निहारिका की चीख इमरजेंसी वार्ड से बाहर जा रही थी, वह आर्यन के द्वारा लाई गई पेशेंट थी इसलिए डाक्‍टर और खड़ूस नर्सें उसे डांट भी नहीं सकती थी। दो नर्सों ने निहारिका को दोनों ओर से पकड़ रखा था और प्‍यार से पुचकारते हुए चुप करा रही थी।

निहारिका अपनी पूरी ताकत लगाकर चीख रही थी...मुझे नहीं जीना है, छोड़ दो मुझे, मर जाने दो....किसने बचाया मुझे....उसने मुझे चीट किया….सबके सामने मेरी इंसल्‍ट की...मैंने उससे टूटकर प्‍यार किया अपना सबकुछ उसके नाम कर दिया…पर उसने मुझे बरबाद कर दिया। 

मीरा की आंखे नम हो उठी… ‘मैम, कहकर वह निहारिका के पास आई और उससे लिपट गई....मीरा को अपने सामने ऐसे देखकर निहारिका अचानक ही चुप हो गई, और फिर अगले ही पल आंसुओ की धारा बह निकली। 

उसने अपना शरीर झटकना बंद कर दिया, मीरा ने दोनों नर्स से निहारिका का हाथ छोड़ने का अनुरोध किया। नर्सों ने जैसे ही निहारिका के हाथ छोड़े, निहारिका ने कसकर मीरा को अपनी बाहों में भर लिया और बिलख-बिलखकर रोने लगी। 

मीरा, निहारिका को कई सालों से जानती थी, इतनी बोल्‍ड बिंदास और स्‍ट्रांग लड़की को इतनी बुरी तरह से टूटते हुए मीरा ने पहली बार देखा...यह निहारिका ही थी जिन्‍हें देखकर मीरा ने खुद को मजबूत बनाया था, अपनी पहचान बनाने की जिद की थी, दुख तकलीफ और जिंदगी में मिले दर्द को झेलना सीखा था। पर आज ये इतनी कमजोर बेबस और लाचार क्‍यों लग रही थी? 

आर्यन जो अभी कुछ देर पहले दिखाया क्‍या वह सच था? 

मैम मैम क्‍या हुआ? आप ऐसी हालत में क्‍यों हैं? आपकी तो अभी नई नई शादी हुई है.......अमित सर कहां है? मुझे तो लगा आप लोग हनीमून इंजॉय कर रहे होंगे।‘’ 

‘’सब खत्‍म हो गया मीरा, उसने मुझे बरबाद कर दिया…उसने सबकुछ छीन लिया।‘’ 

‘’क्‍या हुआ मैम? आप साफ साफ बताएंगी।‘’ 

अचानक निहारिका ने खुद को तेजी से बेड पर गिरा लिया और अपने शरीर को दांए बांए झटकते हुए चीखने लगी, मीरा सकते मे थी….वह असहाय होकर निहारिका को देखने लगी।

आर्यन एक लेडी डाक्‍टर से पूछ रहा था कि इन्‍हें हुआ क्‍या है? ‘’ 

डाक्‍टर ने कहा, ‘’इन्‍हें बहुत बड़ा शॉक लगा है, कुछ तो ऐसा हुआ जिससे ये मेंटली डिस्‍टर्ब हो गई हैं, हम इन्‍हें दूसरे वार्ड में ले जाते हैं, अभी इन्‍हें इलाज की जरूरत है।‘’  

 

तभी शांतनु का फोन आया, मीरा ने झट से उठा लिया

‘’हैलो, शांतनु कैसे हो? कब से फोन ट्राई कर रही हूं।‘’ 

‘’हां मीरा, थोड़ा परेशान था। आराम करना चाहता था इसलिए स्‍विच आफ कर रखा था बताओ क्‍या बात है? ‘’ 

‘’तुम्‍हें निहारिका मैम के बारे में कुछ पता भी है?‘’ 

