ध्रुव के साथ रहते रहते बल्ली भी निडर हो गया था। जिस तेज़ी से उसके दिल में बॉक्स में बॉम्ब होने का खयाल आया था, उतनी ही तेज़ी से वो अपनी जगह से बॉक्स की तरफ दौड़ा। बॉक्स को फेंकने से पहले जब उसकी नज़र बॉक्स पर लिखे ध्रुव के नाम पर गई तो वो रुक गया। उसने तुरंत ध्रुव से कहा:
बल्ली:
गुरु, इस पर तो आपका नाम लिखा है। शायद आप इसे ठीक से देखना भूल गए।
जल्दी जल्दी में ध्रुव ने बॉक्स को अपने दरवाज़े की चौखट से उठाकर घर के अंदर पड़े टेबल पर रख दिया था। ध्रुव के कहने पर बल्ली ने जब उस बॉक्स को खोला।
ध्रुव:
बूम।
बॉम्ब के फटने जैसी आवाज़ ध्रुव ने बल्ली को डराने के लिए जान बूझ कर निकाली थी। थोड़े समय के लिए बल्ली डर गया था। अचानक इस तरह की आवाज़ से उसके दिल की धड़कन तेज़ हो गई थी। बल्ली ने जब बॉक्स में रखे लेटर को देखा तो उसे थोड़ा सकून मिला। उसने अपने दिल पर हाथ रखते हुए कहा:
बल्ली:
अच्छा हुआ इसमें कोई बॉम्ब नही है। वैसे गुरु, तुमने तो मेरी जान ही निकाल दी थी। कोई भला इस तरह डराता है।
बल्ली के इस डरे हुए चेहरे को देख कर ध्रुव को हंसी आ रही थी। ध्रुव ने अपनी हंसी को कंट्रोल किया और बल्ली से इस तरह के मज़ाक को करने के लिए माफी मांगीl बल्ली ने लेटर को बिना पढ़े ही ध्रुव के हाथ में थमा दिया। उसे अपनी सांस को कंट्रोल करने के लिए पानी की जरूरत थी। वो तुरंत किचन में पानी पीने के लिए चला गया।
ध्रुव लेटर को पढ़ ही रहा था कि बल्ली पानी ले कर आता है और पीते हुए ध्रुव से सवाल करता है:
बल्ली:
किसका लेटर है, कहाँ से आया है, कुछ तो बताओ गुरु।
ध्रुव ने लेटर को पढ़ने के बाद तुरंत बॉक्स को एक बार फिर देखा। इस बार वो बॉक्स को ऐसे खंगाल रहा था जैसे कोई कीमती चीज़ ढूंढ रहा हो। तभी बॉक्स में से कुछ भारी गिरने की आवाज़ आती है।
बल्ली ने ज़मीन से सिक्को को उठाते हुए कहा:
बल्ली:
ये सिक्के मुझे चांदी के लग रहे है।
ध्रुव:
चांदी के लग नही रहे है बल्कि चांदी के ही है।
सिक्को के साथ उस बॉक्स में दो एयर प्लेन के टिकट भी ज़मीन पर गिरे हुए थे। सिक्को के चक्कर में बल्ली की नज़र उन टिकट पर नही गई। ध्रुव की नज़र उन टिकट पर पड़ी तो उसे ज़मीन से उठा लिया।
ध्रुव:
ये टिकट तो मुंबई से लखनऊ तक के है।
ध्रुव की आवाज़ सुन कर बल्ली चौंक गया था। इतना सब कुछ होने पर बल्ली के दिल में कई सवालों ने जन्म ले लिया था। वो सोच रहा था कि आखिर ये चांदी के सिक्के उन्हें किसने भेजे? आखिर कौन है जो उन्हें लखनऊ बुलाना चाहता है। लेटर ध्रुव ने पढ़ा था तो इन सवालों के जवाब भी उसके पास ही थे।
एक तरफ जहां बॉक्स के अनसुलझे सवालों ने बल्ली को बेचैन कर दिया था वही दूसरी तरफ कोई था जो एक प्लान के लिए अपनी टीम बनाने की तैयारी कर रहा था। रणविजय,...... एक मास्टरमाइंड। टीम इकट्ठी करने और प्लान को एक्सिक्यूट करने के लिए उसने चुना था शिमला की वादियों में एक सुनसान जगह बना एक आलीशान बंगला।
