‘’मेरी मीरा से शादी नहीं करेंगे...क्या मजाक चल रहा है यहां.... पिंकी, ऐसा मजाक भी कोई करता है?‘’ रेनू बुआ ने मीरा को सांत्वना देते हुए पिंकी को डांटते हुए कहा।
पिंकी रूआंसी आवाज में बोली, ‘’यह सच है।‘’
तभी मीरा चीख पड़ी…बकवास बंद करो, तुम्हें किसने बताया, क्या राघव ने कोई मैसेज किया? अगर किया भी है तो यह एक मजाक भी तो हो सकता है।‘’
पिंकी मीरा का ऐसा रूप देखकर कांप उठी, वह बोली, ‘’पता नहीं मीरा दी, मेरा मतलब है कि ...मैं गेट के पास सेल्फी लेने गई थी, एक व्हाइट कलर की वैन सामने आकर रूकी और मुझसे पूछा क्या मीरा मल्होत्रा की शादी इसी हाल में है तो मैंने हां में जवाब दिया फिर उसने कहा कि उससे बोलो की राघव का वेट न करे वह इस शादी में इंटरेस्टेड नहीं है।‘’
‘’बेवकूफ लड़की और तूने मान लिया...और भाभी आप भी इस पागल लड़की की बात पर होश खो बैठी।‘’ रेनू बुआ ने नीता को सहारा देकर खड़ा करते हुए कहा।
नीता ने कहा, ‘’जीजी, क्या आपको लगता है कि यह झूठ है, जो बारात रात आठ बजे तक आ जानी चाहिए थी, रात के एक बज चुके हैं अभी तक नहीं आई।”
उसी समय मीरा के मामा अनुज जो प्रतापगढ़ से आए थे और अपने इलाके के एक दबंग व्यक्ति है, हाथ में बंदूक लिए सबके सामने आकर खड़े हो गए और एक हवाई फायर करते हुए बोले, ‘’ऐसे कैसे राघव शादी नहीं करेगा, उसे पता होना चाहिए कि मीरा किसकी भांजी है, कहकर उन्होंने तीन चार हवाई फायर और किए और सीटी बजाकर अपने आधे दर्जन से भी ज्यादा आदमियों को अपने पास बुलाया, वे सभी दिखने में सड़क छाप गुंडे मवाली ज्यादा लग रहे थे, वे सभी अनुज के साथ मीरा की शादी अटेंड करने आए थे।‘’
वे मीरा के पापा से बोले, ‘’किस बात की देरी है जीजाजी, आप मुझे उस राघव के घर का पता दीजिए, घसीटते हुए मंडप में लेकर आता हूं।‘’कहकर अनुज ने अपने साथियों को एक इशारा किया, यह संकेत मिलते ही मानो आसमान में गोलियों की आवाज़ गूंजने लगी।
अमरीश, अनुज पर चिल्लाते हुए बोले, ‘बंद करो यह तमाशा, यह मेरी बेटी की शादी का मंडप है तुम्हारे गुंडागर्दी का इलाका प्रतापगढ़ नहीं।‘’
अनुज की इस हरकत पर बौखलाए अमरीश नीता से बोले,’’ यह घटिया इंसान अगर तुम्हारा भाई नहीं होता ना...‘’
अमरीश अनुज के बारे में कुछ बुरा बोलने वाले थे कि अमरीश के एक पड़ोसी ने कहा, ‘’भाई साहब अभी आपस में लड़ने का समय नहीं है, चलिए समधीजी के यहां चलकर देखते हैं कि बात क्या है, केवल राघव के मां-बाप ही सच्चाई बता सकते हैं।‘’
सब लोग एक सुर में हां कहते हैं और एक मिनट बाद ही पार्किंग से कारे निकलने लगती है।
अमरीश पिंकी और मीरा की बाकी सहेलियों से कहते हैं कि ‘’तुम लोग मीरा को लेकर घर जाओ, हम राघव के पैरेंटस से बात करके आते हैं।‘’
मीरा बोली, ‘’नहीं पापा, मैं भी राघव के घर चलूंगी, मुझे हक है जानने का कि राघव मुझसे शादी क्यों नहीं करना चाहता।‘’
अमरीश ने अपने सारे रिश्तेदारों को देखा, सबने सहमति दी।
मीरा अपने शादी के मंडप को देखती है, अब वह शमशान की तरह सूना और डरावना लग रहा था।
‘’मीरा कार में बैठ जल्दी।‘’पिंकी कार में बैठकर मीरा को आवाज लगाते हुए बोली
मीरा के दिल का कोना कोना चीख रहा था, ‘’मैं तो इस मंडप से विदा होना चाहती थी, ऐसे तो नहीं जाना चाहती थी, यह मंडप मेरे लिए अब बुरा सपना और किसी अपशगुन से कम नहीं है।‘’
सड़क के सन्नाटे को चीरती हुई कई सारी गाड़ियां सड़क पर दौड़ने लगी थी।
कुछ ही देर में मीरा की कार उस घर के सामने खड़ी थी जहां कुछ समय बाद मीरा को विदा होकर आना था, एक नई नवेली दुल्हन बनकर, शर्मा मेंशन की लाड़ली बहू बनकर उस घर की चौखट पर कदम रखते ही उसके दिल की धड़कन हजार गुना तेज हो गई।
वह किस अधिकार से गृहप्रवेश करे? वह तो राघव की बीवी नहीं है, बहू भी नहीं है!
