कुछ ही देर बाद, सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल होने लगा। जिसमें बताया गया था कि हॉस्पिटल में एक बम है। बम की खबर सुनते ही हॉस्पिटल में अफरा-तफरी मच गई और पुलिस ने हॉस्पिटल से लोगों को बाहर निकालने की कोशिश की।
अस्पताल के बाहर खड़ी भीड़ भी बेकाबू हो चुकी थी। हर तरफ अफरा-तफरी मची हुई थी। लोग चिल्ला रहे थे, धक्का-मुक्की कर रहे थे, और अंदर जाने की कोशिश कर रहे थे। पर पुलिस किसी को अंदर नहीं जाने दे रही थी। इधर आरव की हालत बिगड़ती जा रही थी और डॉक्टरों की टीम लगातार उसे बचाने की कोशिश कर रही थी। इसी बीच अस्पताल में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई थी। पुलिस और सुरक्षा बलों ने अस्पताल को चारों ओर से घेर लिया था।"
"आरव के पिता, राजीव चौधरी अपने बेटे के कमरे के बाहर खड़े थे। पुलिस अधिकारी उन्हें भी बाहर निकालने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन उन्होंने साफ मना कर दिया। उनका चेहरा गुस्से और दर्द से भरा हुआ था। “'मैं कहीं नहीं जाऊंगा। मेरा बेटा अंदर जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रहा है और आप मुझसे कह रहे हैं कि मैं बाहर चला जाऊं?'" उन्होंने जोर से कहा।
"पुलिस अधिकारी ने उन्हें समझाने की कोशिश की, 'सर, अस्पताल में बम की खबर है। हमें सभी को बाहर निकालना होगा। यह आपकी सुरक्षा के लिए है।'"
"राजीव अपने फैसले पर अडिग थे। उनकी आँखों में आंसू थे, लेकिन उन्होंने अपने आंसुओं को छुपाने की कोशिश की। वह जानते थे कि उनके बेटे की हालत नाज़ुक है, और किसी भी वक्त कुछ भी हो सकता है। वे हर हाल में उसके पास रहना चाहते थे।"
"तभी अचानक आईसीयू से बीप की आवाज़ तेज़ हो गई। डॉक्टर्स और नर्सें तेजी से दौड़ते हुए आईसीयू के अंदर घुस गए। राजीव घबरा गए और उनकी नजरें आईसीयू के दरवाजे पर टिक गईं। उनकी आँखों के सामने उनके बेटे की बचपन की यादें तैरने लगीं।"
"उन के घर के पास ही एक पार्क था, जहाँ अक्सर बच्चे खेलने जाया करते थे। एक दिन की बात है सर्दी का मौसम था, बच्चों की विंटर वेकेशन चल रही थी। बहुत दिनों के बाद उस दिन धूप निकली थी। सभी बच्चे पार्क में खेलने चले गए। उसी पार्क में एक 3 साल का बच्चा भी अपने बड़े भाई के साथ खेलने आया था। उस बच्चे के हाथ में एक आइसक्रीम थी। वह खुशी से उसे चाटते हुए अपने दोस्तों के साथ हंस रहा था।"
"तभी अचानक से एक बंदर पेड़ से कूदकर उसके पास आ गया। बंदर की नज़र आइसक्रीम पर थी। बच्चों ने बंदर को देखा और घबरा कर पीछे हटने लगे। और वो बच्चा रोने लग गया।"
"बंदर ने आइसक्रीम छीनने की कोशिश की, पर बच्चे ने आइसक्रीम नहीं छोड़ी। वो बच्चा गिर पड़ा। तभी आरव आगे बढ़ा और बंदर और उस बच्चे के बीच में आ गया।"
आरव : "'डरो मत! मैं हूँ यहाँ। ये बंदर मुझसे नहीं जीत सकता!'"
"बंदर ने उस पर हमला किया, पर आरव पीछे नहीं हटा और जोर-जोर से चिल्लाने लगा।"
आरव: "'चल हट! ये आइसक्रीम इस बच्चे की है, तुझे नहीं मिलेगी। भाग यहाँ से!'"
