बॉस के कैबिन में एक भयंकर सा सन्नाटा छाया हुआ था। अश्विन और उसके बॉस आमने-सामने बैठे हुए थे। बॉस उसे गुस्से से घूर रहे थे, जबकि अश्विन शर्मिंदगी के साथ नज़रें झुकाए फ़र्श को देख रहा था। उसके चेहरे से साफ़ पता चल रहा था कि वह बेहद तनाव में है।

तभी कैबिन के दरवाज़े पर हल्की खटखट की आवाज़ सुनाई दी। बॉस ने गहरी साँस लेते हुए नर्मी से कहा, "कम इन." उनके इतना कहते ही, एच.आर. विभाग की हेड कैबिन में दाख़िल हुईं। वह बॉस के बगल में रखी खाली कुर्सी पर जाकर बैठ गईं, ठीक अश्विन के सामने। उनके साथ उनका लैपटॉप भी था। उन्होंने लैपटॉप ऑन किया और एक वीडियो प्ले करते हुए अश्विन को दिखाने लगीं। दरअसल, वह वीडियो उस वक्त का था, जब अश्विन ने अनजाने में रजत के सिर पर बीयर की बोतल फोड़ी थी। किसी ने इस घटना का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाल दिया था।

पिछली रात, जब अश्विन मुंबई से दिल्ली लौटा था, तो उसने देखा कि ऑफिस के किसी कलीग ने उसकी टांग खींचने और उसे बेइज़्ज़त करने के इरादे से इस वीडियो को ऑफिस के मैसेज ग्रुप में डाल दिया था। इसके बाद, अश्विन के बॉस का उसे फोन आया था। फोन पर भी उनकी आवाज से गुस्सा झलक रहा था, और उन्होंने अश्विन को तुरंत ऑफिस बुलाने का आदेश दिया था।

बहरहाल, उस वीडियो को प्ले होते देख, अश्विन के दिमाग में सन्नाटा छा गया। जैसे ही वीडियो रुका, एच.आर. विभाग की हेड और उसके बॉस, दोनों ने अश्विन की तरफ देखा। इससे पहले कि वह कुछ कह पाता, बॉस ने गला साफ़ करते हुए गुस्से भरे लहजे में कहा, "ये सब क्या है अश्विन?? तुम इस तरह की हरकत कर सकते हो इसका मुझे यकीन ही नहीं हो रहा है। मैंने तुम्हें छुट्टी इसलिए दी थी कि तुम अपने घर जाकर अपने बूढ़े माँ-बाप का ध्यान रखो, अपने बीमार डैड की सेवा करो, और यहाँ तो तुम पब में बैठकर दारू पीने के बाद दंगा-फसाद कर रहे हो!!!!

बॉस की बात सुनकर अश्विन को समझ ही नहीं आ रहा था कि वह अपनी सफाई में क्या कहे। उसने कुछ कहने की कोशिश की, मगर शब्द उसके गले में अटक गए।

इससे पहले कि अश्विन कुछ बोल पाता, एच.आर. विभाग की हेड ने एक सुझाव दिया। उन्होंने अपनी बात बॉस और अश्विन दोनों के सामने रखी। इसके बाद, बॉस और एच.आर. विभाग की हेड इस विषय पर गंभीरता से चर्चा करने लगे। वहीं, अश्विन सिर झुकाए, ख़ामोशी से उनकी बातचीत को सुनता रहा, उसकी हालत कुछ ऐसी थी मानो वह अपने ही भाग्य का इंतज़ार कर रहा हो।

थोड़ी देर के बाद, एच.आर. विभाग की हेड और बॉस ने मिलकर अश्विन को पीआईपी यानि की परफॉरमेंस इम्प्रूव्मन्ट प्लान में डालने का फैसला कर लिया। इसके तुरंत बाद, एच.आर. विभाग की हेड ने अश्विन को पीआईपी के टर्म्स बताने शुरू कीये। उन्होंने बताया कि यह प्लान अश्विन को अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाने में कैसे मदद करेगा।

उन्होंने विस्तार से बताया कि इस प्लान के अंदर अश्विन:

  1. किसी भी बाधा की पहचान और उसे हल करना सीख सकेगा।
  2. अपनी टीम के सदस्यों, सहकर्मियों और सीनियर्स से सुझाव लेकर अपने काम को बेहतर बना सकेगा।
  3. अपने लिए गोल्स  सेट कर के उन पर काम करना सीख सकेगा।
  4. ट्रैनिंग के माध्यम से अपनी स्किल्स को और बेहतर कर सकेगा।
  5. प्लान को सही ढंग से एग्ज़ीक्यूट के लिए ऑफिस के लोग उस पर नज़र भी रखेंगे।

उनकी लंबी-चौड़ी बातों से, अश्विन ने मोटा-मोटी यही समझा कि इस प्लान से उसे कई फायदे मिल सकते हैं, जैसे:

