मीरा को देखते ही नीता ने उसे झट से खींचकर दरवाजे के अंदर किया और सिर से लेकर पांव तक ध्‍यान से देखने के बाद उससे लिपटकर फूट-फूटकर रोने लगी।

‘’मेरी बच्‍ची कहां थी तुम, हमें माफ कर दो हम तुम्‍हें अकेला छोड़कर आ गए। तुम्‍हारे पापा और मामा रात में तीन चार चक्‍कर लगाकर वापस आ गए थे, हमें लगा...हमें लगा...तुम…हमने वहां आसपास तुम्‍हारी तीना सहेलियों को फोन किया, तुम वहां भी नहीं थी। किसके घर थी तुम?‘’ 

मीरा को उस लड़के का ध्‍यान आया जिसका नाम राजवीर था, ‘’वह बदतमीज मुझे नशे में देखकर अपने घर उठाकर ले गया था।‘’

‘’मैं अपनी एक दोस्‍त के यहां थी मां...जिसे आप नहीं जानते, वो मेरे आफिस में नई आई है..’’ कहकर मीरा ने अपनी मुट्ठी कसकर बांध ली जिसमें राघव का लिखा लेटर था। 

फिर नीता ने कहना शुरू कर दिया, ‘’उस राघव ने हमारी खुशियां तहस-नहस कर दी, हम उसे नहीं छोड़ेंगे...हम उसकी फैमिली पर मानहानि और फ्राड का केस करेंगे।

नीता ने बहुत कुछ सोचकर रखा था पर मीरा इस समय भी अकेले रहना चाहती थी। 

‘’मां प्‍लीज, मैं नहाकर रेस्‍ट करना चाहती हूं।‘’  

‘’हां हां बेटा, जाओ अपने रूम में, मैं तुम्‍हारा पसंद का नाश्‍ता बनवाती हूं।‘’ 

अपने रूम में पहुंचकर मीरा का दिल दर्द से भर उठा, आंखे एक बार फिर नम हो उठी, पूरे रूम में उसका सामान रखा था।

उसका वह सामान जो वह शादी के बाद अपने ससुराल ले जाने वाली थी, सुंदर पर्स, फैंसी सैंडिल, एक से बढ़कर एक डिजाइन ड्रेस, जूलरी। 

कितने प्‍यार से मीरा ने राघव के साथ मिलकर एक एक चीज की शापिंग की थी। 

एक बड़े से पैकेट में रंगबिरंगे और स्‍टाइलिस्‍ट ड्रेस रखे थे, ये हनीमून पर पहनने के लिए के लिए थे।

ऐसे छोटे और तंग ड्रेस मीरा ने कभी नहीं पहने थे, शायद कभी अपने रूम के अंदर पहना हो पर बाहर तो किसी के सामने नहीं।

‘’वहां हमें कौन जानता है, यह हमारी लाइफ का वो टाइम है जो केवल एक ही बार आता है, प्‍लीज मेरी खातिर पहन लेना बाद में भी बंद कमरे में सिर्फ मेरे लिए।‘’ राघव ने ट्रायल रूम के बाहर मीरा से कहा था जब मीरा एक छोटे से ड्रेस में खुद को असहज महसूस कर रही थी।  

सच ही तो था, वे हनीमून के लिए मालदीव जा रहे थे, वहां उन्‍हें जानने वाला कोई नहीं था। 

उस पैकेट को उठाकर मीरा ने जमीन पर पटक दिया ।

‘’क्‍यों राघव......क्‍यों....इतना बड़ा मजाक क्‍यों?

तुम मेरी फीलिंग्‍स के साथ खेल रहे थे, तमाशा बना रहे थे मेरा........आखिर क्‍यों किया तुमने मेरे साथ ऐसा, केवल एक बार मुझसे मिलकर मुझे सबकुछ बता दो। 

वो दिसम्‍बर का आखिरी दिन था, नए साल के आने में कुछ ही समय बचा था और मीरा की दोस्‍त काव्‍या की बर्थडे पार्टी थी। 

मंहगी शराबों से भरे ग्लास आपस में चियर्स किए जा रहे थे, पूरी पार्टी में एक मीरा ही थी जिसके हाथ में शराब नहीं गर्मा गर्म टमाटर का सूप था। 

