जल्लाद, मैं हूँ चक्रधर जल्लाद... 

मैं सुन रहा था आपको कैदी आकाश की कहानी। कैसे गाँव में निया नाम की 40 साल की औरत की तीन हिस्सों में कटी हुई लाश मिली थी और उसका एकलौता भाई अकेला हो गया था—  

निया की कपड़ों की दुकान पर एक लड़का भी काम करता था, जिसका नाम पुलिस को निया के भाई ने बताया। यह लड़का दुकान के कामों में उसकी मदद करता था, ग्राहकों को संभालता था, और कपड़ों का सारा हिसाब-किताब भी रखता था। वह काफी समय से निया के साथ काम कर रहा था, और उसका दुकान में बड़ा भरोसा था।  

जब पुलिस को यह जानकारी मिली, तो उन्होंने तुरंत उस लड़के से पूछताछ करने का निर्णय लिया।  

लड़के से बात करते हुए पुलिस ने सीधा सवाल किया, "निया उस दिन दुकान से कहां गई थी? क्या तुमने उसे किसी के साथ देखा था?"  

लड़का थोड़ा घबराया हुआ था, लेकिन उसने बताया, "मैंने निया मैडम को आखिरी बार दुकान पर देखा था। वह रोज़ की तरह काम कर रही थी। लेकिन फिर एक ग्राहक आया था, जो उनसे अकेले में बात करना चाहता था। मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया।"  

"क्या तुम उस ग्राहक को पहचानते हो?" पुलिस ने ध्यान से पूछा।  

"नहीं, मैंने उसे पहली बार देखा था। वो गाँव का तो नहीं लगता था। जब वो गया, तो मैडम भी थोड़ी देर बाद बाहर निकलीं, लेकिन वापस नहीं आईं।"  

पुलिस के कान खड़े हो गए। यह जानकारी बेहद महत्वपूर्ण थी। एक अजनबी ग्राहक, निया से अकेले में बात करने की कोशिश, और फिर निया का अचानक गायब हो जाना—ये सारी बातें किसी बड़ी साजिश की ओर इशारा कर रही थीं।  

"क्या तुम उस आदमी का हुलिया बता सकते हो?" एक अधिकारी ने लड़के से पूछा।  

"कद तो नॉर्मल था उसका, गोरा रंग, और उसने एक काले रंग की जैकेट पहन रखी थी। उसका चेहरा तो साफ याद नहीं है, लेकिन उसे देखकर लग रहा था उसने शराब पी रखी है।”  

अब पुलिस के पास एक हुलिया तो मिल गया था, जिससे उनके पास एक ठोस सुराग हाथ लगा। पुलिस ने तुरंत स्केच आर्टिस्ट को बुलाया और लड़के द्वारा बताए गए हुलिये के आधार पर संदिग्ध का स्केच बनवाने का काम शुरू किया।  

लड़का पहले थोड़ा नर्वस था, लेकिन पुलिस ने उसे आराम से बैठाकर ध्यान से हर डिटेल बताने के लिए कहा। उसने उस अजनबी के बारे में जो भी याद था, उसे स्केच आर्टिस्ट को बताया। आर्टिस्ट ने बड़ी बारीकी से हर बिंदु को ध्यान में रखते हुए स्केच बनाना शुरू किया।  

जैसे ही स्केच तैयार हुआ, पुलिस ने उसे देखा। संदिग्ध का चेहरा अब सबके सामने था।  

पुलिस ने स्केच को तुरंत अपने नेटवर्क में साझा किया, ताकि आस-पास के थानों और इलाकों में इसे दिखाया जा सके। उन्होंने आस-पास के ढाबों, बाजारों, और हाईवे के दुकानदारों से भी संपर्क किया, ताकि कोई उस संदिग्ध को पहचान सके या उसे हाल ही में कहीं देखा हो।  

"इस आदमी को ढूंढना अब हमारा पहला काम है," एक अधिकारी ने कहा। "अगर यह वही व्यक्ति है जो निया के गायब होने के पीछे है, तो हमें जल्दी से जल्दी इसे ढूंढना होगा।"  