शांतनु ने बड़े ही उखड़ी आवाज में कहा, ‘’कहीं भी रहें, भाड़ में जाए मुझे क्‍या?‘’

मीरा को शांतनु से ऐसे जवाब की उम्‍मीद नहीं थी.…वह शांतनु जो निहारिका की सबसे ज्‍यादा रेस्‍पेक्‍ट करता था।

‘’होश में तो हो ना, क्‍या बोल रहे हो तुम? अभी कुछ देर पहले उनका एक्‍सीडेंट हो गया था।‘’ 

‘’मर गई ना, उस कमीनी के साथ यही होना चाहिए‘’ शांतनु ने मीरा को हैरान करते हुए कहा। 

‘’क्‍या हो गया है तुम्‍हें शांतनु, उन्‍हें मेंटली शॉक लगा है।‘’ 

‘नाटक कर रही है, हम सबकी लाइफ बरबाद कर दी उसने।‘’

‘’क्‍या हुआ शांतनु, मुझे बताओ ऐसे घुमा फिराकर पहेली की तरह मुझे मत उलझाओ।‘’ 

उधर से शांतनु ने कहा, ‘’सच सुनना चाहती हो तो सुनो, निहारिका ने हम सबको उस अमित बजाज के हाथों बेच दिया, पता नही उस अमित के बच्‍चे ने क्‍या चिकनी चुपड़ी बातें कर के निहारिका का दिमाग फेर दिया, शादी के अगले दिन.…फॉरेन में बड़े-बड़े करोड़ों के प्रोजेक्‍ट दिखाकर उसे निहारिका के नाम करने का सपना दिखाकर निहारिका की पूरी प्रापर्टी अपने नाम कर  ली...निका ब्रांड, निकारिका के दोनों फ्लैट, दिल्‍ली में उनके नाम का प्‍लाट था वो भी, एकाउंट के सारे पैसे, शेयर और भी कई सारी प्रापर्टी सब कुछ निहारिका ने अमित को दे दी। एक फूटी कौड़ी अपने पास नहीं रखी और तो और निहारिका ने निका ब्रांड में काम करने वाली डिजाइनर टीम को भी अमित के अंडर में कर दिया…अब हमें या तो अपनी जॉब छोड़नी होगी या फिर अमित की शर्तों पर काम करना होगा....सुना है वह सैलरी भी आधी देगा और अगर हमने जॉब छोड़ी तो पेनाल्‍टी भी देनी होगी।‘’ 

मीरा के तो होश उड़ गए…..‘’हैं, यह सब कैसे हो गया, अमित सर ऐसा कैसे कर सकते हैं, उनकी एक रेपुटेशन है, उनका ब्रांड तो निका ब्रांड से कहीं ज्‍यादा पापुलर है।‘’’ 

‘’सब फ्रॉड था, दिखावा था, कई साल पहले ही दिवालिया हो चुका था किसी तरह कर्ज लेकर अपने आप को करोड़पति दिखा रहा था, न जाने कितने प्रापर्टी डीलरों से उसके सांठगांठ थे....निहारिका उसके जाल में फंस गई, खुद तो कंगाल हो गई और हमें भी बरबाद कर दिया। अब हम सब एक तरह से उस अमित के गुलाम हो गए हैं, जॉब छोड़ेंगे तो भी बरबाद होंगे नहीं छोड़ेंगे तो तिलतिल कर मरेंगे।‘’

मीरा को अभी भी विश्‍वास नहीं हो रहा था….‘’मैं नहीं मानती, तुम झूठ बोल रहे हो भला इतनी बड़ी बात कोई छिपा कैसे सकता है, वह भी मैम से, निहारिका मैम तो लड़को का इरादा एक मिनट में पहचान जाती हैं।‘’ 

