मीरा की पूरी शरीर में सिहरन दौड़ गई..झाड़ी के पीछे का नजारा अविश्वसनीय था…जिन दो लोगों को वो अपने सामने देख रही है वे वास्तव में हैं या उसकी आंखें भ्रमित हो रही है, उसने अपनी आंखें कसकर बंद कर ली...मन ही मन भगवान से प्रार्थना करने लगी, ‘’हें ईश्वर यह जो मैं देख रही हूं और सुन रही हूं सब गलत है, मेरा भ्रम है...यह तो नहीं हो सकता।
मीरा ने आंखे खोली, और उस लड़की को देखा जो उसका नाम लेकर मजाक बना रही थी...मीरा ने खुद को चिकोटी काटी। कहीं मैं सपना तो नहीं देख रही?
वह अनन्या थी, राघव की बहन और साथ में उसके अपने मामा अनुज। वे ऐसे बैठे थे जैसे जिगरी दोस्त हों, ऐसे बातें कर रहे थे मानों बरसों से एक दूसरे को जानते हो!
मीरा को अपने अंदर कुछ सुलगता हुआ सा महसूस हुआ।
अनन्या, अनुज की गले में अपनी बांह डालते हुए बोल रही थी, ‘’मानना पड़ेगा तुम्हें मेरे बंदुकबाज, तुम्हारे दांवपेंच का भी जवाब नहीं एक ही चाल में सबके चारों खाने चित्त कर दिए।‘’
अनुज ने अनन्या को अपने और करीब खींचते हुए कहा, ‘’अभी कहां चारों खाने चित्त किए हैं। अगला दांव तो अभी बाकी है, जब तक मैं अपने जीजाजी से पुराना हिसाब चुकता नहीं कर लेता, उन्हें तड़पाता रहूंगा, आज के बाद वे एक भी रात चैन से नहीं सो पाएंगे।‘’
अनन्या ने कहा, ‘’कल तो तुमने मेरे डैड पर गोली चलाई तो एक पल के लिए मुझे लगा कि तुम उन्हें मार ही डालोगे...तुम्हें केवल डराना था...’अनन्या ने अनुज को मीठी झिड़की देते हुए कहा।
‘’अनुज प्रतापगढ़ का नामी माफिया है, वह लोगों को ऐसे ही डराता है...मैं अर्जुन की तरह मछली की आंख में निशाना लगाता हूं, मैंने पहले ही सोच लिया था कि उनके कंधे पर ही गोली चलाऊंगा जिससे कि उन्हें हास्पिटल ले जाने की जरूरत ही न पड़े, क्योंकि मुझे पता है शर्मा खानदान की प्रापर्टी जब तक तुम अपने नाम नहीं करवा लेती तुम्हारे डैड का जिंदा रहना जरूरी है।‘’
अनन्या खिलखिलाते हुए बोली, ‘’वह तो मैं अपने नाम करवा ही लूंगी,पर अब आगे क्या होगा, जैसी प्लानिंग थी, मीरा की शादी तो नहीं हुई..।‘’
‘’अभी थोड़ा रोना-धोना कर लेने दो, वैसे भी इस समय तो मेरी प्यारी दीदी का घर पूरे न्यूज चैनल पर दिखाया जा रहा होगा।‘’
‘’अब क्या तुम वापस प्रतापगढ़ चले जाओगे?’’ अनन्या ने नाराजगी भरे भाव से पूछा।
‘’इस दुख की घड़ी में अपने दीदी के घरवालों को कैसे छोड़कर जा सकता हूं, अभी तो उन्हें और भी दर्द और तकलीफ देनी है जिससे हर समय वे तिल-तिलकर मरें।‘’
‘’आखिर तुम्हारे साथ ऐसा क्या हुआ जो तुमने अपनी ही बहन की फैमिली को बरबाद करने की कसम खा ली।‘’अनन्या ने अनुज का चेहरा अपने हाथों में लेकर पूछा।
