मैं हूँ जल्लाद चक्रधर। मेरा काम अपराधियों को उनके किए की सजा देना है। मैं नफरत की नहीं, न्याय की आवाज़ हूँ, जो उन कर्मों का बदला लेता है, जो समाज को शर्मिंदा करते हैं।
लेकिन कई बार समाज के कारनामों से मैं भी शर्मिंदा हो जाता हूँ। कविता की छोटी सी जिंदगी में इतने बड़े-बड़े कांड हुए कि बातें घंटों चलती रहीं। वो सुनाती रही, मैं सुनता रहा। कविता ने मुझे बताया था कि उसे डर था कि कहीं कोई उस पर ही हमला न कर दे। उसने ये बात पुलिस को बताई...और अब आगे की दास्तान:
जब कविता ने पुलिस को फोन किया और कहा कि उसे अपनी जान का खतरा महसूस हो रहा है, इंस्पेक्टर विकास और उसकी टीम उलझन में पड़ गई। एक तरफ, कविता की बातों में सच्चाई का इशारा सा था, लेकिन दूसरी तरफ, उसकी हरकतों को देखते हुए यह भी मुमकिन था कि यह उसकी कोई नई चाल हो। अब सवाल यह था कि क्या वाकई वह खतरे में थी, या वह खुद को मासूम दिखाने की कोशिश कर रही थी?
विकास ने तुरंत फैसला किया कि वे इस बात को हल्के में नहीं ले सकते। उसने कविता के घर पर सुरक्षा कड़ी करने के आदेश दिए और खुद भी उससे मिलने चला गया। जब वह कविता के घर पहुंचा, तो उसने देखा कि वह बेहद घबराई हुई थी। उसकी आँखों में डर साफ झलक रहा था, और उसके हाथ कांप रहे थे।
कविता ने विकास को देखते ही कहा, "इंस्पेक्टर, मुझे यकीन है कि जो लोग मारे गए हैं, वे उसी गिरोह का हिस्सा थे, और अब मुझे भी मारने की योजना बनाई जा रही है। मैं उनसे दूरी बनाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन अब वे मेरे पीछे हैं।"
विकास ने गंभीरता से उसकी बातों को सुना, मगर उसके मन में अब भी शक था। उसने धीरे से पूछा, "कविता, अगर तुम्हें पता था कि ये लोग खतरे में हैं या कुछ गलत कर रहे हैं, तो तुमने पहले क्यों नहीं बताया? और आखिर ये लोग हैं कौन?"
कविता कुछ पल के लिए चुप रही। उसने गहरी सांस ली और कहा, "इंस्पेक्टर, मैं खुद इस जाल में फंस गई थी। ये एक सीक्रेट क्लब है, जहाँ बहुत बड़े लोग आते हैं—पैसा, पावर, और अंधेरी सच्चाइयाँ। मैंने सोचा था कि यह सब बस एक गेम है, लेकिन अब मुझे एहसास हुआ कि ये लोग बहुत खतरनाक हैं। वे जो चाहते हैं, उसे हासिल करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।"
विकास ने उसकी बातों पर ध्यान दिया, लेकिन उसे यकीन नहीं हो पा रहा था कि कविता पूरी तरह सच्चाई बता रही है। वह जानता था कि कविता अपनी छवि को लेकर बहुत सतर्क थी, और उसने अब तक बहुत सी चीजें छिपाई थीं। इसलिए, हो सकता था कि वह अब खुद को बचाने के लिए पुलिस को इस्तेमाल कर रही हो।
लेकिन एक बात साफ थी—अगर यह सच था, तो कविता अब वाकई खतरे में थी। और अगर यह उसकी कोई चाल थी, तो वह एक मास्टरमाइंड थी, जो हर किसी को अपने इशारों पर नचा रही थी।
इसी बीच, पुलिस ने उस सीक्रेट क्लब की जांच शुरू कर दी थी। क्लब में कौन लोग शामिल थे, क्या वहाँ कुछ अवैध हो रहा था, और क्या ये हत्याएँ उसी क्लब से जुड़ी थीं? यह सब पता लगाना बेहद जरूरी था।
विकास ने कविता को वादा किया कि उसकी सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जाएगा। लेकिन मन ही मन उसने यह भी तय किया कि वह अब कविता की हर चाल पर नज़र रखेगा।
रात गहरी हो चुकी थी। पुलिस ने कविता के घर के चारों ओर सुरक्षा घेरा बना दिया था। लेकिन विकास के मन में अब भी सवाल उठ रहे थे—क्या सच में कविता खतरे में है, या वह खुद हत्याओं के पीछे छिपी कड़ी है?
