एक ब्‍लैक कलर की मर्सिडीज कार अचानक रूक जाती है, कार की पिछली सीट पर बैठी एक चंचल और चुलबुली लड़की ‘पिंकी’ जिसके हाथ में आरती की थाल है, वह अपने बगल में बैठी अपनी प्‍यारी कजिन मीरा मल्‍होत्रा जो आज दुल्‍हन के लिबास में थी, उसके गुलाबी गालों पर हल्‍के से चुटकी काटते हुए बोली, “लीजिए मैडम, आपका वेडिंग डेस्‍टिनेशन आ गया।‘’ 

मीरा जैसे किसी मीठे सपने से बाहर आ गई। 

मीरा कार से उतरी और बैंक्‍वेट हाल के एंट्रीगेट को निहारा, जिसे आज उसी की तरह दुल्‍हन की तरह सजाया गया था।

‘’यह मेरी ड्रीम प्‍लेस है, मैं हमेशा से इसी मैरिज हाल में शादी करना चाहती थी। मुझे विश्‍वास नहीं हो रहा है कि जैसी शादी मैं चाहती थी वह आज होने जा रहा है।‘’

एंट्री गेट से हाल के अंदर गेंदे के फूल से सजे अपने शादी के मंडप को निहारते हुए मीरा ने कहा। 

 

यह राधाकृष्‍ण बैंक्‍वेट हाल था। 

शहर का सबसे मंहगा बैंक्‍वेट हाल, जो आज अमरीश मल्‍होत्रा के नाम बुक हुआ था, आखिर उनकी प्‍यारी बेटी मीरा मल्‍होत्रा की आज शादी जो थी। 

इसी बैंक्‍वेट हाल में शादी करना मीरा का सपना था, जो अमरीश ने पूरा करने में जरा भी संकोच नहीं किया, तभी तीन महीने पहले ही यह मैरिज हाल अमरीश ने बुक करा लिया था, आखिर शादी ब्‍याह जैसी चीजें तो जिंदगी में एक बार ही होती हैं, तो कोई भी कसर बाकी नहीं छोड़ी थी मीरा के मां बाप ने। 

भले ही अमरीश को इसके लिए अच्‍छा–खास कर्ज लेना पड़ा था, पर कोई बात नहीं, दामाद राघव भी तो लाखों में एक है, कोई भी बुरी आदत नहीं, कोई नशा नहीं करता, शहर के सफल बिजनेस मैन में से एक है। 

पूरे मैरिज हाल का कोना-कोना ताजे और सुगंधित फूलों से महक रहा था। 

अमरीश ने मैरिज हाल के मैनेजर को सख्‍त हिदायत दी थी कि सजावट में एक भी आर्टिफिशियल फूल का इस्‍तेमाल नहीं होना चाहिए। 

सब कुछ नैचुरल होना चाहिए, जैसा मीरा चाहती थी।

बेला, गुलाब, चम्‍पा और चमेली की बनी लड़ियां दीवारों और खम्‍बों पर लहरा रही थी।   

खुले आसमान के नीचे बना भव्‍य मंडप किसी सोने के महल जैसा चमक रहा था, अब बस कुछ ही देर बाद मीरा और राघव इसी मंडप में बैठकर अपने जीवन का सबसे सुंदर पल जीने वाले थे। 

सात फेरे, सात जन्‍मों का साथ इसी मंडप में तय होने वाला था। 

मंडप के ठीक पीछे अर्धचंद्र के शेप का टुकड़ा रखा था, वह फोम लकड़ी और गत्‍ते का बना आधे चंद्रमा जैसा झूला था, जिसे सिल्‍वर कलर से सजाया गया था, ऐसा लग रहा था जैसे आधा चांद ही आसमान से धरती पर उतर आया हो, इसी चांद के आकार वाले झूले पर बैठकर मीरा को जयमाला वाले स्‍टेज पर एंट्री लेनी थी, जयमाला स्‍टेज को रंगबिरंगी लाइटों से सजाया गया था। 

मीरा मन ही मन कल्‍पना कर रही थी जब वह इस चांद पर बैठकर जमीन पर उतरेगी तो ऐसा लगेगा की स्‍वर्ग से कोई अप्‍सरा उतर रही है। 