काव्‍या के बार बार कहने पर भी मीरा ने एक घूंट तक लेने से मना कर दिया था, शराब के नशे में लोग एक दूसरे से टकरा रहे थे, कई लोग तो अपनी वो सारी भड़ास निकाल रहे थे जो नार्मल रहकर नहीं कर पाते हैं। 

दो लड़कों ने तो नशे में ही अपनी गर्लफ्रेंड को शादी के लिए भी प्रपोज कर दिया। 

यह देखकर मीरा खिलखिला उठी, उसका इस पार्टी में अच्‍छा मनोरंजन हो रहा था। लेकिन वह खुद भी लोगों से बचकर चल रही थी।  

वह एक मदहोश और नशीली रात थी जब वह अचानक राघव से टकराई।

‘’सॉरी सॉरी‘’ मीरा ने उस लड़के से कहा, ‘’जब पता है कि चारों ओर नशेड़ी घूम रहे हैं तो मीरा तूझे देखकर चलना चाहिए ना।‘’ 

मीरा ने सामने वाले लड़के जिसके सीने से मीरा का सिर टकराया था, अगले ही सेकेंड पीछे होकर माफी मांगते हुए मन ही मन बोली। 

‘’अरे आप क्‍यों सॉरी बोल रही है, एक्‍चुली मैं ही सामने देखकर चल नहीं रहा हूं, पीछे का नजारा ही कुछ ऐसा है कि मैं अपना फेस सामने कर ही नहीं पाया...उस ब्‍लु टीशर्ट वाले लड़के को देखिए नशे में अपनी एक्‍स गर्लफ्रेंड की तारीफ अपनी गर्लफ्रेंड के सामने कर रहा है, और लड़की उसका कालर पकड़कर उसे और उसकी एक्‍स को गालियां दे रही है।‘’

मीरा भी बहुत देर से यह सब देख रही थी, क्‍या जरूरत थी काव्‍या को ऐसी कॉकटेल पार्टी देने की। 

सिम्‍पल सी बर्थडे पार्टी देनी चाहिए थी।  

मीरा ने ध्‍यान से उस लड़के को देखा, ‘यह तो नशे में नहीं लग रहा है।‘’ उस लड़के के हाथ में लेमन जूस की बोतल थी। 

‘’आपने ड्रिंक नहीं ली है।‘’  

‘’नहीं, क्‍योंकि मुझे खुद ड्राइव कर के घर जाना है, और सबको पता है पीकर कार नहीं चलाते।‘’ 

मीरा के हाथ में सूप का कटोरा देखकर राघव ने कहा, ‘’आपने भी ड्रिंक नहीं किया है, लगता है आपको भी कार खुद ही ड्राइव करनी है।‘’ 

‘’जी नहीं, न तो मेरे पास कार है और ना ही मुझे कार ड्राइव करनी आती है, मेरे पापा मुझे लेने आएंगे।‘’ 

अचानक राघव मीरा के और करीब आया और अपने अंगूठे से मीरा के होंठ सहलाने लगा, उस लड़के की इस हिम्‍मत पर मीरा एकाएक जड़ सी हो गई, आंखें फैल गई और दिल की धड़कने तेज हो गई....

मीरा के लिए यह किसी लड़के की पहली छुअन थी...ऐसा लगा कि सांसे ही रुक जाएंगी। 

तभी राघव को एहसास हुआ कि उसे ऐसा नहीं करना चाहिए था, ‘’ओह सारी, आपके लिप्‍स के पास सूप लगा था।‘’ 

मीरा ने झिझकते हुए सूप का कटोरा अपने आस-पास घूम रहे एक वेटर की ट्रे पर रख दिया और तेजी से वाशरूम की ओर भाग गई। 

अपना चेहरा साफ करते हुए गहरी गहरी सांसे लेने लगी, एक अजीब सी फीलिंग से दिल भर उठा था।

‘’आखिर मैं इतना क्‍यों घबरा रही हूं, एक सिम्‍पल सी मुलाकात है। पर उसने मेरे होंठ क्‍यों छुए, सूप साफ करने के बाद क्‍यों बताया। 

इन लड़कों को लड़कियों से बात करने का उन्‍हें छूने का एक बहाना चाहिए होता है। 

काव्‍या भी पता नहीं कैसे कैसे लोगों को बुला लेती है।‘’

वॉशरूम से बाहर निकलते ही मीरा राघव से टकरा गई, राघव भी सामने के जेन्‍टस वॉशरूम से बाहर निकल रहा था। 

राघव की मदहोश नजरें मीरा के दिल का कोना-कोना चीर रही थी। 

यह लड़का मुझे इतना आकर्षित क्‍यों कर रहा है? 