जवाब अभी भी धुंधले थे, और हर नई कड़ी के साथ यह मामला और पेचीदा होता जा रहा था।
इंस्पेक्टर विकास ने अपने सबसे भरोसेमंद मुखबिरों को उस सीक्रेट क्लब की खबरें लाने के काम पर लगा दिया। यह कोई आम क्लब नहीं था, बल्कि शहर के सबसे अमीर और रसूखदार लोगों का एक secret ठिकाना था, जहाँ केवल चुनिंदा लोग ही आ सकते थे। वहाँ जो भी होता था, उसे बाहर की दुनिया से पूरी तरह से छिपा कर रखा जाता था।
मुखबिरों को इस क्लब के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी, लेकिन कुछ बातें बाहर आईं... जैसे क्लब का नाम "ब्लैक रोज़" था। इस जगह में प्रवेश करना किसी आम व्यक्ति के लिए नामुमकिन था, और मुखबिरों को अंदर घुसने का कोई सीधा रास्ता नहीं मिला।
विकास के एक मुखबिर ने सूचना दी कि क्लब के कुछ पुराने सदस्य, जो अब क्लब से बाहर हो चुके थे, उनके पास कुछ अहम जानकारी हो सकती है। यह सूचना विकास के लिए बेहद महत्वपूर्ण थी, क्योंकि ये पूर्व सदस्य अब क्लब के खिलाफ खुलकर बोल सकते थे।
विकास ने तुरंत अपनी टीम से कहा, "हमें इन पुराने सदस्यों से संपर्क करना होगा। अगर कोई इस क्लब की काली करतूतों को जानता है, तो वे ही होंगे। उनसे बात करके हमें पता चल सकता है कि इस क्लब का कविता और इन हत्याओं से क्या संबंध है।"
कुछ दिनों बाद, पुलिस ने एक पुराने सदस्य, रजत कपूर, से संपर्क किया। रजत एक समय में क्लब का महत्वपूर्ण हिस्सा था, लेकिन उसने कुछ साल पहले क्लब छोड़ दिया था। पुलिस ने उससे बातचीत की, और जो बातें सामने आईं, वे चौंकाने वाली थीं।
रजत ने बताया, "ब्लैक रोज़ कोई साधारण क्लब नहीं है। वहाँ बड़े-बड़े और गहरे रहस्य छिपे होते हैं। क्लब के सदस्यों के बीच परफ्यूम का लेन-देन सम्मान की बात है, लेकिन हाल ही में इसे हत्याओं से जोड़ना बेहद डरावना है।"
इस जानकारी से विकास को और भी गहराई में जाने का मौका मिला। अब यह मामला और मुश्किल हो चुका था। क्लब में हत्याओं की जड़ें थीं, और कविता का कनेक्शन इसे और भी खतरनाक बना रहा था।
अब विकास को यकीन था कि क्लब ही इस पूरे खेल की असली जड़ है। लेकिन वह सावधान रहना चाहता था, क्योंकि क्लब के सदस्य बेहद ताकतवर और खतरनाक थे। अगर वह जल्दबाजी में कोई कदम उठाता, तो खुद उसकी और उसकी टीम की जान भी खतरे में आ सकती थी।
लेकिन वो कहते हैं, "जहां चाह, वहां राह।" क्लब के एक वेटर ने दावा किया कि अगर उसे पैसों का सही ऑफर दिया जाए, तो वह क्लब की सीसीटीवी फुटेज पुलिस के हाथों में दे सकता है। विकास को यह खबर सुनकर तुरंत अंदाजा हो गया कि ये फुटेज इस केस में एक बड़ी सफलता साबित हो सकती हैं। यह फुटेज उन घटनाओं की गवाही हो सकती है, जो अब तक सिर्फ कयासों और सवालों में उलझी थीं। लेकिन इस वेटर पर पूरी तरह से भरोसा नहीं किया जा सकता था। क्लब के अंदरूनी लोग खतरनाक थे और वो वेटर को ही नुकसान पहुंचा सकते थे। फिर भी, विकास ने इस मौके को गंवाने का कोई इरादा नहीं किया।