थोड़ी ही दूरी पर महलनुमा पंडाल बना था जिससे राघव को सफेद घोड़े पर बैठकर एंट्री लेनी थी। 

यह मीरा के सपनों की शादी थी।  

मीरा की सहेलियों, रिश्‍तेदारों की हंसी खिलखिलाहट से पूरा मंडप गूंज रहा था। 

 

मीरा को उसके रूम में पहुंचा दिया गया था, वह कमरे में बैठी अपने आप को शीशे में निहार रही थी। 

मेकअप आर्टिस्‍ट मीरा का मेकअप फाइनल कर रही थी, हिरनी जैसी बड़ी बड़ी चंचल शरारती आंखों में आज बेशुमार प्‍यार भरा हुआ था, गुलाब की पंखुड़ी जैसे होंठो पर एक बेकरारी थी, गाल शर्म और हया से लाल हुए जा रहे थे, सुराहीदार गरदन बार-बार रूम के एंट्री गेट की ओर घूम रही थी कि कब उसे कोई राघव के आने की खबर देने अंदर आएगा। 

हल्‍के पिंक कलर के लंहगे में मीरा स्‍वर्ग से उतरी किसी अप्‍सरा से कम नहीं लग रही थी। 

यह लंहगा भी राघव की पसंद का है, राघव भी तो उसी की पसंद की शेरवानी पहन रहा है, लाइट पिंक कलर की शेरवानी, जिसे मीरा ने ही शोरूम से खरीदा था। 

आजकल तो मैंचिग का जमाना है। इंगेजमेंट में भी दोनों ने मैंचिग का ड्रेस पहना था। 

 

मीरा की रेनू बुआ तो मीरा की इस शादी के जोड़े को देखकर नाकभौं सिकोड़कर बोली…‘ऐसा हल्‍का कलर भी कोई शादी में पहनता है, कितना सादा और मरियल सा रंग है, अरे सुर्ख लाल रंग का जोड़ा ही शादी में पहनते है, और अगर गुलाबी रंग का लहंगा पहनना था तो चटक गुलाबी रंग एकदम गुलाब के फूल वाला रंग का जोड़ा लेना चाहिए था, ऐसा हल्‍का गुलाबी तो बूढ़े लोग पहनते हैं।‘’ 

पिंकी ने कहा, ‘’ओह, कम आन मम्‍मी, इसे बेबी पिंक कलर कहते हैं, अब ऐसे लाइट कलर तो बड़े-बड़े सेलिब्रिटी भी अपनी शादियों मे पहनते हैं, रेड, आरेंज, पिंक, मैरून जैसे डार्क कलर नहीं, ये तो आउट आफ फैशन हो रहे हैं।‘’ 

बुआ उसे डांटते हुए बोली, ‘’अच्‍छा चुप करो, मोबाइल ने तुम सबका दिमाग खराब कर दिया है। रीति रिवाज परम्‍पराएं तो तुम लोगों को आउट आफ फैशन लगते हैं, तुम्‍हारा दिमाग भी कम खराब नहीं है, तुम भी अपने लिए कोई ऐसा ही फीका रंग पसंद कर लेना।‘’ 

बिंदास नेचर और मुंहफट पिंकी ने तपाक से जवाब देते हुए कहा, ‘बिल्‍कुल मम्‍मी , मैंने तो सोच लिया है कि मैं अपनी शादी में आलिया भट्ट की तरह क्रीम कलर का लंहगा पहनूंगी, शायद आपने देखा नहीं है, आलिया भट्ट अपनी शादी की ड्रेस में कितनी सुंदर लग रही थी।‘’ 

यह सुनकर मीरा हल्‍के से मुस्‍कुरा दी थी, पिंकी उसकी हर पसंद में हां में हां मिलाती थी, वह रिश्‍ते से तो फुफेरी बहन थी पर मीरा के लिए सगी बहन से बढ़कर थी। 

 

राघव के स्‍वागत आरती की जिम्‍मेदारी पिंकी को ही दी गई थी, वह पूरे बैक्‍वेंट हाल में, ग्रीन कलर का लंहगा पहने आरती की थाल लिए इधर से उधर इतराते हुए घूम रही थी। 

