मल्‍होत्रा फैमिली के जाने के बाद राघव के अस्‍सी साल के दादाजी और शर्मा फैमिली के हेड व्‍हील चेयर पर चलते हुए अपने रूम से बाहर निकले, गोलियों की आवाज और झगड़े का शोर सुनकर उनसे रहा नहीं गया।

रमन ने दादाजी को देखकर मुंह बनाया और कहा, ‘’अभी एक नौंटकी खत्‍म हुई अब दूसरी नौंटकी शुरू होगी, मैं सोने जा रहा हूं। अब मुझसे यह सब नाटक नहीं होगा।‘’ 

शेखर पहले से ही गुस्‍से में थे ऊपर से रमन की इस हरकत ने उन्‍हें और आग बबूला कर दिया, ‘’चुपचाप अपनी जगह खड़े रहो, मेरे हुक्‍म इस घर के आखिरी शब्‍द होते है और जुबान पत्‍थर की लकीर... तुम्‍हारा बड़ा भाई अपनी शादी के दिन ही लापता हो गया और तुम ऐसे जता रहे हो जैसे कुछ हुआ ही नहीं।‘’ 

रमन ने लापरवाही से कहा, ‘’राघव भाई कोई दूध पीते बच्‍चे नहीं हैं, जो उनके लिए हम इतना परेशान हों, और सब जानते हैं कि वह लापता नहीं हुए हैं, वह अपनी मर्ज़ी से कहीं चले गए हैं और यह सब तो पहले से ही तय था हम इस बात को इतना बड़ा क्‍यों बना रहे हैं?‘’ 

‘’चुप रहो‘’ दादाजी की कड़क आवाज से सब सावधान की मुद्रा में आ गए। 

वो सबको घूरते हुए बोले, ‘’मैंने तुम सबसे कहा था ना कि मल्‍होत्रा फैमिली सवाल-जवाब करने आएगी तो तुम लोग चुप रहना, क्‍या जरूरत थी बोलने की और इतना लड़ने की।‘

स्‍नेहा फट पड़ी, ‘’आपको पता भी है उन लोगों ने आपके बेटे पर गोली चलाई, केवल एक इंच नीचे लग जाती तो पता है इनकी जान भी जा सकती थी।‘’ 

प्रतिमा ने कहा, ‘’वैसे भी हम चुपचाप ही बैठे थे आपको तो पता है वे गुन्‍डे लोग हैं, बंदूके लेकर आए थे, अच्‍छा हुआ हमे उनसे छुटकारा मिल गया।‘’ 

 

‘’हमने उनके साथ अच्‍छा नहीं किया, हमें सुबह ही सबकुछ बता देना चाहिए था।‘’ दादाजी ने हताशा भरे स्‍वर में कहा। 

‘’अब जो हुआ सो हुआ पापा,  सुबह से ही आपका ब्‍लड प्रेशर हाई है, आपको रेस्‍ट करना चाहिए, अब ऐसे बैठे रहने से राघव वापस तो नहीं आने वाला।‘’ 

 

इधर मीरा की फैमिली मीरा के बगैर अपने घर पहुंच जाती है।

 ‘’कुछ समझ में नहीं आ रहा, अब थोड़ी ही देर में सुबह हो जाएगी, लोगों के सवालों का हम क्‍या जवाब देंगे‘’ रेनू बुआ को आस पड़ोस और दूर दराज के रिश्‍तेदारों के सवालों की चिंता हो रही थी, उन्‍हें पता था सुबह होते ही घर में औरतों की भीड़ इकट्ठी हो जाएगी, किसी की तकलीफ में मजा लेने का मौका ये सब कैसे गंवा देंगी।  

नीता ने रेनू को झिड़का, ‘’तुम्‍हें लोगों की पड़ी है... हमें मीरा को अकेले छोड़कर नहीं आना चाहिए था।‘’ 

‘’इस समय उसकी तकलीफ को समझने वाला कोई नहीं है, अकेलापन ही उसे इस दर्द से निकाल सकता है।‘’ रेनू ने उन्‍हें समझाते हुए कहा। 

एकाएक नीता और भी ज्‍यादा घबरा उठी, ‘’कहीं मीरा तनाव में आकर कुछ ऐसा वैसा न कर ले, मेरा मतलब है कि वह अपने आप को नुकसान न पहुंचा लें।‘’ 

