मृत्युंजय का दिल लगातार बेचैनी के साये में डूबता जा रहा है। नेहा को ढूंढने की चाह उसके मन को जकड़ रही है। लगातार बस उसके दिल से एक ही आवाज आ रही थी कि आखिर उसकी पत्नी, नेहा कहां है, और किस हालत में है? अगर राघव जैसा मशहूर डिटेक्टिव भी उस अनजान शख्स का पता लगाने में नाकामयाब साबित हो सकता है, तो आखिर मृत्युंजय अकेले, अपने दम पर क्या कर ही सकता है? मृत्युंजय को पता था कि  अगर राघव भी नेहा को नहीं खोज पाया तो फिर नेहा का मृत्युंजय को मिलना इंपॉसिबल है।

मृत्युंजय का यूं लगातार बेचैनी महसूस करना अब कनिका के लिए चिंता का सबब बन चुका था। कनिका, ऑस्ट्रेलिया प्रोजेक्ट के लिए और मृत्युंजय के साथ समय बिताने के लिए बहुत एक्साइटेड थी, मृत्युंजय का इस तरीके से नेहा के ख्यालों में खोना कनिका को बिलकुल पसंद नहीं आ रहा था। कनिका मृत्युंजय का ध्यान भटकाने के लिए मृत्युंजय के पास जाकर उसके कंधे पर अपना हाथ धीरे से सहलाने लगी।

मृत्युंजय (दुखी आवाज में): "कनिका, मैं ठीक हूं। तुम चिंता मत करो, तुम इस प्रोजेक्ट पर ध्यान दो।"

इतना कहते ही मृत्युंजय वहां से निकल गया और कनिका वहां खड़े-खड़े मृत्युंजय को जाते हुए देखती रह गयी।

कनिका ना जाने क्यों पर मृत्युंजय को अकेले नहीं छोड़ना चाहती, वह तुरंत मृत्युंजय के पीछे जाने लगी। कनिका को मृत्युंजय होटल के गार्डन के एक बेंच पर बैठा मिला, कनिका फ़ौरन मृत्युंजय के बराबर जाकर बैठ गयी। मृत्युंजय ने अपने 8 साल के रिश्ते में कभी इतना हताश महसूस नहीं किया था जितना वो आज कर रहा था। मृत्युंजय ने कभी अपने दिल की बात किसी से शेयर नहीं की थी, लेकिन ना जाने क्यों आज वो कनिका से सब शेयर करना चाह रहा था।

मृत्युंजय: "यह जो अजीब आदमी नेहा के आस-पास है... पता नहीं कैसे, लेकिन उसका कोई भी रिकॉर्ड नहीं मिल रहा। राघव ने भी पूरी कोशिश की, लेकिन हर जगह से खाली हाथ ही वापस आ रहे है, जैसे वह आदमी है ही नहीं।"

कनिका ने धीरे से उसके हाथ पर अपना हाथ रखा और उसे सहलाने लगी।  मृत्युंजय को कनिका का इतने नज़दीक आना कुछ सही नहीं लग रहा था। वो धीरे-धीरे अपना हाथ कनिका के हाथ से दूर करने लगा।

कनिका (गुस्से में): "तुम नेहा से सीधा बात करके देखो मृत्युंजय। कम से कम ये रोज का नाटक तो खत्म होगा न।"

मृत्युंजय (इमोशनल होते हुए): "मैंने कितनी बार उसका नंबर मिलाया, लेकिन वह अनरीचेबल है। ना जाने नेहा कहाँ है और आखिर करना क्या चाहती है ?"

कनिका (गुस्से में): क्या पता नेहा का उस आदमी के साथ अफेयर शुरु हो गया हो।  

कनिका ने एक बार फिर मृत्युंजय का हाथ पकड़ने की कोशिश करी। इस बार मृत्युंजय के पास कनिका के इन गेम्स के लिए वक़्त नहीं था। मृत्युंजय अपने ही ख्यालों में खोया हुआ था।  

धीरे-धीरे मृत्युंजय के मन में शक जन्म लेने लगा। मृत्युंजय को इस बात का डर सताने लगा कि आखिर नेहा कैसे एक अनजान शख्स को अपने इतने करीब आने दे सकती है। क्या नेहा को नहीं पता कि ये कितना खतरनाक हो सकता है, या फिर नेहा ये सब जानते हुए भी उस शख़्स के साथ है। मृत्युंजय के दिमाग में मानो सवालों का जंजाल बनने लगा।  एक तरफ़ उसे नेहा की टेंशन है, दूसरी तरफ़ मृत्युंजय की नेहा से नाराज़गी भी बढ़ने लगी। आखिर ऐसा कौन सा चेहरा है, जिसका न तो कोई पास्ट रिकॉर्ड, न कोई डीटेल, न कोई सोशल मीडिया है। इन्हीं सब ख्यालों के साथ, मृत्युंजय वापस अपने रूम में जाने लगा।