‘’तुम और तुम्‍हारी निहारिका मैडम....इतना ही इंसानों को पहचानने की काबिलियत थी तो अमित को पहचान क्‍यों नहीं पाई? इससे पहले भी दो बार उन्‍हें प्‍यार हुआ था, वो तो सच्‍चा प्‍यार नहीं था, उससे तो मैम की एक फूटी कौड़ी नहीं गई, इस बार सच्‍चा प्‍यार किया और सड़क पर आ गई.…लोग सही कहते हैं लड़कियां कितना भी पढ़ लिख लें पर उन्‍हें बेवकूफ बनाना बहुत आसान है।‘

‘’तमीज से बात करो शांतनु.…अगर ऐसा हुआ है तो तुम्‍हें पता है ना कि मैम कितनी तकलीफ में आ गई है।‘’ 

‘’ऐसा सच में हुआ है मीरा.….तुम तो मैम की शादी अटेंड किए बिना ही गायब हो गई, इन पांच छ: दिनों में क्‍या से क्‍या हो गया तुमने कुछ खबर भी ली? ‘’

शांतनु सच कह रहा था, मीरा ने अचानक ही मुंबई छोड़ दिया था और अपनी ही उलझनों में फंसी रही....यहां ऐसा कुछ हो रहा होगा....यह उसकी सोच से परे था। 

‘’अब क्‍या होगा शांतनु....इससे बचने का कुछ तो रास्‍ता होगा, मैम की प्रापर्टी वापस मिल जाएगी क्‍या?‘’ 

मैं नहीं जानता मीरा....यह तो कोई एडवोकेट ही बता सकता है, देखते हैं कि आगे क्‍या होता है? वैसे कल का न्‍यूज पेपर तुम जरूर पढ़ लेना...निका ब्रांड की बरबादी की कहानी लिखी होगी‘’ कहकर शांतनु ने फोन काट दिया। 

 

मीरा धम्‍म से चेयर पर बैठ गई...उसे न तो इस महीने की सैलरी की चिंता थी और ना ही अमित बजाज के एक्‍शन की, केवल निहारिका के बारे में वो सोच रही थी।

‘’बिजनेस और ग्‍लैमर वर्ल्‍ड में ऐसी बातें तो बहुत कॉमन है....जो कुछ हुआ वह मैं रोज ही देखता हूं।‘’ आर्यन के ये बोल मीरा के कानो में पड़े, वह मीरा के सामने एक गिलास पानी लिए खड़ा था, उसने गिलास मीरा की ओर बढ़ाते हुए कहा, ‘’इसे पी लो और शांत रहो...जो हुआ है परेशान होने से कुछ नहीं बदलने वाला।’’

मीरा ने गिलास अपने हाथ में ले लिया।

आर्यन ने आगे कहा, ‘’धोखा....छल....कपट.....चालबाजियां ये सब सीखकर ही कोई भी इंसान बिजनेस में सक्‍सेसफिल रह सकता है।‘’ 

‘अच्‍छा सच में, और इतना सारा त्‍याग, रात दिन की जी तोड़ मेहनत का कोई मतलब नहीं?’ 

मीरा के स्‍वर में गुस्‍सा और व्‍यंग था, आर्यन ने कई बिजनेस पाटर्नर से खुद धोखे से कई सारी प्रापर्टी बनाई थी, कहीं सुना था कि इन लोगों ने बहुत ही सस्‍ते दाम में किसानों से जमीन खरीदी और बिल्‍डरों को दस गुना दाम पर बेचकर मुनाफा कमाया था, किसान बेचारे खुद को ठगा सा महसूस कर के कोर्ट में गए, पर मामला आर्यन के दोस्‍तों के पक्ष में आया। करोड़ो की जमीन कौड़ियों के भाव में खरीद कर मालमाल हो गए थे। 

‘’मायने हैं, पर किस्‍मत होनी चाहिए। सही समय पर सही बाजी चलने में महारत होनी चाहिए, सामने वाले को कब और कहां मात देनी है इसके लिए हमेशा चौकन्‍ना रहना चाहिए, और मौका देखते ही ऐसा अटैक करो कि सामने वाले के चारो खाने चित्‍त हो जाए…अमित इस खेल का महारथी है, निहारिका जैसी खिलाड़ी को पटखनी दे दी.…ये है बिजनेस वर्ल्‍ड का असली खेल।‘’ 

