"आईसीयू के बाहर से सभी लोगों को दूर कर दिया गया था, और फिर डॉक्टर्स ने आरव को एक के बाद एक तीन बार शॉक दिया। दो बार शॉक के बाद भी कोई हलचल नहीं हुई। फिर उन्होंने आखिरी बार शॉक देने के लिए मशीन को चालू किया।"
"आईसीयू के अंदर का माहौल बहुत ही टेंशन भरा हो चुका था। डॉक्टरों ने तीसरी बार आरव को इलेक्ट्रिक शॉक देने की तैयारी कर ली थी। उसका शरीर बेजान पड़ा हुआ था। मॉनिटर पर बीप की आवाज़ पूरी तरह शांत हो चुकी थी। मॉनिटर पर अब केवल एक लम्बी सीधी लाइन ही आ रही थी।"
"बाहर खड़े आरव के पिता, राजीव चौधरी, के दिल में वो खामोशी एक नए डर को पैदा कर रही थी। वो चाहते थे कि उनका बेटा एक बार फिर उठ खड़ा हो और उन्हें एक बार गले लगा ले। इसी बीच डॉक्टर्स ने उसको इलेक्ट्रिक शॉक दिया। अचानक से मॉनिटर से बीप की आवाज़ आना शुरू हो गई। मॉनिटर पर लाइन भी ऊपर-नीचे हो रही थी। और बीप की बढ़ती आवाज के साथ ही राजीव फिर से अपने बेटे की बचपन की यादों में खो गए।"
"आरव अपने स्कूल की फ़ुटबॉल टीम का कप्तान था। स्कूल का बड़ा टूर्नामेंट चल रहा था, और पूरा स्कूल मैदान में जमा था। सबकी नजरें उसी पर थीं, क्योंकि हर कोई जानता था कि जब तक वो खेल रहा है कोई भी टीम को नहीं हरा सकता। मैच शुरू होने ही वाला था, तभी आरव ने अपनी पूरी टीम को अपने पास बुलाया—"
आरव: "'सुनो, ये बात ध्यान रखना ये सेमीफाइनल मैच है, हमें ये मैच हर हाल में जीतना है, पर हम कोई भी चीटिंग नहीं करेंगे और बस हम अपना 100% देंगे। वैसे भी हम जैसा खेल रहे हैं, हमारी जीत लगभग तय ही है।'"
"मैच शुरू हुआ, आरव की टीम शुरू से ही बढ़त बना लेती है, स्कोर 5-1 पहुँच गया था। मैच के आखरी 5 मिनट बचे हुए थे। तभी दूसरी टीम के एक खिलाड़ी ने आरव की टीम के एक खिलाड़ी को धक्का दे दिया।। धक्का लगते ही वो खिलाड़ी मैदान में गिर पड़ा और उसे चोट लग गई। रेफरी ने सब कुछ देखा, लेकिन उसने कोई कार्रवाई नहीं की।"
"ऐसा होते देख आरव के चेहरे पर गुस्सा साफ झलकने लगा। उसने रेफरी की ओर बढ़ते हुए कहा—"
आरव: "'यह गलत है। आपको उसे रेड कार्ड दिखाना चाहिए।'"
"रेफरी ने पहले उसकी बात को नज़रअंदाज़ किया। खिलाड़ियों और दर्शकों के बीच हलचल मच गई लेकिन जब आरव ने बहुत जोर से कहा तो रेफरी बोला "'तुम वैसे भी जीत ही रहे हो, बस 4 मिनट का खेल ही तो बचा हुआ है।”
आरव: "'नहीं, जो गलत है वो गलत है। अगर आप ऐसा करेंगे तो मैं अपनी पूरी टीम को लेकर चला जाऊंगा।'"
"आरव के ऐसे शब्द सुनकर रेफरी ने उसे समझाने की कोशिश की। रेफरी ने कहा कि अगर वो मैदान छोड़ देगा तो उसकी टीम हार जाएगी। वो वैसे भी जीत रहा था, ऐसे में उसे मैच ख़त्म करने की जरूरत थी। और अगर उसे रेफरी के फैसले से कोई दिक्कत थी तो वो बाद में उसके खिलाफ एक लिखित शिकायत दे सकता था।"
आरव: 'नहीं, अगर ऐसा ही चलता है तो आज के बाद नहीं होगा। मैं अपनी पूरी टीम को लेकर जा रहा हूँ।"
