मंदिरा (खुद से): “नहीं, भूषण को कुछ भी पता नहीं लगना चाहिए”

मंदिरा ने यह शब्द  भूषण को देखकर मन ही मन कहे थे। भूषण ने उसे हैरानी के साथ देखा। उसके चेहरे पर उलझन साफ झलक रही थी, ऐसा तब हुआ जब प्रिया बाहर आई और बोली “मंदिरा दीदी, शोभा आंटी का फोन है, US से....जैसे ही मंदिरा ने यह  शब्द सुने, उसके चेहरे का रंग बदल गया। उसकी आँखों में एक अनजाना डर उतर आया। उसने अपनी भावनाओं को छिपाने की कोशिश की, लेकिन वह नाकाम रही। उसने भूषण की ओर देखा, मानो वह यह  चाहती हो कि वह इस बारे में कुछ न पूछे, लेकिन भूषण के चेहरे पर हैरानी और सवाल दोनों साफ झलक रहे थे। मंदिरा ने भूषण की तरफ देखा और कहा

मंदिरा(मुस्कुराकर)- मुझे यह कॉल लेना होगा,

मंदिरा ने जल्दी से कहा और प्रिया के हाथ से फोन लेकर वह गेस्ट हाउस के अंदर चली गई और एक कमरे में जाकर दरवाजा अंदर से बंद कर लिया। उसने गहरी सांस ली और फोन उठाकर कहा,

मंदिरा(नाराज़गी से)- मैडम,  मैंने कितनी बार आपसे कहा है कि आप…

मंदिरा आगे कुछ बोल पाती, उससे पहले ही फोन के दूसरी तरफ से आवाज आई, “मासी... मैं CHERRY बोल रही हूँ।” सुनते ही मंदिरा का दिल धड़क उठा, यह आवाज उसकी बहन की बेटी CHERRY की थी। मंदिरा ने अपनी आवाज को संयम में रखते हुए पूछा।

मंदिरा(प्यार से)- CHERRY... बच्चा... तुमने फोन किया? वह भी शोभा आंटी के फोन से?

मंदिरा की बात पर CHERRY ने मासूमियत से कहा मासी, “शोभा अम्मा घर पर नहीं हैं। उनका फोन मेरे पास है,”। CHERRY की बात सुनकर मंदिरा हैरान रह गई। उसने धीरे से पूछा,

मंदिरा (प्यार से)- आपकी मम्मा कहां हैं?

कुछ पल की खामोशी के बाद CHERRY बोली, “मम्मा कुछ नहीं बोलती मासी। वह बस मुझे देखती रहती हैं। मैं उनके साथ खेलना चाहती हूँ, लेकिन वह कुछ नहीं करतीं। शोभा अम्मा भी उनसे प्यार नहीं करतीं। आप तो कहती थी कि वह मेरे पापा से बहुत प्यार करती थी, फिर अब वह ऐसा क्यों करती हैं.. मासी, आप यहाँ आ जाओ। हम सब वापस साथ में रहते हैं..” CHERRY की मासूमियत भरी बातों ने मंदिरा की आँखों में आँसू ला दिए। उसने खुद को सँभालते  हुए कहा,

मंदिरा (प्यार से)- CHERRY बच्चा, मासी जल्दी आपको अपने पास बुला लेगी, पक्का, लेकिन अभी हमें मम्मा का इलाज कराना है न? आपने पापा से वादा किया था न?  मैं जल्दी वहाँ आऊंगी और शोभा आंटी से बात करूंगी, लेकिन अभी आप उनका फोन रख दो, वरना वह आपको डाँटेंगी।

CHERRY को समझाते हुए मंदिरा ने फोन रख दिया और कुछ पल फोन को देखती रही, मानो उसके हाथों में फोन नहीं, उसकी ज़िंदगी का कोई हिस्सा हो। उसने फोन की गैलरी खोली और एक तस्वीर पर जाकर रुक गई। उस तस्वीर में उसकी बहन और CHERRY एक साथ मुस्कुरा रहे थे। तस्वीर को देखते ही मंदिरा की आँखों में आँसू बह निकले। उसने तस्वीर पर हाथ फेरते हुए कहा,

मंदिरा (खुद से)- मैं तुम्हें खोना नहीं चाहती, वर्षा, लेकिन मैं कुछ कर भी नहीं पा रही हूँ।