यह सब बातें मीरा की समझ से बाहर थी। आर्यन, मीरा के और करीब आया.....इतने करीब कि मीरा को उसकी सांसो की गंध अच्‍छे से महसूस हो रही थी....उसकी सांसो से सौंफ इलायची की मिश्रित गंध आ रही थी.....शरीर से किसी मंहगे डियो की खुशबू मीरा को सम्‍मोहित किए जा रही थी। एक पल के लिए वह भूल गई कि वह बहुत बड़ी परेशानी से जूझ रही है।

आर्यन ने फुसफसाकर मीरा से कहा, ‘’बिजनेस वर्ल्‍ड में केवल दिमाग का इस्‍तेमाल होता है....दिल का नहीं....तुम क्‍या जानो यह सब, तुम तो नाइन टू फाइव जॉब करने वाले की लिस्‍ट में आती हो, 99% मिडिल क्‍लास की यही ड्रीम जॉब होती है।‘’ 

‘’हां, होती है कम से कम हम वहां किसी को चीट तो नहीं करते, किसी की बददुआ तो नहीं लेते, किसी की लाइफ तो बरबाद नहीं करते, किसी को आत्‍महत्‍या के लिए मजबूर नहीं करते हैं, जब तक जीते हैं, सादगी और संतुष्‍टि से जीते हैं, बिना कोई मानसिक तनाव लिए जीते हैं।‘’ 

‘’तुम मिडिल क्‍लास वालों की यही प्राब्‍लम है, जरा से में संतुष्‍ट हो जाते है, लाइफ में कम्‍पटीशन होना चाहिए, एडवेंचर होना चाहिए।‘’ 

‘’हां बिल्‍कुल, और मजबूर लोगों की जिंदगी से खेलने का हुनर भी होना चाहिए, जबकि आप जैसे लोग भी यह जानते हैं कि यहां से कुछ भी लेकर नहीं जा सकते, सबकुछ यही रह जाएगा‘’ कहते कहते मीरा हांफने लगी। 

 

आर्यन ने भौंहे ऊपर कर के मीरा को देखकर कहा, ‘’क्‍या बात है तुम कितना डीपली सोचती हो, दिल से सोचती हो, तुम्‍हे तो किसी मंदिर, आश्रम में प्रवचन देना चाहिए...इस दुनिया से कुछ भी लेकर नहीं जा सकते, सब कुछ यही छूट जाएगा....दिल से सोचने वाले ही मात खाते हैं, जैसे तुम्‍हारी मैडम ने इतने सालों तक दिमाग का इस्‍तेमाल किया और फैशन वर्ल्‍ड में उभरता नाम बन ही रही थी कि अपने दिल से मजबूर हो गई, दिमाग पर दिल हावी हो गया और एक झटके में सबकुछ लुटा बैठी......न जाने कैसे उस शातिर अमित को पहचान नहीं पाई?‘’ 

उसी समय डाक्‍टर, आर्यन के पास आकर बोले, ‘’मैडम को फिजिकल से ज्‍यादा मेंटली चोट पहुंची है...आई थिंक इनका इलाज केवल दिमागी डाक्‍टर ही कर सकते हैं, बेहतर होगा हम इन्‍हें इनकी फैमिली के पास भेज दें।‘’ 

मीरा ने कहा, ‘’फैमिली तो दिल्‍ली में रहती है, मैं किसी तरह कॉन्‍टेक्‍ट कर के उन्‍हें बता दूंगी।‘’ 

‘’ओके तो तीन चार थेरेपी के बाद हम निहारिका जी को उनकी फैमिली के पास भेज देंगे।‘’

मीरा ने पूछा, ‘’इस थेरेपी में कितना टाइम लगेगा.?’’