स्केच पूरे गाँव और आस-पास के क्षेत्रों में फैला दिया गया। अब पुलिस को उम्मीद थी कि कहीं न कहीं कोई इस आदमी को पहचान लेगा, और वो सुराग उन्हें निया के लापता होने की गुत्थी सुलझाने में मदद करेगा।  

लेकिन पुलिस के हाथ अब तक कोई ठोस कामयाबी नहीं लगी थी। संदिग्ध का स्केच इलाके में फैलाने के बाद भी किसी ने उसे पहचानने की पुष्टि नहीं की थी। हर तरफ़ से निराशा के बाद, एक कांस्टेबल ने अपनी शंका जाहिर की।  

"सर, मुझे उस दुकान पर काम करने वाले लड़के पर शुरू से शक हो रहा है," कांस्टेबल ने धीरे से कहा। "वह कुछ और ज़रूर जानता है, जो हमें नहीं बता रहा। मुझे लगता है, हमें उसे एक बार फिर पुलिस स्टेशन बुलाकर दोबारा पूछताछ करनी चाहिए।"  

अधिकारियों ने उसकी बात गंभीरता से सुनी। पहले पूछताछ में लड़के का बयान सीधा और सामान्य लगा था, लेकिन कांस्टेबल की शंका ने सबका ध्यान खींचा। पुलिस को यह अहसास हुआ कि शायद लड़के ने पहली बार में सभी बातें नहीं बताई थीं, या फिर वह कुछ छिपा रहा था।  

"ठीक है," अधिकारी ने कहा, "उसे फिर से यहाँ बुलाओ। इस बार हम उससे और गहराई से पूछताछ करेंगे।"  

लड़के को पुलिस स्टेशन बुलाया गया। इस बार उसका चेहरा पहले से ज्यादा घबराया हुआ था। जैसे ही वह अंदर आया, पुलिस ने उसे आराम से अंदर बिठाया और उससे सीधे सवाल पूछने शुरू किए।  

"तुमने उस दिन निया के साथ क्या देखा था?" पुलिस ने गंभीर आवाज़ में पूछा। "तुम्हें उस अजनबी के बारे में कुछ और याद आ रहा है? हमें सब कुछ सच-सच बताओ, वरना तुम्हें परेशानी हो सकती है।"  

लड़का पहले कुछ बोलने से झिझक रहा था, उसकी आँखों में डर साफ झलक रहा था। वह समझ नहीं पा रहा था कि क्या कहे और क्या छिपाए। पुलिस अधिकारी उसकी बेचैनी को भांप चुके थे। जब उसने कई सवालों का सीधा जवाब नहीं दिया, तो एक सीनियर अधिकारी ने कड़ी आवाज़ में कहा, "अगर तुमने सच नहीं बताया, तो हमें तुम्हें थर्ड डिग्री देने पर मजबूर होना पड़ेगा। तुम जानते हो, थर्ड डिग्री के बाद तुम्हारी हड्डियों की क्या हालत हो जाएगी।"  

यह सुनते ही लड़के का चेहरा पीला पड़ गया। उसकी घबराहट और बढ़ गई। वह जानता था कि पुलिस से बचना अब मुश्किल है। वह कांपते हुए बोला, "नहीं, सर, प्लीज! मैं जो कुछ जानता हूं, सब बता दूंगा... मुझे थर्ड डिग्री मत दीजिए।"  

अधिकारी ने उसे समझाने के अंदाज में कहा, “ठीक है, तो सच बताओ। अब कुछ भी छिपाने की कोशिश मत करना।”

लड़के ने कांपते हुए अपनी बात आगे बढ़ाई। उसकी आंखों में डर साफ साफ दिख रहा था। उसने धीरे-धीरे कहा, "कोई अजनबी नहीं आया था, मैंने आपसे झूठ बोला था। सच तो ये है कि मैंने सब कुछ छिपाने की कोशिश की थी।"

पुलिस अधिकारी अब पूरी तरह से उसकी ओर झुके हुए थे। लड़का फिर बोला, "असल में उस दिन जो हुआ, वह कुछ और ही था... निया मैडम के जीवन में एक और आदमी था—आकाश।"

