संस्कृति ने इंटरव्यू की लिस्ट में अपना नाम देख कर हल्की मुस्कान के साथ राहत की साँस ली। उसके मन में उत्साह और घबराहट, दोनों उमड़ रहे थे।
संस्कृति (मन ही मन, उत्साह से) - यह रिजल्ट मेरे लिए एक इशारा है कि मैं इसके आगे भी बढ़ सकती हूँ। इस नौकरी को पाने के लिए मुझे हर हाल में तैयार रहना होगा। ये सिर्फ़ एक नौकरी नहीं, बल्कि मेरे परिवार के लिए एक नई उम्मीद बन सकती है।
उसने बाकी चार कैंडिडेट्स को देखा। सभी की आँखों में भविष्य की चिंता और एक बेहतर जिंदगी की आस झलक रही थी। पहला कैंडिडेट अपनी चिंता ज़ाहीर करते हुए कहने लगा कि यह नौकरी उसके लिए बहुत ज़रूरी है, क्योंकि उसके घर की स्थिति दिन-ब-दिन ख़राब हो रही थी। उसकी आवाज़ में घबराहट और मजबूरी साफ़ झलक रही थी। दूसरा कैंडिडेट भी सहमति जताते हुए बोला कि सभी यहाँ इसी वज़ह से आए हैं—अपनी जिम्मेदारियों और परेशानियों का बोझ उठाए हुए, लेकिन यह भी सच है कि किस्मत किसी एक का ही साथ देगी। उसका लहजा भारी था, मानों उसे भी अन्दर ही अन्दर नौकरी न मिलने का डर सता रहा हो।
संस्कृति ने उनकी बातें सुनीं और उसकी आँखों में अपने परिवार की यादें ताजा हो गईं। उसने अपने पिता की मेहनत और अपनी बहनों की ख़ुशियों को याद किया। यह नौकरी उसके लिए क्या मायने रखती थी यह बात उसने बाकियों से बताना ठीक नहीं समझा।
संस्कृति (अपने आप से) - मैं हार नहीं मान सकती, सभी को नौकरी की ज़रूरत है, मुझे यहाँ से खाली हाथ नहीं जाना है।
यह सोचते हुए उसने गहरी साँस ली और फिर आसमान की ओर देखते हुए ख़ुद से बोली।
संस्कृति (प्रार्थना करते हुए, मन ही मन ) - हे भगवान! हम पाँचों में से जिसे सबसे ज़्यादा ज़रूरत है, उसे यह नौकरी दे देना। बाकियों को ये हौसला देना कि उन्हें कोई न कोई दूसरी नौकरी ज़रूर मिलेगी।
यह सोचते हुए उसने बाकियों की तरफ़ एक मुस्कुराहट के साथ देखा। मानों वह सभी से कह रही हो कि मैं तुम्हारे दुःखों को समझती हूँ। अगले पल उसने अपने बैग से घर से लाया एक छोटा-सा रोटी का पैकेट निकाला। रोटियां खाते हुए उसकी आँखें दृढ़ संकल्प और हौसले से चमक रही थीं।
तीसरा कैंडिडेट, जो अब तक संस्कृति को देख रहा था, हल्का मुस्कुराया। उसकी आँखों में भी इंतज़ार की थकान थी। उसने कहा कि आजकल नौकरी के लिए सभी को बहुत इंतजार करना पड़ता है। संस्कृति ने उसकी तरफ़ देखा और मुस्कुराते हुए जवाब दिया
संस्कृति (मुस्कुराते हुए, गंभीरता से) - यह इंतज़ार तो सबके लिए मुश्किल है। हम साथ में मिलकर भी इस पल का इंतज़ार कर सकते हैं, लेकिन नौकरी तो किसी एक को ही मिलेगी। हम पाँचों में से चार लोग किसी और जगह के लिए बने हैं, उनकी मंज़िल यह नौकरी नहीं है।
संस्कृति की समझ भरी बात सुनकर तीसरे कैंडिडेट की आँखों में एक हल्की-सी चमक आई। उसने संस्कृति की बातें सुनकर साहस महसूस किया और ख़ुद को और हौसला दिया।
एक घंटे का समय धीरे-धीरे गुज़रता गया। सभी कैंडिडेट्स अपने-अपने सपनों और संघर्षों के साथ इंटरव्यू के लिए तैयार बैठे रहे। संस्कृति ने मन ही मन एक संकल्प लिया कि वह इस नई राह को पूरी ताकत से अपनाएगी, चाहे इसका रिजल्ट कुछ भी हो।
जब फाइनल इंटरव्यू शुरू हुआ, तो सभी की बेचैनी बढ़ने लगी। पहला कैंडिडेट इंटरव्यू के लिए अंदर गया और बाकी सभी उसके बाहर आने का इंतज़ार करने लगे। कुछ देर बाद पहला कैंडिडेट ऑफिस से बाहर निकला, अपना बैग उठाया और किसी से बिना कुछ कहे वहाँ से चला गया। किसी को समझ में नहीं आया कि आख़िर अंदर क्या चल रहा था? अभी तो फाइनल रिजल्ट भी बाकी था, फिर भी वह बिना कुछ बताए क्यों चला गया?