तस्वीर देखते-देखते मंदिरा की आँखों के सामने वह हादसा घूमने लगा, जिसने उसकी पूरी ज़िंदगी को बदलकर रख दिया था। उस दिन उसकी बहन वर्षा अपने पति और CHERRY के साथ CAR में थी और अचानक एक तेज़ रफ्तार ट्रक सामने आ गया। कार के ब्रेक की बहुत तेज़ आवाज़ आई और गाड़ी बेकाबू  हो गई। मंदिरा की आँखों के सामने सब कुछ टूटता-बिखरता नज़र आया, मंदिरा के कानों में  चीखें, कांच का टूटना और फिर गहरा सन्नाटा… आज भी यह  आवाजें मंदिरा के कानों में गूँज रही थीं। मंदिरा ने आँसू पोंछे और बुदबुदाई

मंदिरा )बुदबुदाते)- अगर वह हादसा नहीं होता, तो मुझे अपनी असलियत किसी से छिपाने की ज़रूरत नहीं पड़ती, खासकर भूषण से।

मंदिरा अचानक अपने ख्यालों से बाहर आई, जब दरवाजे पर दस्तक हुई। उसने जल्दी से अपने आँसू पोंछे और दरवाजा खोला। सामने भूषण खड़ा था, उसकी आँखों में सवालों का तूफान था।भूषण ने कमरे के अंदर आते ही कहा,

भूषण (शक)- तुम कुछ छिपा रही हो? यह  कॉल किसका था?

मंदिरा(झिझकते हुए)- सॉरी... लेकिन यह  मैं तुम्हें क्यों बताऊँ?

भूषण ने उसकी ओर शक की नज़रों से देखा, मंदिरा ने गहरी सांस ली और कहा,

मंदिरा (एक्सपलेन करते) - मेरी भांजी का कॉल था, उसने अपनी nanny के फोन से कॉल किया था। उसकी NANNY का नाम शोभा है।

यह  चेरी है, मेरी भांजी… मेरी बहन काम से बाहर रहती है, तो यह  अक्सर ज़िद करती है कि मैं वहाँ आ जाऊँ। वह चाहती है कि मैं उसे यहाँ ले आऊँ..

मंदिरा ने अपने फोन में चेरी की तस्वीर दिखाते हुए कहा। उसकी आँखों में सच्चाई और दर्द साफ दिख रहा था। भूषण ने थोड़ी देर तक तस्वीर को देखा और फिर पूछा,

भूषण (सवाल)- लेकिन क्यों? मतलब उसके मम्मी-पापा... वह साथ नहीं हैं?

भूषण के सवाल पर मंदिरा ने धीमी आवाज़ में कहा,

मंदिरा (थोड़ा दुख)- तीन साल पहले मेरी बहन और जीजा का एक्सीडेंट हुआ था। उसमें जीजा जी की मौत हो गई और मेरी बहन कोमा में चली गईं, लेकिन कुछ महीने पहले उन्हें होश आ गया। उन्हें कुछ भी याद नहीं है, उनके ससुराल वालों ने उन्हें घर से निकाल दिया और उसके बाद…

मंदिरा ने बात अधूरी छोड़ दी और विषय बदलते हुए कहा,

मंदिरा (मैटर ऑफ फैक्ट )- उसके बाद वह एक रिश्तेदार के घर पर रहती हैं, अब उनका सहारा मैं ही हूँ, और वह मेरी जिंदा रहने की वजह।

भूषण ने उसकी ओर देखा और कहा,

भूषण (हैरान) : तुम्हारे चेहरे पर हमेशा मुस्कान देखी है, लेकिन कभी सोचा नहीं कि उस मुस्कान के पीछे इतना दर्द छिपा है। क्या मैं तुम्हारी कोई मदद कर सकता हूँ?