  • उसकी एनर्जी सही जगह होगी।
  • वह डिसिप्लिन्ड और जिम्मेदार बनेगा।
  • वह डेडलाइंस को फॉलो करते हुए अपना काम आसानी से पूरा कर पाएगा।

इसके बाद, एच.आर. विभाग की हेड ने बताया कि इस प्रक्रिया को बिना रुकावट सुनिश्चित करने के लिए, अश्विन को एक सुपरवाइजर के अंदर रखा जाएगा। यह सुपरवाइजर:

  1. अश्विन के डेली रूटीन के गोल्स सेट करेगा।
  2. काम से संबंधित समस्याओं  का समाधान देगा।
  3. उसे ट्रैनिंग प्रदान करेगा।
  4. और यह सुपरवाइजर एच.आर. विभाग का ही कोई व्यक्ति होगा।

उनकी बातों को सुनकर, अश्विन ने सर हिलाकर सहमति ज़ाहिर की। उसके चेहरे पर– राहत, शर्मिंदगी और थोड़े तनाव के अलग अलग भाव थे।

जहाँ एक तरफ़ अश्विन को ये सारी बातें समझाई जा रही थीं, वहीं, दूसरी ओर, उसके मन में यह बात घूम रही थी कि उसके करियर में पहली बार ऐसा हुआ है कि उसे किसी नादान बच्चे की तरह ट्रीट किया जा रहा है, और यह बात उसे बिल्कुल भी रास नहीं आ रही थी।

इस बातचीत के बाद, एच.आर. विभाग की हेड बॉस के केबिन से निकल गईं। लेकिन जैसे ही अश्विन भी वहां से जाने के लिए अपनी कुर्सी से उठने लगा, उसके बॉस ने उसे रुकने का इशारा किया और सीरीअस टोन में कहा,  “अश्विन, अभी बात ख़त्म नहीं हुई है।”

यह सुनते ही अश्विन एक बार फिर उसी कुर्सी पर बैठ गया। उसके बैठने के बाद, बॉस ने गहरी सांस लेते हुए कहना शुरू किया, अश्विन, मुझे लगता है कि तुम्हें किसी अच्छे डॉक्टर या थेरेपिस्ट से मिलना चाहिए। तुम्हारे काम के साथ-साथ, तुम्हारी सेहत का भी ध्यान रखना उतना ही ज़रूरी है। तुम यहाँ इस कंपनी में कई लोगों के लिए एक प्रेरणा रहे हो, और अब इस सबके बाद तुम्हारी इमेज पर बहुत बुरा असर पड़ा है।

सच कहूं तो अगर तुम्हारी जगह कोई और होता, तो मैंने उसके खिलाफ सख्त कदम उठाए होते। मैं तुम्हारे साथ थोड़ा सॉफ्ट इसलिए हूँ, क्योंकि मैं तुम्हारी स्थिति को समझता हूँ और इस बात से अच्छी तरह वाकिफ़ हूँ कि तुम्हारी क्रिएटिविटी ने हमें कितना फ़ायदा पहुँचाया है। लेकिन अब मैं देख रहा हूँ कि तुम्हारा स्पार्क कहीं खो गया है। तुम धीरे-धीरे अपने काम को लेकर काफ़ी लापरवाह हो गए हो।

यह सिर्फ तुम्हारी ही नहीं, बल्कि हमारी कंपनी की प्रतिष्ठा को भी नुकसान पहुंचा रहा है। तुम्हारे पास एक हफ़्ते का समय है, अपनी कमर कसने का। मैं चाहता हूँ कि तुम इस पीआईपी से कुछ सीखो। इसके अलावा, इन एक हफ़्तों में तुम्हें अपनी मानसिक सेहत और अपने गुस्से पर भी काम करना होगा। जल्दी से जल्दी कोई एंगर मैनेजमेंट क्लास जॉइन करो। मैं चाहता हूँ कि एक हफ्ते में मुझे तुम्हारे अंदर बदलाव दिखें। समझे? 

बॉस की सारी बातें सुनने के बाद, अश्विन ने गहरी सांस ली और धीरे से कहा,

अश्विन: (धीमी आवाज़ में) - “येस सर. मैं कोशिश करूंगा आपको और निराश ना करूं”

बॉस की बातें सुनने के बाद, अश्विन एक अच्छे कर्मचारी की तरह चुपचाप कुर्सी से उठा, और केबिन से बाहर निकल गया।

अश्विन अपने केबिन में बैठा, बंद लैपटॉप की स्क्रीन को देख रहा था और किसी गहरी सोच में डूबा हुआ था।

उसके केबिन के दरवाज़े पर किसी ने दस्तक दी, लेकिन अश्विन अपने ख्यालों में इतना खोया हुआ था कि उसे यह महसूस ही नहीं हुआ। 

अचानक, फिर से दरवाज़े पर किसी ने ज़ोर से दस्तक दी। इस बार उसका ध्यान टूटा। उसने जल्दी से अपना लैपटॉप चालू करते हुए कहा,

अश्विन: “कम इन.”