‘’आप ठीक हैं‘’ उसने अपना चेहरा पोंछते हुए मीरा से पूछा। 

मीरा ने हां में सिर हिला दिया। 

‘’इन लोगों ने बहुत तेज म्‍युजिक लगा रखा है, लाउड म्‍युजिक से मेरे सिर में दर्द होने लगता है।‘’ 

‘’मेरे भी‘’ मीरा ने अचानक ही कह दिया, अरे नहीं मुझे यह नहीं कहना चाहिए था। 

‘चलिए लॉन में चलते हैं, वहां अलाव जल रहा है।‘’ 

न जाने कौन सा चुम्‍बकीय आकषर्ण था उस लड़के में कि मीरा उसे ना नहीं कह पाई और चुपचाप उसके पीछे पीछे चलने लगी। 

लॉन में अलाव के पास रखे चेयर पर दोनों बैठ गए, कुछ देर खामोशी रही मीरा असहज महसूस कर रही थी। इस पूरी पार्टी में केवल काव्‍या से ही उसकी जान पहचान थी पर इस समय तो वह नशे में टल्‍ली होकर झूम रही थी और एक लड़का जो पूरे होशो हवास में था लेकिन मीरा उसे नहीं जानती थी बस उसके साथ बैठी थी। 

दिसम्‍बर की सर्द हवाएं उनके बीच से होकर गुजर रही थी, यह एक मदहोश रात थी। 

एक हैंडसम लड़का उसके सामने बैठा था, वह अलाव ताप रहा था और मीरा उसे ही देख रही थी, पर सावधान थी वह राघव को यह नहीं जताने देना चाहती थी कि वह उसे अच्‍छा लग रहा है। 

उसकी ठंडी सांसे मीरा को छू रही थी, दिल का एक कोना कह रहा था कि यह रात कभी खत्‍म न हो पर दिल का दूसरा कोना कह रहा था कि मीरा तूझे किसी लड़के के चक्‍कर में पड़ना नहीं है।

याद है ना पापा ने क्‍या कहा है, पहले पढ़ाई कैरियर फिर प्‍यार ब्‍वायफ्रेंड शादी, पर यह लड़का तो कयामत था। 

 

कुछ तो बात करनी ही होगी। 

मीरा, राघव के कंधे तक लहराते काले बालों को देखकर बोली, ‘’लगता है आप धोनी के फैन हैं।‘’ 

राघव ने मुस्‍कुराते हुए ना में सिर हिलाया। 

‘’ओह तो फिर संजय दत्‍त के।‘’ 

‘’नहीं, मैं खुद का फैन हूं, खुद का फेवरेट हूं। एक्‍चुली मैं आज तक कभी किसी सेलिब्रिटी से प्रभावित ही नहीं हुआ हूं। यह मेरा अपना स्‍टाइल है, और वैसे भी धोनी और संजय दत्‍त के लम्‍बे बाल तो अब पुरानी बातें हो गई हैं।‘’ 

कुछ तो स्‍पेशल है इस राघव के अंदर…!

पैसे वाला है, पर घमंडी नहीं, दिखावा नहीं कर रहा और बिगड़ैल भी नहीं है, हां थोड़ा अकड़ु जरूर है।  

कहीं यह काव्‍या का बॉयफ्रेंड तो नहीं है। 

 

‘’मीरा बेटा... तुमने शॉवर ले लिया है तो जल्‍दी बाहर आ जाओ, नाश्‍ता कर लो। 

मीरा राघव की पहली मुलाकात की यादों में खोई थी जब मां ने दरवाजा खटखटाया, शॉवर लेती मीरा जैसे किसी गहरी नींद से जागी। 

तीन साल पहले वह उस कंपकंपाती रात में खो गई थी जब राघव से उसकी पहली मुलाकात हुई थी। 

आंखो में भर आए आंसू पानी के साथ बह गए। 

हाथों में रची गहरी लाल मेंहदी मानों उसे चिढ़ा रही थी।

‘तुम आखिर क्‍या थे राघव...क्‍या थे...क्‍यों किया तुमने ऐसा?‘’