"बंदर थोड़ी देर उस को घूरता रहा, फिर आखिरकार भाग गया। सभी बच्चे उसे देख कर हैरान थे। उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि कोई बच्चा बंदर को इस तरह से डरा सकता है।"
अगले दिन स्कूल में हर तरफ आरव की चर्चा थी। बच्चे उसे हीरो मान रहे थे। वह हमेशा से ही साहसी था। जब भी कोई गलत होता था, वो हमेशा आवाज़ उठाता था। वह अपने साथियों के लिए हमेशा खड़ा होता था, चाहे मामला कितना ही बड़ा क्यों न हो।"
"एक दिन स्कूल में एक टीचर एक लड़के को पीट रहे थे। वह लड़का बेहद डरा हुआ था और रो रहा था। आरव, उस समय अपनी क्लास में बैठा हुआ ये सब देख रहा था। उसे यह बिल्कुल भी सही नहीं लगा। वह तुरंत खड़ा हुआ और टीचर के पास जाकर बोला।"
आरव: "सर, क्या आपको पता नहीं है, छोटे बच्चों को मारना गलत बात है? आप उसे ऐसे नहीं मार सकते।"
टीचर गुस्से में आकर चिल्ला पड़ा— 'तुम कौन होते हो यह तय करने वाले कि मैं क्या करूं? जाओ अपनी क्लास में, वर्ना इसके साथ तुम भी पिटोगे।'"
आरव: "'जो गलत है वो गलत ही है, सर। आपको ऐसा करने का कोई हक नहीं है। आपको एक छोटे बच्चे को मारने का कोई हक नहीं है।'"
टीचर का चेहरा लाल हो गया। उन्होंने गुस्से में आकर उसे भी मारना शुरू कर दिया। लेकिन वो चुप नहीं रहा, जाकर प्रिंसिपल रूम के बाहर बैठ गया।"
"स्कूल के अन्य बच्चे भी यह सब देख रहे थे। प्रिंसिपल ने आरव को समझाने की कोशिश की, पर वह वहां से नहीं उठा और ना ही छुट्टी होने के बाद घर गया। नतीजा ये निकला कि रात के समय प्रिंसिपल और टीचर को वापिस स्कूल आना पड़ा, और उन्होंने वादा किया कि वो कल उस छोटे बच्चे से माफी मांग लेंगे।"
"उस दिन से स्कूल के बच्चे आरव को अपना नेता मानने लगे। उसकी हिम्मत और साहस ने उसे बाकी बच्चों से अलग बना दिया था।"
अचानक राजीव की यादें टूट गईं। आईसीयू के अंदर से बीप की आवाज़ और तेज हो चुकी थी। डॉक्टर्स दौड़ते हुए अंदर जा रहे थे। चारों तरफ अफरा-तफरी का माहौल था।"
"अस्पताल के बाहर मीडिया चैनलों के कैमरे लगातार लाइव कवरेज दे रहे थे। हर चैनल पर यही खबर चल रही थी - 'क्या आरव की जान बच जाएगी?'"