"आकाश?" पुलिस अधिकारी चौंक गए। ये नाम अब तक किसी जांच में नहीं आया था।

"हाँ, सर," लड़के ने सिर झुकाते हुए कहा। "आकाश... निया मैडम का जिस्मानी प्रेमी था। मैं ये बात बहुत दिनों से जानता था, लेकिन मैंने कभी कुछ नहीं कहा। आकाश और निया मैडम के बीच पिछले कुछ समय से बहुत गहरा रिश्ता था। 

लड़के ने धीमी आवाज़ में बताया, "निया मैडम ने कभी शादी नहीं की थी, लेकिन उनकी जिस्मानी ज़रूरतें थीं। आकाश, एक शादीशुदा आदमी था, पर निया मैडम को वही अच्छा लगता था। वह आकाश से प्यार नहीं करती थीं, बस अपनी जिस्मानी ज़रूरतें पूरी करती थीं। दोनों के बीच कोई प्यार मोहब्बत वाला रिश्ता नहीं था, सिर्फ़ शारीरिक संबंध बनाने का रिश्ता था।"

उसने गहरी सांस ली और आगे कहा, "आकाश अक्सर दोपहर में दुकान पर आता था। जैसे ही वह आता, निया मैडम मुझे दुकान बंद करने का इशारा कर देतीं। मैं बिना कुछ कहे बाहर से दुकान का शटर गिरा देता और खाने के लिए पास के ढाबे पर चला जाता। उस वक्त मुझे पता होता था कि अंदर क्या हो रहा है। निया मैडम और आकाश अंदर जिस्मानी रिश्ते बनाते, और मैं बाहर इंतजार करता। 

लेकिन एक दिन आकाश ने सारी हदें पार कर दी थीं। उसने इस रिश्ते का मान नहीं रखा। निया मैडम के मरने से चार दिन पहले वह दुकान पर आया था। रात को शराब पीकर। आते ही उसने मुझे गाली दी और बाहर जाने को कहा। उसके साथ एक आदमी और था। उसने भी शराब पी रखी थी। 

तभी आकाश ने निया मैडम को कहा- जानेमन, यह मेरा दोस्त है। शहर से आया है। नौकरी की वजह से थोड़ा परेशान है। जब से आया है मूड खराब ही है इसका। थोड़ा मूड सही कर दो मेरे यार का। 

निया मैडम गुस्से में चीखी- क्या मतलब है आकाश? आकाश ने कहा "अरे मतलब क्या है, समझी नहीं तुम। मेरा दोस्त है यह। परेशान है. आदमी की परेशानी का हल औरत के पास ही तो होता है, यह कहते कहते आकाश ने निया को आँख मारी”. 

निया मैडम समझ गई थी आकाश की यह घटिया बात . निया मैडम ने पास पड़ी कैंची उठा ली और पूरे गुस्से में बोली- आकाश, हम दोनों का रिश्ता हमारी मरज़ी से बना था। कोठे वाली नहीं हूँ मैं। धंधा नहीं करती हूँ।" 

उसकी यह बात सुनकर आकाश ने हँसते हुए अपने दोस्त से कहा "वाह, अब रखैलें भी बीवियों की तरह बोलने लगीं।" वह कविता की तरफ मुड़ा और बोला " चुपचाप आज की रात इसकी रखैल बन जा। ज़्यादा चूं चूं करेगी तो दुकान से बाहर खींच कर इतना पीटूंगा ना कि भूल जायेगी कि दिन है या रात. चल. 

यह सुनते ही निया मैडम ने उसे खूब गालियां दीं और धमकी दी कि अगर दोबारा मेरे या दुकान के आस-पास भी आया तो तेरे घर जाकर तेरी बीवी और पूरे मोहल्ले को बता दूंगी कि कितना बड़ा शैतान है तू। जो इज़्ज़तदार बना फिरता है ना सारी इज़्ज़त पर पूरे इलाके से थुकवाऊंगी। बस यह सुनकर आकाश गुस्से में धमकी देकर गया था कि- रखैल कहीं की, देखियो तू, तेरे तो टुकड़े नहीं मिलेंगे”.