मृत्युंजय अपने रूम चला तो गया, पर अपने साथ वो हज़ारों सवाल भी लेकर आया।  इन सवालों से भागना मृत्युंजय के लिए इम्पॉसिबल साबित हो रहा था। मृत्युंजय को पता है की कनिका के साथ समय बिताकर वो नेहा के साथ सही नहीं कर रहा, पर सही तो नेहा भी नहीं कर रही, लेकिन नेहा के साथ उसके रिश्ते का एहसास और गिल्ट ने मृत्युंजय को अब तक रोका हुआ था, पर आखिर कब तक।  

दूसरी ओर, कनिका ऑस्ट्रेलिया ट्रिप को फन बनाना चाहती है, पर यह सब बहुत ही ज़्यादा टॉक्सिक होने लगा। कनिका को यह एहसास है की मृत्युंजय जल्द ही टूटेगा, और उस वक़्त उसके पास कनिका के सहारे के अलावा कोई नहीं रहेगा।

अब मृत्युंजय को लगने लगा था कि यह सब सिर्फ एक गलतफहमी नहीं हो सकती। क्या नेहा सच में उसकी ज़िंदगी से दूर जा रही है? इन्हीं उलझनों के बीच, अचानक मृत्युंजय के पास राघव का फोन आया।

मृत्युंजय (excited होते हुए): हाँ राघव, नेहा का कुछ पता चला?

राघव: "मृत्युंजय, सॉरी, नेहा का कुछ पता नहीं चल रहा, और ना ही उस आदमी का।

मृत्युंजय (धीमी आवाज़ में): अच्छा।

राघव: मुझे पता है कि तुम अपनी बिज़नेस ट्रिप पर हो। मुझे तुम्हें ऐसे फोन नहीं करना चाहिए था लेकिन मैंने बस तुम्हारा हाल-चाल जानने के लिए कॉल करा था।"

मृत्युंजय (मायूस होते हुए): "मैं ठीक हूं राघव। सोच रहा हूं कि आखिर करू तो करू क्या? क्या नेहा ये सब मजबूरी में कर रही है? या उस अनजान शख्स को नेहा जानती है?"

राघव: "मैं समझता हूं मृत्युंजय, मुझे लगता है तुम्हें खुद को थोड़ा टाइम देना चाहिए। चिंता मत करो मैं पूरी कोशिश कर रहा हूं उसके बारे में पता लगाने की। तुम्हे जल्द ही कुछ इनफार्मेशन के साथ मिलता हूँ, तब तक तुम अपना ख्याल रखो, और हाँ कनिका को मत बताना की मैंने कॉल करा था।"

जब राघव ने मृत्युंजय से ये कहा कि वो कनिका को कुछ भी न बताए तो मृत्युंजय को थोड़ा अजीब लगा, पर मृत्युंजय के पास बहुत कुछ था सोचने को, अभी इस पर ध्यान देने का टाइम नहीं है उसके पास.

दिन बीत गया, और रात को डिनर के बाद मृत्युंजय अपने कमरे में सोने चला गया। लेकिन नींद उसकी आँखों से कोसों दूर थी। मृत्युंजय की चिंता नेहा को लेकर बढ़ती जा रही थी। मृत्युंजय यह सोचकर परेशान था की आखिर नेहा उस शख़्स के साथ क्या कर रही होगी। मृत्युंजय का दिल चाहता था कि वह नेहा से बात करे, लेकिन उसका दिमाग उसे एक और गलती करने से रोकने की कोशिश कर रहा था।

मृत्युंजय खुद को शांत करने और ध्यान भटकाने के लिए एक तरकीब ढूढ़ने लगा, तभी मृत्युंजय को कनिका की याद आई। वह अपने कमरे से निकलकर कनिका से मिलने चला गया। जब वह कनिका के कमरे में पहुँचा, तो उसने देखा कि कनिका सोने की तैयारी कर रही थी। वह हल्के गुलाबी रंग की नाइट ड्रेस में थी, जिसमे वो निहायत ही ख़ूबसूरत लग रही थी। मृत्युंजय को अपने कमरे में देखकर कनिका हैरान रह गई और सोचने लगी कि इतनी रात गए वह आखिर क्यों आया था।

मृत्युंजय: "कनिका, तुम मेरे साथ कॉफी पीने के लिए चलोगी?"

