दिल्ली का सबसे बड़ा सरकारी हॉस्पिटल, जो हमेशा बीमार लोगों से भरा रहता था, आज पुलिस के जवानों से घिरा हुआ था। हॉस्पिटल के इमरजेंसी वार्ड में हर ओर हलचल थी। डॉक्टर्स, नर्सें, वार्डबॉय और मेडिकल स्टाफ सब भाग-दौड़ कर रहे थे।

"आईसीयू के बाहर एक खौफनाक सन्नाटा था, मानो इस वक्त वहाँ ज़िंदगी और मौत का फैसला होने वाला हो। दरअसल आईसीयू के बिस्तर पर लेटा हुआ एक लड़का कोई साधारण व्यक्ति नहीं था। यह था आरव चौधरी, देश का नया उभरता हुआ नेता और एक समाज सुधारक।"

"उसकी छाती पर एक गहरा घाव बना हुआ था, जिससे लगातार खून निकल रहा था। जिसे रोकने के लिए ना जाने कितनी बैंडेज़ लगायी हुई थी। पर खून रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था। उसकी हालत बेहद नाज़ुक थी। मॉनिटर की बीप की आवाज़ बढ़ती जा रही थी, और डॉक्टरों के चेहरे पर टेंशन साफ - साफ देखी जा सकती थी।"

"आरव, जिसने हमेशा अपने समाज और देश के लिए संघर्ष किया था, आज अपनी जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहा था। उसकी साँसें उखड़ रही थीं। उसके शरीर से बहते खून को रोकने की कोशिश हो रही थी, लेकिन हर पल उसकी स्थिति और बिगड़ती जा रही थी। डॉक्टर्स उसे बचाने की हर संभव कोशिश कर रहे थे, लेकिन डॉक्टर ये नहीं बता पा रहे थे कि वो बचेगा या नहीं।"

"हॉस्पिटल के बाहर लोगों की भीड़ बढ़ती जा रही थी। लोगों की भीड़ को काबू करने के लिए पुलिस भी कम पड़ रही थी। आस - पास के सभी पुलिस स्टेशन को हाई अलर्ट पर सारे पुलिस के जवानों को हॉस्पिटल भेजने के आदेश दे दिए गए थे। जो पुलिस वाले छुट्टी पर थे, उनकी भी छुट्टी कैंसिल करके वापिस काम पर बुला लिया था।"

"अस्पताल के बाहर आरव के फॉलोअर्स की भारी भीड़ जमा हो चुकी थी। लोग उस की खैरियत के लिए दुआ कर रहे थे। दरअसल वो केवल एक समाज सुधारक नहीं था, बल्कि जनता की आवाज़ बन चुका था। यही वजह थी कि उसके साथ घटी इस घटना ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था।"

"न्यूज़ चैनल्स की TRP तो छप्पर फाड़ चुकी थी। आज पूरा देश केवल न्यूज़ चैनल देख रहा था, हर कोई केवल यह जानना चाहता था कि आरव ठीक तो है ना!"

आईसीयू के बाहर एक कोने में, जहाँ हल्की रोशनी पड़ रही थी, कुछ पुलिस वाले खड़े थे। वे आपस में बात कर रहे थे। कुछ पुलिस अधिकारी सीधे घटनास्थल पर लगे सीसीटीवी फुटेज की जांच कर रहे थे।"

"तभी हॉस्पिटल में भगदड़ मच गयी, पुलिस के बड़े अधिकारी आरव के माता - पिता को लेकर हॉस्पिटल पहुँच गए थे। जिसका लाइव कवरेज हर न्यूज़ चैनल वाले दिखा रहे थे। उनकी आँखों में एक दर्द और निराशा की परछाई थी। उन्होंने शायद कभी सोचा भी नहीं था कि उनका बेटा, जो हमेशा देश और समाज की भलाई के लिए काम करता था, आज इस हालत में होगा।"

"आरव की माँ, सुमित्रा, पूरी तरह से टूट चुकी थीं। उनकी आँखों से आँसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। उन्होंने अपने बेटे को हमेशा एक योद्धा के रूप में देखा था, लेकिन आज वह बिस्तर पर निढाल पड़ा था।"

"आरव के पिता राजीव चौधरी, एक किसान थे, और इसलिए वो अपने नाम के साथ किसान का बेटा जोड़ता था, जिससे देश भर के किसान उस के साथ खड़े थे। वो किसान भी अब दिल्ली के हॉस्पिटल के लिए अपने घरों से निकल चुके थे।"

