रात गुजर गई, और सुबह हुई। लेकिन यह सुबह मृत्युंजय और कनिका दोनों के लिए कुछ अलग सी थी। मृत्युंजय और कनिका के बीच कल रात के बाद अब बहुत कुछ बदल चुका था, उनके चेहरों पर एक नई चमक थी। मृत्युंजय के मन से नेहा और उस अजनबी आदमी की बातें अब गायब हो चुकी थीं। सुबह उठते ही उसके दिमाग में सबसे पहले कनिका का ख्याल आया। बिना समय गंवाए, वह सीधे कनिका से मिलने उसके कमरे में चला गया।
दरवाज़े पर किसी के खटखटाने कि आवाज़ सुनकर कनिका तुरंत दरवाज़ा खोलती है मानो वो किसी का इंतज़ार ही कर रही हो। मृत्युंजय को दरवाज़े के उस पार देख कनिका का चेहरा खिल उठा। कनिका अब भी कल रात मृत्युंजय के साथ बिताए लम्हे को याद कर खुश थी।
कनिका (हँसते हुए )- अरे तुम, गुड मॉर्निंग ! आओ अंदर आओ।
मृत्युंजय(शरमाते हुए )- गुड मॉर्निंग कनिका
कनिका(शर्माते हुए)- रात की कॉफ़ी कैसी थी ?
कनिका की ये बात सुन मृत्युंजय थोड़ा शर्माने लगा, उसे रात की वो कॉफ़ी और खुले आसमान में बिताये वो पल याद आने लगे। मृत्युंजय का इस तरह से शांत हो जाना उसकी ऑकवर्डनेस दिखा रहा था, कनिका समझ गयी की मृत्युंजय इस बारे में बात नहीं करना चाह रहा। कनिका ने तुरंत टॉपिक चेंज करते हुए मृत्युंजय को ब्रेकफास्ट के लिए चलने के ऑफर दिया। मृत्युंजय कनिका के साथ अकेले कुछ बात करना चाहता था, मगर कनिका को सामने देख उसके मुँह से मानो शब्दों ने निकलने से मना कर दिया। मृत्युंजय बिना कुछ बोले सीधा अपने रूम चला गया, और फ्रेश हो कर ब्रेकफास्ट हॉल में पंहुचा। मृत्युंजय के वहां पहुंचने से पहले कनिका हॉल में पहुंच चुकी थी और मृत्युंजय को सरप्राइज करने के लिए उसकी पसंदीदा डिशेज़ का इंतज़ाम किया हुआ था। ब्रेकफास्ट टेबल पर पहुंचते ही मृत्युंजय अपनी पंसदीदा डिशेज़ देखकर हैरान रह गया।
मृत्युंजय- ये सब तुमने अरेंज करवाया कनिका ?
कनिका- हाँ, मुझे पता है, तुम तो अपना ध्यान रखोगे नहीं...इसीलिए ये सब मैंने स्पेशली इन ऑस्ट्रेलियन्स को परेशान करके बनवाया है।
कनिका के बर्ताव को देखकर मृत्युंजय के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ गई। पिछले कुछ दिनों में कनिका ने जिस तरह से उसका ध्यान रखा था, वो सारी बातें मृत्युंजय को एक-एक करके याद आने लगीं। कनिका जिस तरह से उसके लिए इतनी परवाह कर रही है, ठीक वैसे ही कभी नेहा भी मृत्युंजय की छोटी-छोटी बातों का बहुत ध्यान रखती थी।
नेहा की हँसी, उसकी बातें करने का तरीका, उसका मृत्युंजय को गले लगाना, उससे झगड़ना, ये सब बातें मृत्युंजय को फिर से याद आने लगीं। मृत्युंजय नेहा की यादों में इतना खो गया कि वो ये भी भूल गया कि कनिका उसे लगातार बुला रही है।
कनिका- मृत्युंजय...मृत्युंजय (हल्का चिल्लाते हुए ).. कहाँ खो गए?
मृत्युंजय(घबराते हुए )- हाँ.. हाँ.. नहीं कहीं नहीं। यहीं तो हूँ (हल्का मुस्कुराते हुए )
कनिका- अब तो हमारी डील भी साइन हो चुकी है, अब किस बात की टेंशन ?