 

‘’मेरी बच्‍ची इतनी कमजोर नहीं है, वह कुछ गलत नहीं कर सकती है, हमें उसे थोड़ा वक्‍त देना चाहिए, कभी कभी अकेलापन बहुत सी तकलीफों का अंत कर देता है।  उसकी कालेज की कुछ फ्रेंडस वहीं रहती हैं, इसलिए मैंने जानबूझकर मीरा को जाने दिया और मुझे पता है कि जब वह वापस लौटेगी तो एक नई और मजबूत मीरा बनकर लौटेगी।‘’ कहते कहते अमरीश की आंखों से आंसू बहने लगे।

 

इधर मीरा लड़खड़ाते कदमों से बाहर निकलने लगी, उसने एक खम्‍भे से खुद को टिका लिया, एक लाइन से कई सारी चार मंजिला इमारतें खड़ी थी, इतने अंधेरे में भी वो राघव का घर पहचान सकती थी। 

वह राघव को क्‍या कहे, धोखेबाज, बेवफा, डरपोक, कायर उसे नहीं पता था कि वाकई में वह इनमें से कुछ है। 

जब तक वह खुद सामने से आकर कुछ नहीं कहता। 

तभी एक कार उस वाइन शॉप के बाहर आकर मीरा के सामने रूक गई, कार की तेज हेडलाइट से मीरा की आंखे चौंधिया उठी, उसने अपनी आंखे कसकर बंद कर ली, सिर अभी बहुत भारी हो रहा था। 

वह अपने आप को संभालते हुए आगे बढ़ी कि अचानक किसी से टकरा गई, शराब के असर से शरीर ढीला पड़ गया, वह अपने आप को संभाल नहीं पाई और सामने टकराने वाले आदमी की बाहों में झूल गई। 

नशे में मीरा की आंखें बंद और खुल रही थी, वह केवल इतना देख पाई कि उसकी आंखों के सामने भूरी आंखों वाला लड़का उसे अपलक देख रहा है। 

‘’यह नशे में है, इसे अकेला छोड़ना ठीक नहीं है।‘’ कहकर कुछ सेकेंड मीरा को देखने के बाद उस भूरी आंख वाले लड़के ने मीरा को अपनी बांह में उठा लिया। 

 

सुबह का समय, खिड़की से आती सूरज की किरणें मीरा के चेहरे पर पड़ रही थी। 

वह लड़का मीरा के बेड से कुछ दूर खड़ा उसे देख रहा था। 

लड़के के पीछे उसका असिस्‍टेंट खड़ा था, उसका नाम सूर्या था। 

उस लड़के ने सूर्या से पूछा, ‘’मैंने तुमसे इस लड़की के बारे में सारी जानकारी लाने के लिए कहा था।‘’ 

‘’यस सर मैंने सबकुछ पता कर लिया, इसका नाम मीरा मल्‍होत्रा है, ग्रेजुएट है, बहुत ही बोल्‍ड, प्‍यारी और स्‍ट्रांग लड़की है।‘’

 वह अपने अस्‍सिटेंट की ओर मुड़ा और बोला, ‘’तुम्‍हें किसी लड़की की जानकारी लेनी नहीं आती है, इसे देखो इसे कहते हैं बला की खूबसुरत, इसके होंठ...’’

‘’जी सर, एकदम गुलाब की पंखुड़ी जैसे हैं।‘’ सूर्या, मीरा को ध्‍यान से देखते हुए बोला।  

‘’ओह नहीं, यह जब मुस्‍कुराती होगी तो आसपास की दुनिया आनंद से भर उठती होगी‘’ लड़के ने कहा।  

असिस्‍टेंट ने सिर झटका, आजतक वह अपने बिजनेसमैन और दिल से कवि बॉस का दिल नहीं जीत पाया। प्‍यार भरी कविताएं तो लिखते हैं, पर किसी लड़की की तारीफ तो पहली बार कर रहे थे। 

कल रात नशे में धुत्‍त इस लड़की को अपनी कार में बैठाकर घर ले आए और मुझसे कहा कि तुम इस लड़की के बारे में सबकुछ पता करो। 

एक अनजान लड़की, सोचकर सूर्या ने आगे कहा।

 ‘’सर कल इसकी शादी थी किसी राघव शर्मा नाम के लड़के के साथ, लेकिन..‘’ 

लेकिन, लेकिन क्‍या..मीरा पर फिदा हो चुके उस लड़के ने पूछा। 

‘’लेकिन शादी नहीं हुई..’’