संस्कृति (मन ही मन) - आख़िर अंदर ऐसा क्या पूछ रहे हैं, मुझसे क्या पूछेंगे ये लोग?
संस्कृति को इंटरव्यू के अच्छे या बुरे नतीजे से उतना डर नहीं था, फिर भी उसकी चाहत यही थी कि उसे यह नौकरी मिल जाए। बाकी चार कैंडिडेट्स में से एक के चले जाने के बाद बाकी लोग एक-दूसरे को देख रहे थे, जैसे समझने की कोशिश कर रहे हों कि अंदर आख़िर ऐसा क्या हो रहा था। माहौल में एक अजीब-सी चुप्पी पसरी हुई थी। दूसरे कैंडिडेट को बुलाया गया, वह अंदर जाते हुए अपने बैग को कसकर पकड़े हुए था। संस्कृति के मन में एक बार फिर बेचैनी बढ़ने लगी, लेकिन उसने ख़ुद को संभाला।
संस्कृति (अपने आप से, घबराते हुए ) - मुझे इतनी घबराहट क्यों हो रही है?
कुछ देर बाद दूसरा कैंडिडेट भी बाहर आया। उसका चेहरा निराशा से झुका हुआ था। उसने भी किसी से बात नहीं की और सीधे वहाँ से चला गया, ये देख माहौल और भी गंभीर हो गया। तीसरा कैंडिडेट, जो अब तक सब्र से इंतज़ार कर रहा था, उठकर इंटरव्यू रूम की ओर बढ़ा। उसके बाद संस्कृति का नाम पुकारा गया।
वह उठी और एक बार फिर भगवान को याद करते हुए इंटरव्यू रूम की ओर बढ़ी। उसने अंदर कदम रखा और देखा, वहाँ तीन लोग बैठे हुए हैं, जो उसकी ओर गहरी नज़रों से देख रहे थे। उन्होंने उसे बैठने का इशारा किया। उसने रीस्पेक्ट से सिर झुकाकर उन्हे ग्रीट किया और सामने रखी कुर्सी पर बैठ गई। घबराहट के कारण उसकी हथेलियां थोड़ी पसीज गई थीं। इंटरव्यूअर ने गंभीर लहज़े में सवाल पूछना शुरू किया। इंटरव्यूअर ने उसे यह याद दिलाया कि यह नौकरी बेहद ज़िम्मेदारी भरी है तो उसे क्यों लगता है कि वह इस जॉब के लिए सबसे सही कैंडिडेट है।
संस्कृति ने आत्मविश्वास के साथ जवाब दिया। वह अपने पिता दशरथ की मेहनत और ईमानदारी का ज़िक्र करते हुए बोली कि उसने अपने जीवन में समर्पण और सेवा का महत्व सीखा है। उसने कहा कि वह इस ज़िम्मेदारी को पूरी इमानदारी के साथ निभाएगी।
इंटरव्यूअर उसके आत्मविश्वास से थोड़ा प्रभावित हुआ और उसने पूछा कि अगर उसे यह नौकरी मिल जाए, तो उसकी प्राइऑरटी क्या होंगी? संस्कृति ने कुछ पल सोचा और फिर कहा कि उसकी पहली प्राइऑरटी होगी अपने काम को पूरी लगन और ईमानदारी से निभाना। साथ ही, उसने अपने पिता की देखभाल की बात भी जोड़ी। उसने बताया कि यह नौकरी उसके लिए केवल इंकम का साधन नहीं है, बल्कि एक नई शुरुआत है, जो उसके परिवार को आर्थिक सहारा देगी। इंटरव्यू के दौरान बाकी सवाल भी पूछे गए और संस्कृति ने हर सवाल का जवाब पूरी ईमानदारी और समझदारी से दिया। आख़िरकार, इंटरव्यू ख़त्म हो गया, संस्कृति बाहर निकली उसे लगा जैसे कोई बोझ उसके सर से उतर गया हो।
संस्कृति (मन ही मन, गंभीरता से) - हे भगवान! मैंने तो अपनी तरफ़ से पूरी कोशिश की, पर अब सब कुछ आप पर डिपेंड है, आप सब संभाल लेना।
बाहर, संस्कृति के अलावा, केवल एक और फीमैल केनडीडेट रिजल्ट का इंतज़ार कर रही थी। संस्कृति को भी रिजल्ट का इंतज़ार करने के लिए कहा गया। एक पल के लिए उन दोनों ने एक-दूसरे को देखा और फिर अपनी-अपनी घबराहट लिए वही बेंच पर बैठ गईं। थोड़ी देर बाद उन दोनों को एक साथ अंदर बुला लिया गया। संस्कृति के साथ जो दूसरी कैंडिडेट थी उसका ग्रेजुएशन पूरा हो चुका था। इस हिसाब से नौकरी उस कैंडिडेट को मिलनी चाहिए थी। जब संस्कृति को उस कैंडिडेट की एकेडमिक के बारे में पता चला था तो वो थोड़ा घबराई। उसे अपने ग्रेजुएशन पूरा न होने का थोड़ा-सा दुःख हुआ, लेकिन उसे भरोसा था कि शायद उसे यह नौकरी मिल सकती है।
दोनों कैंडिडेट को अंदर बुलाने के बाद एक और इंसान उस कमरे में आया। यह वही स्टाफ़ था जिसने चोट लगे बच्चे की मरहम पट्टी की थी। उसे देखते ही न जाने संस्कृति को क्या हुआ कि वह यह भूल गई कि वह नौकरी की इंटरव्यू के लिए आई है। उसने जल्दी से उस इंसान से पूछा
संस्कृति (हड़बड़ाते हुए) - अब वह बच्चा कैसा है? उसकी चोट ठीक है?
