​​एक तरफ़ जहाँ फ़ोन कॉल से इंस्पेक्टर मलिक नदी से रास्ता देखते हुए अपने पुलिस स्टेशन की तरफ भागे थे तो वहीं इधर दूसरी तरफ मैथिली की जब अचानक से आंख खुली तो वो हैरान हो गई। उसने देखा वो किसी टेंट के अंदर बिस्तर पर सोई हुई है। उसे एक पल के लिए डर लगा, वह चिल्लाते हुए उठ गई। अगले ही पल वहाँ पर एक आदमी आया। वह एक Navy Officer था। ​

​​मैथिली ने जैसे ही उस Navy Officer को देखा उसकी आँखों से आंसू निकलने लगे। वो समझ गई थी कि उसी officer ने उसे बचाया है। मैथिली को इस तरह से रोता देख, Navy Officer समझाते हुए बोला,​  आपको घबराने की जरूरत नहीं है। हम training के लिए यहाँ आए थे, उसी वक्त आपको दूर से नदी के पानी में बहता हुआ देखा, हमारी team ने ही आपको  rescue किया है.....(Pause)....मुझे समझ नहीं आ रहा है कि आपके साथ हुआ क्या?"​

​​मैथिली ने जब ये सुना तो उसे वो सारी घटनाएं एक पल में याद आ गई, जो कुछ भी उसके साथ घटी थी। उसके सामने कुमार का वो खौफनाक चेहरा अभी भी था। मैथिली को यकीन नहीं हो पा रहा था कि उसने life में पहली बार किसी पर इस तरह चाकू से हमला किया था। मैथिली ने रोते हुए कहा,​

​​मैथिली(आभार व्यक्त करते हुए) : "मैं आपका जितना धन्यवाद करूं.... कम है... आपने मेरी जान बचा कर मुझ पर बहुत बड़ा एहसान किया है...."​

​​उस Navy Officer ने मैथिली को शांत करते हुए कहा, ​​"ऐसा मत कहिए... हमने जो किया वो हमारा फ़र्ज़ था.... वैसे आप मुझे अपने बारे में कुछ बता पाएंगी तो फिर मैं आपके घरवालों को यहाँ बुला सकता हूँ।"​

​​तभी मैथिली ने अपने गांव का नाम लिया। Navy Officer ने जैसे ही गांव का नाम सुना। उसने तपाक से कहा,​  "ये गांव तो इंस्पेक्टर मलिक के under आता है... 1 मिनट आप यहाँ रुकिएगा मैं उन्हें खबर देकर आता हूँ....वो आपके घर वालों को यहाँ ले आएँगे। आपको यहाँ घबराने की जरूरत बिल्कुल भी नहीं है। आप यहाँ एकदम safe हैं।"​

​​अगले ही पल वो navy officer टेंट से बाहर निकला और उसने इंस्पेक्टर मलिक को फ़ोन लगाया मगर इंस्पेक्टर मलिक फ़ोन उठा ही नहीं रहे थे। दो से तीन बार फ़ोन करने के बाद भी जब इंस्पेक्टर मलिक ने फ़ोन नहीं उठाया तो वो Navy Officer सोचने लगा कि आखिर क्या बात हो सकती है क्योंकि उन्हें भी अब किसी खतरे का आभास हो गया था।​

​​इधर दूसरी तरफ करीब 1 घंटे के बाद जैसे तैसे करके इंस्पेक्टर मलिक अपने लोगों के साथ थाने पहुंचे। वो थाने के अंदर आए ही थे कि उनकी आँखों को हैरानी का सामना करना पड़ा। एक कांस्टेबल ने बताया कि ये कुमार के माँ बाबा हैं और कुमार के गायब होने की खबर लिखवाने आए हैं। ​

​​इंस्पेक्टर मलिक ने जैसे ही ये सुना वो ज़ोर ज़ोर से हंस पड़े। उन्होंने हंसते हुए कहा,​

​​इंस्पेक्टर मलिक(हंसते हुए) : "अरे!!...गजब मतलब जो लड़का दूसरों की बेटी को गायब करता फिर रहा है, उसके माँ बाप उसी के गायब होने की खबर लिखवाने आए हैं। मतलब घोर कलयुग है घोर कलयुग....सही कहा है किसी ने...."​