राघव के घर को देखते ही मीरा और उसका पूरा परिवार शाक्ड रह गया, इस घर को देखकर लग ही नहीं रहा था कि आज यहां कोई शादी है, कोई डेकोरेशन नहीं, कोई लाइटिंग नहीं, बस वैसा ही दिख रहा था जैसे हमेशा रहता है।
या फिर शायद राघव के शादी न करने के फैसले के कारण सारी सजावट हटा दी गई हो।
अनुज ने राघव के घर को घूरा और अपने गुंडे साथियों के साथ तेज कदमों से चलकर बंदूक के पिछले भाग से डोर को धक्का दिया और वह आसानी से खुल गया
दरवाजा जानबूझकर बंद नहीं किया गया था, जैसे राघव के पूरे परिवार को पहले से ही पता था कि मीरा की फैमिली उनसे सवाल-जवाब करने आने वाली है।
घर के मेन हाल में राघव का पूरा परिवार बैठा था, राघव के पिता शेखर, राघव की मम्मी स्नेहा, राघव की दोनों बहनें अनन्या सौम्या, राघव का भाई रमन, प्रतिमा बुआ और बाकी सारी लेडिज नाइट सूट में थी, शेखर अपने रिलेटिव के साथ लोअर टी शर्ट में बैठे थे।
रात के दो बज चुके थे किसी की आंखों में नींद नहीं थी, पछतावा, बेबसी, गुस्सा और बहुत सारे सवाल…
दो हफ्ते पहले मीरा इस घर में आई थी, जब वह और राघव शादी की शापिंग कर रहे थे।
घर को देखकर लग ही नहीं रहा था कि इस घर में शादी की कोई रस्म हुई होगी।
मीरा की आंखें राघव को ढूंढने लगी, इस समय उसकी सांसे गले में अटकी हुई थी।
मीरा की नजर एक कोने में उस पैकेट पर गई जिसमें राघव की वो हल्के गुलाबी रंग की शेरवानी रखी थी जिसे आज राघव को पहनना था, घर के कोने में बड़ी ही लापरवाही के साथ उसे जैसे फेंका गया था।
मीरा ने अपनी छाती पर हाथ रख लिया, हे भगवान, सब ठीक हो!
अनुज के हाथ में रायफल देखकर राघव की फैमिली सहम उठी, वैसे शेखर के पास खुद के अपने बॉडीगार्ड थे, पर इस समय यहां कोई नहीं था उन्हें पता ही नहीं था कि मीरा की फैमिली हथियार बंद लोगों के साथ आएगें।
अनुज बंदुक को एक हाथ से दूसरे हाथ में लेते हुए, गुस्से से दांत पीसते हुए आगे बढ़ने लगा।
नीता, अनुज से बोली, ‘’भाई, आराम से बातें करो, वे लड़के वाले हैं।‘’
अनुज ने अपनी बंदूक को दिखाते हुए शेखर से कहा, ‘’राघव को लेकर चलते हो या अपना असली रूप तुम्हें दिखाए।‘’
बंदूक और हट्टे कट्टे लोगों को देखकर पहले तो शेखर कांपे फिर बोले, ‘’देखो हम आराम से बातें कर सकते हैं।
‘’हां बिल्कुल कर सकते हैं, पर शादी के बाद....’’अनुज ने फिर से वैसे ही कड़े स्वर में कहा।
‘’अब तक तो आपको पता चल ही चुका होगा की यह शादी नहीं होगी...’’ शेखर ने जैसे तैसे सीधी बात कह डाली।
तभी एक गोली चलने की आवाज आती है, सबकी सांसे थम जाती हैं।
रमन, शेखर को उठा रहा था, ‘’पापा पापा आप ठीक हैं ना...’’