यह सुनकर उस स्टाफ़ ने इशारे में ही “सब कुछ ठीक है” का जवाब दिया। अगले ही पल संस्कृति को एहसास हुआ कि वह इंटरव्यूअर के सामने है और वें उसे फाइनल रिजल्ट सुनाने वाले हैं। अपने बर्ताव के लिए उसने इंटरव्यूर से माफ़ी माँगी। इंटरव्यू पैनल के सदस्यों में से एक ने संस्कृति से उस बच्चे के बारे में पूछा जिसका ज़िक्र वो अभी कर रही थी। संस्कृति ने उन्हे बच्चें के खेलने से लेकर मरहम-पट्टी तक की पूरी घटना विस्तार से बताई। उसकी बात सुनने के बाद पैनल के सदस्यों ने एक-दूसरे की ओर देखा और आपस में कुछ चर्चा की। उनमें से एक ने संस्कृति से गंभीरता से पूछा कि अगर उसे यह नौकरी नहीं मिली, तो वह आगे क्या करेगी?
संस्कृति (मुस्कुराते हुए) - वैसे तो मैं चाहती हूँ कि यह नौकरी मुझे मिले लेकिन अगर यह नौकरी फिर भी मुझे नहीं मिली तो मैं किसी दूसरी नौकरी के लिए ट्राइ करूँगी। अगर यह नौकरी मेरे लिए नहीं है तो मुझे नहीं ही मिलेगी।
ठीक यही सवाल इंटरव्यूअर ने दूसरे कैंडिडेट से पूछा। उसने भी ठीक यही जवाब दिया। दोनों के जवाब सुनने के बाद इंटरव्यूअर ने बताया कि उनके पास सिर्फ़ एक ही कैंडिडेट के लिए नौकरी है। थोड़ी देर के लिए संस्कृति चुपचाप इंटरव्यूर के आगे की बात सुनने के लिए खड़ी रही। अगले ही पल इंटरव्यूर की बात सुनकर संस्कृति के साथ दूसरी कैंडिडेट भी ख़ुशी से झूम उठी। इंटरव्यूर ने उन दोनों को बताया कि उन दोनों को ही इस जॉब के लिए सिलेक्ट कर लिया गया है। पहले यह जॉब सिर्फ़ एक कैंडिडेट के लिए थी मगर आने वाले दिनों में जो वैकेंसी फिर से वह निकालते उसके लिए अभी ही उन्होंने दोनों को सेलेक्ट कर लिया है। वह अच्छे कैंडिडेट को कहीं और नहीं जाने देना चाहते थे।
संस्कृति नौकरी मिलने की बात सुनकर बहुत ख़ुश हुई। उसकी आँखें नम हो गई, इंटरव्यूर के सामने उसने अपने आप को रोक लिया पर मन ही मन उसने भगवान और इंटरव्यूअर को धन्यवाद दिया। वह जल्दी से घर लौट जाना चाहती थी ताकि यह ख़ुशख़बरी अपने पिता को दे सके और फ़ोन करके अपने बहनों को भी बता सके कि उसे नौकरी मिल गई है। इंटरव्यूर ने उन दोनों को बताया, वे अगले वीक से ज्वाइन कर सकते हैं। बाकि, आगे की प्रक्रिया उन्हें बता दी जाएगी।
इंटरव्यूर अपनी जगह से उठ खड़े हुए और दोनों को बधाई दी। उनमें से एक इंटरव्यूर ने कहा “बचपन अनाथालय” में आपका स्वागत है।
संस्कृति को नौकरी मिल चुकी थी। क्या वो नयी नौकरी में मिलने वाली ज़िम्मेदारी को ठीक से निभा पाएगी? उसके आत्महत्या करने की कोशिश के बारे में पता लगने पर उसकी नौकरी पर कोई प्रभाव पड़ेगा ?
जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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