यह एक बहुत आम सा सवाल है, लेकिन इस सवाल के पीछे मृत्युंजय की छिपी उदासी साफ़ नज़र आ रही थी। कनिका तुरंत समझ गयी मृत्युंजय को उसकी ज़रुरत है। 

कनिका (seductive आवाज़ में ): "अफ कोर्स, मृत्युंजय। तम्हारे लिए कुछ भी।"

कनिका ने मृत्युंजय के साथ जाने के लिए हां तो कह दिया, लेकिन वह अभी भी नाइट ड्रेस में थी। उसने मृत्युंजय से कहा कि वह उसके कमरे में जाकर इंतजार करे। जब कनिका तैयार हो गई, तो वे दोनों होटल के टेरेस कैफे पर चले गए।

रात के 3 बजे का समय था। दोनों सिडनी के जगमगाते स्काईलाइन को देखते हुए चुपचाप बैठे रहे। हवा में हल्की ठंडक थी और टेरेस से शहर की रोशनी बहुत खूबसूरत लग रही थी। कनिका ने स्लीवलेस ड्रेस पहनी हुई थी, और उसे थोड़ी ठंड लग रही थी। यह देख मृत्युंजय ने तुरंत अपना कोट निकालकर कनिका को पहना दिया। कनिका मृत्युंजय के इस बर्ताव से बिलकुल शॉक हो गई, क्योंकि मृत्युंजय कभी भी कनिका के साथ इतना कम्फर्टेबल नहीं हुआ था।

मृत्युंजय ने कनिका की तरफ़ देखा और धीरे से "थैंक यू" कहा। उसे महसूस हो रहा था कि उसके मुश्किल वक्त में सिर्फ कनिका ही है जो उसका साथ दे रही है।

कनिका: (प्यार भरी नजरों से) "कभी-कभी कुछ लोग और वक्त सिर्फ एक-दूसरे के साथ बिताने के लिए ही बनते है। थैंक यू बोलने की कोई नीड नहीं है।"

मृत्युंजय ने धीरे से अपना हाथ कनिका के हाथ पर रखा।

मृत्युंजय: "कनिका तुम्हारा साथ मेरे लिए बहुत मायने रखता है।  शायद मैं कभी तुम्हे जता न पाऊं, पर आई एम रियली थैंकफुल की तुम मेरे ज़िन्दगी में वापस आई।"

कनिका मृत्युंजय के मुँह से अपनी तारीफ सुनकर बहुत खुश हो गयी। कनिका को अब तक लगता था की वो कभी नेहा की जगह नहीं ले पाएगी, मगर आज मृत्युंजय का कनिका के इतने पास आना कनिका के मन में उम्मीद जगा रही थी।  

कनिका: "तुम्हें सपोर्ट करना और संभालना मेरे लिए नैचुरल है, मृत्युंजय... तुम जैसे हो, बहुत अच्छे हो (थोड़ा रुक कर) शायद तुम्हें अपने सारे जवाब मिलने में वक्त लगेगा, लेकिन मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूं।"

कनिका के बातों में मृत्युंजय को आज वो सच्चाई दिखी जिसके लिए वो तरस रहा था, जो बिना बोले उनके रिश्ते को और गहरा कर रहा था। इस रात, मृत्युंजय और कनिका टेरेस पर बैठे  शहर की शांति में भी एक-दूसरे के साथ का सुकून महसूस कर रहे थे।  आज इनके बीच ना कोई उम्मीद थी न ही कोई मांग।

अब टेरेस से वापस जाने का समय आ गया था, लेकिन कनिका मृत्युंजय को वहां छोड़कर अपने कमरे में जाना नहीं चाहती थी। कनिका ने बेमन से मृत्युंजय को वहां से उठने को तो कह दिया, पर जैसे ही मृत्युंजय खड़ा हुआ, उसने कनिका का हाथ कसकर पकड़ा और उसे अपनी बाहों में भर लिया।

उस पल कनिका के लिए समय जैसे थम गया। मृत्युंजय की खुशबू उसे गहराई तक महसूस होने लगी। मृत्युंजय ने कनिका को इतने ज़ोर से पकड़ा कि कनिका खुद को रोक नहीं पाई। उसने भी उसे पूरी ताकत से गले लगा लिया। मृत्युंजय और कनिका की सांसें मानो एक साथ चल रही हों। वह रात दोनों के लिए बेहद खास और यादगार बन गई। न मृत्युंजय उसे छोड़ना चाहता था, न कनिका उससे दूर होना चाहती थी। लेकिन अब दोनों को अपने-अपने कमरों में लौटकर नए दिन की शुरुआत करनी थी।

इस रात के बाद यह बात साफ होती जा रही है कि मृत्युंजय अब कनिका के करीब आ रहा है। लेकिन क्या वह यह सब नेहा से दूर होने के लिए कर रहा है? क्या नेहा को लेकर मृत्युंजय की जलन अब उसे कनिका के करीब ला रही है? यह गुस्से में लिया गया फैसला है, या वह सच में कनिका के लिए कुछ खास महसूस करने लगा है?

आखिर मृत्युंजय अपने रियल इमोशन्स का सामना कब और कैसे करेगा? क्या वह नेहा के बारे में अपनी असल स्थिति समझ पाएगा, या फिर कनिका की ओर बढ़ना उसकी एक बड़ी गलती साबित होगा? क्या यह कदम उसे नेहा से हमेशा के लिए दूर कर देगा?

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
 

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