​​इंस्पेक्टर मलिक के मुँह से ऐसी बातें सुनकर कुमार के बाबा बुरी तरह से भड़क गए, उन्हें अभी तक कुमार या मैथिली के बारे में कुछ भी पता नहीं था। उन्होंने आगे बताया, ​​"कुमार न जाने कहाँ चला गया है। पिछले कई दिन से वो घर नहीं आया है। उसके बाबा ने उसे गुस्से से घर से निकाल दिया था…फ़िर ना जाने वो कहां गया… इधर कुछ दिनों से वो बहुत ज्यादा बिगड़ गया है।"​

​​इतना कहकर अचानक से कुमार की माँ रोने लगी तभी कुमार के बाबा ने इंस्पेक्टर को आगे बताया कि जब कुमार आज सुबह भी घर नहीं आया तो उन्हें थोड़ी हैरानी हुई मगर उन्होंने इस बात को नज़रअन्दाज़ कर दिया और वो काम पर चले गए। अभी जब शाम हो जाने के बाद भी कुमार घर नहीं आया तो उन्हें चिंता होने लगी। उन्होंने पूरे गांव में ढूंढा मगर किसी से कुछ नहीं पता चला। हर कोई यही कहता फिर रहा है कि कुमार बाज़ार में ही था, मगर फ़िर कहां गया, नहीं पता। इंस्पेक्टर मलिक ये सब कुछ बड़े ध्यान से सुन रहे थे। उन्होंने मन ही मन कहा,​

​​इंस्पेक्टर मलिक(लाचारी से) : "बेचारे माँ बाप कितने भोले हैं, इनको जब अपने बेटे का किया हुआ कांड के बारे में पता चलेगा तो इन पर क्या बीतेगी.... ना जाने कुमार ऐसा क्यों बन गया...क्या कहानी है उसके ऐसा बनने की?"​

​​इंस्पेक्टर मलिक ये सब सोच ही रहे थे तभी अचानक से पीछे से एक आदमी भागता हुआ आया और उसने कहा, ​​"सर आपके फ़ोन पर किसी अननोन नंबर से तीन से चार बार फ़ोन आ चुका है।"​ ​​इंस्पेक्टर मलिक ने अगले ही पल फ़ोन लिया और देखा मगर वो उस नंबर को पहचान नहीं पाए। इंस्पेक्टर मलिक ने उस नंबर पर फ़ोन लगाया। थोड़ी देर बात करने के बाद ही उन्हें पता चला कि एक Navy Officer ने एक लड़की को बचाया है, जिसका नाम मैथिली है। ​

​​मैथिली का नाम जैसे ही इंस्पेक्टर मलिक ने सुना वो अपनी कुर्सी से खड़े हो गए, उनकी आँखों में चमक आ गई। उन्होंने तुरंत ही उस Navy Officer को thanks कहने के बाद यकीन दिलाया कि वो जल्द ही उस जगह पर पहुँच रहे हैं। ​​इंस्पेक्टर मलिक कुछ कहने वाले थे कि उन्होंने कुमार के मां बाबा को सामने देखा, उनके सामने इंस्पेक्टर मलिक खुल के कुमार का नाम ले नहीं सकते थे इसलिए इंस्पेक्टर ने उन दोनों को भरोसा दिलाया कि बहुत जल्द ही कुमार को वो उन दोनों के सामने लेकर आएँगे। दोनों जैसे ही बाहर गए, इंस्पेक्टर मलिक ने अपनी पूरी टीम को समझाते हुए कहा, ​

​​इंस्पेक्टर मलिक(order देते हुए) : "देखो हम कुछ लोगों को लेकर मैथिली के पास जा रहे हैं और माधव जी आप कुछ लोगों को लेकर उस बंगले पर पहुंचिए...वो लड़का कुमार वहीं होगा और ध्यान रहे...firing नहीं करनी है और अगर बदले में कुमार ने firing की तो कोशिश करिएगा कि उसको गोली ना लगे और ना ही कुछ हो.... हमको वो लड़का जिंदा चाहिए..."​

​​करीब 5 मिनट के अंदर ही थाने से दो टीम निकली, एक टीम इंस्पेक्टर मलिक के साथ उस base की ओर निकली, जहाँ पर मैथिली को rescue करके रखा गया था, वहीं इधर दूसरी तरफ दूसरी टीम सब इंस्पेक्टर माधव जी के साथ उस बंगले में तलाशी लेने के लिए निकली, जहाँ पर उन लोगों को कुमार के होने की उम्मीद थी मगर उनको नहीं पता था कि कुमार पानी के अंदर डूब चुका था, वह जिंदा था या उसके साथ क्या हुआ था, ये एक बहुत बड़ा सवाल बन चुका था।​

