मैं हूँ जल्लाद चक्रधर, वो इंसान जिसे लोग सिर्फ मौत के सौदागर के नाम से जानते हैं। मेरे काम की कोई तारीफ नहीं करता, लेकिन जब कोई अपराधी अपने किए की सजा पाता है, तो मेरी जरूरत हर किसी को पड़ती है। एक अजीब सी खामोशी होती है, जब मैं उस आखिरी रस्सी को खींचता हूँ और किसी की ज़िंदगी को हमेशा के लिए खत्म कर देता हूँ।
उस दिन भी सब खामोश सा था जेल में, जब वो आया। एक दरिंदा। एक वहशी…एक बार तो जेलर साहब भी खौफ खा गए थे उससे। कोई इतनी नफरत कैसे पाल सकता है अपने अंदर, मुझे तो बस ये जानना था उस खूनी से। मुझे पता चला कि उसकी जिंदगी में एक औरत थी जिसे वो रखैल समझता था। मुझे भी झूठ बोलना पड़ा कि मेरी जिंदगी में भी एक रखैल है। तीर निशाने पे लगा। क्या करता मैं और, वो बात ही नहीं कर रहा था। और जब बात करने लगा, तो आकाश की गहराई भी कम थी उस आकाश के गुनाह के आगे-
सड़क किनारे पड़ा वो हेलमेट, जो एक भयानक घटना का गवाह था, चुपचाप अपनी कहानी कह रहा था। उसका रंग भले ही चमकीला था, लेकिन उसके आस-पास का माहौल भारी और गमगीन था। लोग सड़क के किनारे खड़े होकर उसे देख रहे थे, उनकी आँखों में हैरानी और भय था।
हेलमेट के चारों ओर घास ऐसी लग रही थी मानो वक्त ने कड़वे इतिहास की चादर बिछा दी हो। आस-पास के पेड़ भी मानो अपने पत्तों को झुकाए हुए थे, जैसे इस दिल दहला देने वाली घटना के प्रति श्रद्धांजलि दे रहे हों।
गाँव के लोग धीरे-धीरे उस जगह के पास इकट्ठा हो रहे थे, उनकी आँखों में डर और जानकारी पाने की नीयत थी। कुछ ने एक-दूसरे से फुसफुसाते हुए बात की, जबकि कुछ की चुप्पी एक अजीब सा आतंक पैदा कर रही थी।
हेलमेट की मौजूदगी ने कई सवाल खड़े कर दिए थे। किसने इसे पहना था? क्या यह उस औरत का है, जिसका सिर इसके अंदर ही धंसा हुआ था? या यह किसी और की कहानी का हिस्सा था? लोग एक-दूसरे से पूछ रहे थे, "क्या तुम्हें पता है कि यह किसका है?"
कुछ लोगों ने हेलमेट को उठाने की कोशिश की, लेकिन एक बूढ़े आदमी ने उन्हें रोक दिया, "नहीं, इसे छूने की जरूरत नहीं है। पुलिस आ रही है।"
गाँव के माहौल में एक तरह का सन्नाटा था। हेलमेट में फंसे औरत के सिर से उसकी पहचान नहीं हो पाई। न तो उसका चेहरा साफ दिखाई दे रहा था और न ही आस-पास कुछ और निशानी थी। यह हालत बहुत ही भयानक थी, क्योंकि अब सवाल उठने लगा था कि वह औरत कौन थी और उसके साथ ऐसा क्यों हुआ।
इतने में पुलिस की गाड़ी आ गई।
जैसे-जैसे पुलिस ने जांच शुरू की, यह साफ हो गया कि अब सबको एक साथ मिलकर उस औरत की पहचान ढूंढनी थी। यह केवल उसकी पहचान का मामला नहीं था, बल्कि पूरे गाँव की सुरक्षा का भी सवाल था। पर हर किसी को एक बात समझ में आ गई कि इस घटना के पीछे कोई गहरी साजिश जरूर है।
हेलमेट और सिर को उठाकर अस्पताल भिजवाया गया। ये सब करके अभी पुलिस टीम, पुलिस स्टेशन पहुंची ही थी कि थाने में एक फोन आता है। फोन की घंटी ने सन्नाटे को तोड़ दिया और सभी पुलिसकर्मी सतर्क हो गए। इंस्पेक्टर ने फोन उठाया। "हैलो," उसने कहा, उसकी आवाज़ में गम्भीरता थी।
दूसरी ओर से एक डरी हुई आवाज़ सुनाई दी। डरी हुई आवाज़ ने कहा कि उसे अपने घर के आगे सड़क पर दो कटी हुई टांगें मिली हैं, जो देखने में औरत की लग रही हैं। मैं शाम को जब बाहर निकला तो देखा ये टांगें वहाँ पड़ी थीं। मुझे समझ नहीं आ रहा कि यह क्या है, लेकिन वे बहुत ही भयानक लग रही हैं।"
पुलिस तुरंत वहाँ पहुँची।
जैसे ही टीम ने उस जगह की ओर बढ़ना शुरू किया, मन में कई सवाल उठने लगे। क्या यह सब एक ही मामले का हिस्सा है? टांगों का क्या मतलब हो सकता है?
