रात से सुबह हो गई थी। लूना पूरी रात उसी बरगद के पेड़ पास खड़ी रही, उसे देख कर लग रहा था जैसे वो अपने होश में नहीं है। उसकी आंखें लगातार उस बंद हुए पोर्टल को देखे जा रही थी।

लूना: "मैं तुम्हें खोने नहीं दूंगी....नहीं दूंगी...." 

लूना पूरी तरह से ब्लैंक होकर बड़बड़ाए जा रही थी। तभी पीछे से किसी ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा, "लूना....लूना.... क्या खोने नहीं दोगी?" आवाज़ सुनते ही लूना अपने होश में आई और पीछे मुड़कर देखा तो सामने उसकी बेस्ट फ्रेंड तारा खड़ी थी। तारा को देखते ही लूना को एहसास हुआ कि वो अभी तक घर नहीं पहुंची है। 

तारा: "क्या हुआ लूना.... तुम यहां इस बीच जंगल में क्या कर रही हो?"  

तारा ने दोबारा पूछा, लूना को समझ नहीं आया कि वो क्या जवाब दे, वो एक बार फिर से कुछ पल के लिए ब्लैंक हो गई। तारा उसे घूर कर देखे जा रही थी कि तभी अचानक से लूना ने अपने होश में आते हुए कहा, 

लूना: "पता नहीं यार... मैं ख़ुद नहीं समझ पा रही हूं कि आख़िर मेरे साथ क्या हो रहा है?"  "खैर, ये सब छोड़ो अभी जल्दी से घर चलो..... पता नहीं तुम्हें कुछ दिनों से क्या हुआ है?"  

कहते हुए तारा लूना का हाथ पकड़ कर वहां से उसे घर ले जाने लगी, लूना अब भी उस बंद पोर्टल को देखते हुए जा रही थी। उसे उम्मीद थी कि वो पोर्टल दोबारा खुलेगा और ओरायन से वो ज़रूर मिलेगी। इस कहानी को और भी गहराई से समझने के लिए चलते हैं, उस वक्त में जब लूना, ओरायन से नहीं मिली थी और ना ही उसे पोर्टल के बारे में कुछ पता था।

ये कहानी है अर्काडिया की, जो कि जादू और भावनाओं की धरती है। यहाँ लोग अपने दिल की सुनते हैं, और हर इंसान के पास कोई ना कोई जादुई ताकत मौजूद है। अर्काडिया का हर पेड़, हर नदी एक जादुई ऊर्जा से भरी होती है। अर्काडिया एक ऐसी दुनिया है, जहाँ जादू सिर्फ शक्ति नहीं, बल्कि जीवन जीने का तरीका है। यहाँ के लोग भावनाओं से जुड़े रहते हैं और हर दिन उनके जीवन का हिस्सा होता है।

इसी अर्काडिया में एक लड़की ऐसी थी, जिसके बाबा सबसे पुराने जादूगर थे मगर वो लड़की एक छोटी जादूगर थी, वो लड़की कोई और नहीं बल्कि हमारी लूना थी, जिसे एक बहुत ही अजीब सी आदत थी, वो कभी भी बेवक्त कहीं भी अचानक से ब्लैंक हो जाती थी। लूना इस वक्त आम के बगीचे में मौजूद थी, तभी पीछे से उसकी बेस्ट फ्रेंड तारा चिल्लाती हुई आई, 

तारा: “लूना भागो…बागीचे का मालिक पीछे आ रहा है…अगर उसने हमें पकड़ लिया तो हमारी खटिया खड़ी हो जायेगी।”

कहते हुए तारा लूना के पास आई, मगर तभी उसने देखा लूना अपनी जगह पर कहीं खोई हुई थी। वो पूरी तरह से ब्लैंक हो चुकी थी। तारा अभी कुछ समझ पाती कि पीछे से बागीचे का मालिक चिल्लाता हुआ आया, “तुम दोनों को आज मैं नहीं छोडूंगा…”

मालिक दोनों के पास आ चुका था, तारा चिल्लाए जा रही थी, 

तारा : लूना…. भागो जल्दी…नहीं तो मुसीबत हो जायेगी….लूना सुन रही हो….”