"श्रेया, जो आरव की सबसे करीबी दोस्त और उसकी जिंदगी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थी, उसकी आँखों में भी आँसू थे। वह अंदर ही अंदर टूट चुकी थी, लेकिन उसने खुद को संभाल रखा था। उसके मन में बहुत से सवाल घूम रहे थे।

श्रेया  - मैं हार नहीं मान सकती, अगर मैं हार मान गयी तो आरव के माता - पिता का सहारा कौन बनेगा? वो ही नहीं रहा तो उनके बुढ़ापे की लाठी छिन जाएगी। मुझे बिलकुल भी नहीं टूटना है, ऐसे समय में ही तो हिम्मत रखनी होती है।

"राजीव ने धीमी आवाज़ में श्रेया से पूछा कि ये सब कैसे हुआ? आखिर मेरे बेटे को किसने मारा?"

श्रेया - अंकल जी, पता ही नहीं चला, सब कुछ अचानक से हो गया, हम प्राइम मिनिस्टर ऑफिस से बाहर निकले ही थे कि रिपोर्टर आ गए और फिर अचानक से…

इसके आगे श्रेया कुछ बोल नहीं पाई। उसकी आँखों में आँसू थे, और उसके चेहरे पर एक घबराहट थी। वह सोचने लगी कि आखिर ये सब कैसे हुआ? उसकी आँखों के सामने तीन घंटे पल भर में घूम गए। उसके दिमाग में हर एक पल फिल्म की तरह चलने लगे, जब सब कुछ अचानक बदल गया था।"

"दरअसल तीन घंटे पहले की बात थी। दिल्ली की सर्द शाम में सूरज ढलने वाला था, और आसमान ऑरेंज कलर से ग्लो कर रहा था। सर्द हवाओं ने शहर की भाग-दौड़ को धीमा कर दिया था। लेकिन इन सभी के बीच, प्रधानमंत्री कार्यालय के बाहर की भीड़ अपनी जगह पर अडिग थी। हर कोई उस व्यक्ति का इंतजार कर रहा था, जिसने आज प्रधानमंत्री से मुलाकात की थी – वो कोई और नहीं, सभी का चहेता आरव ही था।"

"प्रधानमंत्री ने आरव के साथ ये मुलाकात जनता के दबाव में ही तो की थी। क्योंकि जनता ने #pmmeetaarav वाले हैशटैग को पिछले महीने भर से ट्रेंड करा रखा था। इस हैशटैग के साथ करीबन 20 करोड़ से ज्यादा पोस्ट की गई थी, नतीजा ये निकला कि प्रधानमंत्री को उस से मिलना ही पड़ा। जैसे ही मीटिंग फिक्स हुई, उस ने सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट किया”

आरव - आप सभी लोगों का बहुत, बहुत धन्यवाद। आप सभी ने जिस तरह से करप्शन के खिलाफ इस जंग में मेरा साथ दिया है, उसके लिए आप सभी का आभार। प्रधानमंत्री जी के साथ मीटिंग फिक्स हो गयी है, अब मीटिंग के बाद ही आपको अपडेट करूँगा। #इंकलाब 

"आरव की प्रधानमंत्री से मुलाकात कुछ इम्पोर्टेन्ट इशू पर थी, पर सबसे मेन मुद्दा था, करप्शन। वो जानता था कि यह मीटिंग बहुत इम्पोर्टेन्ट थी। वह देश की जनता की आवाज़ बन चुका था, और उसे यह जिम्मेदारी पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ निभानी थी।"

"प्रधानमंत्री कार्यालय के बाहर, मीडिया के कैमरे, पत्रकारों की भीड़, और आरव के समर्थक सब वहाँ मौजूद थे। सबको इंतजार था कि वो बाहर आए और बताए कि मीटिंग में क्या हुआ। लेकिन जब वो बाहर निकला तो उस के चेहरे पर एक अलग ही टेंशन थी।"

"प्रधानमंत्री के साथ हुई बैठक का दृश्य उसकी आँखों के सामने बार-बार घूम रहा था। आरव प्रधानमंत्री से देश की समस्याओं के बारे में विस्तार से चर्चा कर चुका था। उसकी बातों में जनता के लिए गहरी चिंता थी। उसने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सीधे और सख्त सवाल किए थे। पर प्रधानमंत्री ने हर सवाल का घुमा-फिरा कर जवाब दे दिया।"