"आरव ने इशारे से अपनी पूरी टीम को अपने पास बुलाया और उन्हें लेकर मैदान से बाहर चला गया। आरव के इस फैसले से हर कोई हैरान था, मैच पूरा किए बगैर मैदान से जाने का मतलब था हार मान लेना। ऐसे में दूसरी टीम जीत जाती। तभी प्रिंसिपल ने उसे बुलाया और वापस जाकर मैच खेलने के लिए कहा।"
आरव: "सर, जो ग़लत है वो ग़लत है। अगर ऐसे ही चलता रहा तो आने वाले समय में लोगों को भी ग़लत ही सहन करना होगा। इसलिए मैं आज हार मान लूंगा ताकि भविष्य में ऐसा ना हो और इसके लिए नियम बनाए जाएं।"
"बात बहुत बढ़ गई थी, स्कूल की रेपुटेशन का सवाल था तो तुरंत ही मैच के प्री-कैप्स देखे गए और पाया गया कि आरव सही था। दूसरी टीम के लड़के ने आरव की टीम के खिलाड़ी को सचमुच धक्का दिया था। इसके बाद रेफरी ने माफी मांगी और उस खिलाड़ी को रेड कार्ड दिखाया। खेल फिर से शुरू हुआ और आरव की टीम जीत गई ।"
"पर इसके बाद फाइनल मैच में आरव की टीम हार गई क्योंकि वो लोगों के सामने तो जीत गया था पर पॉलिटिक्स से नहीं जीत पाया। रेफरी ने पिछले मैच का बदला आरव से फाइनल्स में लिया। उसने आरव को दो बार येलो कार्ड दिखाया, नतीजा ये हुआ कि आरव को फाइनल मैच में बाहर बैठना पड़ा और टीम हार गई। उस दिन से वो एक बात समझ गया था—"
आरव: - "'लोग समय आने पर अपना बदला लेने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। इसलिए कभी भी किसी से सामने से दुश्मनी मत लो। अगर लोग एक ही गलती बार-बार कर रहे हैं, तो लोगों को नहीं, सिस्टम को सुधारने की जरूरत है।'"
"राजीव, आरव की बचपन की यादों में घूमते हुए उसके एग्जाम सेंटर तक पहुँच गए। उन्हें याद आया कि कैसे उनका बेटा हमेशा से गलत के खिलाफ खड़ा रहा। दरअसल, एक बार स्कूल की परीक्षा चल रही थी। सभी स्टूडेंट्स एग्जाम दे रहे थे। टीचर भी क्लास में घूम रहे थे। तभी एक टीचर ने एक लड़के के पास एक चिट पड़ी हुई देखी। टीचर को गुस्सा आ गया और 'तुम चीटिंग कर रहे हो!' ऐसा कहते हुए उन्होंने उस लड़के की आंसर शीट छीनी और उसे बाहर निकाल दिया।"
"आरव उस लड़के को जानता था। जानना क्या, वो लड़का और आरव दोस्त नहीं दुश्मन थे। क्योंकि जब भी कोई कॉम्पिटिशन होता तो वो लड़का ही उसका कॉम्पिटिटर बनता। कई बार तो उसने आरव को हराया था। और कोई होता तो वो हंसने लग जाता, पर वो गलत नहीं होने दे सकता था। इसलिए वो अपनी जगह से खड़ा हो गया और बोला—"
आरव: "'आपने बिना देखे और समझे उसे क्लास से बाहर क्यों निकाल दिया? आप उसकी कॉपी देखिए।'"
"आरव की बात सुनकर टीचर को गुस्सा आ गया। वो गुस्से में बोलीं, 'तुम मुझसे बहस मत करो। मैंने देखा है, उसने चीटिंग की है। आरव को पता था कि वो लड़का चीटर नहीं हो सकता। इसलिए उसने टीचर से कहा—"
आरव: "'मैं बस इतना कह रहा हूँ कि उसकी कॉपी देखिए। अगर उसने चीटिंग की है, तो उसे सज़ा दीजिए, लेकिन उसके पास चिट गिरी हुई मिली थी, उसके पास नहीं।'"
"'तुम्हें भी बाहर जाना है क्या उसके साथ?' टीचर ने गुस्से में कहा। फिर आरव को समझ आ गया था कि टीचर ऐसे तो नहीं समझने वाली, उसने सीधे टीचर के ईगो पर वार किया।"
आरव: "'अगर चिट की एक भी लाइन उसकी कॉपी में मिल गई तो मैं भी चला जाऊंगा और अगर नहीं मिली तो आप...'"