सूर्या का कवि बॉस मुस्‍कुरा दिया।

‘’इसने मना कर दिया होगा, ऊपर वाले ने शायद ही इसके लिए किसी को बनाया होगा।‘’ 

सूर्या ने कहा, ‘’नो सर, मामला कुछ अलग है राघव जिसके साथ इसकी शादी होने वाली थी वह पता नहीं कहां गायब हो गया, कोई कह रहा है कि वह यह शादी नहीं करना चाहता।‘’ 

‘’मूर्ख नहीं महामूर्ख है, स्‍वर्ग की अप्‍सरा को कौन ठुकराता है।‘’  

सूर्या ने कहा, ‘’कोई कह रहा था कि वह बहुत परेशान था कोई कह रहा है कि वह मुसीबत में है मतलब शायद किडनैप कर लिया गया होगा, या फिर कोई ऐसी प्राब्‍लम जो कोई सोच भी नहीं सकता।‘’  

‘’इस लड़की को पाने के लिए किडनैपिंग क्‍या मर्डर भी हो जाए तो कोई बहुत बड़ी बात नहीं, वैसे यह लड़की मुझे पहले मिली होती तो मैं भी उस राघव शर्मा को ऐसी जगह गायब करवा देता कि दुनिया की कोई भी पुलिस उसे ढूंढ नहीं पाती।‘’ 

सूर्या ने खीजते हुए सिर झटका और कहा, ‘’सर आपकी बिजनेस डील होनी थी, सुबह के नौ बजने वाले हैं, आपके बिजनेस पार्टनर क्‍लब पहुंचने ही वाले हैं, आपको चलना चाहिए।‘’ 

वह लड़का मीरा के बेड के पास आकर सूर्या से बोला, सूर्या, मेरे लिए एक लेटर टाइप कर दो। 

‘’अभी सर, पहले बिजनेस तो फाइनल हो जाए।‘’ 

बिजनेस तो फाइनल हो ही जाएगा, पर उससे भी इंपॉर्टेंट और भी कुछ है। उसने सूर्या से कुछ कहा, जिसे सुनकर सूर्या के होश उड़ गए।

‘’लेकिन सर, आपको नहीं लगता है कि यह गलत है। इस लड़की के साथ वैसे ही इतना बुरा हुआ है और आप...’’

‘’जैसा कह रहा हूं वैसा करो, तुम मेरे बॉस नहीं मैं तुम्‍हारा बॉस हूं।‘’ 

‘ओके बॉस।‘ सूर्या ने एक गहरी सांस ली और सोती हुई मीरा को अफसोस और हमदर्दी भरी नजरों से देखा, इसे जल्‍दी ही इसके घर पहुंचाना होगा। 

सोचकर सूर्या ने बाहर निकलते हुए कार्नर पर रखा पानी से भरा कांच का ग्लास जानबूझकर नीचे गिरा दिया। 

वह मीरा को जगाना चाहता था, ग्लास के गिरते हुए तेज आवाज हुई। 

मीरा ने झट से आंखें खोल दी। 

सूर्या का बॉस खीज उठा, वह नहीं चाहता था कि मीरा उठे, वह उसे ऐसे ही सोते हुए देखना चाहता था। 

वह दांत पीसते हुए सूर्या से बोला, ‘’बेवकूफ यह किया।‘’ 

‘’ओह सॉरी सर, वो आपका काम करने की जल्‍दी में देखा नहीं।‘’ कहकर सूर्या बाहर निकल गया। 

मीरा अपना सिर सहलाते हुए उठी, कुछ पल जैसे शून्‍य भाव से सब कुछ देख रही थी फिर चारों ओर देखकर कुछ हक्‍की बक्‍की सी रह गई। 

मीरा की नजर अपने सामने खड़े उस लड़के पर गई, मीरा की खुली हुई आंखें देखते ही उस लड़के ने मन ही मन कहा… 