‘’म..मैं ठीक हूं, बेटा।‘’
हर कोई चारों ओर देखने लगता है कि गोली चलाई किसने?
गोली शेखर जी के कंधे को लगभग छूकर निकली थी, उनकी टीशर्ट का एक छोटा सा हिस्सा जल गया था, उसमें से हल्का हल्का धुंआ निकल रहा था।
अनुज ने कहा, ‘’यह तो एक नमूना था, किसी समय मैं शार्प शूटर था, चलती ट्रेन के अंदर बैठे लोगों का शिकार किया है, लगभग रोज उड़ती चिड़िया को मार गिराता हूं, तो कोरी धमकी मत समझना, अगली गोली चली तो अपने आप नहीं चार कंधे पर उठोगे तुम।‘’ अनुज ने गुस्से से शेखरजी को देखकर कहा।
शेखर को अपने बाडीगार्डस की याद आने लगी, अब तक तो वे इस अनुज के बच्चे की हड्डी पसली एक कर चुके होते।
नीता ने अनुज की बांह पकड़कर पीछे धकेलते हुए कहा,‘’अनुज चुप हो जाओ, हमें बात करने दो।‘’
फिर वे स्नेहा से बोली, ‘’समधन जी, हम कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे, पूरे रिश्तेदारी में थू थू होगी। आपको पता है कि हमारा समाज, रहन-सहन आप से बहुत अलग है, शादी ब्याह बहुत बड़ी चीज है।‘’
स्नेहा ने अपना मुंह फेर लिया, उन्होंने राघव के कारण मीरा को बहू के रूप में स्वीकार तो कर लिया था पर मीरा की फैमिली को वे एकदम पसंद नहीं करती थी।
अब अमरीश भरे गले से बोले, ‘’यह सब क्या है, यह नहीं होना चाहिए था..आप हमें बस बता दीजिए कि राघव कहां है, उस मैसेज का क्या मतलब है..वह ठीक तो है ना..अगर कोई प्राब्लम है तो हम किसी और दिन शादी कर लेंगे।
अभी शादी के और भी मुहूर्त हैं..’’
तभी मीरा, शेखर और स्नेहा के सामने आकर खड़ी हो गई।
शेखर ने मीरा की ओर देखा, आंखो में आंसू भरे थे
‘’यह पूछने का हक मेरा है, बताइए पापाजी..मेरा मतलब है अंकल जी..सॉरी.. पापाजी..’’
मीरा को समझ में नहीं आ रहा था कि शेखरजी को अब क्या बोले, अभी तक तो राघव की मंगेतर थी तो पापाजी कहना शुरू कर दिया था पर अब तो कुछ भी नहीं
‘’अगर राघव कोई मजाक कर रहा है तो उससे कहिए कि अब बस बहुत हो गया, आज का दिन कैसे बीता है यह मैं ही जानती हूं, प्लीज मेरा इम्तिहान मत लिजिए।’’
कहकर मीरा सिसक-सिसककर रोने लगती है।
‘’क्या शानदार नाटक कर रही है, बॉलीवुड में ट्राई करे तो टॉप की एक्ट्रेस बन सकती है।‘’ राघव की बड़ी बहन अनन्या, जो इंस्टाग्राम पर छोटे छोटे डांस की रील बनाकर खुद को एक्ट्रेस समझती है उसने सौम्या के कान में बड़ी ही घृणा से रोती हुई मीरा को देखकर फुसफुसाते हुए कहा।
हाई क्लास सोसाइटी वाली अनन्या को मिडिल क्लास मीरा कभी पसंद नहीं थी, पर अभी उसे मीरा और उसके घरवालों के सामने दुखी होने का दिखावा करना था।
वह पहले से ही आंखों में ढेर सारा ग्लिसरीन लगा के बैठी थी जिससे मीरा के सामने आंसुओं का ढेर लगा सके।
वह दौड़ती हुई मीरा को गले लगाते हुए बोली, ‘’भाभी, भले ही आपकी शादी राघव से नहीं हो पाई पर आप ही हमेशा मेरी भाभी रहेंगी।‘
सौम्या के चेहरे पर कुटिल मुस्कान तैर गई, वह मन ही मन बोली, ‘’वैसे अनन्या दी आप भी कमाल की एक्टिंग करती हैं। बीग्रेड फिल्मों के लिए एकदम फिट रहेंगी।‘’