अनुज को ऐसा महसूस हुआ मानों किसी ने दुखती रग पर हाथ रख दिया हो, ‘’खून के आंसू रूलाया गया है मुझे और इसमें मेरी दीदी का ही हाथ है, जिंदगी भर पापा की लाडली बेटी बनी रही और मेरे साथ मैं बता भी नहीं सकता। वो भले ही भूल गई हो पर मैं नहीं भूला, जब तक मैं उनकी जिंदगी में अंधेरा नहीं कर देता...चैन से नहीं बैठूंगा। अभी तो मैं उनका वो हाल करूंगा कि अपने पैदा होने पर भी अफसोस करेंगी।‘’
अनन्या, अनुज से लिपटते हुए बोली, ‘’छोड़ो वो सब, अभी तो मीरा की बदनामी का मजा लेते हैं, मैं बता नहीं सकती यह सब होते देखकर मुझे कितना सूकुन मिल रहा है। मीरा कहीं भी निकलेगी तो मुंह छिपाकर निकलेगी।’’
यह मीरा के लिए असहनीय था, उसका दिल एक अजीब तरह से धड़कने लगा।
विश्वास नहीं हो रहा है कि उसके अपने मामा उसकी बरबादी चाहते हैं, पर क्यों, मां तो मामा से इतना प्यार करती है, पापा के नापंसद करने के बाद भी मां, मामा को हमेशा अपने पास बुलाती रहती है पर ये अनन्या के साथ यह सब कब से चल रहा है?’’ मीरा को ऐसा लगा कि अभी उसका सिर फट जाएगा डर बैचेनी से वह जैसे जम गई थी।
तभी मीरा का फोन बजा, मीरा की सांसे तेज चलने लगी। मीरा अनन्या और अपने अनुज मामा से केवल चार कदम की दूरी पर थी, उनके बीच गुड़हल के कुछ पौंधो की घनी झाड़ी थी पर फोन का रिंगटोन वे साफ-साफ सुन सकते थे।
अनुज और अनन्या झट से अलग हो गए और अपने चारों ओर देखने लगे, मीरा को लगा कि अब तो यह उसका आखिरी दिन है अगर मामा को पता चला तो?
मीरा ने झट फोन बंद किया, और पार्क की दूसरी ओर झुकते हुए इस तरह से भागी की मामा और अनन्या उसे देख न सके
लगता है इधर कोई है…अनन्या झाड़ की ओर इशारा करते हुए बोली।
मीरा पार्क के किनारे एक पीपल के पेड़ के पास खड़ी होकर लम्बी-लम्बी सांसे लेने लगी...मां का फोन था, वे जानना चाहती थी कि मीरा, शोभित अंकल के यहां पहुंची की नहीं?
मीरा के पास भी उन्हें बताने के लिए बहुत कुछ था, पर मां विश्वास नहीं करेगी अपने भाई के खिलाफ तो वे एक शब्द नहीं सुन सकती। फिर तो यह बहुत बड़ी बात है, कोई सबूत भी तो नहीं है।
मां का दिल बहुत ही नाजुक है...हार्ट की पेशेंट हैं...वे यह सब सहन नहीं कर पाएंगी..’’
मीरा की शादी टूटने से कहीं ज्यादा बड़ा झटका यह था ,मीरा ने पेड़ की ओट से झांककर देखा अनन्या और मामा उसके पास ही खड़े थे।
उसे किसी तरह जल्दी से जल्दी शोभित अंकल के यहां पहुंचना था।
अनन्या कह रही थी, ‘’हम इतना परेशान क्यों हो रहे हैं, कोई पार्क में टहल रहा होगा उसी का फोन बजा होगा। पार्क में इतने सारे लोग आ जा रहे हैं।‘’
अनुज ने कहा, ‘’हां तुम्हारी बात ठीक है, पर वह रिंगटोन कुछ जानी पहचानी सी लगी थी, ऐसा लग रहा था जैसे मैं उसे कई बार सुन चुका हूं अपने घर में।‘’