नाश्‍ते की टेबल पर एक अजीब सी खामोशी पसरी थी। 

किसी ने सोचा ही नहीं था कि चौबीस घंटे के अंदर अंदर इतना सब कुछ हो जाएगा। 

कल इसी घर में हंसी खिलखिलाहट का माहौल था, सब लोग तैयार हो रहे थे। गाना बजाना, छेड़छाड़, मस्‍ती मजाक, डांस हो रहा था।  

लोग अगले दिन क्‍या क्‍या घटित होगा उसके बारे में बातें कर रहे थे, कल तो इस समय मीरा अपने ससुराल में रहेगी, शर्मा खानदान की बहू, मुंह दिखाई की रस्‍म हो रही होगी, फिर मीरा सबके लिए मीठे में हलवा बनाएगी। 

यह सब बस एक सपने जैसा रह गया था, आज इस घर में मातम पसरा था, किसी को भी अंदाजा नहीं था कि ऐसी भी स्‍थिति आएगी। 

जैसे तैसे सभी अपना नाश्‍ता खत्‍म कर रहे थे।

मीरा को दुख न हो इसलिए वे लोग जल्‍दी से जल्‍दी घर में रखे शादी ब्‍याह से रिलेटेड सामान को हटा देना चाहते थे। 

पर सबको पता था इससे मीरा के दिल को जो गहरी चोट पहुंची है वह तो खत्‍म नहीं कर सकते हैं। 

इस चुप्‍पी को तोड़ते हुए पिंकी ने कहा, ‘’अनुज मामा नहीं दिख रहे हैं।‘’ 

‘उन्‍हें कुछ काम था, सुबह से ही बाहर गए हैं‘’ नीता ने कहा। 

अमरीश खीज उठे, वे चाहते थे कि अनुज जल्‍दी से जल्‍दी इस शहर से चला जाए। पता नहीं क्‍यों वो अब हर दूसरे तीसरे महीने यहां आ जाता है और बिना बात के दो तीन हफ्ते बिताकर ही जाता है, न कोई काम न कोई बिजनेस और ना ही कोई नौकरी फिर भी यहीं पड़ा रहता है। 

 

पिंकी को इस बोझिल सन्‍नाटे से घुटन हो रही थी… 

वह फिर से बोली, ‘’टीवी देखते हैं, न्‍यूज लगाती हूं। अरे हां, कल तो आईपीएल के टीम में खेलने वाले प्‍लेयरस की नीलामी होनी थी, देखते हैं हमारे फेवरेट प्‍लेयर किस-किस टीम में गए। 

किसी ने पिंकी को रोका नहीं, क्‍योंकि हर कोई इस तनाव भरे माहौल से मुक्‍ति चाहता था। 

‘’अरे यह क्‍या, किसी में भी वो वाली न्‍यूज नहीं आ रही है। वो तो ब्रेकिंग न्‍यूज होनी चाहिए थी।‘’ पिंकी ने रिमोट के बटन दबाते हुए कहा।

‘’कोई और चैनल लगा लो नहीं तो कामेडी सीरियल लगा लो‘’ रेनू बुआ बोली। 

 

‘’आजकल की न्‍यूज भी किसी कामेडी सर्कस से कम थोड़ी होती हैं।‘’ पिंकी मुंह बनाकर बोली। 

पिंकी कुछ इंटरस्‍टिंग देखने के लिए चैनल पर चैनल बदल रही थी, एक चैनल पर एक रिर्पोटर बड़ी सी बिल्‍डिंग के सामने खड़ा होकर चिल्‍ला रहा था, ‘’क्‍या बिजनेसमैन राजवीर मेहता की यह कोई नई गर्लफ्रेंड है, हमें गुप्‍त सूचना मिली है कि यह अपनी शादी से भागी हुई लड़की है।‘’ 

फिर टीवी स्‍क्रीन पर राजवीर के घर से गुलाबी लंहगे में एक लड़की निकली जो बेहद बदहवास और घबराई हुई सी लग रही थी। 

केवल पिंकी ही ध्‍यान से यह न्‍यूज देख रही थी, कुछ सेकेंड के लिए वह सन्‍न रह गई, फिर उसने मीरा पर नजर डाली जो प्‍लेट में रखे नाश्‍ते में बार-बार चम्‍मच डालकर कुछ सोच रही थी। 

