अपर्णा जी की खराब तबीयत के बारे में सुनकर रोहन जल्दी से अपने ऑफिस से निकल गया। रास्ते में उसे डॉक्टर मिश्रा का क्लिनिक दिखा तो वहाँ जाकर उसने डॉक्टर साहब से रिक्वेस्ट की कि वह जल्दी से उसके साथ घर चलें।  

रोहन : (चिंता भरे स्वर में) डॉक्टर साहब आपको मेरे साथ घर चलना होगा। वह बेहोश हो गई हैं। डॉक्टर साहब प्लीज चलिए ना।  

डॉक्टर ने उसे बैठने और साँस लेने को कहा। वह बैठना नहीं चाहता था, वह तो चाहता था कि उसकी बात सुनकर डॉक्टर तुरंत उसके साथ चल पड़े, लेकिन वहां बैठे सारे मरीज़ चिढ़ से गए, एक मरीज़ को तो गुस्सा ही आ गया। वह खड़ा हुआ और रोहन के पास आया और कहा, “भाई, हमारी भी तबीयत ख़राब है, हम भी कल से बीमार पड़े है”।

डॉक्टर ने उस आदमी को शांत रहने को कहा। हर कोई अपना कुछ ना कुछ काम छोड़ कर आया था, रोहन ने किसी की बात पर कोई ध्यान नहीं दिया। उसे तो डॉक्टर को अपने साथ ले जाना था। उसने तुरंत डॉक्टर से कहा:

रोहन : (चिंता स्वर में) आप चाहे तो डबल फीस ले लीजिये, लेकिन इस समय आपका वहाँ चलना बहुत ज़रूरी है।

यह सुन कर एक आदमी बुरी तरह बिफर गया । उसने दो तीन मोटी मोटी सोने की चेन पहने हुई थी। उसने कड़क आवाज़ में कहा, “बेटा, पैसे का रौब किसे दिखा रहा है, यह मेरे गले में सोने की चेन देख रहा है, पूरे तीन तीन तोले की है, ऐसी दो घर पर और रखी है, वह चार चार तोले की है, तो पैसों का रौब तो दिखाना मत”।

इससे पहले वह आदमी रोहन पर और ज़्यादा बरसता, डॉक्टर मिश्रा ने दखल देते हुए कहा, “अरे लाला जी, आप बैठो, मैं इससे बात करता हूँ”। रुड़की के बड़े बाज़ार में लाला की परचून की बड़ी दुकान थी। वह सोना पहनना अपनी शान समझते थे। उन्हें दो ही चीज़ों से सबसे ज़्यादा प्यार था। एक तो पहनने वाला सोना जो कि उन्होंने पहना हुआ था और दूसरा खर्राटे मारकर सोना। डॉक्टर मिश्रा के इशारे पर वह खामोश हो गये। डॉक्टर ने रोहन को थोड़ी देर इंतज़ार करने को कहा। डॉक्टर के कहने पर रोहन बैठ तो गया, मगर अपर्णा की तबीयत को लेकर उसे जो बेचैनी थी वह उसके चेहरे पर साफ़ नज़र आ रही थी। जिस तरह वह बैठा हुआ अपने पैरों को हिला रहा था, उससे साफ़ पता चल रहा था वह कितना परेशान है। उसने खुद से बात करते हुए कहा:

रोहन : (परेशानी वाले भाव) पता नहीं डॉक्टर साहब और कितना टाइम लगाएंगे। दूसरा डॉक्टर देखूं क्या? नहीं नहीं, अगर वहाँ पर भी भीड़ हुई तो यहाँ से भी जाऊंगा। थोड़ा इंतज़ार कर लेना ही बेहतर है।

रोहन को इंतज़ार का फल ऐसा मिला कि डॉक्टर मिश्रा ने बहुत कम समय में सारे मरीज़ों को देख लिया। लाला जी को तो उन्होंने कम सोने की नसीहत भी दी, क्योंकि ज़्यादा सोने की वजह से उनका पेट बहुत आगे आ गया था। लाला जी के जाने के बाद उन्होंने अपने बैग तैयार किया। रोहन ने उस बैग को उठाया और उन्हें अपने साथ लेकर घर की तरफ चल दिया। थोड़ी देर में ही वह दोनों घर पहुंच गए। जैसे ही डॉक्टर साहब ने घर को देखा तो कहा, “यह घर तो अपर्णा जी का है, तुमने मुझे पहले क्यों नहीं बताया? क्या उन्हीं की तबियत ख़राब है”?

