ओरायन: "लूना क्या तुम मुझसे प्यार करती हो... जवाब दो लूना... हमारे पास वक्त बहुत कम है।"
ओरायन ने दर्द भरी आवाज़ में सामने खड़ी लड़की से पूछा, जिसका नाम लूना था। लूना के दिमाग में इस वक्त कई सारी परेशानियाँ चल रही थी, वो अपनी बात ओरायन को कहती इससे पहले ही अचानक से एक अजीब सी आवाज़ आई और सामने से दो पोर्टल खुल गए, जिसका आकार वक्त के साथ बड़ा होता जा रहा था।
ओरायन और लूना कुछ समझ पाते, इससे पहले ही दोनों उस पोर्टल के अंदर खींचे चले जाने लगे। दोनों एक-दूसरे का हाथ पकड़ना तो चाह रहे थे मगर अपनी पूरी कोशिश करने के बाद भी दोनों एक-दूसरे का हाथ नहीं पकड़ पा रहे थे।
ओरायन ने देखा, लूना पोर्टल के अंदर समा रही है, उसने चिल्लाते हुए दोबारा पूछा,
ओरायन: "लूना... पोर्टल बंद हो जाए और हम अपनी-अपनी दुनिया में चले जाएं उससे पहले बता दो, क्या तुम मुझसे प्यार करती हो लूना?"
लूना कुछ जवाब देती, इससे पहले ही पोर्टल बंद हो गया।
"नहीं..." कहते हुए एक शख्स बिस्तर से उठ बैठा, वो शख्स नाम ओरायन था। उसने हड़बड़ाते हुए अपने आसपास देखा, वो अपने कमरे में ही था।
ओरायन ने अपना पसीना पोंछते हुए खुद से कहा,
ओरायन: "बार-बार वही सपना क्यों आता है मुझे... उस दिन के बाद से आज तक मैंने न जाने कितना प्रयास किया मगर मैं लूना की दुनिया का पोर्टल न खोल सका।"
ये कहते हुए ओरायन उठा और अपनी बालकनी से बाहर देखने लगा। इस वक्त वो बिल्डिंग के 30वे फ्लोर पर था, वहां से उसे सामने पूरा शहर दिखाई दे रहा था। हर तरफ़ उसे बड़ी-बड़ी उन्नत तकनीक से कम इमारतें, सड़कें दिखाई दे रही थीं।
ओरायन ने अपने शहर को देखते हुए कहा, "मेरी दुनिया लूना की दुनिया से बहुत अलग है। क्या हम कभी मिल पाएंगे?"
ये कहानी है टैक्नोटोपिया और अर्काडिया की। दोनों ही दुनिया एक-दूसरे से बेहद ही अलग थीं, टैक्नोटोपिया तर्क और विज्ञान के दम पर चलती थी, यहां के लोगों के लिए भावनाएँ और फीलिंग्स बस एक शब्द से ज्यादा कुछ नहीं थीं, वहीं दूसरी तरफ़ अर्काडिया के लोग जादू और फीलिंग्स को ज्यादा महत्व देते थे। पूरा अर्काडिया इन्हीं दो चीज़ों पर चलता था। दोनों दुनिया एक-दूसरे से बहुत ही अलग थीं।
इस वक्त ओरायन टैक्नोटोपिया दुनिया में था और अब कहीं ना कहीं उसे घबराहट हो रही थी। उसने खुद से कहा,
ओरायन: "अगर यहां के काउंसिल ऑफ लॉजिक को ये पता चल गया कि मैंने पोर्टल खोला था और दूसरी दुनिया में जाने की कोशिश की थी, तब क्या होगा... कहीं वो मुझे मेरे ही शहर से प्रतिबंधित ना कर दें।"
कहते हुए ओरायन गहरी सोच में डूब गया, तभी उसे सामने एक शख्स दिखाई पड़ा, जो अपनी उड़ने वाली कार से होते हुए कहीं जा रहा था। उसे देखते ही ओरायन वहां से अपने कमरे में आ गया और कुछ सोचने लगा। वहीं इधर दूसरी तरफ़ टैक्नोटोपिया शहर के काउंसिल ऑफ लॉजिक के डायरेक्टर, डेविड अपनी उड़ने वाली कार में अपने विभाग पहुंचा, जो बेहद ही गुस्से में लग रहा था। ऑफिस आते ही, उसने सामने खड़े एक रोबोट को अपना पहचान पत्र दिखाया और फिर लिफ्ट से होते हुए, सीधे 70th फ्लोर पर पहुंच गया, जहां पहले से ही कई सारे लोग मौजूद थे।
डेविड ने सभी को बैठने का इशारा करते हुए गुस्से में कहा, "कुछ पता चला..?"
