसी कोई फीलिंग नही थी
नताशा-" तुम कुछ बोलो,डु यु लव मी"
अवि-"नताशा, ये क्या बोल रही हो तुम? हम सिर्फ फ्रेंड है। तुम्हारे लिए मेरे दिल मे कोई फीलिंग नही है।"
नताशा-"मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं यार प्लीज़, एक बार मौका तो दो।"
अवि-" नताशा सॉरी लेकिन मेरे दिल मे कुछ नही है और न कभी होगा। मुझे प्यार में कोई इंटरेस्ट नही है।"
नताशा अवि के हाथ पर हाथ रखते हुए कहती है -" अवि प्लीज़ ! " अवि झटके से हाथ हटा कर खड़ा हो जाता है और बाकी सब उसको देखने लगते है। वह उससे बिना कुछ बोले वहां से चला जाता है। उसके बाद एक हफ्ते तक उसने किसी से कोई बात नही की। एक हफ्ते बाद नताशा ने उसे फोन पर माफी मांग ली और अवि ने भी सब कुछ भूलकर उसे माफ करके एक नई शुरुआत करने को कहा। सब कुछ सही हो गया लेकिन नताशा ये बात जानती थी कि समीरा भी अवि से प्यार करती है, कहीं अवि समीरा से तो प्यार नही करता लेकिन जब अवि ने समीरा को मना कर दिया तो वह बहुत खुश हुई। अब युविका के लिए अवि का प्यार उसे बर्दाश्त नही हुआ तो उसने सूरज के साथ मिलकर ये सब किया।
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