रात चाहे कितनी ही बोझिल क्यों न हो, लेकिन वह एक दिन ढलती ज़रूर है… भूषण के लिए यह एक ऐसी ही रात थी, जिसने उसे अपने मन का बोझ हल्का करने का मौका दिया था। सुबह की ताजी हवा गेस्टहाउस के चारों तरफ तैर रही थी, खिड़कियों से छनकर आती धूप कमरे को हल्की गर्माहट से भर रही थी। भूषण ने रात भर चैन की नींद ली थी, जो उसकी जिंदगी में कम ही हुआ करता था। सुबह उठते ही उसने अपनी डायरी निकाली और उसमें कुछ लिखा। यह दूसरा दिन था, जब उसने अपने दिल की बात डायरी में उतारी थी। इस बार वह बदला लेने की भावना को अलविदा कह रहा था। पन्ने पर लिखे शब्द उसके अंदर चल रहे संघर्ष को सुलझाने की कोशिश कर रहे थे। नाश्ते के वक्त सब लोग अपने-अपने कमरों से बाहर आ चुके थे। राघव, विराज, शौर्य और प्रिया जंगल की सैर का प्लान बना चुके थे। मंदिरा के बिना यह ग्रुप अधूरा लग रहा था। भूषण ने चाय का घूंट लेते हुए प्रिया से पूछा,
भूषण(ढूंढते हुए)- मंदिरा कहां हैं..वह दिखी नहीं.. बाहर भी नहीं थी..
प्रिया ने जवाब देते हुए कहा, “वह सुबह वॉक पर गई थीं। फिर वापस आकर सो गईं।”
भूषण को यह सुनकर थोड़ा अजीब लगा, उसने हैरानी से कहा
भूषण(हैरान)- लेकिन उन्होंने तो कहा था कि वह भी साथ चलेंगी। फिर अब?
प्रिया ने असमंजस भरी नजर शौर्य की ओर डाली। शौर्य ने राघव की ओर देखा, और राघव ने विराज की ओर। विराज ने कहा, “रुको, मैं मंदिरा को देख कर आता हूं।” विराज मंदिरा के कमरे की ओर बढ़ा। उसने दरवाजा खटखटाया और आवाज दी, “मंदिरा! क्या तुम ठीक हो?” अंदर से कोई जवाब नहीं आया। विराज थोड़ा परेशान हुआ और फिर से आवाज लगाई। इस बीच भूषण भी वहां आ गया। उसने दरवाजे पर दस्तक दी और कहा,
भूषण(फ़िक्र से)- मंदिरा? क्या हुआ? आप ठीक हैं?
भूषण ने तेज़ आवाज़ में सवाल पूछा लेकिन भीतर से कोई जवाब नहीं आया, विराज ने दरवाजा हल्के से खोला। मंदिरा बिस्तर पर लेटी हुई थीं। भूषण ने तुरंत अंदर कदम रखा और मंदिरा के माथे पर हाथ रखा। वह तेज बुखार से तप रही थीं..भूषण का हाथ लगते ही मंदिरा घबराकर उठी और बोली
मंदिरा (घबरा कर )- क्या हुआ?
भूषण(चिंता भरी आवाज़ में)- आपको बहुत तेज बुखार है
मंदिरा ने अपनी आंखें झपकाई और धीरे से कहा,
मंदिरा (समझाते)- नहीं, भूषण, बस थोड़ी हरारत है। मैं बिल्कुल ठीक हूं....
मंदिरा खुद को ठीक बता रही थी, लेकिन भूषण उनकी हालत देखकर मानने को तैयार नहीं था। भूषण ने उसकी बात को दरकिनार करते हुए कहा
भूषण (नकारते हुए)- आपकी हालत देखकर ऐसा नहीं लगता। आपको आराम की जरूरत है…
इतने में बाकी लोग भी वहां आ गए, जब उन्होंने मंदिरा की हालत देखी, तो सबने जंगल का प्लान cancel करने की सोची, लेकिन भूषण ने सबको रोकते हुए कहा,
भूषण (समझाते)- आप लोग जाइए। मैं यहाँ रुककर मंदिरा जी का ख्याल रख लूंगा....
