मुंबई के मरीन ड्राइव में एक तरफ जहां आसमान को छूती हुयी ऊंची ऊंची बिल्डिंगें थी तो वही दूसरी तरफ एक बिल्डिंग ऐसी भी थी जिसमें  मात्र तीन ही फ्लोर थे नाम था विजय निवास, लेकिन उस बिल्डिंग में ज़रा सा भी हीरोपन या विजय वाली फीलिंग नहीं थी  । सच कहें तो काफी थकी हुयी खस्ता हाल थी बेचारी। थर्ड फ्लोर पर था ध्रुव डिटेक्टिव एजेंसी का ऑफिस। वैसे तो ये पूरी बिल्डिंग ही ध्रुव के दादा की थी मगर रहने के लिए ध्रुव को टॉप फ्लोर ही मिला।  

ध्रुव की फाइनैन्शल कन्डिशन ऐसी नहीं थी कि ऑफिस के लिए अलग से कोई जगह ली जाये, तो ध्रुव ने घर को ही ऑफिस बना लिया। बल्ली नाम का एक असिस्टन्ट,  जिसका वैसे तो अपना घर था मगर वो हमेशा ध्रुव के साथ ही रहता था। बल्ली को ध्रुव के काम करने का स्टाइल बहुत पसंद था। वो ध्रुव की तरह बनना चाहता था। हर रोज़ की तरह आज सुबह भी बल्ली ने आकर ध्रुव के दरवाज़े की बेल बजायी मगर इस बार बल्ली का हाथ खाली नहीं बल्कि उसके हाथ में एक न्यूज़पेपर था। 

 

ध्रुव:  

क्या हुआ बल्ली, इतनी सुबह सुबह कैसे आना हुआ। थोड़ी देर तो सोने देता। बेवजह नींद ख़राब कर दी।  

 

बल्ली:  

गुरु जी, दोपहर के बारह बजने वाले है, शायद आपने घड़ी पर नज़र नहीं डाली। 

 

बल्ली के कहने पर ध्रुव ने अपनी आँखों को मलते हुए सामने दीवार पर लगी घड़ी को देखा। घड़ी में सच में दोपहर के बारह बजने वाले थे। ध्रुव ने बल्ली को घर के अंदर आने के लिए रास्ता दिया। बल्ली ने घर के अंदर आकर कहा: 

 

बल्ली:  

गुरु, तुमने न्यूज़पेपर में खबर पढ़ी। दिल्ली शहर में एक डायमंड की बहुत बड़ी एक्सिहिबिशन होने जा रही है। इसमें लखनऊ के नवाब शम्सुद्दीन भी हिस्सा ले रहे है। 

 

ध्रुव:  

अगर मैं गलत नहीं हूँ तो ये वही नवाब साहब है ना, जिनकी बेटी के किडनैपर्स का हम लोगो ने पता लगाया था। 

 

बल्ली:  

हाँ, और उन्होंने खुश होकर हमें एक हीरे की अँगूठी दी थी। वो अलग बात है कि उस अंगूठी को हमने बेच दिया था।  

 

ध्रुव के पास काफी दिनों से कोई केस इंवेस्टिगेशन के लिए नहीं आया था। साथ में पिछले कुछ केसेस की असफलता ने ध्रुव को बुरी तरह मायूस कर दिया था। बल्ली ने सोचा ये खबर सुन कर ध्रुव नवाब साहब से कोई काम के बारे में बात करेगा मगर वह भूल गया था कि ध्रुव एक खुद्दार इंसान था। वो जितना बाहर से मज़बूत था उतना ही अंदर से भी। काम ना मिलने की वजह से वह मायूस ज़रूर था मगर टूटा नहीं था।  