तभी एकाएक लूना हड़बड़ाते हुए अपने होश में आई, अपने सामने बगीचे के मालिक को आता देख, वो तारा का हाथ पकड़ कर दौड़ पड़ी। अगले ही पल तारा अपनी पॉवर से छोटी हो गई और लूना को भी छोटा कर दिया, इसके बाद दोनों झाड़ियों से होते हुए घर की तरफ़ जाने लगे। दोपहर के क़रीब 1 बज रहे थे। आज अर्काडिया में बहुत बड़ा त्योहार था, सारे लोग पूरे दिल से शाम की सेलब्रैशन में लगे हुए थे। 

"देखो वहां वो पेड़ बीच में आ रहा है... क्या हमें उसे हटा देना चाहिए..." एक आदमी ने कहा, क्योंकि रास्ते के बीच में एक बड़ा सा पेड़ था।  तभी एक सीनियर ने वहां आकर कहा, "हरगिज़ नहीं.... जैसे हम सब इस दुनिया का हिस्सा है...ठीक वैसे ही ये पेड़ पौधे इस दुनिया का हिस्सा हैं। ये हैं तो हम हैं, ये बात कभी भूलना मत..... और रही बात इस पेड़ के बीच में आने की...तो मैं इसका समाधान कर देता हूं..."

इतना कहते ही सीनियर ने अपनी जादूई शक्तियां जागृत की ओर फिर देखते ही देखते उस बड़े से पेड़ को उठा कर दुसरी जगह रखकर कहा, "लो... अब तुम खुश हो ना..." उस आदमी ने हां में सिर हिलाया और अपनी सजावट में लग गया।

सीनियर ने पेड़ की ओर देखते हुए कहा, "मुझे उम्मीद है, तुम्हें भी ज़्यादा परेशानी नहीं हुई होगी।" 

सीनियर की बात पर पेड़ अपनी डालियां हिलाने लगा। पूरे अर्काडिया में त्यौहार की तैयारियां चल रही थी, वहीं लूना के घर के बाहर कुछ लोग बैठे हुए थे। तभी लूना के बाबा धूमकेतु वहां पर आए।

एक बुढ़े आदमी ने धूमकेतु को एक उड़ता हुआ कागज़ देते हुए कहा, "धूमकेतु जी....आप और आपका परिवार इस शहर के सबसे पुराने जादूई परिवारों में से एक है और हर साल की तरह हम चाहते हैं कि इस बार भी आप चौराहे पर दीया जला कर, त्यौहार की शुरुवात करें।

"ये तो मेरे लिए बहुत खुशी की बात है, मगर मैं इस बार चाहता हूं कि ये शुभ काम मेरी बेटी अपने हाथों से लूना करें..." धूमकेतु ने जैसे ही ये कहा, उन सभी का चेहरा उतर गया। धूमकेतु आगे कहते, इससे पहले ही उस बुढ़े ने प्यार से कहा, "लूना अभी बच्ची है... मुझे लगता है कि ये शुभ काम आपके हाथों से होना चाहिए.... क्यों भाइयों?"

"हां...ये शुभ काम आपके हाथों ही होना चाहिए...." सभी ने एक साथ कहा। 

ठीक उसी वक्त धूमकेतु ने लूना को आवाज़ देकर बुलाया, "लूना बेटी जरा बाहर आना..."

लूना झट से बाहर आई, अपने सामने इतने सारे लोगों को देख वो समझ नहीं पाई कि आख़िर क्या हो रहा है?

तभी धूमकेतु ने पूछा, "आप सब के फ़ैसले का मैं सम्मान करता हूं, मगर मैं अपनी बेटी को आगे लाना चाहता हूं….. बेटी लूना....क्या तुम आज दीया जला कर त्यौहार की शुरुवात करोगी?"

जैसे ही धूमकेतु ने पूछा, लूना एकाएक ब्लैंक हो गई। उसके दिमाग़ से सारे थॉट उड़ गए, सारे लोग लूना के कहने का wait कर रहे थे, मगर वो पूरी तरह से ब्लैंक होकर खड़ी थी।

धूमकेतु ने कड़क आवाज़ में पूछा, "लूना.... क्या हुआ, जवाब दो?"