पिंकी ने फिर से टीवी स्‍क्रीन पर दिख रही उस लड़की को देखा और फौरन मीरा से पूछा, ‘’मीरा दीदी, क्‍या यह यह आप हो...कहते कहते उसकी आवाज कांपी। 

टीवी पर दिख रही लड़की शत प्रतिशत मीरा ही थी। 

पिंकी के पूछते ही सबकी नजरें टीवी स्‍क्रीन पर चली गई। 

अब शक की कोई गुंजाइश नहीं थी, वह मीरा ही थी। 

रिर्पोटर फिर बोला, देखिए इस लड़की को...इसकी शादी राघव शर्मा से होने वाली थी पर...शायद यह राजवीर को पसंद करती थी...आखिर ऐसा क्‍या हो गया कि इसे राजवीर ने भी ठुकरा दिया, क्‍या राघव और राजवीर में दुश्‍मनी करवाने वाली यही लड़की है, जैसा की हम सब जानते हैं कि बिजनेस की दुनिया में राघव शर्मा और राजवीर मेहता बहुत बड़े पार्टनर हुआ करते थे...पर तीन साल पहले दोनों के रिश्‍ते में खटास आना शुरू हो गई थी, और तीन साल पहले ही यह लड़की राघव की जिंदगी में आई थी। हमारे सूत्रों से पता चला है कि इस लड़की का नाम मीरा मल्‍होत्रा है और यह एक मिडिल क्‍लास फैमिली की लड़की है जिसमें ज्‍यादातर गुंडे और मवाली हैं, लड़की का मामा प्रतापगढ़ का नामी बदमाश है।‘’ 

यह सुनकर सबके हाथ जहां थे वहीं रुक गए। 

अभी एक तुफान थमा नहीं था कि दूसरे बंवडर ने अपने आने की आहट दे दी, पर यह और भी बड़ी मुसीबत थी। 

टीवी स्‍क्रीन पर बार बार मीरा को राजवीर के घर से निकलते दिखाया जा रहा था..

मीरा खुद स्‍तब्‍ध रह गई, उसके चेहरे का रंग उड़ गया।

यह आज ही सुबह का विडियो है, जब वह लडकी उस आदमी के घर से निकली थी और आटो पकड़ा था।  

अमरीश का चेहरा तमतमा उठा, उन्‍होंने मीरा की ओर देखकर कहा, ‘’यह क्‍या बकवास कर रहा है रिर्पोटर, यह राजवीर मेहता कौन है।‘’ 

नीता और बाकी घरवालों के भी पैरों तले जमीन खिसक गई। 

अमरीश मीरा पर बरस उठे, ‘’तुम रात भर कहां थी।‘’ 

मीरा जैसे सदमें से बाहर आई...मैं....मैं वो वाइन शॉप में थी...थोड़ी सी पी ली थी और फिर उसके बाद मुझे कुछ भी याद नहीं, मैं इस आदमी को तो जानती भी नहीं, मैंने आज से पहले इसे कभी नहीं देखा था।‘’ 

अमरीश को ऐसा लगा कि मानों उनका सिर अभी फट जाएगा।

‘’तुमने शराब पी ली और यह आदमी तुम्‍हें अपने घर ले गया, तुम रातभर इसके घर में रही सुबह होश आया तो घर आ गई, हमें लगा तुम अपनी किसी दोस्‍त के घर होगी, और तुमने हमें भी यही बताया...झूठ बोला तुमने..।‘’ 

मीरा को काटो तो खून नहीं। 

अभी तो शादी टूटी है और अब ऐसी बदनामी भी झेलनी है। 

‘’यह रिपोर्टर कैसा घिनौना इल्‍जाम लगा रहा मेरी मीरा पर।‘’ नीता ने कहा

तभी डोरबेल बजी और लगातार बजने लगी

यह कौन बदतमीज है, जो बेल बजाकर शांत नहीं रह सकता...