ये सुनकर मृत्युंजय को एक सुकून मिला और वो थोड़ा मुस्कुराने लगा। मृत्युंजय हमेशा अपने काम को सबसे ज़्यादा ज़रूरी मानता है, और आखिरकार उसका वो काम पूरा हो गया जिसके लिए मृत्युंजय ने दिन रात एक करा था।
इतने में कनिका ने मृत्युंजय से पूछा कि अब वो ऑस्ट्रेलिया घूमने कब निकलने वाले है। कनिका ये कहते कहते ब्लश करने लगी।
जैसा कि मृत्युंजय ने कनिका से वादा किया था कि डील साइन होने के बाद वो दोनों साथ में घूमेंगे। डील साइन होते ही मिस्टर शर्मा वापस भारत लौट चुके थे, लेकिन अब भी कनिका और मृत्युंजय ऑस्ट्रेलिया में ही थे, ताकि वो कनिका के सरप्राइज़ प्लान पूरे कर सकें।
मृत्युंजय ने कनिका की बात पर हामी भरी और दोनों ने ऑस्ट्रेलिया घूमने के प्लांस बना लिए। ब्रेकफास्ट के कुछ देर बाद मृत्युंजय होटल के जिम में वर्कआउट करने चला गया। जब मृत्युंजय होटल के जिम से थक कर अपने कमरे में लौटा, तो देखा की उसके आने से पहले ही कमरे में विटामिन वाटर और ताजे प्रोटीन शेक के पैकेट्स रखे हुए थे। मृत्युंजय आमतौर पर जिम के बाद प्रोटीन शेक पीता था, मगर मृत्युंजय की ये आदत नेहा के अलावा किसी को नहीं पता थी। मृत्युंजय अपने रूम में ये सब देखकर हैरान हो गया। वो सोचने लगा कि आखिर उसके रूम पर ये सारी चीज़ें किसने रखवाई होंगी। इतनी देर में कनिका उसके रूम में आई और मृत्युंजय से पूछने लगी कि उसे किसी चीज़ की कमी तो नहीं है? कनिका की बात सुन मृत्युंजय समझ गया कि ये सब कनिका ने ही किया है।
ब्रेकफास्ट, जिम, और ऑफिस का बचा काम करते करते शाम कब हो गयी पता ही नहीं चला। कनिका ने सोचा कि ऑस्ट्रेलिया को एक्सप्लोर करने का एक प्रॉपर प्लान बनाना चाहिए। ये बात बताने के लिए वह मृत्युंजय के कमरे में गई।
कमरे में कोई भी नहीं था, तभी कनिका को वॉशरूम से पानी की आवाज़ आई (SFX tap water running). लगता है मृत्युंजय नहा रहा है, लेकिन उसका फोन बेड पर ही रखा हुआ था। कनिका ने धीरे से मृत्युंजय का फोन उठाया और मृत्युंजय के रीसेंट कॉल देखने लगी। राघव का नंबर सबसे ऊपर देख कनिका को गुस्सा आने लगा, आखिर मृत्युंजय ने कनिका को राघव से हुई बात का कोई ज़िक्र तक नहीं किया था। कनिका ने राघव का नंबर ब्लॉक कर दिया।
कनिका चाहती थी कि इस समय में कोई भी मृत्युंजय को नेहा की याद न दिलाए, और मृत्युंजय का ये टाइम सिर्फ कनिका के लिए हो। कनिका और मृत्युंजय सिडनी में कुछ और दिन रहने का चांस मिला है, तो कनिका ये टाइम नेहा की बातों में वेस्ट नहीं करना चाहती। कनिका को पता है की अगर वो अपना ये आईडिया मृत्युंजय के साथ शेयर करती तो शायद मृत्युंजय कभी नहीं मानता, इसलिए कनिका ने मृत्युंजय को राघव का नंबर ब्लॉक करने की बात नहीं बताई।
कनिका और मृत्युंजय के ट्रिप का पहला स्टॉप था सिडनी ओपेरा हाउस। कनिका इससे पहले ऑस्ट्रेलिया नहीं आई थी, हमेशा उसने सिर्फ फोटोज में देखा था। दोनों ने ओपेरा हाउस के सामने खूब सारी फोटोज लीं, मृत्युंजय और कनिका की बढ़ती नज़दीकियां इन तस्वीरों में देखी जा सकती थी।
कनिका(excited)- "देखो मृत्युंजय, ये वही ओपेरा हाउस है, जो हमेशा टीवी पर देखती थी! कितना खूबसूरत है न?"
मृत्युंजय: [मुस्कुराते हुए] "हां, और इससे भी ज्यादा खूबसूरत तो तुम हो, मेरे लिए इतना सब कुछ कर रही हो। मैं जानता हूं तुम मुझे खुश करने के लिए ये सब करती हो।
ये सुनकर कनिका हल्का सा मुस्कुराने लगी, उसके गालों पर वो हँसी और सुकून था जो वो काफी समय से महसूस करना चाहती थी। शायद मृत्युंजय के दिल में अब कनिका के लिए जगह बनने लगी थी, ये बात कनिका को भी लगने लगी। ओपेरा हाउस को पूरी तरह से देखकर, और एक अच्छा सा शो एन्जॉय करने के बाद, कनिका और मृत्युंजय सिडनी हार्बर ब्रिज की ओर चले गए, वहाँ से पूरे शहर का व्यू देखते हुए उन दोनों ने थोड़ी देर के लिए सारी बातें भुला दीं। सिडनी की ठंडी हवा से कनिका को ठण्ड लगने लगी, ये देखकर मृत्युंजय ने कनिका को अपनी जैकेट पहना दी। मृत्युंजय का ये सॉफ्ट एटीट्यूड देखकर एक तरफ़ हैरान थी, तो दूसरी तरफ़ बहुत खुश।
रात को दोनों ने डार्लिंग हार्बर से फेरि राइड ली। कनिका को पता था कि मृत्युंजय को ऐसी जगह कॉलेज के दिनों से पसंद थी। लेकिन जब से उसने अपना बिजनेस संभाला था, तब से उसने इन चीजों को छोड़ दिया था।
यह रात कनिका को जितनी शांति दे रही थी, उतना ही मृत्युंजय को कनिका के और करीब ला रही थी। दोनों फेरी में एक साथ खड़े होकर, चुपचाप उस खूबसूरत शाम के मज़े लेने लगे।
कनिका: “कभी सोचा था कि हम दोनों ऐसे सिडनी में साथ में होंगे?”