"इतना बोलने के बाद आरव रुक गया। अब सब स्टूडेंट्स की नजर टीचर पर थी क्योंकि उसने टीचर को खुली चुनौती दी थी। अब टीचर का गुस्सा और बढ़ गया। उसने तुरंत उस स्टूडेंट की कॉपी खोली और चिट से मिलाना शुरू किया। और हैरान रह गई। चिट का आंसर कॉपी में नहीं लिखा था। असल में, वह चिट सीनियर क्लास के किसी सब्जेक्ट की थी, जिसका उनके पेपर से कोई लेना-देना नहीं था।"
आरव: "'सर, अभी भी आप कुछ नहीं बोल रहे, कुछ तो बोलिए।'"
"आरव ने इस तरह से पोक करके टीचर के ईगो पर आखिरी वार किया, जिसके बाद टीचर बाहर गया, जहाँ वो उस लड़के को वापस ले आया, जिसे उसने चीटिंग के कारण बाहर निकाला था।"
"अचानक से मॉनिटर में बीप की आवाज़ तेज होने लगी और राजीव की यादें टूट गईं। डॉक्टरों की उम्मीदें अब बढ़ने लगी थीं। आरव की धड़कनें धीरे-धीरे वापस आ रही थीं। उसकी साँसें लौटने लगी थीं।"
"बाहर मीडिया चैनल लगातार लाइव अपडेट दे रहे थे। हर टीवी स्क्रीन पर यही खबर थी – 'आरव चौधरी की स्थिति गंभीर बनी हुई है, उसके हमलावरों को अभी तक पकड़ा नहीं जा सका है।'"
"देशभर में इस हमले को लेकर हड़कंप मचा हुआ था। सोशल मीडिया पर #JusticeForAarav ट्रेंड कर रहा था। जनता अब इस घटना की सच्चाई जानने के लिए बेकरार थी।" "हर कोई जानना चाहता था कि इस हमले के पीछे कौन है और क्यों?"
"पुलिस ने मामले की गंभीरता को समझते हुए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई थी। मुख्य जांच अधिकारी ने जनता और मीडिया को संबोधित किया, 'हमले की पूरी गंभीरता से जांच की जा रही है। हम सभी संभावनाओं पर काम कर रहे हैं, और जल्द ही हमलावरों को पकड़ा जाएगा।' मीडिया के बीच हलचल मच गई। सभी पत्रकार इस बयान से संतुष्ट नहीं थे। पुलिस की जांच में अभी तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकला था।"
"एक रिपोर्टर ने खड़े होकर सवाल किया, 'क्या आरव के हमलावरों को पकड़ने में पुलिस असक्षम है, या फिर इस जांच को जानबूझकर धीमा किया जा रहा है?'"