थोड़ी-सी ना-नुकर के बाद सब तैयार हो गए और जंगल की ओर रवाना हो गए। मंदिरा ने भी सबको जाने के लिए समझा दिया, उसके बाद भूषण ने किचन में जाकर चाय बनाई और उसे लेकर मंदिरा के कमरे में आया। मंदिरा खिड़की के पास खड़ी थीं, बाहर पहाड़ों की ओर देखती हुई। उसकी आंखों में हल्की थकावट थी, लेकिन चेहरा अब भी हिम्मत से भरा हुआ था। भूषण ने उसकी तरफ चाय बढ़ाते हुए कहा
भूषण- चाय...इससे अच्छा महसूस होगा..
मंदिरा ने कप लिया और धीरे-धीरे चाय की चुस्कियां लेने लगी। कुछ देर तक कमरे में खामोशी रही। फिर भूषण ने अचानक पूछा,
भूषण (सवाल)- मंदिरा, क्या तुम्हें कभी किसी से बदला लेने का मन हुआ है?
मंदिरा ने उसकी तरफ देखा, उसके चेहरे पर एक गहरी गंभीरता आ गई। उसने हंसते हुए कहा
मंदिरा (टालने वाला हँसते)- यह कैसा सवाल है, भूषण?
भूषण (सोच ज़ाहिर करते)- बस ऐसे ही, मैं सोच रहा था... जब किसी का दिल टूटता है या कोई रिश्ता खत्म हो जाता है, तो बदले की भावना क्यों आती है? क्यों हम खुद को ठगा हुआ महसूस करते हैं?
मंदिरा ने चाय का कप मेज पर रखा और bed से उठकर कुर्सी पर बैठ गईं। भूषण की तरफ देखकर बोली :
मंदिरा- जब रिश्ता एक तरफ से खत्म होता है, जब हमें किसी से चोट लगती है, तो हम खुद महसूस करते हैं कि उसने जो किया, वह गलत था, तब रिश्ता खत्म होने के बाद बदला लेना का सोचना हमारा एक natural reaction है, लेकिन यह भावना हमें अंदर से खोखला कर देती है। इस reaction से बचने का उपाय जानते हो क्या है? खुद को और मज़बूत बना लेना.. इतना कि यह छोटे-मोटे तूफ़ान तुम्हें गिरा न पायें…
भूषण ने कुछ देर सोचा, फिर मंदिरा की बात को समझते हुए कहा,
भूषण (सवाल)- तो इसका मतलब है कि हमें बदले की बजाय खुद को बदलने की कोशिश करनी चाहिए?
मंदिरा(हामी भरते हुए)-बिल्कुल! बदलाव से आप अपने दर्द को पॉजिटिव डायरेक्शन दे सकते हैं। जब आप बदलाव पर ध्यान लगाते हैं, तो आपका फोकस उस इंसान पर नहीं रहता जिसने आपको चोट पहुंचाई, बल्कि खुद पर रहता है।
भूषण(धीरे से मुस्कुराते हुए)- शायद यही वजह है कि मैं तुमसे यह सब पूछ रहा हूं। मुझे ऐसा लगता है कि मेरे अंदर कुछ बदल रहा है...शायद तुम्हारा असर है, लेकिन मंदिरा क्या कभी तुमने किसी का दर्द समझा है और उसे माफ किया है?"
मंदिरा के चेहरे पर हल्की मुस्कान आई, उसने उसी गहरी मुस्कान के साथ कहा
मंदिरा (मुसकुराते)- हां, भूषण, माफ करना सबसे मुश्किल काम है, लेकिन यह आपको सबसे ज्यादा राहत देता है। किसी को दी हुई माफी से आप खुद को आजाद करते हैं।
भूषण ने गहरी सांस ली और पूछा
भूषण (सवाल)- तो क्या माफ करना बदलाव का हिस्सा है?