आवाज़ सुनते ही लूना अपने होश में आई और फ़िर कुछ सोचने के बाद कहा, 

लूना: "नहीं बाबा... मैं ये नहीं कर पाऊंगी..." 

कहते हुए लूना अपने कमरे के अंदर चली गई।  सारे लोग मन ही मन धूमकेतु पर हंसने लगे और यही कहने लगे कि जिसकी बेटी को खुद अपने आप पर विश्वास नहीं है, उसे आगे लाने का क्या मतलब है?

इधर दूसरी तरफ़ लूना अपने कमरे में बैठी कुछ सोच रही थी कि अचानक से वो बैठी बैठी फिर से ब्लैंक हो गई। उसे इस बात का एहसास ही नहीं रहा कि उसकी मां कमरे में आ गई है। उसकी हालत देख उसकी मां ने हैरानी से पूछा, "बेटा तुमने बाहर दीया जलाने से इनकार क्यों किया...तुम्हें पता भी है ये मौका हर किसी को नहीं मिलता....तुम इस शहर के सबसे पुराने जादूगर की बेटी हो, इसलिए तुम्हें ये मौका मिला था...."

अपनी मां की बात सुन लूना ने होश में आते हुए कारण बताया, 

लूना: "मां.... आपको भी पता है कि शाम को पूरे शहर वालों के सामने उस बड़े से दीए को अपने जादू से जलाना होता है....और आप जानती हैं ना... मेरे साथ कभी कभी ऐसा होता है कि मेरा ख़ुद का जादू काम नहीं करता..."

इतना कहने के बाद लूना ने थोड़ा उदास होकर पूछा, 

लूना: "माँ मेरे साथ ऐसा क्यों होता है... मैं बाकी लोगों की तरह जादू क्यों नहीं कर पाती....मुझे ऐसा..." 

लूना आगे कह ही रही थी कि कमरे में आवाज़ आई, "ये सब तुम्हारी गलती और लापरवाही के कारण हुआ है...." 

दुसरे कमरे से लूना के बाबा ने उसके पास आते हुए कहा, उन्होंने आगे बिगड़ कर कहा, "तुम्हें ख़ुद अपने जादू पर यकीन नहीं है, ना ही तुम ध्यान केंद्रित करती हो.... मैं कह कह कर थक चुका हूं मगर तुम सुनती कहां हो?"

लूना: "बाबा... मुझे आप समझ नहीं पायेंगे...मेरी परेशानी कुछ और है...."  

लूना ने मुंह बनाते हुए खुद से कहा। लूना की मां ने उसके गाल पर हाथ फेरते हुए प्यार से कहा, "तुम जाओ... आज शाम के लिए कपड़े निकाल लो..." ………….."कपड़े.... आज क्या है मां?" लूना ने हैरानी से पूछा, जिसके बाद उसके बाबा घूरते हुए वहां से चले गए। लूना की मां समझ गई कि उसके पति नाराज़ हैं।

लूना की मां ने अपनी बेटी को समझाते हुए कहा, "इतनी जल्दी भूल गई......आज के दिन ही सालों पहले हमारी दुनिया में हमारे पूर्वजों को जादूई शक्तियां मिली थी... जिसके बाद से हमने एक अलग पहचान बनाई.... तुम्हें हुआ क्या है बेटा... ये सब तुम कैसे भूल सकती हो.... वो भी धूमकेतु की बेटी होकर।"

लूना की मां ने आगे कहा, "तुम्हारे बाबा इस शहर के सबसे पुराने और बेहतरीन जादूगर हैं... लोग अपने बच्चों को तुम्हारे बाबा के पास भेजते हैं, जादूई शक्तियों को जागृत करने के लिए और तुम उनकी ही बेटी होकर इन सब में ध्यान नहीं देती हो..."

अपनी मां की बात सुनकर लूना ने मन में कहा,  

लूना: "मैं आपको कैसे समझाऊं मां...जब भी मैं पुरी तरह से ब्लैंक हो जाती हूं, तब मुझे ऐसा लगने लगता है जैसे मुझे कोई दूसरी दुनिया अपनी तरफ़ खींच रही है, मुझे ऐसा लगता है जैसे मैं इस दुनिया में अधूरी हूं... मेरे अंदर का कुछ हिस्सा अब भी कहीं और है...."