जैसे ही दरवाज़ा खुला, एक व्यक्ति ने केबिन में कदम रखते हुए कहा, “मैं एच.आर. डिपार्टमेंट से हूँ। और मुझे ही आपका सुपरवाइज़र अपॉइन्ट किया गया है।” यह सुनकर, अश्विन ने बिना कोई प्रतिक्रिया दिये सिर हिलाया। उस व्यक्ति ने अश्विन को एक कागज़ सौंपते हुए कहा, “यह आपके पहले दिन का रूटीन है। इसे पढ़ लें और उसी के अनुसार काम शुरू करें।”

अश्विन ने उस कागज़ को उठाया और कुछ देर तक उसमें लिखे गए प्लान को पढ़ता रहा। उसके बाद, उसने गहरी सांस ली और अपने सुपरवाइज़र द्वारा दिये गए निर्देशों का पालन करते हुए अपना काम करना शुरू कर दिया।

इस बीच, सुपरवाइज़र उसके केबिन में ही बैठा रहा और पूरे समय उस पर नज़र बनाए रखी। अश्विन को यह निगरानी असहज लग रही थी, लेकिन वह इसका विरोध नहीं कर सकता था। उसने तय किया कि उसे हर हाल में इस प्रक्रिया से गुज़रना होगा।

शाम के समय, एक थकान भरे दिन के बाद, अश्विन जब ऑफिस से बाहर निकला, तो उसने चाय की टपरी की ओर कदम बढ़ाए। चाय वाले से उसने गहरी सांस लेते हुए कहा,

अश्विन: (गहरी सांस लेते हुए) - “एक कड़क चाय, अदरक वाली, और मेरा रेगुलर वाला सिगरेट का एक डिब्बा देना।”

चाय पीने के बाद, अश्विन पैदल ही अपने घर की ओर बढ़ने लगा। रास्ते में वह म्यूज़िक सुनते हुए फुटपाथ पर चल रहा था कि अचानक उसकी नज़र एक अस्पताल पर पड़ी। उसे अपने बाबा की तबियत का ख्याल आया, और उसने सोचा कि डॉक्टर को फोन करके हाल-चाल पूछे। उसने कॉल तो किया, लेकिन डॉक्टर ने फोन नहीं उठाया।

अश्विन जैसे ही अपने फ्लैट के दरवाजे पर पहुँचा, तभी उसके फोन की घंटी बजी। उसने तुरंत ही अपना फोन पैंट की जेब से निकाला। स्क्रीन पर डॉक्टर का नाम देखकर उसने झट से फोन उठाया और चिंतित स्वर में पूछा,

अश्विन: (चिंतित स्वर में) - “बाबा कैसे हैं?”

फोन पर डॉक्टर की बातें सुनते हुए अश्विन अपने फ्लैट के बाहर खड़ा रहा। फोन रखते हुए उसने गहरी सांस ली और फिर फ्लैट में दाखिल हुआ। अपने बिस्तर पर लेटकर वह किसी गहरी सोच में पड़ गया।

कुछ समय बाद, अश्विन अपने बार कैबिनेट के पास बैठा ह्विस्की की आधी खाली बोतल को घूर रहा था। उसके दिमाग में लगातार वही सब चीज़े चल रही थी —जिसमें उसकी एक अनजाने में हुई गलती ने रजत की जान पर बन आई थी। उसके कानों में बीयर की बोतल के टूटने की आवाज़, रजत की दर्द भरी कराह और रिया की गुस्से भरी चीखें गूँजने लगीं।

अश्विन ने झटका देकर अपने सिर को साफ करने की कोशिश की और अपने फोन पर किसी को मैसेज करने लगा। उसने मैसेज में यही सवाल किया कि क्या उसे किसी अच्छे से थेरेपिस्ट या साइकाइट्रिस्ट का नंबर मिल सकता है। इसके साथ-साथ, उसने इंटरनेट पर भी सर्च करना शुरू किया कि उसके फ्लैट और ऑफिस के आस-पास कोई अच्छा एंगर मैनेजमेंट सेंटर या थेरेपिस्ट है या नहीं।

कुछ समय बाद अश्विन के फोन पर एक मैसेज आया। उसने फोन उठाकर मैसेज देखा तो उसके चेहरे पर अजीब-ओ-ग़रीब भाव उभर आए। उसके फोन पर किसी अनजान नंबर से यह मैसेज आया था:
“तुम जो चाहो तो तुम्हारे दर्द का हल निकल जाए,
वर्ना मुश्किल है कि मुश्किल तुम्हारी आसान हो जाए।”

यह पढ़कर अश्विन सोच में डूब गया, “आख़िर किसने उसे यह बेतुका मैसेज भेजा होगा?” 

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

 

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