‘’अरे नहीं ऐसे फिल्मी धुन वाली रिंगटोन बहुत से लोगों के फोन पर होती हैं और वैसे भी तुम्हारी दीदी के घर पर तो जलजला आया होगा, चलो आज इन्जॉय करते हैं, होटल चलते हैं…वहां वो सारे काम करेंगे जो हमें पसंद है, वहीं टीवी पर तुम्हारी दीदी के घर का तमाशा भी देख लेगें।‘’ अनन्या ने नशीली नजरों से अनुज को देखकर कहा।
मीरा किसी तरह अपने आप को बचाते हुए शोभित अंकल के घर पहुंची, शोभित वहां नहीं थे, उन्हें अमरीश ने अपनी फैमिली की प्रोटेक्शन के लिए बुला लिया था।
शोभित ने कई बार ऐसे फिजूल के टॉपिक पर सवाल करने वाले मीडियाकर्मियों को संभाला था, वे मीरा की न्यूज टीवी और मोबाइल पर वायरल होते ही अमरीश ने शोभित को बुला लिया था।
घर पर शोभित की मिसेज मीनू थी, उन्हें देखते ही मीरा उनके गले लगकर फफककर रोने लगी।
मीनू मीरा की पीठ सहलाते हुए बोली, ‘’हम सबको पता है कि तुमने कुछ नहीं किया है, मीडिया का तो काम ही है मामुली सी बात को मिर्च-मसाला लगाकर लोगों के सामने पेश करना।
मीरा की सांसे तेज तेज चल रही थी, चेहरे पर बेचैनी और घबराहट थी।
आंखे रह रहकर फडफड़ा रही थी, अपनी चौबीस साल की लाइफ में उसने ऐसी स्थिति का सामना कभी नहीं किया था।
‘’तुम अब आराम करो, देखना थोड़ी ही देर में सबकुछ ठीक हो जाएगा, ये बिकाऊ न्यूज वाले तुम्हारे नहीं राजवीर के पीछे पड़े हैं, राजवीर का मीडिया वालों से छत्तीस का आकड़ा है, और उसके बहुत सारे दुश्मन भी हैं, अगर राजवीर के घर के सामने एक चींटी भी मर जाए तो भी ये लोग उसे राजवीर से जोड़ देंगे, कुछ नहीं होने वाला है, कल तक सब लोग भूल जाएंगे।‘’
मीनू आंटी ने कितनी सरलता से यह बात कह दी, पर उसके लिए तो यह बहुत बड़ी बात थी। यह बात सच है कि जिस पर गुजरती है वही जानता है, उस वायरल वीडियो के कारण वह अपनी फैमिली की नजरों में भी लगभग गिर गई और मेरे मामा ने किया वह सब, मां विश्वास नहीं करेगी गुस्से के कारण कहीं मां मुझसे नाराज ही न हो जाए।
मामा के कारण ही पापा मम्मी की कितनी लड़ाई होती है, जब भी मामा आते हैं पापा अपसेट हो जाते हैं पर मां दीवार बनकर खड़ी रहती है और मामा के दिल में मां के लिए इतनी नफरत है।
मीनू आंटी को बताना सही रहेगा क्या, पर मेरे पास कोई प्रुफ भी तो नहीं है। उस समय तो मेरे दिमाग ने काम ही नहीं किया वरना मैं उन दोनों की एक फोटो ले लेती तो कुछ हद तक लोग मेरा विश्वास कर सकते थे।
और अनन्या दीदी मेरे मामा के साथ यह तो बेमेल जोड़ी है। क्या ये लोग एक दूसरे से प्यार करते हैं? मेरी मां को बरबाद क्यों करना चाहते हैं? आखिर क्या किया है मां ने मामा के साथ?
मीरा कई सवालों के भंवर में घिरती जा रही थी, अभी राघव का भी कुछ पता नहीं चल पाया है और सुबह से अब तक उसे शॉक पे शॉक लग रहे हैं।
दो दिन की बुरी तरह थकी मीरा पर नींद हावी होने लगी, इस समय उसे आराम की सख्त जरूरत थी।
शाम का समय......