पिंकी ने कहा, ‘’मैं देखती हूं।‘’ कहकर पिंकी गई और मुश्‍किल से चार सेकेंड में वापस आ गई, उसके चेहरे पर घबराहट थी। 

वह सबसे बोली, ‘बाहर मीडिया वाले हैं, और पड़ोसी भी। मीरा दीदी को बुला रहे हैं।‘’ 

‘’इन्‍हें हमारे घर का पता किसने दिया?‘’

‘’आज के समय में किसी का पता लगाना कोई मुश्‍किल काम नहीं है।‘’ 

अमरीश ने मीरा को देखा, अब मीरा को कुछ कहना उसकी तकलीफें और बढ़ाने के बराबर था। 

उन्‍होंने मीरा से कहा, ‘’अभी डरने और घबराने से कुछ नहीं होगा, यह सब किसका किया धरा है, हम बाद में पता करेंगे। तुम ऐसा करो घर के पीछे वाले रास्‍ते से निकल जाओ, वहां से तुम पार्क से होते हुए शोभित इंस्‍पेक्‍टर अंकल के यहां चली जाओ, मैं अभी उन्‍हें फोन कर देता हूं कि तुम उनके यहां पहुंच रही हो।‘’

मीरा भी यह सब सामना करने की स्‍थिति में नहीं थी।

‘’पर पापा बाहर मीडिया वालों को आप क्‍या बताएंगे।‘’ मीरा ने रूंआसी आवाज में पूछा। 

‘’उन्‍हें भी शोभित अंकल संभाल लेंगे, पहले तुम सुरक्षित उनके यहां पहुंच जाओ।‘’ 

मीरा ने अपना मोबाइल लिया, सिर पर दुपट्टा डाला और घर के पीछे वाला दरवाजा खोलकर सावधानी से दोनों ओर देखा और पार्क वाले रास्‍ते की ओर तेजी से चली गई। 

पार्क में आकर एक कनेर के पेड़ के खुद को टिकाकर गहरी गहरी सांसे लेने लगी, उसे एक अपराधबोध भी हो रहा था कि वह अपनी फैमिली को ऐसे अकेले छोड़कर आ गई, पता नहीं मम्‍मी पापा पिंकी बुआ और बाकी लोग मीडिया वालों का सामना कैसे कर रहे होंगे और पता नहीं वे क्‍या क्‍या सवाल पूछ रहे होंगे। 

यहां कुछ तो बहुत बड़ी साजिश रची जा रही है, बहुत सी ऐसी चीजें हैं जो राघव ने मुझे बताई ही नहीं, हम तीन साल से एक दूसरे को जानते थे पर राघव ने इस राजवीर का नाम तो कभी मेरे सामने नहीं लिया। 

मेरे कारण दोनों में दुश्‍मनी हुई है...यह एकदम बकवास है...मैंने क्‍या किया...मैं तो जानती भी नहीं’’ 

मीरा ने खुद को शांत किया और पार्क के दूसरी ओर इंस्‍पेक्‍टर शोभित रॉव का घर दिख रहा था। 

अमरीश के बचपन के दोस्‍त और मीरा के बहुत ही प्‍यारे अंकल...

अचानक मीरा को एक जोड़े के खिलखिलाने की आवाज आई...यह दोनों ही आवाज जानी-पहचानी सी लग रही थी, ये मीरा को अपने बहुत ही करीबी लग रहे थे, और मीरा को ऐसा लगा कि ये दोनों मेरा ही नाम लेकर बातें कर रहे हैं। 

यह आवाज चार कदम दूर गुड़हड की घनी झाड़ियों के दूसरी ओर से आ रही थी।

आवाज ही ऐसी थी कि मीरा अपने आप को रोक नहीं सकी।

वह धीरे से आगे बढ़ी और झाड़ियों को हल्‍के से हटाकर उस ओर देखने लगी, जहां से उसका नाम सुनाई दे रहा था। 

फिर सामने जिसे देखा और जो कुछ उन दोनों के मुंह से सुना...वह उसकी सोच से एकदम परे था।

वह दहशत से भर उठी,  उसके खिलाफ बहुत बड़ा षडयंत्र रचा जा रहा था।

 

आखिर मीरा ने किसे देख लिया?

कौन मीरा के खिलाफ साजिश रच रहा है.?

राघव ने मीरा से राजवीर की सच्‍चाई क्‍यों छुपाई..?

राजवीर मेहता मीरा को बदनाम क्‍यों करना चाहता है? 

जानने के लिए पढ़ते रहिए… 'बहरूपिया मोहब्बत'!

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