डाक्‍टर ने कहा, ‘’करीब-करीब एक महीने।‘’ 

‘’ओके तो क्‍या मैं, निहारिका मैम को अपने घर ले जा सकती हूं, जब भी थेरेपी करवानी होगी.…मैं उन्‍हें लेकर आ जाऊंगी।‘’

‘’ठीक है, पर आज नहीं, आज हम उन्‍हें आई सी यू में रखेंगे, आज पूरी रात देखेंगे अगर ठीक रहा तो कल शाम तक डिस्‍चार्ज कर देंगे।‘’  

‘’ओके, थैंक्‍यू डॉक्‍टर‘’ कहकर मीरा ने दीवार पर सिर टिका दिया।

 

 डॉक्‍टर चली गई…

‘’चलो मैं तुम्‍हें घर छोड़ देता हूं.…वैसे भी बहुत रात हो चुकी है‘’.कहकर आर्यन ने मीरा का हाथ पकड़ा और बाहर की ओर लेकर जाने लगा। 

आर्यन की इस हिम्‍मत पर मीरा के दिल में खलबली मचने लगी…..उसने झटके से अपना हाथ छुड़ाते हुए कहा...हाऊ डेयर यू.....आप होते कौन हैं मुझे इस तरह से पकड़ने वाले…मैं अपने घर चली जाऊंगी…आप तो ऐसा बिहेव कर रहे हैं जैसे मेरे घर का एड्रेस जानते हैं।‘’ 

आर्यन ने मीरा को घूरकर देखा....’’कांदिवली, नीलकमल अपार्टमेंट…बी सेवेन, सेकेंड फ्लोर….यही है ना तुम्‍हारे घर का एड्रेस, यहां से करीब बीस किलोमीटर दूर होगा।‘’ 

 

मीरा का पूरा शरीर झनझना उठा, इस आदमी ने इतनी जल्‍दी मेरे घर का एड्रेस कैसे पता कर लिया? 

‘’अब तुम कुछ मत पूछना।‘’ 

मुझे कुछ नहीं पूछना है.....आपने मुझ पर बहुत एहसान किया है….अब और नहीं, मैं अपने आप को और अपनी मैम को अकेले ही संभाल सकती हूं। वैसे भी आप इतने बड़े आदमी हैं, आपके लिए एक एक मिनट कीमती होगा, मेरे चक्‍कर में आपके दो तीन घंटे वैसे ही बरबाद हो चुके हैं, मुझे जाने दीजिए..प्‍लीज..’’

‘’कहां जाओगी तुम.?’ 

अपने घर और कहां? 

‘’रात बहुत हो गई है, बेहतर होगा आज तुम मेरे साथ मेरे घर पर रहो….

‘’आप होश में तो हैं, आपको पता भी है कि आप क्‍या कह रहे हैं?’’ 

‘’हां बिल्‍कुल पता है।‘’ 

‘’मैं आपके साथ आपके घर क्‍यों जाऊं?‘’ मीरा ने गुस्‍से से कहा। 

‘’क्‍योंकि मैं ऐसा कह रहा हूं, और आर्यन देशमुख को कोई मना नहीं कर सकता‘’ आर्यन ने मीरा की आंखो में आंखे डालकर कहा।

इतना कहकर आर्यन ने मीरा का हाथ पकड़ा और ले जाकर कार के अंदर बैठा दिया। मीरा को न जाने क्‍या हुआ कि वह पत्‍थर की तरह बुत बने कार में सिमटकर बैठ गई।

 

आर्यन मीरा के बारे में सब कैसे जानता है? 

कौन है आखिर आर्यन देशमुख? 

क्‍या आर्यन मीरा की जिंदगी को खुशियों से भरने आया है या फिर किसी मकसद से? 

मीरा जिस मकसद से मुंबई वापस लौटी है क्‍या उसमें कामयाब हो पाएगी या फिर आर्यन और निहारिका के बीच उसकी ज़िन्दगी उलझ कर रह जाएगी? 

जानने के लिए पढ़ते रहिए…'बहरूपिया मोहब्बत'!

 

 

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