मंदिरा(हामी भरते हुए)- माफी और बदलाव साथ चलते हैं। जब आप माफ करते हैं, तो आप अपने अंदर की नफरत को खत्म करते हैं, और यही बदलाव की शुरुआत है। अगर तुम यहाँ से लौटते वक्त इसी बात पर कायम रहे तो शायद यही तुम्हारी असली जीत होगी, भूषण।
जहाँ एक तरफ पहाड़ों की ठंड में मंदिरा भूषण को माफ़ी और बदलाव के बारे में समझा रही थी, वहीँ दूसरी तरफ मुंबई में ठण्ड नहीं बल्कि दोपहर की गर्मी बरस रही थी। रिनी के चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कान खिल रही थी, उसकी आँखों में एक गहरी चिंगारी थी, जैसे वह किसी खतरनाक खेल की शुरुआत करने वाली हो। पिछली रात की बातें उसके दिमाग में गूंज रही थीं, जब उसने भूषण से बदला लेने की बात सोच ली थी। अब वह कदम दर कदम आगे बढ़ रही थी। रिनी ने कुछ सोचते हुए फोन उठाया और एक नंबर डायल किया… उसकी आँखों में ठंडक थी, लेकिन दिल में जलती हुई आग। रिनी जानती थी कि इस खेल में जितना गहरा उतरेगी, उतना ही मजा आएगा। उसका लक्ष्य सिर्फ एक था, वह था भूषण को रास्ते से हटाना, और इस में वह किसी भी हद तक गिरने को तैयार थी। रिनी ने फ़ोन और किसी को नहीं बल्कि अविनाश को मिलाया था..अविनाश ने कुछ देर बाद कॉल उठाया, और रिनी की आवाज सुनते ही उसकी आँखों में एक हल्का सा डर नजर आया। उसने थोडा रुककर पूछा, “क्या हो रहा है, रिनी?” उसकी आवाज में एक कसा हुआ तनाव था, लेकिन रिनी की हंसी में कोई दया नहीं थी… उसने हंसते हुए कहा
रिनी(हँसते हुए)- कुछ खास नहीं,बस तुमसे मिलने का मन था...address भेज रही हूँ..देर मत करना..
अविनाश ने बिना कोई सवाल किए, मिलने का तय किया। वह जानता था कि रिनी के कॉल आने का मतलब वह कुछ गलत करने वाली थी। दोपहर को दोनों एक कॉफी शॉप में मिले। अविनाश नर्वस बैठा हुआ था, और रिनी उसके सामने रखी कुर्सी पर आराम से बैठी थी। उसने अपने बैग से एक कार्ड निकाला और धीरे से उसे अविनाश के हाथ में रख दिया। अविनाश ने कार्ड को देखा और बिना किसी excitement से पूछा, “यह क्या है?” रिनी ने एक गहरी हंसी के साथ जवाब दिया,
रिनी(घमंड के साथ)- तुम्हारे लिए है… एक रास्ता, एक मौका...
