अंश, अनीशा, सक्षम और राघव फिर से इकट्ठा होते हैं, लेकिन जो कुछ उन्होंने अलग-अलग सहा है, उसने उन्हें अंदर तक तोड़ दिया है। उनके मन में जो शक अब तक दबा हुआ था, वह फूटकर बाहर आने लगा है। हर कोई अपनी तकलीफों के लिए दूसरे को दोषी ठहराने पर उतारू है। लाइब्रेरी में बिताया गया वक्त उनके डर और बेचैनी को और गहरा बना चुका है।
चारों एक-दूसरे को देखते हैं, लेकिन उनकी आँखों में अब पहले जैसा भरोसा नहीं झलकता। लाइब्रेरी में हुई हालिया घटनाओं ने उनके बीच अविश्वास का बीज बो दिया है। उनकी आँखों में थकावट और गुस्से के भाव साफ दिख रहे हैं। जैसे-जैसे वे एक-दूसरे के करीब आते हैं, उनके बीच की दूरी और बढ़ती जा रही है।
सक्षम (गुस्से में, आवाज़ ऊंची करते हुए): "अनीशा, यहां जीने-मरने की बात हो रही है, और तुम अब भी यही सोच रही हो? भूल गई कैसे कुछ देर पहले डर के मारे काँप रही थीं, इस सुपरस्टार से बचने की कोशिश में? तुमने ही कहा था न कि ये तुम्हारी जान लेने की कोशिश कर रहा है? अब क्या हुआ? क्यों चुप हो?"
अनीशा के पास सक्षम की बात का कोई जवाब नहीं है। वह जानती है कि शायद ये सब अंश या राघव का किया हुआ नहीं है। उसे लगता है कि इसके पीछे लाइब्रेरी की अदृश्य शक्तियां हैं। वह कुछ कहने के लिए मुंह खोलती है, लेकिन फिर अचानक चुप हो जाती है।
अंश (निराश): "रहने दो, अनीशा । ये दोनों बेवकूफ हैं। ये कभी नहीं समझेंगे कि यहां असल में क्या हो रहा है, लेकिन तुम? तुम मुझसे कैसे डर सकती हो? तुम तो मुझे जानती हो।"
अनीशा (धीरे से, झिझकते हुए): "मैं... मैं नहीं जानती, अंश.. लेकिन जो यहां हो रहा है, वह हममें से किसी को भी वैसा नहीं रहने देगा, जैसे हम पहले थे। मैं तुमसे नहीं डरती, पर...सवाल ये नहीं है की तुम करोगे या नहीं, सवाल ये है की अगर तुमने किया तो तुमको मजबूर करने के पीछे किसका हाथ है।”
अंश की नज़र सक्षम पर जाती है, जिसकी आँखों में अब भी राघव के लिए गुस्से की आग धधक रही है। दूसरी ओर, राघव गुस्से और हैरानी के बीच उलझा खड़ा है। अनीशा के दिमाग में इस वक्त हजारों सवाल घूम रहे हैं, जिनमें सबसे बड़ा सवाल यही है—जब सबकी जान पर बन आई है, तो लाइब्रेरियन आखिर कहाँ गायब है?
स्कूल या कॉलेज की लाइब्रेरी में अगर हल्का सा भी शोर होता था, तो लाइब्रेरियन तुरंत आकर डांट लगाती थीं। शैतान बच्चों को बाहर निकालने में देर नहीं करतीं, लेकिन यहाँ? यहाँ तो लाइब्रेरियन का कोई नामोनिशान ही नहीं है।
चारों एक बार फिर अलग-अलग दिशाओं में जाने की कोशिश करते हैं। अब साथ रहने से हर किसी को दूसरे से खतरा महसूस होने लगा है। अनीशा भले ही लाइब्रेरी की चाल को थोड़ा-बहुत समझने लगी हो, लेकिन डर अब भी उसके दिलो-दिमाग पर हावी है। अगर लाइब्रेरी ने ये सब दोबारा करने की कोशिश की, तो क्या वह खुद को बचा पाएगी?