जल्दी से यहाँ कोई आता जाता नहीं था। अगर यहां किसी की आवाज़ आती थी तो वो थी परिंदो की आवाज़।
रणविजय अपनी कड़क आवाज़ में कहता है:
रणविजय:
रोज़ी कैसा लगा तुम्हे ये बंगला? है ना खूबसूरत।
रोज़ी:
खूबसूरत नही बल्कि बहुत खूबसूरत बंगला है डार्लिंग।
रणविजय की उमर पचास साल के करीब थी मगर देखने में वो एक दम फिट था। अपनी जिंदगी के पच्चीस साल उसने मिलिट्री में गुजारे थे जहाँ के तौर तरीके और डिसिप्लिन उसकी चाल ढाल में साफ़ नज़र आते थे.. लेकिन उसकी कमज़ोरी थी पैसा, वो कम समय में बहुत पैसा कमाना चाहता था… सही रास्ते चलकर ये काम हो तो सकता था लेकिन शायद समय ज़्यादा लगता, इसलिए उसने गलत रास्ता चुना।
मिलिट्री में रहकर भी उसने अपनी पोस्ट का फायदा उठाते हुए हेरा फेरी करने की कोशिश की थी लेकिन पकड़े जाने पर उसका कोर्ट मार्शल हुआ और उसे अपनी पोस्ट से भी हाथ धोना पड़ा लेकिन तब से लेकर अब तक वो काफी चोरियों को अंजाम दे चूका था।। और अब उसका प्लान कुछ बड़ा करने का था…
उसने अपने हाथ में पकड़ी सिगार का एक लंबा कश मारा और अपने पास खड़ी रोजी से कहा:
रणविजय:
इस बार ऐसी डकैती डालेंगे कि जुर्म की दुनिया वाले हमेशा याद रखेंगे, पैसा इतना होगा कि हमारी सात पुश्ते उस पैसे पर ऐश करेगी।
रोजी की उमर पच्चीस साल की थी। उसके विचार और रणविजय के विचार मेल खाते थे तभी वो रणविजय के साथ थी। रोजी ने पैसे की खातिर अपने जिस्म तक का सौदा कर लिया था। इसी वजह से रोजी की अपने घर वालो से भी नही बनी और वो उनसे अलग हो गई।
एक तरफ रणविजय रोजी की ज़रूरत को पूरा करता तो दूसरी तरफ वो रणविजय के शरीर की भूख को मिटाती थी। रोज़ी बंगले में एक तरफ बने बार काउंटर पर रखी महंगी वाइन ग्लास में निकालती है।
रोजी ने उस महंगी वाइन का सिप लेते हुए कहा:
रोज़ी:
डार्लिंग, अकेले इस काम को करना मुश्किल ही नही ना मुमकिन होगा, इसमें बहुत जोखिम होगा। इसके लिए हमें टीम की जरूरत पड़ेगी।
रणविजय जिस डकैती के लिए अपनी टीम बनाने की बात कर रहा था वो दिल्ली में होने वाली डायमंड एक्सिबिशन की थी और ध्रुव के पास जो लेटर के साथ एयर प्लेन के टिकट आए थे वो भी इसी मिशन से ताल्लुक रखते थे। लखनऊ के नवाब शमशुद्दीन के खानदानी डायमंड भी इसी एक्सिबिशन में शामिल होने जा रहे थे।
जिस तरह ध्रुव और बल्ली ने मिल कर उनकी बेटी को किडनैपर से छुड़वाया था उसी तरह वो चाहते थे कि इस डायमंड की एक्सिबिशन में उनके खानदानी ज्वेएलस की सुरक्षा ध्रुव करे। उस लेटर में यही लिखा था कि ध्रुव अपने साथी के साथ लखनऊ आए और इस काम को अंजाम दे और वो चांदी के सिक्के इसी इरादे से सीक्रेट कोड के तौर पर भेजे गए थे..