मीरा रूम में बैठी अपनी ही ख्‍यालों में खोई थी कि उसकी कुछ कजिन्‍ज उसके पास आकर बोली, ‘’देखो मीरा दीदी, हमने सोच लिया है कि जूता चुराई में इक्‍यावन हजार से कम नहीं लेंगे।‘’ 

दूसरी बोली, ‘’इक्‍यावन हजार, यह तो बहुत कम है, राघव जीजू पैसों में खेलते हैं, इतना तो उनका ड्राइवर भी दे देगा, कम से कम एक लाख कैश तो देना ही होगा।‘’ 

एक ने कहा, ‘’यह सब छोड़ो, मीरा दी प्‍लीज चाहे जो भी हो जाए, वरमाला के टाइम आप पहले अपना सिर नहीं झुकाना, पहले जीजू सिर झुकाकर वरमाला डलवाएंगे।‘’ 

उसकी सारी कजिन्‍स अपनी अपनी प्‍लानिंग में ही लगी थी तभी अचानक न जाने क्‍यों मीरा को एक अजीब सी घबराहट होने लगी, मन में एक डर सा पैदा होने लगा। 

‘’क्‍या मुझे राघव से बात करना चाहिए, नहीं-नहीं मेरे कुछ रिलेटिव तो पुरानी सोच के हैं, वे क्‍या कहेंगे कि बस अब कुछ ही देर में दूल्‍हा आने वाला है और मैं कुछ समय के लिए कंट्रोल नहीं कर सकती हूं।

पर अचानक मुझे कुछ निगेटिव सा क्‍यों फील हो रहा है?

तभी मीरा की मां नीता और रेनू बुआ ने रूम में आते हैं। 

लाल बनारसी साड़ी में नीता जी किसी पुरानी फिल्‍मों की एक्‍ट्रेस की तरह लग रही थी, रेनू ने पीले रंग की कांजीवरम साड़ी पहन रखी थी। 

दुल्‍हन बनी मीरा को देखकर उन्‍होंने पहले तो उसकी बलैया ली, फिर उसके तनाव भरे चेहरे को देखकर इशारे से पूछा, मीरा ने कंधे उचका दिए। 

नीता समझ गई, उन्‍होंने तुरंत सारी लड़कियों और मेकअप आर्टिस्‍ट को कमरे से बाहर जाने को कहा, 

फिर मीरा के पास आकर बोली, ‘’शादी से पहले ऐसा अनजाना सा डर होता ही है, नए घर में, नए माहौल में जाने में, नए लोगों में खुद को एडजस्‍ट करने का डर रहता है, बट डोंट वरी बेटा, सब अच्‍छे से मैंनेज हो जाएगा 

रेनू बुआ ने तपाक से कहा, ‘’अरे क्या एडजस्‍ट? तीन सालों से तुम राघव को जानती हो फिर भी,  मैंने तो तुम्‍हारे फुफाजी को शादी के मंडप में ही देखा था, पर एक महीने में ही सबको अपने रंग में रंग लिया था।‘’ 

मां ने धीरे से मीरा से फुसफुसाकर कहा, ‘’लो शुरू हो गया तुम्‍हारी बुआ का खुद की बखान का पुराण, तुम अब कुछ ऐसा वैसा मत सोचो, अपना ड्रेस और मेकअप फाइनल करो, अपने इस मोमेंट को इंजॉय करो, ये मोमेंट फिर वापस नहीं आने वाले हैं, मैं जरा मंडप में हो आती हूं, देख लूं पंडित जी ने सारी तैयारियां कर ली है ना।‘’ कहकर मां, बुआ का हाथ पकड़कर कमरे से बाहर निकल गई। 

 

मीरा फिर से सोचने लगी, ‘’मैं तो राघव को अच्‍छे से जानती हूं, उसके घर के सारे मेंम्‍बर को भी, उनके घर का कोना-कोना भी मुझे पता है, राघव और सभी की पसंद नापसंद भी पता है, हमें किस रूम में रहना है, यह भी पता है। फिर ऐसी बेचैनी क्‍यों, शायद शादी से पहले हर लड़की को होती होगी। 