मृत्यंजय: “नहीं सोचा था। पर अब लगता है कि ये सब भी जरूरी था। तुमने मुझे संभाला है, कनिका। और ये पल, ये हमेशा याद रहेगा।”
एक पल के लिए दोनों ने एक-दूसरे को देखा, और कनिका का हाथ धीरे से मृत्युंजय के हाथ में आ गया। बिना कुछ कहे, दोनों बस एक-दूसरे की कंपनी को एन्जॉय करने लगे। कनिका की छोटी-छोटी कोशिशें और मृत्युंजय की नरम सी मुस्कान, दोनों को करीब ला रही थीं। सिडनी की खूबसूरत रातों में, उनके दिलों के बीच एक खामोश लेकिन गहरा रिश्ता बनने लगा।
सिडनी के वो लम्हे अब उनकी यादों का हिस्सा बन गए। हर दिन कनिका और मृत्युंजय के बीच का रिश्ता और गहरा होता जा रहा था। दोनों ने एक-दूसरे में वो साथ और अपनापन पाया, जिसके बारे में उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था।
अब उनके लिए हर दिन एक नई कहानी थी, एक कहानी, जो प्यार और अपनेपन से भरी हुई थी। इस पल से कनिका थोड़ा शर्मा गई और हल्के से अपने बालों को संभालते हुए मृत्युंजय की ओर देखा। मृत्युंजय की आंखों में प्यार साफ झलक रहा था, जैसे उसने बिना कुछ कहे अपने दिल की बात कह दी हो।
उस रात के सन्नाटे में, मृत्युंजय ने अपना हाथ कनिका के कंधे पर रखा, और उसके करीब होता चला गया। दोनों ने एक-दूसरे की आंखों में वह प्यार देखा जो शायद कभी शब्दों में नहीं कहा जा सकता है। वहां, सिडनी की चमकती रात में, उनके दिल में एक नयी राह बनने लगी।
उन लम्हों में, जो भी कहना था, वो उनकी आंखें कह रही थीं। सिडनी की उस खूबसूरत रात ने उन्हें एक ऐसा मौका दिया, जिसमें वे प्यार के एहसास में पूरी तरह खो गए।
सिडनी की वह रात कनिका और मृत्युंजय के दिल के बीच एक नई कसक ले कर आई थी । अब उनके दिल में बस एक ही बात है, वो एक-दूसरे से अपना प्यार इज़हार करना चाहते थे, पर दोनों में से पहला कदम कौन उठाए, इसी सोच में दोनों रुकने लगे। उनके दिल के बीच जो रिश्ता है , वह हर पल गहरा होता जा रहा था।
सिडनी हार्बर पर वॉक करते हुए कनिका ने हल्का सा मृत्युंजय का हाथ पकड़ रखा था, जैसे वो अपनी सारी शर्म अपने दिल में दबाए उसके करीब रहना चाहती हो। वो दोनों एक बेंच पर बैठे और शहर की रोशनियों में खो गए।
मृत्युंजय को देखते हुए, कनिका कुछ कहने की कोशिश कर रही थी। शायद यही वो पल था जब वह अपने दिल की बात कह सकती थी। उसने मृत्युंजय की तरफ़ देखा और जैसे ही कुछ बोलने लगी, अचानक वह लड़खड़ाई और उसकी बाहों में बेहोश हो गई।
मृत्युंजय उसे देखकर चौंक गया। उसे डर लगने लगा कि आखिर कनिका को क्या हुआ है? उसने जल्दी से कनिका को संभाला, उसकी हालत देखकर उसका दिल घबरा गया। मृत्युंजय बार-बार उसे आवाज़ देने लगा, "कनिका! क्या हुआ? प्लीज़, आँखें खोलो!" लेकिन कनिका कोई जवाब नहीं दे रही थी। अब मृत्युंजय को ये चिंता सताने लगी कि कनिका को कैसे संभाले? ऑस्ट्रेलिया में आखिर कनिका को क्या हो गया है?
जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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