आरु वैसे तो बहुत बुद्धिमान और निडर लड़का है, पर अचानक कुछ ऐसा हो गया की जिस प्रेताल से लड़ने की वो तैयारी कर रहा था, उस प्रेताल को सपने में देख कर भी आरु को बेचैनी होनी शुरू हो गयी थी। भीमा को पता चल चुका था के ये सब ‘भ्रम माया’ का किया हुआ है. पर ये भ्रम माया आखिर होती क्या है ? और किसने आरु के पास भेजा था इसे, इन सब सवालों के जवाब सिर्फ भीमा के पास ही थे। आरु प्रेताल के सपने से बहुत डर गया था और रो रहा था, भीमा ने पूजा वाले कमरे में से कुछ भस्म हाथ में ली और और आरु के माथे पर लगा दी। कुछ ही पल में आरु चुप हो गया। भीमा ने आरु के आंसू पोंछते हुए उसे इस डरावने सपने का सच बताया।
भीमा- आरु तुम डरपोक नहीं हो , और तुम ये बिलकुल मत समझो के प्रेताल का बुरा सपना तुम्हें कभी डरा सकता है। बेटा असल में तुम प्रेताल के सपने से नहीं बल्कि ‘भ्रम माया’ की वजह से डर रहे थे।
बाबा की ये बात सुनकर आरु का बेचैन होना जायज़ था, उसने बाबा से पूछा।
आरू- बाबा ये ‘भ्रम माया’ क्या होती है?
भीमा- ये भी एक प्रकार का साया ही होता है।
आरू- वैसा ही साया, जिसे मैंने उस दिन हरा दिया था?
भीमा- नहीं, ये साया उन से बहुत ज्यादा शक्तिशाली होता है, ये कभी किसी को दिखती नहीं। ये बस अपनी उपस्थिति का एहसास करवाती है। सिर्फ ज्ञानी इंसान ही इसकी उपस्थिति को महसूस कर सकते हैं।
आरू- तो क्या इसे प्रेताल ने भेजा है हमारे पास ?
भीमा- नहीं बेटा, प्रेताल में अभी इतनी शक्ति नहीं है जो इस ‘भ्रम माया’ को वश में कर सके। इसे जिस ने भी भेजा है वो प्रेताल से भी ज्यादा शक्तिशाली है। पर तुम घबराओ नहीं, मैं इस ‘भ्रम माया’ को तुमसे दूर कर दूंगा।
रात को ही बाबा ने पूजा वाले कमरे में आग लगाई और आरु को सामने बैठा कर मंत्र जाप करते हुए हवन शुरू किया। ये हवन 1 घंटे तक चला और धीरे धीरे आरु को अपना शरीर हल्का लगना शुरू हो गया था। आरु को लग रहा था की काफी दिनों से लगातार मेहनत करने की वजह से , शायद उसका शरीर थक गया है , और शायद इसलिए ही उसे भारीपन महसूस हो रहा है। हवन के दौरान उसे एहसास हुआ की , ये भारीपन उस ‘भ्रम माया’ की वजह से था। भीमा ने अपना मंत्र जाप बंद किया। हवन पूरा हो चुका था और आरु को पहले से ज़्यादा अच्छा महसूस हो रहा था। भीमा के कहने पर आरु सोने चला गया।
अगली सुबह भीमा सीधा सरपंच के पास गए उसे रात की घटना के बारे में बताते हुए कहा।
भीमा- भंवर कल फिर आरु को डरावने सपने आये थे, उस पर ‘भ्रम माया’ का साया था, मैंने उस ‘भ्रम माया’ को तो भगा दिया। पर वो एक ऐसी शक्ति है जिसे पुरे तरीके से वश में करना इतना आसान नहीं है।
सरपंच- बाबा आप बस ये बताओ की , मैं किस तरीके से आपकी मदद कर सकता हूँ।
भीमा- मुझे लगता है की अब समय आ गया है , हम गांव वालों को आने वाले खतरों से सावधान कर दें।
सरपंच- पर बाबा इस से तो गाँव में डर का माहौल बन जायेगा।
भीमा- हम सारी बातें उन्हें नहीं बताएंगे पर कुछ बातें अब बताना ज़रूरी हो गयी हैं। तुम सब गांव वालों को मैदान के पेड़ के नीचे इकट्ठा करो, मैं आरु को लेकर वहीं पहुंचता हूँ।
कुछ देर में ही सरपंच गांव के सभी लोगों को लेकर मैदान के बड़े पेड़ के पास खड़ा था। भीमा और आरु भी वहीं पहुंच गए थे। भीमा पेड़ के पास थे और बाकी सभी लोग उसके सामने खड़े थे। भीमा ने अपनी बात रखते हुए कहा।
भीमा- गांव वालो आप सभी यही सोच रहे होंगे की आपको अचानक यहां क्यों बुलाया गया है। दरसल के बात ही कुछ ऐसी है , जो आप सबके लिए जाननी बहुत ज़रूरी है। आपको याद ही होगी उस आग उगलने वाले पक्षी की घटना। उस दिन आरु ने हमें बचाया था। पर हमें अब और सावधान रहना होगा ,क्योंकि भविष्य में गांव पर ऐसे और भी हमले हो सकते हैं।
भीमा की ये बात सुनकर गाँव वालें घबरा गए थे। भीमा का मकसद उन्हें डराना नहीं , बल्कि उन्हें सावधान करना था। भीमा ने बताया के बहुत सालों से गाँव शांति और खुशहाली के साथ रह रहा था। कभी कभी जो विपत्तियां आती थी , उन्हें ठीक कर लिया जाता था। पर आने वाले समय में कुछ ऐसी घटनाएं हो सकती हैं, जिनका मुकाबला तभी किया जा सकता है , जब हम एक साथ रहें। आज गांव वालों के सामने भीम ने पहली बार जंगल के कुछ रहस्य बताये। भीमा ने उन्हें जानकारी देते हुए कहा।
भीमा- गांव वालों आप सभी ये तो जानते हो के आपका जंगल में जाना मना है। पर उस गांव में एक ऐसी शक्ति दोबारा सक्रिय हो चुकी है, जिसे कई सालों पहले शांत कर दिया गया था। आपके पूर्वजों ने एक जंग जीत कर आपको सुकून भरा जीवन दिया था, अब वही जंग आपको अपने आने वाले भविष्य को बचाये रखने के लिए लड़नी है।
भीमा की बातें गाँव वालों की बेचैनी बढ़ा रही थी, तभी उस भीड़ में से एक गांव वाला भीमा से सवाल पूछता है। “बाबा आपके कहने का मतलब है, हमें हथियार उठा कर जंगल की तरफ जंग करने जाना है ?”