दो दिन बाद, रात के अंधेरे में एक secret जगह पर मुलाकात तय हुई। वेटर ने अपने हिस्से का काम किया और एक पेन ड्राइव में क्लब की सीसीटीवी फुटेज पुलिस को सौंप दी। जब पुलिस ने फुटेज की समीक्षा शुरू की, तो हर कोई सांसें थामे बैठा था। फुटेज में वही मारे गए लोग क्लब में अलग-अलग समय पर दाखिल होते दिखे। लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात ये थी कि फुटेज में हर बार कविता भी उनके साथ नज़र आई। कभी वह किसी के साथ हंसते हुए बातें कर रही थी, कभी डांस फ्लोर पर मस्ती कर रही थी, और कभी बार काउंटर पर उनके साथ शराब पी रही थी।
विकास ने गहराई से फुटेज को देखा और नोट किया कि हर पीड़ित के मरने से कुछ ही दिन पहले कविता उनके साथ इस क्लब में देखी गई थी।
विकास के शक अब लगभग यकीन में बदल रहे थे। पर अभी भी एक सवाल बाकी था—क्या कविता खुद हत्याओं को अंजाम दे रही थी, या वह बस एक मोहरा थी, जो किसी और बड़े खिलाड़ी के इशारों पर चल रही थी?
पुलिस ने अब अपना आखिरी दांव खेलने का फैसला किया। इंस्पेक्टर विकास और उसकी टीम सीधे कविता के पास पहुंच गई। उन्होंने उसे क्लब की सीसीटीवी फुटेज के बारे में सब बता दिया और बहुत ही चालाकी से उसे दबाव में लाने की योजना बनाई। विकास ने कविता से कहा, "हमारे पास सबूत हैं, अब अगर तुमने कुछ भी छिपाया तो ये याद रखना कि हम कल तक ये सारे वीडियो पूरे शहर में वायरल कर देंगे। तुम्हारा नाम और चेहरा हर जगह होगा। तुम्हारी इज्जत, तुम्हारी हैसियत, सब खत्म हो जाएगी।”
कविता पहले से ही तनाव में थी। उसने सोचा भी नहीं था कि पुलिस उसके इतने करीब आ जाएगी। उसका चेहरा सफेद पड़ गया और वह कांपने लगी। उसने खुद को शांत रखने की कोशिश की और कहा, "मैंने कुछ नहीं किया है... आप मुझे फंसाने की कोशिश कर रहे हैं।"
विकास ने उसकी ओर एक ठंडी नजर से देखा और मुस्कराते हुए कहा, "ठीक है, जैसी तुम्हारी मर्जी।"
यह सुनते ही कविता की सारी हिम्मत टूटने लगी। उसकी सांसें तेज हो गईं और कांपते हुए उसने कहा, "मैं... मैं आपको सब कुछ बताती हूँ। लेकिन प्लीज, इन वीडियो को बाहर मत आने दीजिए।"
विकास ने सिर हिलाते हुए कहा, "हम देखेंगे। पहले सच बताओ।"
कविता की आंखों में आंसू थे, लेकिन उसके चेहरे पर एक अजीब सी सख्ती और दर्द छिपा हुआ था। उसने सच्चाई उगलते हुए कहा, "मुझे मर्दों से नफरत हो गई थी। वे सभी मुझसे प्यार का दिखावा करते थे, लेकिन असल में उन्हें बस मेरा जिस्म चाहिए था। मेरे जज़्बातों की उन्हें कोई परवाह नहीं थी। मैं इस दिखावे और धोखे से तंग आ चुकी थी। हर बार जब वे मेरे पास आते, उनके बदन से महंगे परफ्यूम की तेज़ महक आती थी, जो मेरे ज़ख्मों को और भी गहरा कर देती। मैं उन परफ्यूम से नफरत करने लगी थी। हर परफ्यूम की बोतल में मुझे एक कमीना मर्द नजर आता था।"