"मुख्य जांच अधिकारी इस सवाल पर असहज हो गए। उन्होंने जवाब देने की कोशिश की, लेकिन कुछ खास बोल नहीं पाए, बस वो बोले— 'हम इस मामले में पूरी सक्रियता से काम कर रहे हैं।' इसके बाद अचानक से वो खड़े हुए और प्रेस कॉन्फ्रेंस छोड़कर चले गए।" "अब सोशल मीडिया पर #पुलिसमुर्दाबाद का ट्रेंड चलने लगा। लोग पुलिस की नाकामी पर सवाल उठाने लगे थे।"
"जनता जानना चाहती थी कि आखिर कब तक इस हमले की सच्चाई छुपाई जाएगी और दोषियों को कब तक बचाया जाएगा।"
"देश के कई बड़े शहरों में लोग अब सड़कों पर उतर आए थे। जनता ने शांतिपूर्ण मार्च निकालने शुरू कर दिए थे, जहाँ वे आरव के लिए न्याय की मांग कर रहे थे। अस्पताल के बाहर समर्थकों की भीड़ दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही थी। लोग मोमबत्तियाँ जलाकर उसके ठीक होने की प्रार्थना कर रहे थे, जबकि कुछ प्रदर्शनकारी सरकार के खिलाफ नारे लगा रहे थे।"
"इसी दौरान, आरव के कुछ करीबी दोस्तों ने एक सीक्रेट मीटिंग बुलाई। इस मीटिंग में सभी ने इस हमले के पीछे की सच्चाई को जानने के लिए अपनी-अपनी बात रखी। श्रेया, आरव की सबसे करीबी दोस्त थी, वो भी इस मीटिंग में थी।"
श्रेया: "'यह हमला किसी नार्मल रीज़न से नहीं हुआ। आरव ने कई लोगों के गलत काम को बंद करवाया था। यह एक गहरी साजिश है, और हमें खुद इसका सच ढूंढना होगा। पुलिस तो अपना काम कर रही है, लेकिन हमें अपने स्तर पर सुराग ढूंढने होंगे। अगर हम खुद सबूत जुटा सकें, तो शायद सच्चाई तक पहुँच पाएं।'"
"मीटिंग में आए सभी लोगों के विचार अलग-अलग थे, पर सब एक बात पर सहमत थे कि पुलिस के भरोसे बैठना सबसे बड़ी गलती होगी। क्योंकि अगर पुलिस को कुछ करना होता तो वो अब तक कर चुकी होती, वो केवल बातों को घुमा रही थी।" "फिर सबने मिलकर तय किया कि सोशल मीडिया का उपयोग कर सुराग ढूंढने की कोशिश करेंगे।"
"वेव सोशल मीडिया की सीईओ नीना को भी पता चल गया था कि आरव के दोस्त कोई प्लानिंग कर रहे थे। वो भी साथ आना चाहती थी, पर ऐसे अचानक से कोई उस पर भरोसा क्यों करता? इसलिए उसने एक प्लान बनाया। उसने अपने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट किया।"
नीना : "'क्यों कोई कुछ नहीं बता रहा है? डॉक्टर भी कुछ नहीं बोल रहे हैं? क्या आरव मर चुका है? और इसलिए सच हमसे छुपाया जा रहा है?'"
"इस वीडियो के नीचे नीना ने बस एक लाइन लिखी थी— 'आरव मर चुका है?' जैसे ही ये वीडियो सोशल मीडिया पर आया, एक भूचाल आने लगा। लोगों ने लाइन के आखरी का क्वेश्चन मार्क बिना देखे ही ये मान लिया कि आरव मर चुका है।"
"इस अफवाह ने पूरे देश में उथल-पुथल मचा दी। लोगों के दिलों में गुस्सा भर गया, और यह गुस्सा सड़कों पर दंगों के रूप में फूट पड़ा। कई शहरों में लोग हिंसा पर उतर आए, और सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुँचाया जाने लगा।"
"नीना के इस बयान के बाद सरकार ने तुरंत कार्रवाई की। उन्हें सोची-समझी साजिश के तहत अफवाह फैलाने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया।"
नीना : "'मैंने सिर्फ सवाल उठाया था, सच जानने की कोशिश की थी। इसमें मेरी कोई गलती नहीं है।'"
"सरकार के लिए अब यह जरूरी हो गया था कि वह इस स्थिति को काबू में करे, और इसी कारण नीना को गिरफ्तार कर लिया गया लेकिन सोशल मीडिया पर लोग तो नीना को आरव का साथी मान चुके थे, इसलिए उन्हें लगा कि आरव के साथियों को गिरफ्तार किया जा रहा है। बस फिर क्या था, सरकार के लिए यह मामला उल्टा पड़ गया, और उन्हें नीना को छोड़ना पड़ा।"
“पर क्या नीना अपने प्लान में कामयाब हो पाई? आखिर क्या था नीना का प्लान?”
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