भीमा- नहीं नहीं, हम भूल कर भी ये गलती नहीं कर सकते, हमे पहले खुद को मज़दूत बनाना है। ये जंग सिर्फ हथियारों से नहीं जीती जाएगी। इसके लिए रणनीति बनाने पड़ेगी। पर आप सब ने घबराना नहीं है, कुलदेवी की कृपा हम सब पर है, हमारी रक्षा वो करेंगी।
वो गांव वाला दोबारा पूछता है “पर ये जंग शुरू कब होगी ? “
भीमा- अभी इसमें बहुत समय बाकी है आप चिंता मत करो, हो सकता है की ये जंग कभी हो ही ना, आरु और मैं खुद ही इस मुसीबत का समाधान कर लें। मेरा मकसद आज आप सबको सावधान करना था, ताकि आप सब सुरक्षित रहें।
भीमा ने आगे की रणनीति बनाने के लिए आरु को एक नई ज़िम्मेदारी दी, अब आरु को कुछ युद्ध कलाएं गांव वालों को भी सिखानी थी। पर भीमा ने सावधान करते हुए आरु को बताया था की, गांव वालों को बस वही विद्या सिखाई जाएगी जिसकी भीमा इजाज़त देंगे। कोई भी गुप्त और शक्तिशाली विद्या सिर्फ आरु तक ही सीमित रहेगी। इन गाँव वालों को भी जंगल के सारे रहस्य नहीं मालूम थे। ये वो रहस्यमय थे जिनके बारे में सिर्फ भीमा को और इन गाँव वालों के पूर्वजों को पता था। और आज के समय में इस जंगल के कुछ रहस्य या तो सरपंच और या तो आरु को पता हैं। इधर गाँव वालों को जंगल में बढ़ रही शैतानी ताकतों के बारे में बताया गया और दूसरी तरफ जंगल में भी जंग की तैयारी की कुछ आहट आनी शुरू हो गयी थी। यहां चंद्रा भी प्रेताल को भ्रम माया का ज्ञान दे रहा था ।
चंद्रा- मेरी सिद्धियों में ‘भ्रम माया’ एक ऐसी सिद्धि है , जिसने कभी मुझे निराश नहीं किया। ये इंसान के दिमाग में ऐसा भ्रम पैदा करती है , जिससे इंसान का मनोबल टूट जाता है।
प्रेताल- जी उस्ताद जी आप सबसे महान हो, क्या उस भ्रम माया ने आरु को मार डाला।
चंद्रा- नहीं …. यही तो दिक्कत है की जब तक वो भीमा वहां है आरु को कुछ नहीं हो सकता, पर मेरी भ्रम माया ने अपना काम कर दिया, इसकी वजह से मुझे आरु की कुछ ऐसी कमज़ोरियाँ पता चली हैं, जिनका तुम्हेंं बहुत लाभ होने वाला है प्रेताल।
प्रेताल- जी उस्ताद जी, अगर उसके पास भीमा है तो मेरे पास आप हो, पर उस्ताद जी क्या आप मुझे ‘भ्रम माया’ को वश में करना सिखा सकते हो?
चंद्रा- अभी उसका समय नहीं आया है । ‘भ्रम माया’ एक ऐसी सिद्धि है , जो अगर बेकाबू हो जाये तो उसी को मार देती है जो उसकी पूजा करता है। पर मैं तुम्हें एक मौका देता हूँ , तुम्हें एक परीक्षा देनी होगी और अगर तुम परीक्षा में सफल हुए , तो मैं तुम्हें ‘भ्रम माया’ की सिद्धि प्राप्त करने में मदद करूंगा।
प्रेताल- जी उस्ताद जी , मैं हर परीक्षा देने को तैयार हूँ।
चंद्रा- ज़रूर और इस बार तुम्हारे साथ साथ जंगल में रहने वाले , बाकी साथियों की परीक्षा भी ली जाएगी
अगर इस प्रेताल ने ‘भ्रम माया’ को अपने वश में कर लिया तो क्या सभी गांव वालों पर भी भ्रम माया का प्रकोप बरसेगा। भीमा ने जो चेतावनी गाँव वालों को दी उसका मतलब ये तो नहीं की जंगल में से फिर कोई नया और विचित्र जीव हमला करने आ रहा है। इस प्रेताल और चंद्रा के अलावा जंगल में वो कौन से लोग हैं जो गाँव में हमला कर सकते है? ये जंगल के लोग कितने ताकतवर हैं? जानने के लिए पढ़ते रहिए काल का जाल।
No reviews available for this chapter.