"मीडिया के कैमरों के लेंस अस्पताल के हर कोने का लाइव फुटेज दिखा रहे थे। जनता इस समय अपनी साँसें थाम कर टीवी स्क्रीन्स पर नजरें गड़ाए बैठी थी। हर कोई जानना चाहता था कि क्या आरव, जो देश की आवाज़ बन चुका था, अब भी जिंदा है या नहीं।"
"अस्पताल के बाहर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई थी, लेकिन इसके बावजूद लोग अस्पताल के बाहर इकठ्ठा हो रहे थे। बम की खबर के बावजूद कोई अपनी जगह छोड़ने को तैयार नहीं था।"
अस्पताल के अंदर डॉक्टर्स की एक टीम लगातार आरव की जान बचाने की कोशिश कर रही थी। उसकी हालत बेहद नाज़ुक हो गई थी। उसकी धड़कनें लगातार कमजोर होती जा रही थीं। डॉक्टर्स ने उसे तुरंत ऑपरेशन थिएटर में ले जाने का फैसला किया।"
"डॉक्टर्स ने ऑपरेशन की तैयारी शुरू की। चारों ओर तेजी से हिदायतें दी जा रही थीं। नर्सें मेडिकल इक्विपमेंट को इकट्ठा कर रही थीं।"
"मेडिकल स्टाफ ने आरव को ऑपरेशन थिएटर में शिफ्ट किया और दरवाजा बंद कर दिया। ऑपरेशन थिएटर के बाहर लगी लाल लाइट जल उठी। डॉक्टरों की टीम ने अपना मास्क पहन लिया और ऑपरेशन शुरू करने के लिए तैयार हो गई। हर डॉक्टर का चेहरा टेंशन से भरा हुआ था। क्योंकि उन्हें डर था कि अगर ऑपरेशन के समय आरव को कुछ हो गया तो बाहर खड़ी भीड़ सारा दोष उन पर लगा देगी।"
"जैसे ही ऑपरेशन शुरू हुआ, उस की हालत और नाज़ुक हो गई। उसकी धड़कनें लगातार गिर रही थीं।"
अस्पताल के बाहर आरव की हालत को लेकर मीडिया में हलचल मच गई थी। सोशल मीडिया पर हंगामा हो चुका था। लोग लगातार पोस्ट कर रहे थे। देशभर में उस की सलामती की दुआएं की जा रही थीं। #SaveAarav और #JusticeForAarav सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स पर ट्रेंड कर रहे थे।
नीना कपूर जोकि वेव सोशल मीडिया प्लेटफार्म की सीईओ थी, उसने भी सोशल मीडिया पर आरव के साथ अपनी एक फोटो शेयर कर दी। और लिखा
नीना - हम साथ है आरव, हमेशा से। आगे भी साथ ही रहेंगें, जब तक हम देश को सुधार नहीं देते। #GetWellSoon
नीना की ये पोस्ट तुरंत ही लोगों के बीच वायरल हो गई क्योंकि आरव के हॉस्पिटल जाने के बाद से किसी भी सेलिब्रिटी या बिज़नेसमैन ने कोई पोस्ट नहीं डाली थी। लोगों ने नीना की पोस्ट #NinaWithAarav के साथ पोस्ट करना शुरू कर दिया। और देखते ही देखते ये हैशटैग टॉप 10 में पहुंच गया। अब लोगों को लग रहा था कि नीना, आरव की साथी है।"
"इसलिए मीडिया वाले भी नीना का इंटरव्यू लेने की कोशिश में लग गए। पर किसी भी मीडिया वाले का उस से संपर्क ही नहीं हो पा रहा था।"
"नीना को देखकर हर सेलिब्रिटी और हर बड़े बिज़नेसमैन ने आरव की सलामती के लिए सोशल मीडिया पर पोस्ट की, लेकिन इन सबके बीच एक सोशल मीडिया प्लेटफार्म, 'कनेक्ट मी,' जिसने इस मामले पर कोई पोस्ट नहीं किया, सभी की नज़रों में आ गया।"
"मीडिया को मसाला चाहिए था, उन्होंने इस मौके का फायदा उठाया और एक बड़े न्यूज़ चैनल ने कनेक्टमी के सीईओ को इंटरव्यू के लिए मना लिया।"
कनेक्ट मी के सीईओ का इंटरव्यू लाइव दिखाया जा रहा था। सोशल मीडिया पर कनेक्टमी के खिलाफ लोगों ने कैंपेन चला दिए थे।"
"तभी रिपोर्टर ने उनसे पूछा— 'आपने इस घटना पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया क्यों नहीं दी? यह एक बड़ी घटना है, और देशभर में हर कोई इसके बारे में बात कर रहा है।'"