मीरा वेट कर रही थी कि कब बाहर शोर मचेगा, और कब उसकी कजिन्‍स और फ्रेंडस आकर बोलेंगी कि बारात आ गई...बारात आ गई, यह सोचकर मीरा के दिल की धड़कने दुगनी हो गई।   

‘’ओह राघव कहां हो तुम।‘’ आज राघव ने मीरा को फोन नहीं किया था, उनके जीवन का सबसे सुंदर दिन और राघव...क्‍या पता शादी की तैयारियों और रिलेटिव के साथ बिजी हो,  मीरा ने मन ही मन कहा।  

फोन पर लगातार नोटिफिकेशन आ रहे थे, यह सब उनके कालेज फ्रेंडस, स्‍कूल फ्रेंडस और दूर के रिलेटिव के थे जो शादी में नहीं आ पाए। 

कुछ तो उसे बधाई दे रही थी, कुछ तो जलन के मारे तंज कस रही थी। 

‘’मेनी मेनी कांग्रेच्‍युलेशन यार।‘’ यह काव्‍या थी, इसी ने तो अपनी बर्थडे पार्टी में मीरा को राघव से मिलवाया था, वह फर्स्‍ट मीटिंग तो मीरा आज तक नहीं भूल पाई थी। 

एक दूसरी फ्रेंड ने मैसेज किया था, ‘’यार इतना अमीर बंदा कैसे पटा लिया, तुम्‍हारा हनीमून तो पक्‍का स्‍विटजरलैंड में ही होगा।‘’ 

‘’तुम्‍हारी लाइफ की तो बल्‍ले बल्‍ले हो गई, तुम्‍हारे साथ साथ तुम्‍हारी फैमिली की लाइफ भी सेट है।‘’ 

यह सेट है का क्‍या मतलब था, ऐसे विश कौन करता है, और मैं ऐसे फालतु मैसेज पढ़ ही क्‍यों रही हूं, भाड़ में जाओ सब, क्‍या इन सबको नहीं पता कि मैंने राघव को नहीं राघव ने मुझे प्रपोज किया था, और राघव के पैरेंटस मुझे अपने घर की बहू बनाने के लिए मेरे पैरेंटस के पास रिक्‍वेस्‍ट लेकर आए थे, काव्‍या को तो सब पता है।  

शादी के बाद मैं एक बड़ी सी पार्टी दूँगी और इन सभी को इनवाइट करूंगी, काव्‍या सबको बताएगी कि पार्टी में जब फर्स्‍ट टाइम राघव ने मुझे देखा था तो कैसा मुझ पर फ्लैट हो गया था…

मीरा ने अपना सिर झटका, ऐसी बेकार की बातें सोचकर अपनी लाइफ का इतना सुंदर समय क्‍यों खराब कर रही हूं।

मीरा राघव के पुराने मैसेज पढ़ने लगी, कुछ मिर्जा गालिब की रूमानी शायरियां, कुछ दूसरे रोमांटिक कवियों की प्‍यार भरी लाइनें जिसे राघव अक्‍सर गूगल से लेकर मीरा के लिए लिख देता था। 

जवाब में मीरा उससे कहती, ‘’यार राघव, कम से कम एक ओरिजनल शायरी तो मेरे लिए लिख दो मेरे नकली मिर्जा गालिब।‘’ 

इसके जवाब में राघव ने कहा, ‘क्‍या करूं जानेमन, ऊपरवाले के सामने तो खड़ा था, पर जनाब मिर्जा गालिब की आत्‍मा ने मेरे अंदर आने से साफ मना कर दिया।‘’ 

राघव का लास्‍ट मैसेज कल रात को आया था, जब वह अपने दोस्‍तों के साथ बैचलर पार्टी में था, ‘’हमारी आजादी की लास्‍ट नाइट, आज हम दोनों कुंआरे हैं, कल से बंध जाएंगे।‘’  