तभी सामने से एक आदमी उठा, उसके चुटकी बजाते ही सामने एक बड़ी सी 3rd स्क्रीन आ गई, जिसमें पूरे शहर का मानचित्र था। उस शख़्स ने गंभीर स्वर में कहना शुरू किया, "सार, हम अभी तक ये पता लगा पाए हैं कि हमारी दुनिया से पोर्टल खोला गया था... मगर ये किसने किया और कैसे किया, अभी तक पता नहीं चल पाया है।"
डेविड ने झल्लाते हुए कहा, "हम इतने दिनों से कर क्या रहे हैं, तुम सब एक बात समझ लो, हमारी इस दुनिया में भावनाओं और फीलिंग्स के लिए कोई जगह नहीं है और यही कारण है कि हम बाकी दुनिया से इतना आगे और विकसित हैं तो हमें सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी बाहरी दुनिया से हमारी दुनिया में न आए, नहीं तो..."
डेविड की बात सुनकर सारे लोग एक-दूसरे का मुंह देखने लगे। वो जानते थे कि डेविड के कहने का मतलब क्या था?
डेविड मन ही मन यही सोच रहा था कि आखिर इतनी हिम्मत किसके अंदर आ गई थी, जिसने पोर्टल खोलने की हिम्मत की कर दी, क्योंकि ये पोर्टल एक तरह से दरवाज़ा था, इस दुनिया से बाहर जाने का।
काफ़ी देर तक सोचने के बाद, डेविड ने स्क्रीन पर निशान करते हुए कहा, "जहां-जहां मैं निशान कर रहा हूं, वहां की सुरक्षा बढ़ा दो, मैं नहीं चाहता कि ये पोर्टल दोबारा खुले और कोई बाहरी दुनिया का इंसान यहां आए।"
एक तरफ टैक्नोटोपिया दुनिया में सुरक्षा कड़ी की जा रही थी तो वहीं दूसरी तरफ अर्काडिया दुनिया में, नदी किनारे एक लड़की बैठी कुछ सोच रही थी। सामने एक बहुत ही खूबसूरत झरना था, जो उल्टा बह रहा था। आस-पास कई सारे रंग-बिरंगे पेड़-पौधे लगे हुए थे। उन सब को देख कर लग रहा था, जैसे ये सब कुछ हकीकत ना होकर, चित्रकला हो।
वो लड़की उल्टे बह रहे, झरने को देख कुछ सोच रही थी, वहीं उसके कानों में बार-बार एक आवाज़ गूंज रही थी,
"लूना क्या तुम मुझसे प्यार करती हो... जवाब दो लूना... हमारे पास वक्त बहुत कम है।"
इस आवाज़ में वो लड़की जिसका नाम लूना था, इतनी ज़्यादा खोई हुई थी कि उसे एहसास ही ना रहा कि पीछे से एक बड़ा काला नाग उसकी ओर आ रहा है। वो नाग लूना के करीब जाने ही वाला था कि तभी पीछे से एक रोशनी आई और वो नाग उस रोशनी में ऊपर उठते हुए गायब हो गया।
लूना का ध्यान टूटा, उसने जैसे ही सामने देखा, उसकी एक दोस्त आसमान से उतरते हुए नीचे आई। अर्काडिया में हर कोई अपनी जादुई शक्तियों से उड़ कर एक जगह से दूसरी जगह जा सकता था।
लूना की दोस्त ने मुस्कुराकर कहा, "अगर मैं सही वक्त पर नहीं आती तो तुझे वो नाग काट लेता लूना... तू आखिर कहां खोई थी?" लूना ने बेमन से जवाब दिया।
लूना: "कहीं भी नहीं..."
उसकी दोस्त ने पास आकर कहा, "क्या हुआ... लूना... आज फिर तुम उदास होकर यहां बैठ गई... (Pause) कुछ दिनों से देख रही हूं, तुम हर रोज़ यहां आती हो और घंटों इसी तरह बैठी रहती हो, आखिर बात क्या है, कुछ हुआ है क्या?"
उसे देखते ही लूना ने उदास मन से कहा,
लूना:"क्या करूं, कुछ समझ नहीं आ रहा है?"