टीवी से वह ब्रेकिंग न्यूज लगभग हट चुकी थी जिसमे राजवीर के उस आलीशान अपार्टमेंट को न्यूज चैनल पर दिखाया गया था। जिसने मीरा को और उसके परिवार की बरसों की बनाई रेपुटेशन की धज्जियां उड़ा दी थी।
अमरीश और नीता के लिए यह शर्म की बात थी कि उनकी बेटी एक अमीर बिगड़ैल आदमी के यहां से बुरी हालत में निकली थी और वह भी तब जब एक रात पहले उसकी शादी टूटी थी।
जितने लोग उतनी बातें....शोभित की समझ में नहीं आ रहा था कि इस मामले को रफा दफा कैसे किया जाए।
अमरीश को मीडिया के किसी भी सवाल के जवाब नहीं देने पड़े थे, जैसा शोभित ने उन्हें कहा था कि चाहे कुछ भी हो जाए डोर मत खोलना बाद में शोभित ने कुछ पुलिस कर्मियों की मदद से रिर्पोटरों को हटाया।
राजवीर अपनी चार मंजिला इमारत की छत यानी इस घर के सबसे सुंदर लॉन में बैठा था, उसके हाथ में शराब का ग्लास था और दूसरे हाथ में टैब जिसमें वह मीरा की वह क्लिप देख रहा था जो सुबह से ही न्यूज चैनलों पर चल रही थी।
सामने सूर्या सावधान की मुद्रा में खड़ा था।
‘’इस लड़की के साथ ऐसा नहीं होना चाहिए था, इसकी तो कोई गलती भी नहीं थी। तन्हा समझकर मैं ही तो इसे यहां ले आया था मैं राघव और उसकी फैमिली की बरबादी चाहता हूं पर उस मासूम लड़की मीरा की बदनामी की कीमत पर नहीं।‘’ राजवीर ने ग्लास को मेज पर गोल-गोल घुमाते हुए कहा।
राजवीर ने फिर सूर्या से कहा, ‘’कौन कर सकता है यह सब?‘’
‘’सर इस घर के सामने कोई ना कोई रिपोटर हमेशा खड़ा रहता है, यह सीसीटीवी फुटेज नहीं लग रहा है, जरूर किसी ने मीरा को निकलते हुए देखा होगा और तुरंत ही वीडियो बना ली होगी, मुझे तो डर लग रहा था कि कहीं ये मीडिया वाले आपका और इस लड़की का आपस में कोई रिश्ता न बता दें।‘’
‘’नो नो...विडियो देखकर लग रहा है कि रिर्पोटर को पहले से पता था कि मीरा मेरे पास है, तुमने वीडियो ध्यान से नहीं देखा, मीरा के निकलने के एक दो सेकेंड पहले से कैमरा आन है, यानी उसे पता था कि अब मीरा बाहर आने वाली है।’’
‘’किसे किसे पता था कि मीरा मेरे पास है…राजवीर ने गुस्से से सूर्या को देखकर पूछा।
सूर्या कांप उठा, वह राजवीर के सामने घुटने के बल बैठ गया और बोला, ‘’सर मेरा रोम रोम आपका गुलाम है, मेरी सांसे आपकी मरजी से चलती हैं, इतनी बड़ी बात आपके बिना मैं किसी को बता ही नहीं सकता।‘’
राजवीर ने कहा, ‘’हम्म..’’ राजवीर सच में सूर्या पर शक नहीं कर सकता था, पर उसके दुश्मन भी कम नहीं थे।
‘’सर यह जरूर जुबली फार्महाउस की उस औरत का काम है बहुत समय से वह आपके पीछे पड़ी है, जिस वाइनशॉप पर डेली जाते हैं वहां के कुछ वर्कर्स से भी उसकी जान पहचान है, एक तरह से वे इसके लिए जासूसी करते हैं।‘’
‘’अब उनकी सेवा करने का समय आ गया है, मैं उस औरत की उम्र का लिहाज कर के उसे छोड़ देता हूं पर अब वो मनमानी पर उतर आई है, अब कोई लिहाज नहीं, जितना उछलना था उछल लिया और गड्ढे में गिराने का समय आ गया, उसे याद दिलाना पड़ेगा की राजवीर मेहता क्या चीज है।‘’
मीरा की ऐसी बदनामी पर राजवीर को बहुत अफसोस हो रहा था।
एक हफ्ते बीत चुके थे, इतने दिनों में मीरा घर से बाहर नहीं निकली थी। न ही वो अपना फोन चेक करती और ना ही टीवी देखती थी, घर पर जब भी डोरबेल बजती वह डर से कंप जाती थी।
घर की स्थिति जैसे तैसे संभल चुकी थी पर मीरा जब भी अपने अनुज मामा को देखती तो उसे बड़ी कोफ्त होती थी। वे जब मीरा से कहते थे कोई बात नहीं मेरी लाड़ो तुम्हें राघव से भी अच्छा लड़का मिलेगा, अरे वह कायर था बिना कुछ कहे पीठ दिखाकर भाग गया।
कितने रूप हैं आपके मामाजी…मीरा मन ही मन बोली।