पर आज सुबह से राघव का एक मैसेज भी नहीं आया था

मीरा के लिए यह एक नई बात थी, अब तक तो उसके मैसेज की झड़िया लग जानी चाहिए थी। 

राघव को मीरा से शादी की तैयारियों का एक एक स्‍टेप पूछना चाहिए था कि गुडमार्निंग मीरा, रात में तुम्‍हें अच्‍छी नींद आई थी ना, कल तुम्‍हारी मार्निंग हमारे सुहागरात की सेज पर होगी, ओके यह बातें बाद में यह बताओ कि तुमने मेकअप कर लिया क्‍या? थोड़ा सिंपल और सोबर मेकअप करना, जूलरी पहन ली, हाई हील वाली सेंडिल मत पहनना, ज्‍यादा नखरे मत करना, चुपचाप सिर झुकाकर जयमाला डलवा लेना।‘’

रोज पहला गुडमार्निंग का मैसेज राघव का ही आता है, रात का गुडनाइट का आखिरी मैसेज भी उसी का होता है। और पूरे दिन तो ऊफ्फ, मैसेज की काउंटिग भी नहीं कर सकती, पर आज शादी के दिन एक भी मैसेज नहीं, क्‍या वो मुझे परेशान करना चाहता है? शायद...शायद शादी की तैयारी में बिजी होगा, पर लड़कों को ऐसा कौन सा ज्‍यादा रेडी होना पड़ता है…हो सकता है वह मुझे चिढ़ाना चाहता हो, ठीक है जब वह मुझे मैसेज भेजेगा, तब मैं भी रिप्‍लाई नहीं करूंगी। 

मीरा ने राघव को झूठा गुस्‍सा दिखाने का मन बना लिया। 

मीरा रूम से बाहर निकलकर शादी की तैयारियों का जायजा लेने लगी, वैसे मां ने तो मना किया था कि जब तक बारात न आ जाए और तुम्‍हारी सिस्‍टर और फ्रेंड्रस तुम्‍हें लेने न आएं तुम बाहर मत निकलना, दुल्‍हन को नजर लग जाएगी, पर मीरा यह सब कहां मानने वाली थी।

मीरा ने देखा, मंडप में सबकुछ सेट हो चुका था, बस अब सबकी निगाहें एंट्री गेट पर थी जहां से राघव को आना था। 

मीरा ने नोटिस किया कि पंडितजी और उसके मम्‍मी डैडी में कुछ बातें हो रही थी। 

मीरा उसी ओर जाने लगी तो कुछ लोगों को कहते सुना, ‘’अरे जरा देखो तो दुल्‍हन कितनी बेताब हो रही है, दूल्हे का पता नहीं पर ये मंडप में बैठने जा रही है।‘’ 

फिर उनके हंसने की आवाजें....

मीरा ने इसे इग्‍नोर किया, 

वहीं एक दो लोगों को कहते सुना कि ‘’अब तक तो राघव को बारात लेकर आ जाना चाहिए था।‘’

किसी दूसरे ने कहा, ‘’अरे भाई बड़े लोग हैं, अगर टाइम से आ गए तो काहे के बड़े लोग, आएंगे तो पूरे शानोशौकत से।‘’ 

पंडित जी अमरीश और नीता से कह रहे थे, ‘’शादी का मुहूर्त हो चुका है बहन जी, शुभ अग्‍नि जल जानी चाहिए, अन्‍यथा कुछ ही समय में प्रदोष काल प्रारम्‍भ हो जाएगा उसमें विवाह तो करते हैं परन्‍तु विवाह की अग्‍नि प्रज्‍जवलित नहीं करते हैं।‘’ 

अमरीश ने कहा, पर पंडित जी, अभी तो बारात नहीं आई और आप शादी की अग्‍नि जलाने की बात कर रहे हैं? 

‘’यह आवश्‍यक है, क्‍योंकि ग्रह नक्षत्रों का स्‍थान परिवर्तित होने वाला है, ज्‍योतिषिय गणना ही कुछ ऐसा संकेत कर रही हैं।‘’ पंडित जी ने अपने झोले से एक शुभ-अशुभ ग्रहों वाली कुंडली निकालकर दिखाते हुए कहा। 

पंडित जी की बातें और उनकी आड़ी तिरछी रेखाओं वाली बनाई कुंडली अमरीश नीता ही नहीं बल्‍कि मीरा की समझ से बाहर थी। 

अमरीश ने झुंझलाते हुए कहा, ‘’ठीक है....ठीक है पंडित जी, आपको जो ठीक लगे वो कीजिए, जला दीजिए शुभ अग्‍नि, पर ध्‍यान रखिएगा पहले जयमाला होगी जिसमें समय लगेगा।‘’ 