एक तरफ बल्ली को उसके सारे सवालों का जवाब मिल गया था तो दूसरी तरफ रोजी की बात सुन कर रणविजय जोर जोर से हंसने लगा। रोजी की समझ में कुछ नही आया। इससे पहले रोजी आगे कुछ कर पूछ पाती, रणविजय ने अपने सामने पड़ी बड़ी से टेबल पर कुछ तस्वीरों को रोज़ी के सामने फेका और कहा:
रणविजय:
ये रही हमारी टीम, इन लोगो के साथ मिल कर हम खजाने को लूटेंगे।
रणविजय के चेहरे पर एक कटिल मुस्कान थी। रोज़ी ने अपने हाथ के वाइन के गिलास को टेबल पर रखा और उन तस्वीरो को उठाकर देखने लगी।
उन तस्वीरो में जिन भी लोगो के चेहरे थे वो रोज़ी के लिए एक दम ही अनजान थे। रोज़ी एक एक करके सभी तस्वीरों को देख रही थी। जब उसकी समझ में कुछ नहीं आया तो उनसे रणविजय से कहा:
रोज़ी:
डार्लिंग, कौन है ये लोग, मैं तो इन्हे जानती तक नहीं। आज तक मैंने इन्हे तुम्हारे साथ भी नहीं देखा।
रोज़ी की बात सुन कर रणविजय ने एक कुटिल मुस्कान दी और कहा:
रणविजय:
ये लोग अभी हमारे लिए अनजान है मगर थोड़े दिनों बाद, जब ये लोग हमारे साथ होंगे तो हमारे अपने होंगे, तुम भी इन्हे अच्छे से जान जाओगी, फ़िक्र मत करो। बस थोड़ा सही समय का इंतज़ार करो।
रोज़ी जानती थी कि रणविजय मास्टरमाइंड है, उसका दिमाग बहुत तेज़ चलता है। वह इतना शातिर है कि उड़ती हुयी चिड़िया के पर गिन ले। वैसे भी उसे अपनी ऐशो आराम वाली ज़िन्दगी से मतलब था। रणविजय उसकी हर खवाहिश को पूरा करता था। अच्छे कपड़ो से लेकर अच्छी ज्वेलरी उसके एक इशारे पर आ जाती थी।
जैसे ही रोज़ी ने दुबारा उन तस्वीरो को देखा तो उसके सामने लगे प्रोजेक्टर पर वही फोटो आ गयी। रणविजय के हाथ में प्रोजेक्टर का रिमोट था। उसने स्क्रीन की तरफ देखते हुए कहा:
रणविजय:
ये विक्की है, ये मार्शल आर्ट में एक्सपर्ट है, एक छोटे से इंस्टिट्यूट में मार्शल आर्ट सिखाता है। बेचारा बहुत कम पैसे कमाता है।
रोज़ी:
मगर ये हमारे साथ क्यों आएगा डार्लिंग?
रणविजय:
क्योंकि इसे भी हमारी तरह कम समय में ज़्यादा पैसे चाहिए।
रणविजय ने स्क्रीन पर विक्की की एक विडिओ दिखाई जिसमे वह बच्चो को मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग दे रहा है। रोज़ी अपनी कमर मटकाती हुयी रणविजय के पास गयी और उसने रणविजय को खुश करने के लिए अपने हाथ को उसके चेस्ट पर फेरते हुए कहा:
रोज़ी:
तुमसे ज़्यादा फिट नहीं लग रहा डार्लिंग, रही ताकत की बात वो तो तुमसे ज़्यादा हो ही नहीं हो सकती।
बात तो रोज़ी ने रणविजय के फेवर की कही थी मगर उसे रोज़ी की बात अच्छी नहीं लगी। रणविजय ने थोड़े गुस्से से रोज़ी को देखा और अपने मज़बूत हाथो से रोज़ी के चेहरे को पकड़ लिया। रोज़ी के चेहरे पर आने वाले भाव इस बात के सबूत थे कि रणविजय ने उसके जबड़े को कुछ ज़्यादा ही कस के पकड़ लिया था।
रणविजय ने रोज़ी के जबड़े को छोड़ कर कहा:
रणविजय:
रोज़ी एक बात हमेशा याद रखना, मेरी टीम में मेरी तरह ही मज़बूत मेंबर होंगे, रही बात विक्की की ताकत की उसका सबूत मैं तुम्हे अभी दिखा देता हूँ।
अपनी बात को ख़तम करते हुए रणविजय ने विक्की की एक दूसरी वीडियो दिखाई। उस विडिओ में विक्की कुछ लोगो के बीच घिरा हुआ था। उन लोगो का इरादा विक्की को जान से मारने का था। विक्की बिलकुल भी नहीं जानता था कि उनकी उससे कैसी दुश्मनी है।
विक्की ने पहले तो उन्हें समझाने की कोशिश की मगर जब उन लोगो का विक्की पर हमला करने का इरादा पक्का हो गया तो विक्की ने अपने शरीर को alert कर लिया। उसने अपने दोनों हाथो की मुट्ठी को बंद कर दिया। उसके शरीर से साफ़ पता चल रहा था कि वह उन लोगो का सामना करने के लिए तैयार था।
जैसे ही एक आदमी ने हॉकी से विक्की पर हमला किया तो विक्की ने खुद को पीछे करके बचाया। अपने पैर को पीछे लेकर जो ज़ोर सा मुक्का उस आदमी के मारा तो उसकी चीख से वहां मौजूद उसके सारे साथी लगभग डर ही गए थे।
विक्की के एक ही मुक्के से वो आदमी अपने साथियों के पास जाकर गिरा। वह मुक्का इतनी ज़ोर से उसके पेट में पड़ा था कि दुबारा उसकी उठने की हिम्मत ही नहीं हुयी। ये देखकर रोज़ी का मुँह खुला का खुला रह गया!
क्या विक्की रणविजय के प्लान का हिस्सा बनेगा? रणविजय विक्की को अपने साथ जोड़ने के लिए कौन सा पैतरा अपनाएगा?
क्या ध्रुव उस लेटर के आधार पर इस मिशन में शामिल होगा?
जानने के लिए पढिए अगला एपिसोड।
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