कविता ने अपने दर्द को बयां करते हुए कहा, "मुझे अपने साथ हुए हर धोखे का बदला लेना था। इसलिए, मैंने भाड़े के गुंडों से संपर्क किया। मैंने उन्हें उन मर्दों को मारने की सुपारी दी, जिन्होंने मेरे साथ संबंध बनाए थे और फिर मुझे छोड़ दिया था। मैंने उनसे कहा कि हर लाश के पास वही महंगा परफ्यूम छोड़ देना, ताकि सब समझ सकें कि ये मौतें उन्हीं मर्दों के लिए थीं, जो सिर्फ जिस्म की खुशबू के पीछे भागते हैं। मुझे पता था कि मैं ज्यादा दिनों तक पुलिस से बच नहीं पाऊंगी, लेकिन मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। मैंने उन मर्दों को उनकी असली सजा दी है।"
कविता का कबूलनामा सुनकर पुलिस ने उसे तुरंत गिरफ्तार कर लिया। यह कबूलनामा केस को पूरी तरह से साफ कर चुका था।
अदालत में कविता की सुनवाई शुरू हुई। पुलिस ने सभी सबूत पेश किए, जिनमें सीसीटीवी फुटेज, वेटर की गवाही और कविता का खुद का कबूलनामा शामिल था। अदालत में कविता ने फिर से अपने जज़्बात सुनाए, लेकिन जज ने कहा, "आपके दर्द को समझना आसान नहीं है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि आप अपने अपराधों को सही ठहरा सकती हैं। जिन मर्दों से आपने संबंध बनाए, वे आपकी मर्जी से थे, और फिर आपने उन्हें मार दिया। यह अपराध है।"
अदालत ने कविता को फांसी की सजा सुना दी।
कविता अब जेल में थी। कुछ महीने बाद, वह दिन आ गया जब कविता को फांसी दी जानी थी। वह अपने सेल में शांत बैठी थी। उसके चेहरे पर किसी तरह का डर नहीं था।
फांसी से पहले उसे एक आखिरी इच्छा पूछी गई। उसने सिर उठाकर कहा, "मुझे अपने किए पर पछतावा नहीं है। मैं चाहती हूँ कि हर कोई समझे कि जब आप किसी के साथ होते हैं, तो वह केवल एक शरीर नहीं होता। उसके साथ होना भी एक जिम्मेदारी है।"
उसकी अंतिम इच्छा के बाद, उसे फांसी के लिए तैयार किया गया। उसने किसी से नजरें नहीं मिलाईं, शायद वह मरने से पहले किसी मर्द को देखना भी नहीं चाहती थी।
मरने वाली का नाम- कविता
उम्र - 35 साल
समय - सुबह 6 बजकर 04 मिनट
कविता ने तो मुझे इतना तक कहा था कि उसे पुलिस इंस्पेक्टर विकास से भी नफरत हो गई थी क्योंकि उसने भी उसे धोखा दिया था। उसने कहा था कि सारे वीडियो नहीं आने देगा बाहर। लेकिन मेरी गिरफ्तारी के बाद सारे वीडियो पूरे शहर में घूम रहे थे।
मैंने उसे समझाने की कोशिश भी की कि विकास सिर्फ अपना काम कर रहा था।
कविता ने ही नासमझी की थी। पर वह नहीं मानी।
नफरत और बदला हमें गलत रास्ते पर ले जाते हैं. नफरत और दर्द का बदला लेना विनाशकारी हो सकता है। जीवन में संतुलन बनाना जरूरी है, क्योंकि संतुलन बिगड़ने पर जीवन में उथल-पुथल मच जाती है।
पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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