उसे अपनी होशियारी, अपनी सूझ बूझ और अपनी अकल पर पूरा भरोसा था। आज नहीं तो कल उसे इंवेस्टिगेशन के लिए केस ज़रूर मिलेगा। ध्रुव अपने इस खाली वक्त में अपनी फिटनेस का खयाल रखता था। कभी कभी ध्रुव को फाइट भी करनी पड़ती थी। उसके एक पंच में ही सामने वाले का पजामा आगे से गीला और पीछे से पीली नज़र आ जाता था। ध्रुव ने बड़े आराम से बल्ली को समझाते हुए कहा:  

 

ध्रुव:  

बल्ली तुम मेरे चक्कर में अपना समय क्यों ख़राब कर रहे हो, जाओ जाकर कुछ ऐसा काम करो जिससे तुम्हे कुछ पैसा मिले। आखिर पैसे से तुम्हारे घर की ज़रुरत पूरी होगी। 

 

बल्ली:  

सर काम करके मैं पैसा तो कमा लूँगा मगर मन को जो सैटिस्फैक्शन आपके साथ करने में मिलता है उसका क्या, वो मुझे कहाँ से मिलेगा। 

 

ध्रुव जानता था कि बल्ली से अलग होने के बारे में बात करने का मतलब है समय खराब करना, उसने बल्ली से इस बारे में पहले भी कई बार बात की थी मगर वो ध्रुव से अलग होने को तैयार ही नहीं था। दोनो में भाइयों जैसा रिश्ता बन चुका था। बातो बातो में बल्ली ने चाय की फरमाइश की तो ध्रुव किचन की तरफ चला गया। 

 

इधर ध्रुव चाय बनाने गया तो उधर टीवी के बराबर में बनी अलमारी पर बल्ली की नज़र गई। उस अलमारी के अंदर ध्रुव का एक फोटो लगा हुआ था, जिसमे शहर के जिम्मेदार आदमी ध्रुव को मेडल पहना रहे थे। बल्ली अलमारी के पास गया और उस फोटो को हाथ में उठाकर अतीत के पन्नो में खो गया। 

पाँच साल पहले की बात थी मगर बल्ली की आँखों के सामने जैसे पूरा मंज़र ताजा था ॥ ध्रुव ने गाड़ी को  बुलेट ट्रैन बनाया हुआ था और बल्ली के चेहरे पर पसीने छूट रहे थे। इससे पहले उसने ध्रुव को इतनी तेज गाड़ी चलाते हुए कभी नही देखा था। बल्ली के मन की घबराहट उसके चेहरे पर साफ नजर आ रही थी। बल्ली ने ध्रुव से पुलिस फोर्स के आने की बात कही मगर गाड़ी के तेज़ होने की वजह से ध्रुव को कुछ सुनाई ही नहीं दिया। 

थोड़ी देर बाद जब ध्रुव ने गाड़ी को रोका तो बल्ली को लगा जैसे ध्रुव ने उसकी बात मान ली हो। मगर जैसे ही ध्रुव ने गाड़ी की रेस को बढ़ाया तो वो समझ गया कि ये उसका वहम था। गाड़ी एक गन्ने की मिल के ठीक सामने खड़ी हुई थी। ध्रुव के पैर गाड़ी के रेस पर थे और निगाहे सामने मिल के बड़े से दरवाजे पर।  

ध्रुव के चेहरे पर एक अलग तेज था। बल्ली समझ ही नही पा रहा था कि ध्रुव क्या करने वाला है। इस बार उसके चेहरे पर और ज़्यादा डर नज़र आ रहा था। सबसे ज़्यादा वो इस बात से डरा हुआ था कि ना जाने मिल के अंदर कितने गुंडे होंगे। बल्ली ने कपकपाती हुई आवाज़ में कहा: 

 

बल्ली: 

सर हमे पता नही अंदर कितने लोग है, हम सिर्फ दो लोग, पुलिस के आने का इंतजार करना चाहिए। 

 

ध्रुव: 

तुम चिंता ना करो, मैं हूं ना। 

 

 