डेनियल क्लार्क: "यह एक बुरी घटना है। इसमें कोई दो राय नहीं है। मैं पर्सनली भी बहुत दुख और डर महसूस कर रहा हूँ। यही वजह है कि मैंने इस घटना पर कोई पोस्ट नहीं किया। मैं नहीं चाहता कि इस मुश्किल घड़ी में कोई गलतफहमी फैले।'"
उनके इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर और भी हंगामा मच गया। लोग यह मानने लगे थे कि डेनियल क्लार्क किसी साजिश का हिस्सा हैं, और यही वजह है कि उन्होंने इस मामले पर कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया।"
"कुछ लोग तो यह तक कहने लगे कि डेनियल को इस हमले के बारे में पहले से पता था।"
अस्पताल के बाहर मीडिया वाले लोगों से इस घटना को लेकर चर्चा कर रहे थे। पुलिस भी इस हमले की जांच कर रही थी, लेकिन उन्हें अभी तक कोई ठोस सुराग नहीं मिला था। बम की खबर ने पूरे मामले को और उलझा दिया था। क्योंकि केवल खबर ही मिली थी, पुलिस वालों को कोई भी बम नहीं मिला।"
"पुलिस अधिकारियों की एक बैठक बुलाई गई, जिसमें उन्होंने बम की खबर को केवल अफवाह बताकर एक बयान जारी कर दिया। उनका मानना था कि यह खबर केवल अस्पताल में अफरातफरी फैलाने के लिए फैलाई गई थी। और इसीलिए उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करने की सोची।"
"मीडिया को फिर से मसाला मिल गया था। तो रिपोर्टर पहुँच गए उस प्रेस कॉन्फ्रेंस में और उन्होंने पुलिस अधिकारियों पर सवालों की झड़ी लगा दी।"
"एक ने पूछा— 'क्या यह हमला एक बड़ी साजिश का हिस्सा था?' दूसरे ने पूछा— 'किसके पास आरव को चुप कराने की इतनी बड़ी वजह हो सकती है? क्या यह हमला उसके इंकलाब कैम्पेन को दबाने के लिए किया गया?'"
"पुलिस के पास किसी सवाल का जवाब नहीं था, इसलिए उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस बीच में ही रोक दी।"
दूसरी ओर, आरव को ऑपरेशन थिएटर से वापस आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया था। उसकी हालत बहुत नाज़ुक थी। उसके माता-पिता, श्रेया और सभी डॉक्टर्स टेंशन में थे।"
"आईसीयू में एक बार फिर बीप की आवाज़ तेज़ हो गई। सभी डॉक्टर्स भागते हुए अंदर आए। अचानक से आरव की धड़कनें बंद हो चुकी थीं। मॉनिटर पर एक सीधी लाइन दिखना शुरू हुई। उस लाइन को देखकर डॉक्टर के माथे से पसीना बहने लगा।"
"'अरे कोई ड्रॉप लाओ, जल्दी करो, शॉक मीटर कहाँ है? !' अचानक से हॉस्पिटल में गूंजने लगा।"
"आरव की माँ उस की ये हालत देखकर बेहोश हो गईं। वो तो किस्मत से श्रेया उनके पास खड़ी थी, जिसने उन्हें गिरने से बचाया और फिर पास की एक बेंच पर बिठाया।"
"जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा था, डॉक्टर्स के चेहरों पर टेंशन बढ़ती जा रही थी। डॉक्टर्स ने तुरंत आरव को इलेक्ट्रिक शॉक देने का फैसला किया। सभी की साँसें थम गई थीं। किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है।"
"आईसीयू के बाहर से सभी लोगों को दूर कर दिया गया था, क्योंकि अगर आरव की मौत की खबर बाहर चली जाती तो लोगों को संभालना मुश्किल हो जाता।"
"डॉक्टर्स ने उस को एक के बाद एक तीन बार शॉक दिया। पहली बार कुछ नहीं हुआ। दूसरी बार भी कोई हलचल नहीं दिखी। फिर उन्होंने आखिरी बार शॉक देने के लिए मशीन को चालू किया।"
"क्या आरव की सांसे फिर से चलने लगेंगी?
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