दूसरी तरफ गाँव में अंधेरा गहराने लगा था, और अब हर कोई डर में था। सड़क पर चलते समय, हर गाँव वाले को एक ही बात महसूस हो रही थी कि यह घटना न केवल एक हत्या की तरफ इशारा कर रही है, बल्कि आने वाले वक्त में गाँव के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती भी बन सकती है।
जब पुलिस उस जगह पर पहुँची, तो वहाँ लोगों की भीड़ जमा हो गई थी। भीड़ को पीछे हटने के लिए कहा गया और खुद टांगों के पास जाकर देखा गया। टांगें सच में एक औरत की लग रही थीं, लेकिन क्या ये उस औरत की थीं?
टांगों की हालत और आस-पास का माहौल एक डरावनी कहानी कह रहा था। क्या यह सब एक खतरनाक खेल का हिस्सा था? मन में सवालों की बाढ़ आ गई थी, और अब पुलिस के मन में जल्दी से जल्दी सच्चाई जानने की ज़रूरत महसूस हो रही थी।
पुलिस ने कटी हुई टांगें जांच के लिए भिजवा दीं। सबकी आँखों में चिंता और थकावट झलक रही थी। दिनभर की भागदौड़ और खौफनाक घटनाओं ने सभी को मानसिक और शारीरिक रूप से थका दिया था।
रात हो गई थी, और अब गाँव की गलियों में अंधेरा छाने लगा था। घरों की बत्तियाँ धीरे-धीरे बुझने लगीं, और लोग अपने-अपने घरों में दुबकने लगे। लेकिन पुलिस की टीम अब भी अपने थाने में मौजूद थी, उनके चेहरों पर गंभीरता और दुविधा की छाया थी।
“हमें जल्द से जल्द कार्रवाई करनी होगी," एक अधिकारी ने कहा। "अगर यह सब किसी बड़ी साजिश का हिस्सा है, तो हमें पहले से तैयार रहना होगा।"
इस सबके बीच, टीम ने अपनी योजना तैयार की। अगले दिन सुबह से ही फिर से गाँव में पूछताछ करने का फैसला किया गया। सभी को यह महसूस हो रहा था कि यह केवल शुरुआत थी, और उन्हें मामले की गहराई में जाकर सच्चाई को उजागर करना होगा। पूरा दिन हर एक गाँव वाले से अलग-अलग पूछताछ की गई, पर कुछ मज़बूत हाथ न लगा। पूछते-पूछते रात हो गई।
रात के अंधेरे में, गाँव के लोग अपनी-अपनी चिंताओं में डूबे हुए थे, लेकिन पुलिस टीम को तो अभी एक और बड़ी चुनौती का सामना करना था।
तभी नाइट ड्यूटी पर तैनात पुलिस वाले को हाईवे के एक ढाबे वाले का फोन आता है। ढाबे वाले की आवाज़ में घबराहट थी। "साहब, मेरे ढाबे के पीछे काले रंग के लिफाफे में कुछ लिपटा रखा है, और उसमें से बहुत बदबू आ रही है। मुझे डर लग रहा है।"
पुलिस वाले ने तुरंत ध्यान दिया और बिना वक्त गँवाए कहा, "आप वहीं रहें। हम तुरंत वहाँ पहुँच रहे हैं।" फोन रखते ही उसने अपनी टीम को इस नए सुराग के बारे में बताया। सभी तुरंत तैयार होने लगे।
हाईवे पर ढाबे तक पहुँचते-पहुँचते, सभी के मन में फिर से सवाल उठने लगे। क्या यह लिफाफा किसी और हत्या से जुड़ा हुआ था? क्या इस बार उन्हें कोई और सबूत मिलेगा? हर कोई सोच रहा था कि बदबू क्यों आ रही है और उसमें क्या हो सकता है।
जैसे ही वे ढाबे के पास पहुँचे, उस ढाबे वाले ने उन्हें इशारा किया कि लिफाफा कहाँ रखा है। एक अधिकारी ने ध्यान से उस काले लिफाफे की ओर देखा, जो ढाबे के पीछे पड़ा था। लिफाफा किसी भारी चीज़ से भरा हुआ लग रहा था, और बदबू अब और भी तेज़ हो गई थी।