कहकर अमरीश ने राघव के पिता शेखर शर्मा को फोन लगाया। 

‘’समधी जी फोन क्‍यों नहीं उठा रहे हैं?‘’  

नीता ने कहा, ‘’समधनजी और राघव की फैमिली के किसी मेम्बर का फोन नहीं लग रहा है, पता तो चले की बारात कहां तक पहुंची।‘’ 

रेनू बुआ ने कहा, ‘’अरे सब नाचने गाने में बिजी होंगे, इतने शोर में फोन कहां सुनाई देता है, मैं अभी पिंकी को बाहर भेजती हूं हो सकता है वे आसपास ही हो, नाचते गाते धीरे-धीरे आ रहे होंगे।‘’ 

न जाने क्‍यों अपने भाई और भाभी को इतना परेशान देखकर रेनू को मन ही मन बड़ी खुशी हो रही थी। 

पिंकी बाहर गई और कुछ ही देर में वापस लौटकर बोली, ‘’दूर-दूर तक कोई बारात नहीं दिखाई दे रही है।‘’ 

‘’रोड के दोनों ओर देखा ना?‘’ नीता ने अधीर होकर पूछा

‘’हां हां, कहीं कुछ नहीं है।‘’ 

‘’अरे बारात तो राइट साइड से आएगी।‘’ अमरीश ने पिंकी को याद दिलाते हुए कहा। 

पिंकी ने अमरीश से कहा, ‘’हां मामाजी, इसलिए मैं राइट साइड की ओर ज्‍यादा दूर तक गई थी।‘’ 

नीता ने दुखी खड़ी मीरा को देखा और अमरीश से कहा, ‘’अरे कोई बात नहीं, आजकल शहर में कितना ट्रैफिक जाम रहता है, अब यह कोई छोटी मोटी बारात तो है नहीं, चार सौ लोग आ रहे हैं, आप समधी जी को फोन लगाते रहिए।‘’ 

फिर उन्‍होंने मीरा से कहा, ‘अब तुम रूम में जाओ, बारात आते ही तुम्‍हारी फ्रेंडस तुम्‍हें लेने आ जाएंगी।‘’

मीरा ने टाइम देखकर अंदाजा लगाया, रात के ग्‍यारह बजने वाले थे इस समय तो जयमाला और शादी की रसमें शुरू हो जानी चाहिए थी। 

‘’कहां रह गए राघव, फोन न सही कम से कम एक मैसेज तो कर देते...’’मीरा वापस लौटते हुए मन ही मन बोली। 

बहुत लेट होने के कारण शादी में आए मेहमानों को डिनर करने के लिए बोल दिया गया। 

वे खाते पीते कुछ खुसर-फुसर करने लगे, ‘’यह शर्मा फैमिली तो टाइम की बहुत पंक्‍चुअल है, इतनी बड़ी बड़ी बिजनेस मीटिंग करते रहते हैं आज क्‍या हो गया?‘’ 

‘’अरे भाई लड़के वाले हैं ऊपर से पैसे वाले भी तो नौंटकी करेंगे, भाव खाएंगे तब शादी करेंगे।‘’ 

‘’मेरा राघव और उसकी फैमिली ऐसी नहीं हैं,’’ मीरा ने सोचा, पर उसे गुस्‍सा भी बहुत आ रहा था, घंटो से पहना हुआ राघव की पसंद का लंहगा अब भारी और बोझ लगने लगा, जी में आया की रूम में जाए और यह लंहगा उतारकर फेंक दे। 

अब उस मैरिज हाल में लोगों की फुसफुसाहटें और बढ़ने लगी…

कुछ मेहमानों को कल सुबह आफिस निकलना था, कुछ लोगों के बच्‍चों का स्‍कूल था, लिहाजा अमरीश को शगुन का लिफाफा और गिफ्ट पकड़ाकर चलते बने। 

रात के बारह बज चुके थे, राघव और मीरा की शादी की डेट का अगला डे स्‍टार्ट हो गया। 

मीरा मचल उठी ‘’राघव प्‍लीज...प्‍लीज यार कुछ तो रिप्‍लाई दो, यहां लोगों में बहुत टेंशन बढ़ चुकी है।‘’ मीरा रूम में पहुंच कर राघव को फोन और मैसेज करने लगी।