मंदिरा (मैटर ऑफ फैक्ट)- थैंक यू, लेकिन यह  सब मैं संभाल लूंगी। वैसे तुम्हारी इस बात से मुझे एक सीख याद आई, जो तुम्हें भी याद रखनी चाहिए। जरूरी नहीं कि जो हम देख रहे हैं, वही सच हो। खुश दिखने वाले लोगों की ज़िंदगी में भी problem होती हैं…

भूषण उसकी बातों को ध्यान से सुन रहा था, मंदिरा ने मुस्कुराते हुए कहा,

मंदिरा (मुसकुराते)- हालांकि मेरी ज़िंदगी में कोई दिक्कत नहीं है। यह  बात मैंने अपने लिए नहीं कही, पर सोचकर देखना। कई बार हम, लोगों के हंसते चेहरे देखकर उनका दर्द देखना भूल जाते हैं.…

जहाँ एक तरफ भूषण, मंदिरा की बातो में छिपी सीख को समझने की कोशिश कर रहा था तो वहीँ दूसरी तरफ रिनी अपने मुंबई वाले आलीशान फ्लैट की बालकनी में खड़ी थी।  समंदर की ठंडी हवा उसके बालों से खेल रही थी, लेकिन उसकी आंखों में एक अजीब सा खालीपन था। हाथ में मोबाइल पकड़े हुए वह स्क्रीन पर अपने और भूषण की पुरानी तस्वीरें देख रही थी। तस्वीरों में मुस्कुराते हुए चेहरे थे, जिन्हें देखकर एक वक्त उसकी आंखें खुशी से चमक उठती थीं, लेकिन आज वही तस्वीरें उसकी मुस्कान में छुपे तंज की वजह बन रही थी। रिनी के चेहरे पर मुस्कुराहट तो थी, मगर उसके पीछे का गुस्सा और नफ़रत साफ झलक रही थी। एक-एक करके उसने तस्वीरें डिलीट करनी शुरू कीं। हर बार जब उसकी उंगली डिलीट बटन पर जाती, तो एक नयी याद उसके दिमाग में कौंध जाती… खासकर वह यादें, जब भूषण उसकी आँखों में खटकने लगा था...

भूषण (प्यार से)- रिनी, देखो, मैंने तुम्हारे लिए यह  गुलाब लिए हैं।

भूषण की आवाज में वही मासूमियत थी, जो कभी रिनी को भाती थी। वह मुस्कुराया, और गुलाब का गुलदस्ता उसकी तरफ बढ़ाया…  रिनी ने बिना किसी EXCITEMENT के गुलाब ले लिए। उसकी मुस्कान में वह पहले वाली गर्मजोशी नहीं थी बल्कि रिनी ने नाराज़गी के साथ पूछा..

रिनी (नाराज)- THANKS....लेकिन तुम ऐसा बार-बार क्यों करते हो? मुझे यह  पसंद हैं, लेकिन इतने भी नहीं कि मैं रोज़-रोज़ इन्हें देखूं।

भूषण (प्यार में )- क्योंकि तुम मेरी ज़िंदगी हो, रिनी। मैं चाहता हूं कि तुम्हारे चेहरे पर हमेशा मुस्कान बनी रहे, इन फूलों की तरह..

भूषण ने यह  बात कहकर रिनी के माथे को चूमा लेकिन इस बार रिनी को उसकी यह  बातें खोखली लग रही थीं। उसने देखा कि भूषण के चेहरे पर वही पुराना प्यार था, मगर अब वह प्यार उसे बोझ सा लगने लगा था। रिनी अपने उन ख्यालों से बाहर आई और उसने अपनी फोन की गैलरी में बची आखिरी तस्वीर भी डिलीट कर दी। जैसे ही उसने ऐसा किया, उसके कानों में एक भारी, मर्दानी आवाज गूंजी।
“रिनी, जानम, क्या कर रही हो वहाँ?” रिनी ने पीछे मुड़कर देखा, निकुंज कमरे के अंदर से चलता हुआ धीरे-धीरे उसकी तरफ बढ़ रहा था। उसके चेहरे पर एक शरारती मुस्कान थी। निकुंज ने रिनी के पास पहुंचकर उसके फोन की स्क्रीन की तरफ देखा और कहा, “यह  क्या, रिनी? तुमने आज मुझे यहां रात गुज़ारने बुलाया, और अब तुम यहां खड़ी अपने एक्स की तस्वीरें देख रही हो? कहीं उसके पास वापस जाने का तो नहीं सोच रही?”। उसकी आवाज में जलन थी, मगर वह इसे मज़ाक में टालने की कोशिश कर रहा था। रिनी ने हंसते हुए उसकी तरफ देखा और कहा,

रिनी (मज़ाक उड़ाते)- वापस जाने का? उस लूज़र के पास? कभी नहीं.…

रिनी के चेहरे पर मुस्कुराहट थी, लेकिन आंखों में बदले की चिंगारी साफ दिख रही थी। उसने ठंडी आवाज़ में कहा 

रिनी (ठंडा लहजा )- अब उसे रास्ते से हटाने की बारी है....