उसने कार्ड पर नजर डाली, और पढ़ते हुए कहा, “अनमोल शिंदे???यह कौन है?” रिनी ने हल्का सा आगे झुककर कहा,
रिनी(ऐंठते हुए)- गेम्स की दुनिया का उभरता हुआ नाम है... और एक बात याद रखना, भूषण से लाख गुना ज्यादा अच्छा है। मेरा काफी करीबी दोस्त है, और बहुत जल्द तुम्हें इसकी मदद की ज़रूरत पड़ेगी।
अविनाश ने चौंकते हुए कहा, “मुझे क्यों बता रही हो?” रिनी ने अविनाश को धमकी देते स्वर में कहा
रिनी(धमकी भरे अंदाज़ में)- क्योंकि तुम अब भूषण के खिलाफ हो, और मेरी टीम में हो। भूषण अब कोई काम नहीं करेगा, उसका वक्त खत्म होने वाला है।
अविनाश ने धीरे से अपना गिलास नीचे रखा और रिनी की आँखों में झांकते हुए कहा, “तुम कह क्या रही हो? इसका मतलब क्या है?” रिनी के चेहरे पर एक खतरनाक मुस्कान आ गई, उसने धीरे से कहा,
रिनी(रीलैक्स मूड में)- भूषण को रास्ते से हटाने जा रही हूँ। वह जिंदा रहेगा तो मेरे गले की हड्डी बनकर रहेगा। मुझे क्षितिज के साथ ज़िन्दगी जीनी है… एक ऐशो-आराम वाली ज़िन्दगी…
रिनी की बात सुनकर अविनाश के चेहरे पर घबराहट आ गई थी, वह समझ चुका था कि रिनी के दिमाग में क्या चल रहा था। रिनी ने उसके घबराए हुए चेहरे पर नज़र डाली और फिर धीरे से कहा
रिनी(शैतानी मुस्कान के साथ)- तुमसे मुझे कुछ चाहिए, अविनाश। भूषण का पता … सिर्फ तुम ही जानते हो वह कहाँ है। मैंने उसके चारों फ्लैट्स देख लिए, वह कहीं नहीं हैं....
रिनी की आवाज में अब कोई भी हिचकिचाहट नहीं थी। अविनाश का चेहरा तमतमा गया, उसे डर भी लगने लगा। उसने हैरानी से कहा, “तुम मुझे क्यों यह सब बता रही हो? और क्या पागलपन है यह... मैं कुछ नहीं जानता..” रिनी ने उसकी तरफ खौ़फनाक नज़र डालते हुए कहा,
रिनी(गहरी सांस लेकर)- सोच लो, अविनाश, तुम्हारे पास कोई रास्ता नहीं है। तुम मुझे भूषण का पता बताओ, वरना मैं तुम्हारी जिंदगी की सबसे बड़ी गलती को तुम्हारी बीवी के सामने रख दूंगी। ”महिमा की महिमा” सब उसके सामने आ जायेगा... तुम्हारा नाजायज़ रिश्ता....
रिनी की बात सुनकर अविनाश की धड़कनें तेज हो गईं, उसने हकलाते हुए कहा “तुम... तुम मुझे धमकी दे रही हो?"
रिनी(झूमते हुए)- हाँ, मैं तुम्हें धमकी दे रही हूँ। अगर तुमने मुझे उसका पता नहीं बताया, तो मैं तुम्हारी बीवी को तुम्हारे अफेयर के बारे में बता दूँगी... और फिर तुम्हारी बेटी, उसे भी बताऊँगी। तुम सोच पा रहे हो कि क्या होगा? तुम्हारी ज़िंदगी टूट जाएगी, अविनाश।
अविनाश घबराया हुआ था, उसके सामने अब कोई और रास्ता नहीं था। वह जानता था कि अगर उसने रिनी की बात नहीं मानी तो उसकी पूरी ज़िंदगी बर्बाद हो सकती है। अविनाश ने हार मानते हुए कहा, “ठीक है। मैं बता दूँगा... भूषण कहाँ है”। अविनाश की मंज़ूरी सुनकर रिनी के चेहरे पर एक खतरनाक मुस्कान आ गई। रिनी ने उसकी तरफ देखते हुए कहा
रिनी (क्रूर मुस्कान )- वेरी गुड। तुमने तो अपने आप को बचा लिया, लेकिन अब तुम्हारे दोस्त को कौन बचाएगा?
क्या रिनी रचेगी भूषण की मौत की साजिश? क्या रिनी होगी अपनी साजिश में कामियाब? क्या मंदिरा और भूषण आयेंगे एक दूसरे के करीब?
जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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