"इस तरह चुपचाप यहां अकेली बैठी रहेगी तो क्या समझ आएगा, आखिर बात क्या है बता तो सही।" लूना की दोस्त ने कहा, जिसके जवाब में लूना ने कहा,
लूना: "कुछ नहीं तुम मेरी बात समझ नहीं पाओगी।"
इतना कह कर लूना वहां से जाने लगी, उसके अंदर एक बेचैनी उठी हुई थी। जब से वो ओरायन से मिली थी और उसने लूना से पूछा था कि वो उससे प्यार करती है या नहीं, उसके बाद से ही लूना की बेचैनी बढ़ गई थी क्योंकि उसे इसी बात का दोष था कि वो ओरायन को अपने दिल की बात बता नहीं पाई थी।
लूना को हर वक्त ओरायन और उसकी आखिरी मुलाकात याद आती थी, और अपने आप को शांत करने के लिए वो हर रोज़ इसी जगह पर आकर बैठ जाती थी।
इधर लूना की दोस्त उसे जाते हुए देख रही थी, उसने मन ही मन कहा, "बात अब सामान्य नहीं है। मुझे उन लोगों को बताना होगा... कुछ तो हुआ है लूना को..."
शाम के क़रीब 6 बजे, शहर के आखिरी घर में कोई अपना चेहरा ढंकते हुए आया। ये घर अर्काडिया के बुजुर्गों का था, जो इस दुनिया में नियम और कानून बनाते थे और बनाए रखते थे।
घर के अंदर आते ही उस शख्स ने देखा, सामने चार बुजुर्ग बैठे हैं।
उनमें से पहले ने पूछा, "हेलेन, क्या हुआ, कुछ पता चला?"
ये सुनते ही उस शख्स ने अपने चेहरे से कपड़ा हटाया, वो कोई और नहीं बल्कि वही लड़की थी, जो कुछ देर पहले लूना के पास गई थी। हेलेन ने बताना शुरू किया, "वरिष्ठों, लूना ने कुछ बताया ही नहीं, मगर उसकी बातों से लगा कि उसे ज़रूर कुछ हुआ है।"
अर्काडिया के लोग इन चारों वरिष्ठों को वरिष्ठ कहकर बुलाते थे।
वरिष्ठों ने जब हेलेन की बात सुनी, वो हैरानी में पड़ गए और एक-दूसरे को देखने लगे। उन चारों को देख हेलेन ने झिझकते हुए कहा, "वैसे लूना के बारे में आप सब इतना क्यों सोच रहे हैं, ये बात मुझे समझ नहीं आई, आखिर बात क्या है?"
"तुम ये नहीं समझोगी... तुम्हें जो कहा था, वो तुम नहीं कर पाई, अब जाओ यहां से, हम चारों देख लेंगे, आगे क्या करना है।" एक वरिष्ठ ने कहा और फिर हेलेन मुँह बनाते हुए वहां से चली गई।
उसके जाते ही पहले वरिष्ठ ने कहा, "मुझे ऐसा क्यों लग रहा है कि लूना ज़रूर किसी से मिली है, उसके बाद ही उसके बर्ताव में बदलाव आया है।"
"हाँ और हमारे लिए सोचने जैसा है, क्योंकि लूना कोई मामूली लड़की नहीं है, उसके अंदर बहुत सी जादुई शक्तियाँ हैं, जिसका अंदाजा उसे भी नहीं है। मुझे डर है कि कहीं कोई बाहरी दुनिया का शख्स उसके जरिए हमारी दुनिया में ना आ जाए, अगर ऐसा होता है तो फिर हम सब खतरे में आ जाएंगे..." दूसरे वरिष्ठ ने चिंतित होते हुए कहा,
उनके कहते ही तीसरे वरिष्ठ ने कहा, "इतना ही नहीं हमारी जादुई शक्तियाँ भी खतरे में आ सकती हैं, जिसके बाद हम किसी काम के नहीं रह जाएंगे।"
इसके बाद चारों वरिष्ठ सोच में पड़ गए।
इधर दूसरी तरफ टैक्नोटोपिया में ओरायन एक बड़ी सी मशीन के आगे खड़ा था, उसका मन काम पर ज़रा भी नहीं था। तभी अचानक से उसका हाथ मशीन के एक खुले तार पर पड़ा, जिसके तुरंत बाद उसे एक ज़ोरदार झटका लगा। ये झटका इतना तेज़ था कि ओरायन दूर दीवार से जा टकराया, उसके साथ काम करने वाले लोग उसे देखने लगे।
ओरायन:"मैं ठीक हूँ... बस मेरा ध्यान कहीं और था..."