पुलिस ने तुरंत लिफाफे को खोलने का फैसला लिया। एक अधिकारी ने दस्ताने पहनकर लिफाफा खोला। जैसे ही उन्होंने उसे खोला, सबकी आँखें जैसे फटने को हो गईं।
लिफाफे के अंदर एक औरत की दो कटी हुई बाहें रखी थीं। जैसे ही पुलिस वालों ने उन्हें बाहर निकाला, सभी की साँसें थम गईं। उन कटी हुई बाहों की स्थिति बेहद डरावनी थी। खून अब भी उनमें से रिस रहा था, और उनका रंग अब तक सूख नहीं पाया था।
देखकर ऐसा लग रहा था जैसे यह किसी खौफनाक अपराध का नतीजा हो। एक अधिकारी ने पास खड़े सभी को शांत रहने का इशारा किया।
"हमें तुरंत फॉरेंसिक टीम को फिर से बुलाना होगा," एक अधिकारी ने कहा। "यह बहुत गंभीर है। अगर यह उसी औरत से जुड़ा हुआ है, तो हमें उसके बारे में पूरी जानकारी मिलनी चाहिए।"
आसपास के लोग अब और भी चिंतित हो गए थे। इस बुरी घटना ने गाँव की शांति को भंग कर दिया था। किसी को भी समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर यह सब क्या हो रहा है। पूरे गाँव में जैसे एक बेचैनी सी तैर रही थी।
सभी अधिकारी अब और अधिक गंभीर हो गए थे। उन्हें यह समझ में आ गया था कि यह मामला केवल एक हत्या नहीं, बल्कि एक खतरनाक साज़िश का हिस्सा हो सकता है। अब इस मामले को सुलझाने की जिम्मेदारी उनके कंधों पर थी, और उन्हें जल्द से जल्द सच्चाई का पता लगाना था।
सिर, टाँगें और अब बाहें, सभी एक ही इंसान के हिस्से थे। जब फॉरेंसिक रिपोर्ट आई, तो सबका दिल धड़कने लगा। डॉक्टर्स ने रिपोर्ट में बताया कि यह सब एक ही इंसान के हिस्से हैं और वो इंसान एक 40 साल के आसपास की एक औरत है।
इस रिपोर्ट ने सबको चौंका दिया। अब यह साफ हो गया था कि यह मामला न केवल एक हत्या थी, बल्कि एक जघन्य अपराध था, जिसमें किसी ने पूरी निर्दयता और क्रूरता से महिला की जान ली थी। पुलिस टीम की चिंता और बढ़ गई। उन्हें यह समझ में आ गया था कि यह मामला अब गाँव की सुरक्षा से कहीं अधिक गंभीर हो गया था।
"हमें हर संभव कोशिश करनी होगी कि हम इस हत्या के पीछे के रहस्य को जल्दी से जल्दी उजागर करें," एक अधिकारी ने कहा। "इस अपराधी को पकड़ना हमारी पहली और आखिरी जिम्मेदारी होनी चाहिए, ताकि और किसी की जान को खतरा न हो।"
अब पुलिस को ये भी पता था कि गाँव में दहशत का माहौल फैल चुका था। लोग अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित थे। हर कोई इस बात को लेकर चिंतित था कि क्या यह सब किसी और महिला के साथ भी हो सकता है।
अब सबसे पहले तो पुलिस को यह पता करना था कि यह डेड बॉडी किसकी है। उन्होंने उस महिला की पहचान के लिए सभी संभव प्रयास करने का फैसला लिया।
पुलिस ने local अस्पताल से संपर्क किया, जहां वे हेलमेट में फंसे सिर और कटी हुई बाहों की पहचान के लिए फॉरेंसिक विशेषज्ञों की मदद ले रहे थे। एक टीम ने गाँव में जाकर पूछताछ शुरू की। उन्होंने आस-पास के लोगों से बात की, ताकि किसी ने उस औरत को देखा हो या उसके बारे में कुछ जानकारी हो।