निकुंज को यह सुनकर झटका लगा, उसने हैरानी से कहा, “रास्ते से हटाने की बारी… मतलब?”

रिनी (ठंडा लहजा )- मतलब यह  कि अब भूषण की ज़ुबान हमेशा के लिए बंद करनी होगी, वह मेरे लिए एक मुसीबत बन चुका है। मैंने उसे बहुत इग्नोर किया, लेकिन अब और नहीं। अगर मुझे अपनी आने वाली ज़िंदगी खुशहाल बनानी है, तो भूषण को हटाना ही होगा… और यह  काम तुम करोगे, निकुंज। करोगे ना मेरे लिए?

निकुंज ने रिनी की आंखों में देखा, उसकी बातों ने उसे बेचैन कर दिया था। उसने हकलाते हुए कहा 
“मैं? लेकिन कैसे? तुमने तो कहा था कि तुम्हें भूषण का कोई पता नहीं चला।” रिनी ने क्रूर हंसी हंसते हुए कहा,

रिनी (ठंडा लहजा )- हां, अभी तक तो नहीं, लेकिन मैंने सही आदमी से पूछा भी नहीं। अविनाशहै, वह सही आदमी...


जहाँ एक तरफ रिनी भूषण को मारने की साजिश रच रही थी, वहीँ दूसरी ओर भूषण अकेले एक कोने में बैठा था। उसके चारों तरफ अंधेरा था, और सामने एक छोटे पीले बल्ब की हल्की रोशनी उसकी डायरी के पन्नों पर पड़ रही थी। वह कुछ लिख रहा था—कुछ ऐसा, जो उसके दिल का बोझ हल्का कर सके। भूषण के चेहरे पर अब वह मासूमियत नहीं थी, जो कभी रिनी के प्यार से झलकती थी। उसने खुद से कहा

भूषण (खुद से)- मैं रिनी से बदला नहीं लूँगा,  बल्कि खुद को बदलूँगा..मैं रिनी को माफ कर दूंगा, लेकिन सबसे ज्यादा, मैं खुद को माफ करूंगा। मैंने खुद को इस हालत में पहुंचाया, और अब मुझे ही खुद को इससे बाहर निकालना होगा।

उसने पन्ना पलटा और लिखा,

भूषण (खुद से)- मैं जानता हूं कि मैंने अपने प्यार को उस पर थोपा। रिनी मुझसे दूर हो गई, लेकिन मैं अब उसे दोष नहीं दूंगा। शायद यही मेरी सज़ा थी.…

भूषण ने कलम को डायरी के बीच में रखा और खिड़की से बाहर देखा। रात का सन्नाटा उसकी भावनाओं को और गहराई दे रहा था। उसने एक गहरी सांस ली और मन ही मन प्रार्थना की कि वह अपने दिल के बोझ से आज़ाद हो सके। भूषण ने अपनी डायरी बंद की और खुद से वादा किया कि वह अब अपने अतीत को पीछे छोड़कर एक नई शुरुआत करेगा। उसने खुद को माफ करने की कोशिश शुरू कर दी थी। भले ही रिनी उसकी ज़िंदगी का एक बड़ा हिस्सा थी, लेकिन अब वह समझ चुका था कि उसकी खुशी किसी और के साथ नहीं, बल्कि खुद के साथ है।

भूषण ने एक आखिरी बार अपनी डायरी को देखा और उसमें लिखा,

भूषण (खुदसे) : प्यार बहुत कुछ सिखाता है, लेकिन दर्द..दर्द..उससे बहुत ज़्यादा सिखाता है, और अब वक्त है इस दर्द को पीछे छोडकर आगे बढ़ने का। रिनी, मैं तुम्हें माफ करता हूं। और खुद को भी.…

क्या भूषण रिनी को माफ करके आगे बढ़ पाएगा? क्या रिनी हो पाएगी अपनी चाल में कामियाब? क्या है मंदिरा का पूरा सच?

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
 

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