शाम के क़रीब 6 बजते ही पूरे अर्काडिया में धूमधाम का माहौल बन गया। सारे लोग अपने अपने घरों से निकल कर एक दुसरे से मिल रहे थे। बच्चे अपनी नई नई जादूई शक्तियां, जो जागृत हो गई थी, उनको इस्तेमाल करते हुए आसमान में उड़ रहे थे। उन्होंने आसमान में अपने जादू से रंग बिरंगे बादल बना दिए थे, पुरा शहर छोटी छोटी बत्तियों से जगमग कर रहा था।

थोड़ी ही देर में सारे लोग शहर के बीच चौराहे पर जमा हुए, वहां पर एक 12 फ़ुट बड़ा दीया बनाया गया था। धूमकेतु जी दीया जला कर त्यौहार की शुरुवात करने ही वाले थे कि अचानक से तेज़ हवा चलने लगा, चारों तरफ़ का माहौल बिगड़ने लगा।

“इस मौसम को भी आज ही ख़राब होना था…अब क्या होगा?”

“आज का दिन बर्बाद हो जाएगा…”

“अब सीनियरs या फ़िर धूमकेतु जी को ही कुछ करना पड़ेगा….”

इस तरह से सारे लोग बातें करने लगे थे, तभी धूमकेतू ने सभी को शांत करते हुए कहा, “शान्त हो जाइए सब…. आज ये शुभ दिया जलेगा भी और त्योहार भी मनाया जाएगा…”

इतना कहते हुए, धूमकेतु ने अपनी आंखें बंद की ओर ज़मीन से 5 फीट हवा में उड़ने लगे, सारे लोग उन्हें ध्यान से देख रहे थे।तभी देखते ही देखते धूमकेतु तेज़ हवा को कंट्रोल करने की कोशिश करने लगे, उनके अंदर ऐसी पॉवर थी कि वो हवा को कंट्रोल कर सकते थे।

थोड़ी ही देर में हवा का रूख शांत हो गया, चारों तरफ का माहौल एकदम शांत हो गया।

सब कुछ नॉर्मल करते ही धूमकेतू ज़मीन पर आए और फिर अपने जादू से सामने रखे दीया को जला दिया। दीया के जलते ही पूरे अर्काडिया में ख़ुशी का शोर गूंज गया। सब एक दुसरे से मिल कर, आज के त्यौहार को मनाने लगे।

लूना ने आज एक चमचमाती रेड गाउन  पहना हुआ था, वो आज बहुत खूबसूरत लग रही थी। वो चौराहे में मौजूद भीड़ से किनारे आकर खड़ी हो गई थी। उसे अंदर से अजीब सा लग रहा था।

तभी तारा भागती हुई उसके पास आकर बोली, 

तारा: "लूना!!....तुम यहां क्या कर रही हो?”

लूना: “कुछ नहीं…मैं तो बस ऐसे ही….” 

लूना ने जवाब दिया, तारा जानती थी कि लूना की क्या परेशानी है मगर उसने कभी भी इस चीज़ को सीरीयसली  नहीं लिया था, तारा अक्सर बात टाल दिया करती थी।

लूना अपने ब्लैंक होने वाली प्रॉब्लेम के बारे में तारा को आज फिर से बताने ही जा रही थी कि तारा ने उसका हाथ पकड़ कर अपने साथ ले जाते हुए कहा, 

तारा: “आज की रात सेलीब्रेशन का है…. चुप चाप मत रहो….अभी तुम मेरे साथ चलो..."

उसकी बात पर तारा ने उसे आंख मार दी और अपने साथ ले जाने लगी।

इधर घर की खिड़की के अंदर से लूना के बाबा धूमकेतु अपनी बेटी के बारे में सोच सोच कर थोड़े परेशान नज़र आ रहे थे। तभी उनकी पत्नी ने आकर पूछा, "आपको क्या लगता है, हमारी लूना बाकियों की तरह जादू क्यों नहीं कर पाती..."