शेखर, मीरा से बोले, ‘’बेटा, कुछ चीजें ऐसी भी हो जाती हैं जिनके लिए हम तैयार नहीं रहते, राघव ने यह डिसीजन क्यों लिया हम नहीं जानते, आज एकदम सुबह उठते ही उसने अपना फैसला हमें सुना दिया कि मैं यह शादी नहीं करूंगा, हमें लगा वह मजाक के मूड में है, और फिर हम शादी की रस्मों मे लग गए, बहुत देर बाद जब राघव को रेडी होने के लिए बुलाया गया था, वह अपने रूम में नहीं था।
‘’रूम में नहीं था क्या मतलब? बेटा घर से निकल गया और इतने लोगों में से किसी ने देखा ही नहीं.. कहां गायब किया है आप लोगों ने उसे? उसका चक्कर कहीं और तो नहीं चल रहा है।‘’ अनुज ने नीता के मना करने के बाद भी शेखर से पूछा।
‘’क्या बकवास कर रहे हैं आप, तीन साल से आपकी भांजी और राघव एक दूसरे को डेट कर रहे हैं...भला हमें क्या ऐतराज होगा।‘’अब शेखर भी ताव में आ गए।
‘’क्या पता, आपका शायद अपने जैसे ही हराम की कमाई वाले की बेटी से शादी करने का इरादा हो।‘’
अब शेखर का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया, ‘यह क्या बकवास कर रहे हैं आप, मैं अपनी मेहनत से इस शहर के सफल बिजनेसमैंस में से एक हूं, मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है। मैं केवल इतना ही कह सकता हूं कि राघव यह शादी नहीं करना चाहता है।‘’
‘’यह बात आप हमें राघव के जाते ही बता सकते थे, हम बेवकूफों की तरह सुबह से शादी की रस्मों में लगे थे और मेरी बेटी कितने अरमानों से राघव का इंतजार कर रही थी, ऐसा बेहुदा मजाक करते आपको शर्म नहीं आई।‘’ अमरीश खुद को छला हुआ महसूस कर रहे थे।
‘‘तो क्या हुआ, आपकी बेटी की हाथों में मेंहदी लगी है, शादी का मंडप भी तैयार है कोई और लड़का देखिए, ब्याह दीजिए।‘’ राघव की प्रतिमा बुआ ने बड़ी ही लापरवाही से कहा।
‘’कहीं और ब्याह दीजिए का क्या मतलब, शादी कोई खेल है क्या।‘’
मीरा से और कुछ नहीं सुना जा रहा था, वह गुस्से के मारे मीरा भड़क उठी।
‘’अगर कोई बात थी तो मुझे बता सकते थे, घर की छोटी सी छोटी बात भी मुझसे शेयर करने वाला राघव शादी नहीं करना चाहता, एक बार रीजन तो बता देता, शादी के लिए तो वही एक्साइटेड था मैंने तो कहा था कि सोच लो।‘’
राघव और मीरा के घरवाले तू तू मैं मैं करने में लगे थे, कि अचानक से चूड़ियां टूटने की आवाज आई।
एकाएक घर के डाइनिंग हाल में सन्नाटा पसर गया, मीरा ने अपनी पिंक कलर वाली कांच की चूड़ियां जिसे राघव ने बडे़ चाव से खरीदा था वह सब अपनी कलाई से निकालकर फर्श पर फेंक दी।
देखते ही देखते मांगटीका, गले का हार सब वहीं उतारकर फेंक दिया, आंसू पोछे और उल्टे पांव उस घर से निकल गई।
अब यहां कहने सुनने के लिए कुछ नहीं था।
‘’मीरा, बेटा रूको हम सब यहां से चलेंगे, इन लोगों ने हमारे साथ फ्राड किया है, हम इन्हें कोर्ट में घसीटेंगे।‘’ नीता भी मीरा के पीछे जाने लगी।
अमरीश ने नीता की बांह पकड़कर कहा, ‘’उसे कुछ समय के लिए अकेला छोड़ दो, इस समय वह ऐसे दर्द में है जिसे काई मिटा नहीं सकता।‘’