राघव की ओर से कोई रिप्‍लाई नहीं आया। 

यह पहली बार था, जिस दिन से वह राघव से मिली थी और शादी से एक दिन पहले यानी कल तक ऐसा कोई दिन नहीं था जब राघव ने मीरा के मैसेज का रिप्‍लाई न किया हो।

‘’कहीं रास्‍ते में कुछ एक्‍सीडेंट तो नहीं हो गया।‘’ यह ख्‍याल मन में आते ही मीरा का दिल चार गुना तेजी से धड़कने लगा।

नहीं नहीं अगर ऐसा हुआ होता तो, किसी का फोन या मैसेज जरूर आता। 

 

तभी बाहर एक अजीब सा शोर सुनाई दिया, मीरा की जान में जान आई, ‘’ओह राघव, फाइनली तुम आ ही गए।‘’ पर यह शोर बैंड बाजा और बारात वाला शोर तो नहीं था। 

‘’ओह नहीं, यह मैं क्‍या सोच रही हूं। मुझे बारात देखने बाहर जाना चाहिए।‘’

वह बिना किसी का वेट किए झट से बाहर निकलने लगी, मां ने कहा था कि बारात आने पर तुम्‍हारी सहेलियां तुम्‍हें लेने आएंगी, पर इस समय मीरा को इसकी परवाह नहीं थी, वह तो बस राघव को देखना चाहती थी। 

मीरा ने अपने आप को मिरर में देखा, खुद को एक फ्लांइग किस दी, ‘’अब राघव तुम्‍हें बताती हूं’’

मीरा ने अपना ड्रेस, जूलरी और मेकअप ठीक किया और मुस्‍कुराते हुए बाहर निकल आई।

बाहर का नजारा उसकी समझ से बाहर था। 

सारे रिलेटिव मीरा को बेचारगी, हमदर्दी और अफसोस भरी नजरों से देख रहे थे।  

बाहर एंट्री गेट पर सन्‍नाटा था, मंडप में जल रही शुभ अग्‍नि पर पंडितजी पानी डालकर बुझा रहे थे। 

आरती की वह थाल जिसे लेकर पिंकी इधर से उधर टहल रही थी, जमीन पर बिखरी हुई थी। 

जयमाला स्‍टेज पर जल रही रंगबिरंगी लाइटों को बंद किया जा रहा था। 

मंडप के बगल में उसकी मां नीता पिता की गोद में बेसुध पड़ी थी, पिंकी और रेनू बुआ नीता के चेहरे पर पानी डालकर उसे होश में लाने की कोशिश कर रहे थे।  

यह देखकर मीरा के कलेजे पर मानों वज्रपात हो गया, 

‘’यह क्‍या हो गया?‘’  

‘मम्‍मी....मीरा चीखती हुई नीता के पास पहुंची। 

‘’डैडी, मम्‍मी को क्‍या हुआ?‘’ 

अमरीश भावहीन होकर मीरा को देखा और आसपास खड़े लोगों से रिक्‍वेस्‍ट करने लगे, ‘’अरे कोई एम्‍बुलेंस बुलाओ।‘’ 

मीरा भौचक्‍की रह गई, पिंकी ने कहा, ‘’दीदी राघव भैया बारात लेकर नहीं आ रहे हैं, आई मीन वो...वो आप से शादी नहीं करेंगे।‘’ 

पिंकी के शब्‍द जैसे मीरा ने सुने ही नहीं, एक पल के लिए आसपास मानों सबकुछ ठहर सा गया।

 

आखिर राघव ने मीरा से शादी करने से मना क्‍यों कर दिया…जो उसके दिल की हर धड़कन में बसती थी..?

क्‍या राघव किसी मुसीबत में है…या यह किसी की कोई साजिश है?

काव्‍या अपनी बचपन की फ्रेंड मीरा की शादी में क्‍यों नहीं आई? 

दुल्हन का जोड़ा पहनी मीरा अब क्या करेगी? 

जानने के लिए पढ़ते रहिए… 'बहरूपिया मोहब्बत!'

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