जब कई बार घंटी बजाने पर भी किसी ने दरवाज़ा नहीं खोला, तो उसने प्रिया को फ़ोन किया, उस समय प्रिया सुषमा के कमरे में थी। उन्हें दरवाज़े की घंटी का पता ही नहीं चला, फोन पर बात होते ही तीनों दरवाज़ा खोलने के लिए पहुंच गए। हरि तो डॉक्टर मिश्रा को पहले से ही जानता था। उन्हें देख कर उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई। घर के अंदर आकर डॉक्टर ने पुछा, “कहां है अपर्णा जी”। तभी सुषमा ने कहा:

सुषमा : (जवाब देते हुए) दीदी अपने कमरे में आराम कर रही है।

डॉक्टर ने कमरे में जाकर अपर्णा के माथे को छूकर देखा तो वह बुखार में बुरी तरह तप रही थी। नींद में बस वह एक ही बात कह रही थी कि “मेरा बेटा आएगा, वह ज़रूर आएगा”। डॉक्टर ने पूछा, कैसे हुआ, कब हुआ,  तो सुषमा ने सारी बात बता दी। जिस समय अपर्णा बेहोश हुई थी, सुषमा ही वहां थी।

इस समय अपर्णा को आराम की सख्त ज़रुरत थी… उनके सामने कुछ भी बात करना ठीक नहीं था, इसीलिए सभी लोग हॉल में आ गए। हॉल में आकर डॉक्टर साहब ने कहा, “यह मैंने कुछ दवाइयां लिखी है, इनमें से यह दो गोली इनके जागने के बाद खिला देना, बस ध्यान रहे अपर्णा जी खाली पेट ना हो, क्योंकि यह दवाईयाँ बहुत गरम है। तभी हरि ने कहा:

हरि : (चिंता भरे स्वर में) वैसे चिंता की तो कोई बात नहीं है ना, डॉक्टर साहब?

यह सुनकर डॉक्टर ने कहा, “अगर सुबह तक बुखार नहीं उतरा तो इन्हें हॉस्पिटल में भर्ती करना पड़ सकता है, भगवान् से प्रार्थना करना कि इनका बुखार जल्द से जल्द उतर जाये”। इस बात ने सभी को परेशानी में दाल दिया था। रोहन ने अपने जेब से डॉक्टर की फीस निकालकर दी और उन्हें बाहर दरवाज़े तक छोड़ कर भी आया। रोहन ने उन्हें क्लिनिक तक भी छोड़ने की बात कही, मगर उन्होंने खुद मना कर दिया ।

जाने से पहले डॉक्टर ने उसे ताकीद की थी कि दवाई के साथ साथ अगर उनके माथे पर ठन्डे पानी की पट्टी रखेंगे तो बुखार ज़्यादा जल्दी उतरने की उम्मीद है। वह उन्हें छोड़कर वापस हॉल में आया तो सभी लोगों के चेहरे पर चिंता के भाव थे। उन्हें लगा जैसे डॉक्टर ने रोहन से कुछ गंभीर बात की हो मगर उसने कहा, ऐसा कुछ नहीं है और तुरंत डॉक्टर की बात सबके सामने रख दी। तभी प्रिया ने कहा:

प्रिया : (नॉर्मल अंदाज़) मैं आंटी के लिए कुछ हल्का बना देती हूँ। दवाई खिलाने से पहले उनका खाना खाना ज़रूरी है।

यह कहकर जैसे ही वह किचन की तरह जाने लगी तो सुषमा ने उसे रोक दिया। वह चाहती थी कि प्रिया और रोहन दीदी के पास रहे और वह खुद जाकर दीदी के लिए कुछ बनाये। वह दोनों अपर्णा के कमरे में चले गए और वह किचन की तरफ। हरि भी अपनी पत्नी के साथ चला गया। उसने तुरंत कहा:

हरि : (नॉर्मल अंदाज़ से) मैं तो कहता हूँ, तुम उनके लिए खिचड़ी बना दो, खाने में हलकी होती है और बन भी जल्दी जाएगी।

इधर हरि के कहने पर सुषमा ने खिचड़ी बनाने की तैयारी शुरू कर दी थी तो उधर रोहन और प्रिया अपर्णा के कमरे में पहुंचे तो देखा दीदी के शरीर में कंपन हो रही है। यह देख कर परेशान तो दोनों हो गए थे मगर प्रिया के चेहरे पर ज़्यादा टेंशन लग रही थी। तभी रोहन ने उसे हिम्मत देते हुए कहा:

रोहन : (तस्सली देते हुए) बुखार और ठंड लगने की वजह से आंटी कंपकंपा रही है। एक बार दवाई खा लेंगी तो ठीक हो जाएगी। तुम एक काम करो, आंटी के माथे पर ठंडे पानी की पट्टियां रख दो, मैं तब तक दवाई लेकर आ जाता हूँ।

यह कहकर उस ने फ्रिज से प्रिया को ठंडा पानी लेकर दिया। अब वह कपड़ा कहाँ से लाती। उसने तुरंत अपने दुपट्टे को फाड़ कर रुमाल नुमा बनाकर ठंडे पानी में डुबोया और उनके माथे पर रखने लगी। रोहन, मेडिकल स्टोर से पर्चे पर लिखी दवा को लेने चला गया।

तीनों लोग अपने अपने काम में लगे हुए थे। सुषमा दीदी के लिए खिचड़ी बनाने में लगी हुई थी। प्रिया उनके माथे पर ठंडे पानी की पट्टियां रख कर बुखार उतारने की कोशिश कर रही थी। उधर मेडिकल पर जब रोहन ने दवा की पर्ची दी तो वहां काम कर रहे लड़के ने दवा को निकालने में ज़्यादा समय नहीं लगाया। जैसे ही दवा का बिल रोहन के सामने आया तो वह चौंक गया।

दवा का बिल उसकी उम्मीद से बहुत ज़्यादा था, दवा को लेना भी ज़रूरी था। उसने तुरंत ही एक एक करके अपनी सभी जेबों को अच्छे से देखा, पैसे अभी भी कम पड़ रहे थे। उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करे, एक बार तो मन हुआ कि बबलू को फ़ोन कर दे मगर उसने ऐसा नहीं किया। उसने मेडिकल वाले से कहा:

रोहन : (निवेदन करते हुए) भाई, अगर कुछ पैसे बाद में दूँ, चलेगा?