अनन्या ने मन ही मन कहा, ‘’मिस मीरा मल्होत्रा, तुम कभी भी मिसेज राघव शर्मा नहीं बन सकती। अभी तो यह शुरूआत है, तुम्हें असली खून के आंसू पीना तो अभी बाकी है।‘’
राघव के घर के बाहर निकलकर मीरा ने गहरी सांस ली और आसपास देखा..राघव के घर से कुछ ही दूरी पर शराब की दुकान थी जो चौबीस घंटे खुली रहती थी।
मीरा तेज कदमों से चलती हुई उस दुकान के पास पहुंच गई।
अभी भी उस शराब की दुकान के बाहर नशे में कुछ लड़के लड़कियां झूम रहे थे, कुछ एक दूसरे को गालियां दे रहे थे, कुछ अपने दिल का गम सामने बैठे अनजान लोगों से शेयर कर रहे थे।
राघव को अपनी सोसाइटी की इस दुकान से सख्त नफरत थी, वह अक्सर कहता था अगर मेरा बस चले तो मैं इसपर बुलडोजर चलवा दूं…
मीरा को याद आया कि एक बार वह इस दुकान के बाहर खड़ी होकर राघव का वेट कर रही थी तो राघव कितना चिढ़ गया था।
‘प्लीज मीरा, यहां कभी मत आना। मुझे ऐसी शॉप से चिढ़ होती है और शराब पीने वालों पर भी गुस्सा आता है।‘’
याद आते ही मीरा का गुस्सा फिर से बढ़ गया, न जाने क्यों उसके कदम दुकान के अंदर चले गए...उसका मन कर रहा था कि राघव कहीं से आ जाए और उसे घसीटकर दुकान से बाहर ले जाकर खूब डांटे।
‘’सब करूंगी जिससे तुम्हें चिढ़ होती है मिस्टर राघव।‘’
कांउटर पर जाकर बोली, ‘मुझे एक रेड वाइन चाहिए अभी।‘’
दुकानदार ने मीरा को सिर से पांव तक देखा, एक दुल्हन जिसका चेहरा आंसुओ से भीगा था, कपड़े अस्त-वयस्त और बाल बिखरे थे।
उसने मीरा से पूछा, ‘’क्या आप अठारह साल की हो?‘’ मीरा के मासूम चेहरे और दर्द भरे मीठे आवाज से उस शराब विक्रेता को लगा कि शायद यह पंद्रह सोलह साल की कोई बच्ची है।‘’
मीरा चिल्ला उठी, ‘मैं तेईस साल की हूं, यू..’’ मीरा उसे कुछ गलत बोलने ही वाली थी कि रूक गई।
फिर गहरी सांस लेकर बोली, ‘’जल्दी दो।‘’
वाइन का एक घूंट लेते ही मीरा को खांसी आ जाती है, फिर अगले ही क्षण एक ही सांस में पूरी की पूरी वाइन ही गटक जाती है, इशारे से और मांगती है।
तभी उस दुकानदार को कुछ याद आता है, वह तुरंत अपना फोन उठाकर एक फोटो देखता है और वह मीरा को देखता है उसके बाद तुरंत ही किसी को फोन करता है, और धीरे से बोलता है, ‘’मैडम एक न्युज देनी थी, वो लड़की मीरा जिसकी फोटो आपने भेजी थी वह यहीं है मेरे सामने, जैसा आपने कहा था वह रेड वाइन ही पी रही है....ओके मैम, जैसा आप कहें।‘’
दुकानदार फ़ोन रखते ही रेड वाइन पी रही मीरा को बस एकटक देखता रहा, जैसे वो सब कुछ जानता है और नहीं भी।
आखिर राघव ने बिना किसी को कुछ बताए घर क्यों छोड़ दिया, क्यों लिया उसने मीरा से शादी न करने का फैसला?
अनन्या मीरा को क्या दर्द देने वाली है और यह मैडम कौन हैं और उन्हें कैसे पता कि मीरा इस शराब की दुकान में आएगी?
आखिर कौन है इन सबके पीछे, क्या मीरा कभी ये सच जान पायेगी?
जानने के लिए पढ़ते रहिए… 'बहरूपिया मोहब्बत'!
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