पुलिस ने इलाके के बाकी थानों से गुम हुए लोगों की जानकारी मांगी। इस मामले की गंभीरता को समझते हुए, उन्होंने तुरंत एक detailed रिपोर्ट तैयार करने का फैसला लिया।
हर थाने से यह सुनिश्चित करने के लिए संपर्क किया गया कि किसी भी गुमशुदा महिला के मामलों की जानकारी हो।
कुछ घंटे बाद, पुलिस को आसपास के सभी थानों से जानकारी मिली। कुछ मामलों में, औरतें सामान्य कारणों से गुम थीं, लेकिन कुछ मामलों में उनकी हालत संदिग्ध थी। एक थाने से एक रिपोर्ट आई, जिसमें एक महिला की जानकारी मिली जो बस दो दिन पहले ही लापता हुई थी। पुलिस ने तुरंत उस रिपोर्ट की डिटेल्स मांगी। यह उस औरत की पहचान के बारे में और जानकारी जुटाने के लिए एक अवसर था।
उस महिला का नाम निया था।
निया चार गाँव आगे एक गाँव में अपने भाई के साथ रहती थी। वह चालीस साल की थी और उसकी शादी नहीं हुई थी। निया ने अपनी पूरी ज़िंदगी अपने परिवार और अपने बिज़नेस को सौंप दी थी। उसने एक रेडीमेड कपड़ों की दुकान खोली थी।
निया के लापता होने की शिकायत पुलिस में उसके भाई ने ही दर्ज कराई थी। जब निया दो दिन तक घर नहीं लौटी, तो भाई का मन चिंता और डर से भर गया। शुरू में उसने सोचा कि निया शायद किसी रिश्तेदार के घर गई होगी, जैसा वो अक्सर चली भी जाती थी। लेकिन जब रात बीत गई और निया का कोई पता नहीं चला, तो उसकी चिंता बढ़ने लगी।
उसने गाँव में रिश्तेदारों और निया के दोस्तों से भी पूछताछ की, पर किसी को भी उसकी खबर नहीं थी। आखिरकार, जब उसे यकीन हो गया कि कुछ गलत हुआ है, तो उसने पुलिस स्टेशन जाकर गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई।
पुलिस के पास पहले से ही एक संदिग्ध मामला चल रहा था जिसमें एक महिला की कटी हुई लाश के हिस्से मिले थे। जैसे ही निया के भाई ने लापता होने की जानकारी दी, पुलिस ने दोनों मामलों को जोड़ने पर विचार करना शुरू किया।
"आपने निया को आखिरी बार कब देखा था?" पुलिस ने भाई से पूछा।
"दो दिन पहले सुबह। वह हमेशा की तरह दुकान के काम से निकली थी, लेकिन फिर कभी वापस नहीं आई।"
पुलिस वालों ने उस आदमी को हेलमेट और उस सिर को दिखाया। देखते ही वो आदमी रो पड़ा और बोला, "यह मेरी बहन ही है और यह हेलमेट भी उसी का है।"
उस असहाय भाई, जिसकी ज़िंदगी में सिर्फ एक बहन थी और वो भी उसने खो दी थी, उसकी आँखों से गिरता हर एक आँसू मानो पुलिस विभाग को चुनौती दे रहा था कि दम है तो ढूंढ कर लाओ मेरी बहन के कातिल दरिंदे को।
वो दरिंदा था आकाश. कौन था, क्या रिश्ता था निया से, कहाँ से आया था. सब बताऊंगा।
आकाश की यह कहानी आकाश जितनी ही विशाल है।
जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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