वहां काम करने वाले लड़के ने काउंटर पर बैठे एक आदमी की तरफ इशारा किया। वह मेडिकल स्टोर का मालिक था। उस आदमी का मुंह खाने की किसी चीज़ से बुरी तरह भरा हुआ था। उसने तुरंत एक पोस्टर की तरफ इशारा किया। रोहन ने उसे पढ़ते हुए कहा:

रोहन :(खुद से पढ़ते हुए) उधार मांग कर शर्मिंदा ना करें।

यह पढ़ कर रोहन बड़ा मायूस हो गया। वह समझ गया था कि यह पैसे उधार नहीं करने वाला। उसने दवा को वापस दिया और मेडिकल के बाहर आ गया। वह अपना मुंह लटकाए मेडिकल के सामने ही खड़ा था कि तभी एक आवाज़ आयी, “भगवान के नाम पर देदे बेटा, भगवान तेरा हर बिगड़ा हुआ काम बना देगा”। रोहन ने देखा कि उसके सामने केसरी रंग का चोला पहने एक बाबा खड़े है।

उनके गले में रुद्राक्ष की माला है। लम्बी सी दाढ़ी और हाथ में एक कटोरा। जिस तरह से वह मुस्करा रहे थे, ऐसा लग रहा था जैसे चिंताओं से खुद भी मुक्त है और सामने वाले को भी मुक्त कर देंगे। उन्होंने आगे कहा, “तुम मुझे एक रुपए दोगे, ऊपर वाला तुम्हें सौ रुपए देगा”।

रोहन ने अपनी जेब से एक दस रूपए का सिक्का निकाला और उन बाबा को दे दिया। पैसे लेकर बाबा ने रोहन को हमेशा खुश रहने का आशीर्वाद दिया और राम का नाम लेते हुए आगे की तरफ गए। रोहन ने ऊपर आसमान की तरफ देखते हुए कहा:

रोहन : (चिंता भरे स्वर में) भगवान, बाबा के आशीर्वाद से ही दवा के लिए पैसों का इंतज़ाम करवा दीजिये।

तभी रोहन की नज़र सड़क के दूसरी तरफ एक बोर्ड पर पड़ी। उस बोर्ड पर लिखा था, “अब बिना गोल्ड के भी उधार ले सकते है, वह भी बहुत कम ब्याज पर, जल्दी आइये और इस मौके का फायदा उठाये”। यह पढ़ कर रोहन के चेहरे पर मुस्कान आ गई। उसे लगने लगा था कि अब उसका काम बन जायेगा। वह सड़क को पार करके दूसरी तरफ उस दुकान में पहुंच गया।

इससे पहले रोहन कुछ कह पाता, उधर से एक आदमी ने कहा, “कितने पैसे चाहिए भाई और कितने दिन के लिए”। यह सुनकर रोहन हिसाब लगाने लगा। उसे इस समय इतने ही पैसे चाहिए थे जितने की दवा आ जाये।

रही बात समय की, तो बस एक महीने के लिए चाहिए थे। जैसे ही उस आदमी ने एक हज़ार रूपए पर एक महीने के लिए ३०० ब्याज़ के बारे में बताया तो रोहन चौंक गया। उसने बड़े ही सहजता के साथ सवाल किया:

रोहन : (सहजता के साथ) आपने तो बोर्ड पर लिखा है कि बहुत कम ब्याज पर पैसे देते है। क्या ब्याज कुछ कम नहीं कर सकते?

उस आदमी ने ब्याज कम करने को साफ मना कर दिया। उसने तुरंत कहा, “भाई दूसरी जगह जाओगे तो इससे ज़्यादा ब्याज पर पैसा मिलेगा, हम तो बहुत कम ले रहे है”। आगे बात करने का कोई मतलब नहीं था। वह मायूस हो कर उसकी दुकान से नीचे उतर गया। नीचे उतर कर उसे एक बूढा आदमी मिला जिसने उसे आवाज दी। बूढ़े की आवाज़ पर रोहन रुक गया था। उस बूढ़े ने उसे अपने पास बुलाया।


कौन था यह बूढ़ा आदमी? रोहन से उसे क्या काम हो सकता था?

आखिर दवा के लिए रोहन किस तरह पैसों का इंतज़ाम करेगा?

क्या अपर्णा का बुखार सुबह तक उतरेगा?

 

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।          

 

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