इसकी आंखें कितनी सुंदर है, इसमें प्‍यार है..शरारत है..खुमारी है..नशा है..एक कशिश है।

वह आगे बढ़ा और मीरा से बोला, ‘हाय मेरा नाम राजवीर मेहता है, मेहता कम्‍पनी का चेयरमैन।‘’ 

मीरा घबरा गई, अनजान जगह, एक अजनबी इंसान, मीरा उसे ध्‍यान से देखने लगी, वह ब्‍लैक ट्राउजर और सफेद शर्ट में एक हैंडसम लड़का था, क्‍लीन शेव, सख्‍त और सपाट चेहरा, पत्‍थर की तरह मजबूत और कसा हुआ कसरती शरीर पहली नजर में हालीवुड का कोई हीरो लग रहा था।

अगले पल मीरा को लगा कि कहीं यह गुंडा मवाली तो नहीं? 

 

फिर मीरा की नजर अपने शादी के जोड़े और मेंहदी लगे हाथों पर गई, अगले ही सेकेंड में उसे सबकुछ याद आ गया। 

मैं यहां कैसे आई, फिर मीरा को राघव के घर के पास वाली वाइन शाप याद आई, ‘’हे भगवान, मैं नशे में थी और यह शख्‍स मुझे पता नहीं क्‍या समझकर उठा लाया।‘’

आंखे आंसुओं से भर गई, राजवीर उससे कुछ कह पाता वह एक झटके में बेड से उठी और बाहर की ओर भागी। 

राजवीर उसे रोकने के लिए आगे बढ़ा तभी सूर्या अंदर आकर बोला, ‘’सर प्‍लीज आप ऐसा न करें, रूम के बाहर सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, आपके घर के बाहर हमेशा कोई एक रिर्पोटर खड़ा रहता है, आपकी रेपुटेशन पर असर पड़ सकता है कि मेहता इंडस्‍ट्रीज का मालिक एक मिडिल क्‍लास लड़की के पीछे भाग रहा है।‘’ 

न जाने क्‍या सोचकर राजवीर रूक गया, इस लड़की का यहां से जाना ही ठीक रहेगा।  

‘’वह लेटर टाइप हो गया,’’ राजवीर ने सिगरेट सुलगाते हुए सूर्या से पूछा। 

‘’यस सर मैंने उसे आपके बताए जगह पर पोस्‍ट कर दिया है, जल्‍द ही उस शख्‍स को मिल जाएगा, जो आपके लिए बहुत इंपॉर्टेंट है।‘’ 

 

मीरा, राजवीर के लग्‍जरी अपार्टमेंट से बाहर निकल आई, वह सामने दिख रहे सड़क की ओर बढ़ी, रोड के किनारे आकर मीरा ने गहरी गहरी सांसे ली, आसपास के दुकानों पर लगे बोर्ड को देखकर जानने की कोशिश करने लगी कि वह कहां है।

वह राघव के घर से बहुत ज्‍यादा दूर नहीं थी, वह मेहता अपार्टमेंट के सामने वाली रोड पर खड़ी थी, राघव का घर यहां से पंद्रह मिनट की दूरी पर था।

मीरा ने मन ही मन कहा, अब वहां जाने का क्‍या फायदा, पर वह बाडी बिल्‍डर जैसा दिखने वाला आदमी कौन था, मुझे यहां लेकर क्‍यों आया था, पता नहीं क्‍या नाम बताया अपना...

मीरा अभी कुछ याद नहीं करना चाहती थी, वह बस अपने घर पहुंचना चाहती थी। उसने हाथ से इशारा कर के एक टैक्‍सी रोकी और उसमें बैठने ही वाली थी कि एक छोटा बच्‍चा मीरा के पास आकर बोला, ‘’क्‍या आप मीरा मल्‍होत्रा हैं?‘’ 

‘’यहां मुझे कौन जानता है।‘’  

भौंचक्‍की सी मीरा ने उस बच्‍चे को देखकर हां में सिर हिलाया।

उस बच्‍चे ने मीरा को एक कागज का टुकड़ा पकड़ाते हुए कहा, ‘’यह आपके लिए।‘’ 