यह लाइब्रेरी, जो किसी भूलभुलैया से कम नहीं है। अनगिनत कमरे और उनमें से निकलने वाली सुरंगें, जो रास्ता दिखाने के लिए नहीं बल्कि लोगों को बुरी तरह उलझाने के लिए बनी हैं।
उसी लाइब्रेरी के एक अजीबो-गरीब कमरे में राघव भटक रहा है। वह इधर-उधर आवाज़ लगाता हुआ लाइब्रेरियन को ढूँढने की कोशिश में है।
राघव (खुद से): "ये लाइब्रेरियन कहाँ छिपकर तमाशा देख रही है? और कितना इंतजार करना होगा इस सबके खत्म होने का? तुम जहां भी हो, बाहर आओ।"
तभी, पीछे से कदमों की आहट सुनाई देती है। कोई उसकी ओर आ रहा है। राघव उस साये की ओर देखने लगता है। साया पास आता है... और यह साया अनीशा का है।
वह अनीशा को देखकर थोड़ा उदास हो जाता है। वह अपनी बेचैनी छुपाने की कोशिश करता है, लेकिन उसकी थकी हुई आँखें सब बयां कर देती हैं।
अनीशा: "मुझे पता है लाइब्रेरियन कहाँ हो सकती है।"
राघव यह सुनकर चौकन्ना हो जाता है। उसे समझ नहीं आता कि अनीशा को यह कैसे पता चला, जबकि उसने तो अब तक किसी से नहीं कहा कि वह लाइब्रेरियन को ढूँढ रहा है।
अनीशा धीरे-धीरे आगे बढ़ती है और उसे एक पुरानी, अजीब सी दिखने वाली अलमारी दिखाती है। अलमारी किसी पुराने पेड़ से चिपकी हुई है। उसकी लकड़ी पूरी तरह से फूल चुकी है, मानो सदियों से किसी गहरे राज़ को अपने अंदर छिपाए हुए हो।
अनीशा: "मैंने लाइब्रेरियन को एक बार इसके अंदर जाते देखा था। शायद यहां से कोई खुफिया सुरंग जाती है।"
राघव अलमारी का दरवाज़ा खोलता है। उसकी आँखें उस पल जो देखती हैं, वह उसे पूरी तरह से हिला कर रख देता है।
वहीं दूसरी ओर, अंश अपने अतीत को बदलने के तरीकों की तलाश में जुटा हुआ है। वह एक नई किताबों की शेल्फ के पास खड़ा है। वह एक-एक किताब को ध्यान से टटोलता है, उसे उम्मीद है कि किसी न किसी किताब में उसका अतीत छिपा होगा या उसे बदलने का कोई उपाय मिलेगा।
तभी, पीछे से सक्षम तेज़ी से आता है। उसकी सांसें तेज़ हैं, और चेहरा पसीने से तरबतर है।
सक्षम (हड़बड़ाते हुए): "तुमने राघव को देखा क्या? मुझे लगता है, वो खतरे में है!"
अंश, सक्षम की बात सुनकर चौंक जाता है। यह वही सक्षम है जो कुछ देर पहले राघव से इस तरह लड़ रहा था, मानो उसे यहाँ से जिंदा नहीं जाने देगा। अब वह उसकी इतनी चिंता कर रहा है? ऐसा अचानक क्या बदल गया?
अंश (शक में): "पता नहीं। मैंने तो लास्ट बस तुम दोनों को लड़ते हुए ही देखा था। उसके बाद कौन कहाँ गया, मुझे नहीं पता।"
अंश की आवाज़ में हैरानी साफ झलक रही है। एक पल को वह सक्षम की आँखों में झांकता है, लेकिन सक्षम का चेहरा ऐसा लग रहा है, मानो उसने कुछ ऐसा देखा हो जो उसकी रूह तक हिला गया हो।
सक्षम, अंश की बातें सुनकर थोड़ा परेशान हो जाता है। वह इधर-उधर देखता है और फिर अंश के पास आता है।
सक्षम (गंभीर): "प्लीज़, मेरे साथ चलो। मुझे लगता है, अनीशा कुछ गलत करने वाली है।"
सक्षम की आँखों में डर साफ दिखाई दे रहा है। शायद राघव से जितना भी गुस्सा हो, लेकिन उसकी जान चली जाए, यह सक्षम कभी नहीं चाहेगा। वह कमरे से बाहर की ओर बढ़ता है और अंश भी उसके पीछे चलता है। दोनों एक सुरंग की तरफ बढ़ते हैं। सक्षम अपने सामने वाली सुरंग की ओर इशारा करता है और अंश उसके साथ-साथ उस दिशा में बढ़ता है। जैसे ही वे सुरंग के पास पहुँचते हैं,
सक्षम: "इसके अंदर ही गए हैं वो दोनों।"
सक्षम बिना कोई हिचकिचाहट के सुरंग के अंदर घुसता है, और अंश भी उसके पीछे-पीछे चलता है। इस सुरंग में चारों ओर सिर्फ घना अंधेरा है। दोनों धीरे-धीरे कदम बढ़ाते हैं। अचानक सामने से एक आवाज़ आती है।
सक्षम तुरंत मुड़कर अंश की ओर देखता है और हंसने लगता है। अंश उसकी हंसी सुनकर घबरा जाता है। उसे यह एहसास हो जाता है कि कुछ गड़बड़ है।