ध्रुव ने अपने साथ बैठे बल्ली को हिम्मत भरे शब्द कह कर गाड़ी की रेस को इतना तेज कर दिया था कि बल्ली कुछ भी कहे वो आवाज़ अनसुनी थी। इससे पहले बल्ली कुछ और कह पाता, ध्रुव ने गाड़ी का gear डाला और उसे मिल के दरवाजे के तरफ दौड़ा दिया। बल्ली की समझ में अभी भी कुछ नहीं आ रहा था। 

 

 

जितनी तेज गाड़ी की स्पीड थी उतना ही कस के बल्ली ने अपने सामने लगे गाड़ी में हैंडल को पकड़ लिया था। जैसे जैसे गाड़ी मिल के गेट के पास जा रही थी, बल्ली के दिल की धड़कने तेज हो रही थी। उसने लड़खड़ाती हुई आवाज़ में कहा: 

 

बल्ली:  

सर, गाड़ी को थोड़ा स्लो तो कर लीजिए। 

 

 

गाड़ी की तेज रफ्तार में बल्ली की आवाज़ खो सी गई थी। उसने तुरंत हनुमान चालीसा पढ़ना शुरू कर दिया था।  

 

बल्ली: 

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर। जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।  
रामदूत अतुलित बल धामा। अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।  
महाबीर बिक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी।।  
कंचन बरन बिराज सुबेसा। कानन कुंडल कुंचित केसा।। 

 

 

बल्ली समझ गया था कि ध्रुव से कुछ बात नही की जा सकती। वो अपनी मौत का नज़ारा अपनी खुली आंखों से देखना नही चाहता था, इसीलिए उसने गाड़ी गेट से टकराने से पहले अपनी आंखों को बंद कर लिया था। थोड़ी ही देर बाद एक जोरदार धमाका हुआ। 

धमाके से बल्ली समझ गया था कि गाड़ी ने मिल के दरवाजे को तोड़ दिया है। उस धमाके ने मिल में धुआं धुआं कर दिया था। थोड़ी देर बाद जब धुआं हटा तो बल्ली ने आंखे खोली,.. आंखे तो उसने खोल ली थी मगर उसका दिमागी संतुलन अभी भी सुन्न था। कुछ समय के लिए उसे ऐसा लगा जैसे वो मर गया हो। उसने खुद से बात करते हुए कहा: 

 

बल्ली: 

लगता है आज यमराज मुझे अपने साथ ले गए, पाता नही वो स्वर्ग में लेकर जायेगे या नरक में। मैने हमेशा अच्छे काम किए है, यमराज से कहूंगा कि मुझे स्वर्ग में लेकर जाए। 

 

 

बल्ली ने अपने बराबर वाली सीट पर देखा तो ध्रुव नहीं था। ध्रुव को अपने साथ ना देख कर वह और ज़्यादा घबरा गया। कुछ ही पल में उसके सामने से धुआं हट गया। धुआं हटने के बाद बल्ली ने जो देखा वो बहुत ही डरावना था। उसने डरते हुए खुद से कहा: 

 

बल्ली: 

ध्रुव सर, तुम इस तरह मेरा साथ नही छोड़ सकते हो, आपने साथ रहने का वादा किया था। 

 

उसके सामने गुंडों की फौज खड़ी थी। किसी गुंडे के हाथ में रामपुरी चाकू था तो किसी के हाथ में बकरा काटने वाला चापड। कुछ गुंडे तो सांड की तरह मोटे और भैंस की तरह काले थे। कुछ लोगो के हाथो में लंबी लंबी तलवारे भी थी। अपने सामने लोगो को देख कर उसे एहसास हुआ कि वो मरा नहीं बल्कि अभी भी जिंदा है। उसने राहत की सांस लेते हुए कहा: 

 

बल्ली: 

इन लोगो से बचना मुश्किल ही नहीं ना मुमकिन है। लगता है यमराज मुझे अपने साथ लेकर ही जायेगे। 

 

 