"प्रधानमंत्री उस की बातों को ध्यान से सुन तो रहे थे, पर शायद समझ नहीं रहे थे। उन्होंने आरव से कहा कि आपकी बातें सही हैं। लेकिन भ्रष्टाचार का मुद्दा इतना आसान नहीं है। इसमें बहुत सारे ताकतवर लोग शामिल हैं। हमें इस पर बहुत सोच-समझकर कदम उठाने होंगे।"

"पर आरव तो आरव ही था उसने कहा -"

आरव: "सर, आप समझ ही नहीं रहे, करप्शन के खिलाफ आज ही कदम उठाने होंगे। आप क्यों सड़क के टूटने पर सड़क बनाने वाले को जेल नहीं भेजते? सर, हर दिन एक छोटा कदम उठाना पड़ेगा। स्कूल में सभी बच्चों को नहीं पीटा जाता, बस एक बच्चे को सजा दी जाती है, बाकी बच्चे अपने आप सुधर जाते हैं। आप पहले एक एक्साम्पल सेट कीजिए, फिर करप्शन ख़त्म ना हो तो कहना।"

"प्रधानमंत्री ने हल्की मुस्कान के साथ सिर हिलाया और कहा, 'आप सही कह रहे हैं। लेकिन राजनीति इतनी आसान नहीं है। यहाँ हर कदम बहुत सोच-समझकर उठाना होता है। कई लोग आपके खिलाफ खड़े हो सकते हैं।'"

आरव: "सर, जब देश की बात आती है तो राजनीति को पीछे रखा जा सकता है। पहले देश आता है, राजनीति नहीं।"

"आरव और प्रधानमंत्री की ये बातें कुछ समय बाद ख़त्म हो गईं। दरअसल प्रधानमंत्री की कहीं और भी मीटिंग थी, इसलिए उन्होंने आरव को अलविदा कहा और वहाँ से चले गए।"

आरव - "एक सवाल जिसका जवाब मुझे जानना था पर अभी तक नहीं मिला कि आखिर 2002 के एक्सीडेंट के पीछे कौन-कौन था? आखिर किसके करप्शन की वजह से लाखों लोगों की जान गई। आज भी इस सवाल का जवाव किसी ने नहीं दिया, बस बातों को घुमा दिया।"

"आरव ने प्रधानमंत्री कार्यालय से बाहर निकलते ही मीडिया के कैमरों और पत्रकारों की भीड़ का सामना किया। कैमरों की चमक और फ्लैश लाइट्स उसकी आँखों में पड़ने लगीं। पत्रकारों ने तुरंत ही सवाल दागने शुरू कर दिए।"

"आरव सर, क्या आप बता सकते हैं कि प्रधानमंत्री जी से आपकी मुलाकात कैसी रही?" एक पत्रकार ने पूछा। तभी दूसरे पत्रकार ने तुरंत सवाल किया, "सर, क्या भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई बड़ा कदम उठाया जाएगा?" तभी तीसरा पत्रकार बोल उठा, ' प्रधानमंत्री जी ने क्या कहा? क्या आप भी चुनाव लड़ने वाले हैं?'"

"आरव ने भीड़ की ओर देखा। हर किसी की आँखों में सवाल थे। फिर उस ने अपने दांये हाथ को ऊपर उठा कर विक्ट्री का साइन बनाया और बोलना शुरू किया -"

आरव: "देखिए, करप्शन के खिलाफ लड़ाई सिर्फ मेरी नहीं है। यह हम सबकी लड़ाई है। हमें अगर इस देश को बदलना है, तो हमें एकजुट होना होगा। भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई आसान नहीं है, लेकिन यह नामुमकिन भी नहीं है। बहुत जल्द आप देखेंगे कि इस देश में बदलाव आ रहा है।"

"उस के इस बयान के तुरंत बाद वहाँ मौजूद उसके सपोर्टर्स ने जोर-जोर से नारे लगाने शुरू कर दिए, 'आरव चौधरी ज़िंदाबाद, किसान का बेटा जिंदाबाद, भ्रष्टाचार हटाओ, देश बचाओ!'"