"अभी लूना के अंदर जादूई शक्तियां पूरी तरह से जागृत नहीं हुई है, उसके अंदर अभी जितनी भी शक्तियां है, वो मेरे कारण है मगर उसे वक्त के साथ अपनी शक्तियों को जगाना होगा....वो इस शहर के सबसे पुराने जादूगर की बेटी है।" धूमकेतु ने अपनी आंखों में एक उम्मीद लिए कहा, उनकी बातें सुन उनकी पत्नी ने कहा, "ना जाने वो दिन कब आएगा?"

इधर दूसरी तरफ़ तारा लूना को लेकर एक बड़े से गार्डन में ले आई थी, जहां पर कई सारे नौजवान लड़के लड़कियां आज के त्योहार को सेलीब्रेट  कर रहे थे।

तारा ने सामने लड़कों की भीड़ की तरफ़ इशारा करते हुए कहा, 

तारा: "यहां सबसे मिलो... नए फ़्रेंड्स बनाओ.... फिर बात आगे बढ़ाओ...देखना कुछ ही दिनों में तुम नॉर्मल हो जाओगी…” 

मगर लूना ने लापरवाही से कहा, 

लूना: 

"तुम जाओ इन्जॉय करो... मैं यहीं बैठती हूं..."

तारा को ये मंजूर नहीं था, उसने अपनी पॉवर से सामने टेबल पर रखा जूस का ग्लास  उठा कर लूना को देते हुए कहा, "ज़्यादा मत सोचो, लूना..." लूना ने हां में सिर हिलाया और बहाना देकर गार्डन की दूसरी ओर जाकर बैठ गई।  तभी पीछे से आवाज़ आई, "हे!... वहां अकेले क्या कर रही हो?"

लूना ने जब पीछे मुड़कर देखा, उसके सामने एक लड़का था, जो उसी के साथ कॉलेज में पढ़ता था। लूना ने लापरवाही से जवाब दिया, “कुछ नहीं, मैं यही ठीक हूं।” वो लड़का चल कर लूना के पास आया और उसके बगल में बैठ गया। लूना को पता नहीं था कि वो कैसे रीऐक्ट करे?

तभी उस लड़के ने कहना शुरू किया, “देखो लूना…. मैं ये बात बहुत दिन से तुम्हें कहना चाह रहा था…अगर तुम कहो तो, कह दूं?”  वो लड़का लूना से पूछ रहा था मगर लूना एक बार फिर से पूरी तरह से ब्लैंक हो गई थी। ये देख लड़के को अजीब लगा। उसने लूना के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा, “लूना…लूना मेरी बात सुन रही हो?”

तभी लूना ने अपने होश में आते हुए कहा, 

लूना: “. हां…क्या कह रहे थे तुम, वो मेरा ध्यान कहीं और था।”

लूना की ये आदत देख, वो लड़का बिना कुछ कहे, मूंह बनाते हुए वहां से चला गया। लड़के के जाने के बाद लूना को समझ नहीं आया कि उसे क्या हुआ, वो उठ कर गार्डन के साइड में आ गई, जहां चारों तरफ़ सन्नाटा छाया हुआ था। लूना अभी अपने आप में सोच रही थी कि अचानक से उसे सामने कुछ दिखाई पड़ा, उसे देखते ही वो चौंक कर बोली, 

लूना: “ये क्या है….ये कहां से आया?”

कहते हुए लूना उस चीज़ के पास जाने लगी, वो कुछ और नहीं बल्की पोर्टल था। लूना को उस पोर्टल के उस पार कुछ धुंधला सा दिखाई दे रहा था।  लूना पसीने से भीग गई, वो कुछ समझ पाती कि तभी उसके सामने मौजूद गोल आकार की रोशनी धीरे धीरे बड़ी होने लगी। 

लूना ने ये देखते ही चौंक कर कहा, 

लूना: "ये... ये तो खुल रहा है...." 

लूना कहते हुए पोर्टल की ओर बढ़ने लगी। धीरे धीरे पोर्टल उसे अपने क़रीब खींचने लगा। लूना उस पोर्टल के अंदर समाने ही वाली थी कि तभी पीछे से आवाज़ आई, "लूना...." लूना ने जैसे ही पीछे देखा, वो चौंक गई। क्या होगा आगे? जानने के लिए सुनते रहिए 

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