मीरा कुछ पूछती इससे पहले ही वह बच्‍चा रोड की दूसरी साइड तेजी से निकल गया। 

टैक्‍सी में बैठकर मीरा वह लेटर पढ़ने लगी, ‘’सॉरी डियर, हमारा मिलना एक बुरे सपने जैसा था, मुझे एहसास हुआ की तुमसे शादी का फैसला कर के मैंने बहुत बड़ी गलती की है, मेरे पास और कोई रास्‍ता नहीं है, मैं अपनी भूल सुधारना चाहता हूं और मैं बहुत पहले ही समझ गया था कि अब हम कभी एक नहीं हो सकते, तुम भी इस चीज को जितनी जल्‍दी मान लो उतना ही अच्‍छा है, ईश्‍वर करे तुम्‍हें मुझसे भी अच्‍छा लड़का मिले, प्‍लीज मुझे माफ कर देना। 

तुम्‍हारा राघव शर्मा।

अपने अर्पाटमेंट के उस कमरे में जहां कुछ देर पहले मीरा थी उसकी खिड़की के पास खड़ा होकर राजवीर सिगरेट का कश ले रहा था। 

लेटर पढ़कर मीरा के हाथ कांपने लगे, हवा के झोंके से वह लेटर उड़ ही जाता उससे पहले ही मीरा ने अपनी मुटठी में उसे कसकर बंद कर लिया।  

 

उसी समय, उसी शहर में दूर कहीं जंगल के बीचों बीच बने एक फार्म हाउस में वह शराब विक्रेता जिसने कल रात मीरा को रेड वाइन दी थी वह एक औरत के सामने हाथ बांधे सिर झुकाए खड़ा था। 

उस औरत की उम्र पचास के आसपास थी, आंखे गुस्‍से से दहक रही थी ऐसा लग रहा था जैसे किसी भी समय अपने सामने खड़े उस आदमी को जलाकर खाक कर देगी। 

‘’आखिर राजवीर तुम्‍हारी शॉप पर कैसे पहुंचा और उस मेहता के बच्‍चे की हिम्‍मत कैसे हुई मीरा को अपने घर ले जाने की।‘’ उस औरत ने शराब विक्रेता जिसका नाम पवन था, उससे पूछा। 

पवन ने कहा, ‘’मैम, राजवीर सर हमारे रेगुलर कस्‍टमर हैं, वे रोज आधी रात के बाद हमारी शॉप पर अपनी पसंदीदा शराब पीने आते हैं, इसलिए तो हमें आधी रात के बाद भी दुकान खोलकर रखनी पड़ती है, कल भी हम उन्‍हीं का वेट कर रहे थे और हमें नहीं पता था कि बिना कुछ पिए ही वे मीरा मैम को ऐसे उठाकर ले जाएंगे।‘’ 

वह औरत गुस्‍से के मारे गहरी गहरी सांसे लेने लगी, ‘’उस राजवीर के बारे में तुम्‍हें नहीं पता, बहुत ही जिद्दी, अड़ियल और दिलजला किस्‍म का लड़का है, उसने जरूर मीरा के बारे में सबकुछ पता कर लिया होगा। उसका और राघव का रिश्‍ता…ओह नहीं...उसे मीरा से दूर रखना होगा, आज रात को जब राजवीर तुम्‍हारी शॉप पर आए तो उसकी शराब में यह पाउडर डालकर पिला देना, हमें पता करना होगा कि उसने मीरा को क्‍या क्‍या बताया है, पर सबसे पहले वह लेटर...खैर वह काम तो तुमने कर ही दिया है।

 

पवन के हाथ पांव फूल गए, ‘’लेटर...हे भगवान यह मैंने क्‍या किया, किसी और के हाथों भेजने के बजाय मुझे खुद ही वह लेटर उस लड़की को दे देना चाहिए था...उन दोनों नए लड़कों को मुझे वह लेटर नहीं देना चाहिए था। पता नहीं लेटर अब तक पहुंचा की नहीं।’’

 

आखिर क्‍या है इन दोनों चिट्ठियों का रहस्‍य? 

कौन है राजवीर उसकी राघव से क्‍या दुश्‍मनी है?

आखिर मीरा को लेटर किसने लिखा है, उस औरत ने, राघव ने,  या राजवीर ने?

जानने के लिए पढ़ते रहिए… 'बहरूपिया मोहब्बत'!

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