उसी भीड़ में कुछ ऐसा भी था जो आरव ने महसूस नहीं किया। उस के ऊपर अभी भी कैमरे की चमकती लाइट्स की बौछार हो रही थी, और वो फिर से अपना दांया हाथ ऊपर उठा कर विक्ट्री का साइन बनाने वाला था। तभी—

अचानक गोली चलने की आवाज़ सुनाई दी। पहले तो किसी को समझ नहीं आया कि क्या हो रहा है। भीड़ में भगदड़ मच गई। लोग अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे। चीख-पुकार और शोर-गुल के बीच आरव नीचे गिर पड़ा। उसके शरीर में गोली लग चुकी थी। जो न्यूज़ रिपोर्टर मर्डर होने के बाद की रिपोर्ट के लिए पहुँचते थे, आज उनके सामने एक लाइव मर्डर हो गया।

"आरव ने अपने चारों ओर फैली अफरा-तफरी को देखा, लेकिन उसकी आँखों में अंधेरा छाने लगा था। उसके कानों में लोगों की चीखें सुनाई दे रही थीं, लेकिन उसके होश धीरे-धीरे खोने लगे थे। उसके शरीर से खून बहने लगा था, और उसकी धड़कनें धीरे-धीरे कमजोर पड़ने लगीं।"

"उस के समर्थक और पुलिस वाले तुरंत हरकत में आए। उन्होंने तुरंत एम्बुलेंस बुलाई। उसको खून में लथपथ हालत में स्ट्रेचर पर लिटाया गया और तुरंत हॉस्पिटल ले जाया गया। उसकी हालत इतनी सीरियस थी कि उसके जिन्दा रहने की उम्मीद बहुत कम थी।"

"श्रेया, जो हमेशा उसके साथ होती थी, एम्बुलेंस में भी उसके साथ थी। उसने आरव का हाथ थामा हुआ था। उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे, लेकिन वो अपने आप से और उस से बस एक ही बात कहे जा रही थी—"

श्रेया: "तुम्हें कुछ नहीं होगा, आरव। तुम्हें कुछ नहीं होगा, हम बस अस्पताल पहुँचने वाले हैं। तुम सही हो जाओगे, हम फिर कभी पीएमओ ऑफिस में नहीं आएंगे। तुम जल्दी ही अच्छे हो जाओगे। तुम्हें कुछ नहीं होगा।'

"श्रेया लगातार बोलती जा रही थी, शायद उसके दिल में एक डर बैठ चुका था। उसे पता था कि यह कोई नार्मल अटैक नहीं था। यह एक सोची समझी साजिश थी।"

"हॉस्पिटल पहुँचने के बाद, आरव को तुरंत आईसीयू में भर्ती किया गया। डॉक्टर्स ने उसकी जान बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन उसकी हालत लगातार बिगड़ती जा रही थी। डॉक्टरों के चेहरों पर टेंशन कम होने का नाम ही नहीं ले रही थी। बाहर मीडिया वाले और उस के फॉलोवर्स एक ही सवाल पूछ रहे थे – क्या आरव बचेगा?"

"हॉस्पिटल के अंदर मीडिया का जमावड़ा लग चुका था। हर चैनल पर यही खबर चल रही थी कि समाज सुधारक आरव चौधरी पर हमला हुआ है।"

"सोशल मीडिया पर भी यही खबर ट्रेंड कर रही थी। #SaveAarav और #JusticeForAarav ट्रेंड करने लगे। हर कोई यही सवाल पूछ रहा था – आखिर यह हमला क्यों हुआ? कौन इसके पीछे था?"

"फिर हॉस्पिटल में आरव के माता-पिता आ गए और उन्होंने श्रेया से आरव के बारे में पूछा। श्रेया कुछ भी बोल नहीं पाई, बस रो पड़ी। और आईसीयू से दूर जाकर एक बेंच पर बैठ गई। उसके दिमाग में लगातार वही सवाल घूम रहे थे।"

"तभी उसका मोबाइल बजने लगा। एक पुलिस वाले ने आकर उसे कुछ भी खबर बाहर बताने से मना कर दिया। श्रेया ने फ़ोन काट दिया।"

"कुछ ही देर बाद, सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल होने लगा। उस वीडियो में एक अनजान व्यक्ति ने दावा किया कि हॉस्पिटल में एक बम लगाया गया है।"

"वीडियो के वायरल होते ही हॉस्पिटल में अफरा-तफरी मच गई। पुलिस तुरंत हरकत में आई और हॉस्पिटल से लोगों को बाहर निकालने की कोशिश करने लगी, हर किसी के दिल में डर बैठ चुका था।"

“श्रेया के मन में अनगिनत सवाल घूम रहे थे। यह सब क्यों हो रहा था? क्या यह सिर्फ आरव के खिलाफ एक हमला था, या इसके पीछे कुछ और भी गहरी साजिश छुपी थी? क्या आरव को इस सब से बचाया जा सकेगा? क्या वह वापस उठ पाएगा?”

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