​​करीब 1 घंटे के अंदर ही इंस्पेक्टर मलिक और उनकी टीम होश उस जगह पर पहुँच गई। उनके साथ जीतेंद्र और रीमा भी मौजूद थे। इंस्पेक्टर मलिक ने उन दोनों को रास्ते में ले लिया था क्योंकि वो जानते थे कि इस वक्त मैथिली को उन दोनों की बहुत जरूरत है। मैथिली ने जैसे ही अपने सामने जीतेंद्र और रीमा को देखा वो भागते हुए उन दोनों के पास पहुंची, उसने दोनों को गले लगा लिया और फूट फूट कर रोने लगी। जीतेंद्र और रीमा मैथिली को समझाते हुए, उसे शांत करने की कोशिश करने लगे।​ ​​वहीं इंस्पेक्टर मलिक ने navy officer से गले लगते हुए कहा, ​

​​इंस्पेक्टर मलिक(ख़ुशी से) : "thank you officer....आपको पता नहीं है कि आपने हमारी कितनी बड़ी मदद की है। वैसे हमको समझ नहीं आया कि ये लड़की आपको पानी में मिली कहाँ से....मतलब क्या इसके साथ कोई लड़का भी था क्या? आप ज़रा हमको कुछ बताएगा ताकि हमारी थोड़ी और मदद हो सके।"​

​​Navy Officer ने साफ साफ कह दिया कि मैथिली अकेली थी और उसकी हालत खराब थी। जब उसकी team ने मैथिली को rescue किया था। थोड़ी देर तक बात करने के बाद इंस्पेक्टर मलिक को इतना समझ में आ गया कि मैथिली पानी में बहते हुए अकेली आई थी।​

​​इधर दूसरी तरफ जब माधव जी अपने लोगों को लेकर उस बंगले पर पहुंचे तो उन्हें निराशा के अलावा और कुछ भी हाथ न लगा क्योंकि पूरा बंगला खाली था और सामान बिखरे हुए थे। माधव जी के पास एक constable ने आते हुए कहा,​​ "सर उस कमरे में कुछ सेब कटे हुए हैं, जिससे पता चलता है कि वो लड़का यहीं था और उसने मैथिली को यहीं पर रखा था।"​ ​​अब माधव जी को कुमार के वहां होने का सुबूत भी मिल चुका था, मगर उनको ये समझ नहीं आ रहा था कि इस वक्त कुमार कहां है?​

​​पूरे 3 घंटे तक उस बंगले में और आसपास की जगह में तलाशी लेने के बाद भी जब कुमार कहीं नहीं मिला तो माधव जी और उनकी टीम झल्ला गई। उनको समझ ही नहीं आ रहा था कि आखिर कुमार गया तो गया कहाँ? माधव जी ने इंस्पेक्टर मलिक को पूरी बात फ़ोन पर बताई। ये सुनने के बाद इंस्पेक्टर मलिक भी सोच में पड़ गए थे। उन्होंने माधवजी से पूछा, ​

​​इंस्पेक्टर मलिक(सोचते हुए) : "माधव जी आप लोग अच्छे से तो तलाशी लिए हैं ना? काहे कि यहाँ Navy Officer का कहना है कि मैथिली अकेली थी.....(pause)....तो हमको जहाँ तक लगता है वो कुमार समझ गया होगा कि मैथिली को पकड़ना अब मुश्किल है तो इसलिए वो या तो बंगला में छुपा होगा या तो फिर गांव में छुपा होगा....लेकिन उसके माँ बाप का थाना आना ये सबूत है कि वो गांव में तो है ही नहीं तो वो उस बंगले में ही कहीं होगा।"​

​​इंस्पेक्टर मलिक के कहने पर माधव जी ने एक बार फिर से उस बंगले का चक्कर लगाया, मगर कुमार कहीं पर भी नहीं था। आखिर में वह सारे लोग परेशान हो गए थे।​ ​​वहीं पूरे गांव में यह खबर फैल गई थी कि मैथिली को कुमार ने गायब किया था और अब मैथिली मिल चुकी है मगर कुमार कहाँ चला गया है, किसी को पता ही नहीं है। गांव वालों ने जब यह सुना तो मैथिली के पिताजी, मुखिया और कुछ गांव वालों के साथ हाथ में लाठी लिए कुमार के घर के बाहर आ धमके। ​