इस घटना के बाद अनुज जब भी घर में रहते राघव और उसके पूरे परिवार को जी भरकर गालियां देते थे...उन सबको खत्म करने की कसमें खाते रहते थे।
मीरा ने भी कसम खा ली थी वह समय आने पर मामा की असलियत सबके सामने लाकर रहेगी, हो ना हो राघव का ऐसे शादी तोड़ने का कारण मामा को जरूर पता होगा।
और वह चिट्ठी? एकाएक जैसे मीरा का सिर घूम गया, उस चिट्ठी को मैंने कहां रखा था मीरा याद करने लगी…हां वह तो मेरे ही ड्रॉर में है। उस दिन राजवीर के घर से आकर मैंने तुरंत ही वह लेटर छिपा दिया था उसके बाद उसे दोबारा नहीं पढ़ा।
मीरा ने झट से अपनी ड्रॉर खोली, और एक कोने में पड़े हुए कागज के टुकड़े को उठाया।
यह टाइप किया हुआ लेटर था…राघव ने जब भी उसे लेटर लिखा था हाथ से लिखा था…वह लेटर कम शेरो-शायरी ज्यादा होती थी। मीरा उससे अक्सर कहती कि स्मार्टफोन के जमाने में लेटर कौन लिखता है......राघव कहता था कि लेटर की बात ही कुछ और होती है........और मुझे पता है कि मोबाइल पर लिखी शायरी कुछ समय बाद तुम डिलीट कर दोगी लेकिन कागज पर लिखी मेरे दिल की बात तुम अपने सीने से लगाकर रखोगी।
बात सही थी...मीरा ने राघव के सारे लिखे लेटर संभालकर रखे थे।
मीरा ने अपने दिमाग पर जोर डाला, राघव को हिंदी टाइपिंग पसंद ही नहीं थी। कुछ तो बात है जो सामने नहीं आ पा रही है…राघव का परिवार ऐसे बिहेव कर रहा है जैसे कुछ हुआ ही न हो।
ठीक है राघव अपनी जिंदगी का मालिक है, उसकी फैमिली मार्डन ख्यालों वाली है, पर फिर भी राघव कहां गया क्यों गया क्या वे खुद नहीं जानना चाहते होंगे, या फिर इसमें भी कोई साजिश है? अनन्या दीदी का इसमें जरूर कोई हाथ होगा।
मीरा ने ठान लिया कि अब वह राघव का पता लगाकर रहेगी, मीरा अब जैसे कुछ होश में आ चुकी थी।
तभी मां ने उसकी डोर पर नॉक किया और अंदर आ गई…’’बेटा एक हफ्ते से तुम कहीं बाहर नहीं गई हो, ऐसे कब तक घर में बैठी रहोगी महागुन मेट्रो मॉल चलोगी क्या, तुम्हारा मन बहल जाएगा? पिंकी और तुम्हारी रेनू बुआ भी वापस बनारस जाने को कह रही थी, पर मैंने उन्हें अभी रोक लिया है। चार पांच दिन कहीं घूमफिर लेगें और फिर वापस चले जाएंगे। ’’
‘’हां मां, अब आगे बढ़ने का समय आ गया है…मैं अभी रेड़ी होकर आती हूं।‘’
नीता का दिल पसीज गया, इस समय तो मीरा को राघव के साथ हनीमून पर होना चाहिए था।
आखिर मेरी बेटी के साथ ही ऐसा क्यों हुआ? इस सवाल का कोई जवाब नहीं था।
अपने कमरे के शीशे के सामने खड़ी होकर मीरा ने खुद से कहा, ‘’अब मैं किसी भी सेचुएशन के लिए तैयार हूं, अगर सच का पता लगाना है तो घर से बाहर निकलना ही होगा’’
इधर मीरा घर से बाहर निकली उधर जुबली फार्महाउस की मालकिन ने एक लड़की को फोन किया ....’’नैना क्या तुम तैयार हो...मीरा घर से बाहर निकल चुकी है…अब तुम्हें अपना हुनर दिखाने का समय आ गया है। आज मीरा को ऐसा झटका देना है कि वह पूरी तरह से टूट जाए…तुम्हें पता है कब क्या करना है…बस उसके चेहरे की हंसी हमेशा के लिए गायब हो जाना चाहिए।’’
इधर से नैना की गहरी और सर्द आवाज आई...चिंता न करे मैम, अब उसे खुश रहने का एक भी कारण नहीं मिलेगा…आज के बाद वह अपने वजूद को लेकर ही पछताएगी…बहुत सा हिसाब चुकता करना है उससे.....’’
कौन है यह जुबली फार्महाउस की मालकिन जो मीरा को एक के बाद एक झटका दे रही है?
नैना कौन है जिसका टारगेट मीरा है?
क्या दुख से उबरी मीरा फिर से दुख के अंधेरे में डूब जाएगी?
राजवीर और राघव की आपस में क्या दुश्मनी है?
जानने के लिए पढ़ते रहिए ‘बहुरूपिया मोहब्बत’
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