ओरायन ने कहा। तभी पीछे से आवाज़ आई, "जाकर रोबोट को देखो, कहीं वो नुकसान तो नहीं हुआ है... अगर कुछ भी हुआ होगा तो तुम्हारी सैलरी से मैं नुक्सान पूरा करूंगा..."
ये आवाज़ ओरायन के बॉस की थी, ओरायन हड़बड़ाते हुए उठा और जाकर अपने काम में लग गया। उसे इस बात पर दुःख भी हो रहा था और हंसी भी आ रही थी कि इस दुनिया में इंसानों से ज़्यादा मशीनों की कद्र है।
"इतना मत सोच ओरायन... तू भी इसी दुनिया का हिस्सा है..." ओरायन ने खुद को समझाया, मगर तभी उसके दिमाग में लूना का ख्याल आया। वो उसकी मासूम आँखों को भूल नहीं पा रहा था। ओरायन के मन में सवाल आया, जिसके बाद वो उदास हो गया।
ओरायन:"क्या वो मुझसे प्यार करती होगी... उसे देख कर लगा तो था कि वो भी कहीं ना कहीं मुझे पसंद करती है... लेकिन अगर ऐसा था तो उस दिन उसने मेरे सवालों का जवाब क्यों नहीं दिया, वो सोच में क्यों पड़ गई थी।"
तभी अचानक से सायरन बजा, रात के 9 बज गए थे और सभी का काम खत्म होकर घर जाने का वक्त हो गया था। इधर अर्काडिया में आधी रात को अचानक से लूना की आँख खुली, उसे इस बार वही दृश्य दिखाई दिया था, जब ओरायन ने उससे सवाल किया था। लूना ने देखा, वो पसीने से लथपथ हो चुकी थी। "क्या मुझे जाना चाहिए..." लूना ने खुद से सवाल किया और फिर कुछ सोचते हुए, अपनी खिड़की के पास आ गई।
लूना अपनी जादुई शक्ति से खिड़की से होते हुए जंगल की ओर जाने लगी। इस वक्त चाँद की रोशनी में उसे पूरा अर्काडिया शहर बहुत ही खूबसूरत दिखाई पड़ रहा था।
चलते-चलते लूना घने जंगल के अंदर आ गई, उसे अंदर से थोड़ा डर तो लग रहा था मगर वो आज रुकना नहीं चाहती थी।
उसने जंगल को देखते हुए कहा,
लूना:"इतने दिनों तक मैं शांत रही और सोचती रही कि क्या मुझे उस जगह पर जाना चाहिए, जहां पोर्टल बंद हुआ था... लेकिन अब और नहीं... कहीं ऐसा न हो कि मैं देर कर दूं।"
कहते हुए लूना जंगल में आगे बढ़ने लगी, उसे चारों तरफ़ से अजीब-अजीब आवाजें सुनाई दे रही थीं मगर लूना के कदम थे, जो रुकने का नाम नहीं ले रहे थे।
चलते-चलते, लूना जंगल के बीचों-बीच पहुंच गई। उसकी नज़र सामने गई, जहां एक बड़ा सा बरगद का पेड़ था और उसके बीचों-बीच गोल निशान। ये वही जगह थी, जहां पर पोर्टल आखिरी बार बंद हुआ था और लूना इसी के जरिए अपनी दुनिया में वापस आई थी।
लूना इस वक्त उसी पोर्टल के पास जाकर खड़ी हो गई और उसे छूते हुए भावुक होकर बोली,
लूना:"मैं तुम्हें खोने नहीं दूंगी... चाहे कुछ भी हो जाए।"
इधर लूना ने जैसे ही ये कहा, उधर दूसरी तरफ टैक्नोटोपिया में अचानक से ओरायन के अंदर एक हलचल हुई। उसे एक अजीब सा एहसास हुआ, उसने खुद से कहा,
ओरायन:"ये... ये कैसा एहसास है, मुझे एक पल के लिए ऐसा क्यों लगा कि लूना मुझे याद कर रही है... क्या सच में ऐसा है या ये मेरा भ्रम है?"
कहते हुए ओरायन अपनी बालकनी में आकर आसमान में देखने लगा। उसने आगे कहा,
ओरायन:"क्या मैं उसे फिर देख पाऊंगा... कैसे होगा ये, क्या फिर से दोनों दुनिया के पोर्टल खुलेंगे, क्या हम मिलेंगे?"
क्या होगा आगे? जानने के लिए पढ़ते रहिए
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