​​घर के बाहर कुमार के माँ बाबा सिर पर हाथ धरे बैठे थे। उन्होंने जब मुखिया जी और बाकी लोगों को देखा तो वो बुरी तरह से डर गए। उनको अभी तक कुछ भी नहीं पता था। कुमार के बाबा ने मुखिया जी से पूछा,​​ "क्या बात है, मुखिया जी, क्या कोई खतरा आ गया गांव में?"​ ​​तभी मुखिया जी ने चिल्लाते हुए कहा, "​​अरे खतरा तो तुम्हारा बेटा बनकर आया है, हमारे गांव की औरतें और लड़कियां अब सुरक्षित नहीं है, बताओ कहाँ छुपा कर रखा है तुमने अपने बेटे को?"​

​​मुखिया जी ने जैसे ही ये कहा, सारे लोग एक साथ चिल्लाए, कुमार की माँ ये देखकर भड़क गई। वो अपने बेटे के खिलाफ़ एक लब्ज़ भी नहीं सुनना चाहती थी, मगर तभी थोड़ी ही देर में लोगों की भीड़ और आक्रोश से दोनों को पता चल गया कि कुमार ने आखिर क्या किया है? ​

​​कुमार के बाबा ने जब सच सुना वो अपना सर पीटने लगे। उन्होंने अपनी पत्नी पर गुस्सा करते हुए कहा, ​​"देखा...मैं ना कह रहा था हमारा बेटा हमारे हाथ से निकल चुका है, मगर तुम हमेशा उसे बचाती रही...बचपन में जैसे मैं उसे खींच के थप्पड़ लगाता था अगर बड़ा होने के बाद भी उसे थप्पड़ मार दिया होता तो आज ये नौबत नहीं आती।"​

​​“आप तो कहिए ही मत…अगर आपने उसे घर से नहीं निकाला होता तो आज मेरा बेटा मेरे सामने होता…मुझे यकीन है वो बेकसूर है….” ​​कुमार की मां ने सख़्ती से कहा।​

​​उन दोनों की बातों को सुनने के बाद गांव वालों को इतना तो पता चल गया था कि कुमार के माँ बाप को उसके बारे में कुछ भी नहीं पता है। मैथिली के पिताजी को दोनों पर दया आ गई, वो सभी को लेकर वहां से जाने लगे। उनके जाते ही कुमार की मां फूट फूट कर रोने लगी।​ ​​शाम के करीब 7 बजे तक मैथिली अपने गांव आ चुकी थी। इस वक्त वो घर के बाहर वाले आंगन में बैठी हुई थी। पूरा गांव उसे देखने के लिए आया था। मैथिली ने सब कुछ इंस्पेक्टर को बता दिया था कि कुमार कैसे उसे लेकर गया था और कैसे मैथिली ने उसके पेट में चाकू मारा और फिर वो वहाँ से भाग निकली और बेहोश होकर गिर पड़ी। ​ ​​पूरी बात बताने के बाद मैथिली ने हाथ जोड़तें हुए इंस्पेक्टर से कहा,​

​​मैथिली(उम्मीद लिए) : "इंस्पेक्टर सर वो कुमार बहुत खतरनाक हैं। वो 16 साल का मेरा स्टूडेंट अब नहीं रह गया है, वो एक psycho बन चुका है इसलिए प्लीज़ उसे जल्दी से ढूंढ निकालिए क्योंकि वो कहीं ना कहीं मेरे पास दोबारा आएगा और मैं नहीं चाहती कि वो मुझे...."​

​​मैथिली कह ही रही थी कि तभी जीतेंद्र ने उसे भरोसा दिलाते हुए कहा कि इस बार अगर कुमार उसके नजदीक भी आया तो वो उसे जान से मार देगा। जीतेंद्र को वहीं लगा कि एक बात मैथिली stable हो जाए फिर वो उससे माफ़ी मांग लेगा। उसी वक्त इंस्पेक्टर मलिक ने सभी को देखते हुए कर कहा​,

​​इंस्पेक्टर मलिक(confidently ) "आप लोग चिंता मत कीजिए, इंस्पेक्टर मलिक पर आप लोग भरोसा रखिए। जैसे मैथिली मिल गई है... बहुत जल्द ही कुमार आप सबके सामने होगा....जिंदा या फिर.....(pause)....मुर्दा..."​

क्या कुमार वाकई मर चुका है या वो कोई नई चाल तैयार कर रहा है?

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

 

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