वो सभी गुंडे बल्ली को घूरे जा रहे थे। आज बल्ली का मरना तय था। बल्ली अपने मरने की बात सोच ही रहा था कि ऊपर से उसकी गाड़ी के सामने एक आदमी अचानक आकर खड़ा हो गया।  

 

वो आदमी कोई और नहीं था बल्कि ध्रुव ही था । ध्रुव ने उन गुंडों की ऐसी पिटाई की कि बल्ली के लिए ध्रुव सुपर हीरो बन गए। इससे पहले बल्ली कुछ बोल पाता, पीछे से ध्रुव की आवाज़ आती है। 

 

ध्रुव:  

कहाँ खो गए ??? फोटो को क्या देख रहे हो बल्ली, इधर चाय पर ध्यान दो, देखो आज चाय के साथ टोस्ट भी है। 

 

बल्ली ने ध्रुव के फोटो को वापस अपनी जगह रखा और उसके पास आ गया। चाय का कप उठाते हुए बल्ली ने कहा: 

 

बल्ली: 

गुरु जी, चाय की खुशबू तो बहुत अच्छी आ रही है। 

 

ध्रुव: 

चाय की खुशबू ही नहीं बल्कि चाय भी बहुत अच्छी है, तुम पियो तो सही। 

 

ध्रुव ने चाय सच में बहुत अच्छी बनाई थी। बल्ली चुस्की ले ले कर चाय का मज़ा ले रहा था। अपने काम को लेकर दोनो का दिल बहुत बेचैन था। ध्रुव नही चाहता था कि कोई उसकी कमजोरी का फायदा उठाया। उसने कभी ये जाहिर नही होने दिया कि काम ना होने की वजह से वो परेशान है। दोनो बढ़िया चाय का आनंद ले रहे थे। 

अचानक तभी बल्ली की नज़र टेबल पर रखे बॉक्स पर गई। वो ध्रुव के घर में रखी हर चीज़ से वाकिफ था। इस बॉक्स को बल्ली ने इससे पहले कभी नहीं देखा था। बॉक्स को देख कर अंदर ही अंदर बड़ा बेचैन हो रहा था। अब वो बिना पूछे रह नही सकता था। उसने बॉक्स की तरफ इशारा करते हुए कहा: 

 

बल्ली: 

वो बॉक्स कहा से आया? 

 

ध्रुव: 

वो, अरे कुछ नही।  

 

दरअसल रात के समय जब ध्रुव बाहर से आया तो वो बॉक्स ध्रुव के दरवाज़े के पास रखा हुआ था। ये सोच कर कि कोई गलती से इसे रख गया, बाद में आकर ले जाएगा।  

उसने बॉक्स को अंदर लाकर रख दिया। ध्रुव को ज़रा भी ध्यान नहीं आया कि उस पर लिखे नाम को ही पढ़ ले। 

बल्ली जानता था कि ध्रुव के उतने दोस्त नहीं जितने दुश्मन बन गए थे। उसको डर था कही किसी ने उस बॉक्स में बॉम्ब वगेरह तो नही रख दिया। वो तुरंत अपनी जगह से उठा और उस बॉक्स के पास गया। उसने बॉक्स में देखा तो ध्रुव का ही नाम लिखा था। उसने तुरंत कहा। 

 

बल्ली: 

इस बॉक्स पर तो तुम्हारा नाम लिखा है। इसका मतलब ये बॉक्स तुम्हारे लिए ही भेजा गया है। 

 

बल्ली की बात ने थोड़ी देर के लिए ध्रुव को सोच में डाल दिया था। कही सच में उस बॉक्स में बॉम्ब तो नही था? क्या ध्रुव की कहानी शुरू होने से पहले ही खतम हो जाएगी? कही बॉक्स पर नाम ना देखने की गलती ध्रुव और बल्ली को भारी पढ़ने वाली थी? आखिर क्या है बॉक्स का राज?  

जानिए अगले एपिसोड में।  

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