बस मैं इतना ही जानता हूँ सर। 

लड़के की बातें सुनकर पुलिस को यह एहसास होने लगा कि निया की जिंदगी के यह पहलू अब तक उनकी जांच का हिस्सा नहीं थे। लड़के ने इन सब चीजों को छिपाया था, लेकिन अब सच सामने आ रहा था। 

अब पुलिस को बस आकाश को पकड़ना था। पुलिस ने आकाश के घर का पता मालूम किया और पूरी टीम के साथ छापा मारा। आकाश की पत्नी ने दरवाजा खोला। वह घर पर आराम से टीवी देख रहा था जैसे कुछ हुआ ही न हो। पुलिस ने उसे पकड़ लिया और उठा लाई। 

आकाश के पास सच बताने के सिवा कोई दूसरा चारा नहीं था। उसने बताया कि उस रात के बाद से ही वह निया पर गुस्सा था। रात को जब वह दुकान बंद करके सुनसान हाईवे से जा रही थी तो मैंने उसका पीछा किया और तलवार से उसके तीन टुकड़े कर दिए और अलग-अलग जगह छोड़ दिए। 

मैं क्या करता साहब, उस रखैल ने मेरी इतनी बेइज़्ज़ती कर दी थी मेरे दोस्त के सामने, आकाश ने कहा। 

रखैल शब्द सुनते ही पुलिस वाले ने उसे जोर से थप्पड़ मारा और पुलिस वाला बोला- अगर दोबारा ये शब्द इस्तेमाल किया तो यहीं का यहीं एनकाउंटर हो जाएगा।

केस बिल्कुल साफ था अब तो। पुलिस ने एक मजबूत केस बनाया और कोर्ट में पेश किया। केस की चर्चा पूरे मीडिया में भी होने लगी थी। दबाव इतना था कि पहली ही सुनवाई देर शाम तक चली और आकाश को फांसी की सजा सुना दी गई। और पहुँच गया वह मेरी जेल में। 

फांसी का दिन धीरे-धीरे पास आ रहा था। आकाश की पत्नी हर हफ्ते उससे मिलने आती और कुछ न कह पाती। बस रोती रहती। कभी खुद को गाली देती, कभी आकाश को। 

बस आ गया वो दिन। आकाश को सुबह उठा कर बताया गया कि तुझे फांसी होने वाली है। उस दिन, फांसी से पहले, मैंने उससे बात करने की कोशिश की। वह चुप्पी साधे बैठा था, जैसे उसकी जुबान पर भी ताले लग गए हों। और फिर पता नहीं अचानक क्या हुआ और वो चीक कर बोला- साली रखैल से क्या मांग लिया था ऐसा…दोस्त की खुशी ही तो मांगी थी…इसमें मुझे जलील करने की क्या ज़रूरत थी। 

मैं समझ गया कि ये अपने आखिरी वक्त में भी पागलपन का शिकार है। खैर मुझे तो अपना काम करना था। पहनाया सफेद कपड़ा, जेलर साहब ने इशारा किया और खींच दिया lever. 

मरने वाले का नाम- आकाश 

उम्र - 47 साल 

मरने का समय - सुबह 8 बजकर 11 मिनट 

ये प्यार मोहब्बत, रिश्ते-नाते…इनकी राह बड़ी मुश्किल होती है। निया उस आकाश की जिंदगी का एक हिस्सा थी, लेकिन प्यार नहीं थी। और यही बात निया के लिए थी। आकाश उसकी जिंदगी का हिस्सा था, पर प्यार नहीं था। वो दोनों एक दूसरे के लिए बस एक चीज थे। जैसे बेजान खिलौना। बच्चे अपना खिलौना किसी और से नहीं बांटते और यही बात आकाश भूल गया था। 

जिन रिश्तों के नाम नहीं होते, उनमें मर्यादा और ज्यादा रखनी पड़ती है। ध्यान रखिएगा आप भी। या तो रिश्ता बनाईये मत और बनाया है तो इज़्ज़त के साथ निभाइये। इज़्ज़त के लिए किसी को मार देना बेवकूफी है।और कुछ रिश्ते अनकहे होते हैं. उनकी कोई सामाजिक परिभाषा नहीं होती, बस वह रिश्ते होते हैं इस दुनिया में.

 

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