सक्षम, अंश को घसीटते हुए सुरंग में आगे बढ़ता है। अचानक, अंश एक गड्ढे में गिर जाता है। सक्षम की हंसी रुकती नहीं है।
अंश के गड्ढे में गिरने के बाद, सक्षम सुरंग से लौटने की कोशिश करता है। जैसे ही वह पीछे मुड़ने लगता है, अंश उसका पैर पकड़ लेता है। वह सक्षम का पैर नीचे की ओर खिंचता है, और वह सुरंग की दीवार का सहारा लेकर खुद को सँभालने की कोशिश करता है लेकिन अंश की पकड़ इतनी मजबूत होती है कि सक्षम खुद को सँभाल नहीं पाता और सक्षम भी ज़ोर से गिर जाता है। अंश, उस पर हमला करने के लिए झपटा है। दोनों के बीच लड़ाई शुरू हो जाती है। इस छोटी सी सुरंग में, जहां इंसान अपना सिर भी ठीक से नहीं उठा सकता, और सांस लेना भी मुश्किल हो रहा है, दोनों में भयंकर हाथापाई होने लगती है।
सुरंग में अंधेरा और घुटन का माहौल था, लेकिन दोनों अपनी जान बचाने और एक-दूसरे को हराने के लिए लड़ रहे थे।
अंश (गुस्से में): "तुम पर विश्वास ही नहीं करना चाहिए था। तुम महा झूठे हो! मुझे पता था कि तुम किसी भी हद तक गिर जाओगे।"
सक्षम: "यहां से ज़िंदा सिर्फ मैं ही निकलूंगा, और कोई नहीं। मुझे उस परछाई ने कहा था कि सिर्फ एक ही इंसान ज़िंदा निकलेगा, वो मैं हूँ।"
दोनों बुरी तरह से लड़ाई में उलझे हुए थे। सक्षम अपनी पूरी ताकत लगा कर लड़ रहा था। अंश और सक्षम, दोनों एक-दूसरे को जान से मार डालने पर उतारू थे। अंश, सक्षम को कॉलर से पकड़कर ऊपर उठाने की कोशिश करता है, लेकिन सक्षम अपने पैर से अंश के पैर पर लात मारकर उसे गिरा देता है।
तभी, अचानक दूर से किसी की चीखने की आवाज़ आती है। चीख इतनी ज़ोरदार थी कि मानो पूरी लाइब्रेरी में गूंज उठी हो। अंश और सक्षम दोनों चौकन्ने हो जाते हैं। सक्षम की आँखों में जैसे मौत का डर उतर जाता है और वह घबराया हुआ, सुरंग की ज़मीन पर बैठ जाता है।
सक्षम (कमज़ोर आवाज़ में): "क्या हमें जाना चाहिए?"
अंश, गुस्से में उसकी तरफ देखता है। उसे हैरानी हो रही है कि यह आदमी, जो अभी कुछ समय पहले उसकी जान लेने को तैयार था, अब ऐसे जता रहा है कि उसे कुछ भी पता नहींकी क्या हुआ उनके बीच..
अंश सुरंग से बाहर निकलने की कोशिश करता है, लेकिन इस बार सक्षम शांत है और उसे रोकता नहीं है। दोनों धीरे-धीरे बाहर निकलते हैं और चारों ओर देखते हैं कि यह आवाज़ कहाँ से आई। अंश एक दिशा में देखता है, और सक्षम दूसरी। फिर से वह आवाज़ आती है।
दोनों, आवाज़ का पीछा करते हुए एक कमरे में पहुँचते हैं, जहां अनीशा एक पेड़ के सामने एक बहुत बड़ा शेल्फ लगाने की कोशिश कर रही है।
अंश, उसकी मदद करने के लिए आगे बढ़ता है। तभी, पेड़ के पीछे से एक और आवाज़ आती है।
राघव (डरा हुआ): "अंश, यह मुझे मार डालेगी। प्लीज़ मुझे बचा लो अंश!"
सक्षम, अनीशा को पकड़कर समझाने की कोशिश करता है, लेकिन वह किसी की सुनने को तैयार नहीं है। अनीशा, शेल्फ को ज़ोर से घसीट रही है।
सक्षम पेड़ के दूसरी तरफ देखता है और देखता है कि राघव पेड़ के अंदर से निकलती एक सुरंग में पड़ा हुआ है। उसके हाथ-पैर पुरानी रस्सियों से बंधे हुए हैं। सक्षम, उसे बाहर निकालने की कोशिश करता है, लेकिन अनीशा, उसे पकड़कर दूर धक्का दे देती है।
यह सब देखकर, अंश एक बार फिर अनीशा को रोकने की कोशिश करता है, लेकिन जैसे उसकी आँखों में कोई अजीब सी चमक आ गई हो, वह किसी की भी नहीं सुन रही।
क्या अनीशा सच में राघव और बाकी तीनों को मार डालेगी? क्या यह सब लाइब्रेरियन की चाल है? आगे क्या होगा, जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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