ह्म्म… ह्म्म… ह्म्म… आईना भी क्या जबरदस्त चीज होती है ना… हर इंसान को सिर्फ वो नहीं दिखता जो वो देख रहा होता है, मुझे ही देख लो नॉर्मल इंसान को शकल दिखती होगी पर जब मैं इस आईने को साफ करता हूं तो इसमें मुझे, मेरी औकात दिखती है।
हां जी, ये ऑफिस के ग्लास डोर का शीशा साफ करता हुआ इंसान… और कोई नहीं मैं ही हूं। वो क्या है कि काम करते-करते कभी मन खुश होता है तो गुन-गुना भी लेता हूं। मेरा नाम है रवि, रवि सिंह।
मेरे लिए यह दिन भी बाकी दिनों की तरह ही एक आम दिन था। मैं इस ऑफिस का सबसे बड़ा इंसान हूं जो इस ऑफिस के सबसे छोटे मगर सबसे इंपॉर्टेंट काम को करता हूं ….. जैसे कि ऑफिस की सफाई, कॉफी देना, डस्टिंग, पार्सल/कूरियर और गॉसिप को इधर से उधर पहुंचाना
लोगों का ईगो सेटल करना के साथ-साथ
साहब लोगों के लिए ऑफिस के गेट से लेकर गाड़ी के दरवाजे खोलना (कार दरवाजा खुला एसएफएक्स)
और हां, दरवाजे खोलते समय सलाम करना।
यहां के एमबीए, आईआईटी ग्रेजुएट्स की मेरे जैसे बीए पास पर नज़र तब ही पड़ती है जब उन्हें मुझसे कोई छोटा-मोटा ऑफिस का काम होता है। हां भाई… वैसे तो मैं भी ग्रेजुएट हूं… लेकिन मेरी डिग्री और यहां काम करने वाले दूसरे लोगों की डिग्री में एक मोटी रकम का अंतर है। हालांकि एक बात कभी कभी बीटी देती है मेरा मतलब है परेशान करती है कि मेरी 28 की ऐज में, मैं इनसे ज़्यादा मेहनत कर के कम पैसे कमाता हूँ.
वैसे आज मैं यूजुअल डेज़ से थोड़ा ज्यादा खुश हूं… सुबह-सुबह सपने में मैंने देखा कि मैं एक तालाब में मस्त सारे कपड़े उतार के डुबकी लगा रहा हूं, और वो तालाब कमल के फूलों से भरा पड़ा है… “आहाहाहहा .. वाह, ठंडे-ठंडे पानी में छप्पर-छप्पर करने का मज़ा ही कुछ और था।
वैसे तो सपने मुझे अक्सर घटिया ही आते हैं और मैं इतना सोचता भी नहीं पर आज सुबह जब ये सपना देखा तो याद आया कि बचपन में… मेरी मां अक्सर कहती थी कि “बेटा, जिस दिन सपने में कमल का फूल दिखे तो समझ लेना कि तुम पर लक्ष्मी मां की कृपा होने वाली है... और मेरे सपने में मुझे तो इस तालाब का ड्रोन शॉट आया था भाई … लोटस ही लोटस यानी लक ही लक।
तो फर्स्ट थिंग फर्स्ट, एक गरीब आदमी ऐसी स्थिति को कैसे कैश करेगा… सिंपल है, अपने कैश को डबल करके, इसलिए आज जय अम्बे लॉटरी टिकट का पूरे 1 लाख का बंपर इनाम वाला लॉटरी टिकट भी खरीद लिया, क्योंकि जिंदगी में जब एल लगने ही हैं तो क्यों न एल फॉर लॉटरी पर किस्मत आजमाई जाए।
और गांव से शहर आते समय मेरी आंखों में एक ही सपना था, कि एक दिन मैं भी अपने मां-बाप का नाम रोशन करूंगा, खूब पैसे कमाऊंगा। इन सब बातों के ख्याली पुलाव मैने अभी-अभी धीमी आंच पर चढ़ाए ही थे (फ्राइंग एसएफएक्स) कि तीभी ऑफिस में किसी ने मुझे आवाज देकर कॉफी मांग ली। हां यार!!! सुबह-सुबह आते ही ऑफिस की कॉफी की चुस्की लेकर ही काम में मन लगता है इन लोगों का।
खैर… यार कोई क्योंकि सास भी कभी बहू वाला म्यूजिक लगाओ न मैं इस ऑफिस की तुलसी बनकर आपको सबसे इंट्रोड्यूस करवा देती हूं / सॉरी देता हूं।
इस शानदार और बड़े से ऑफिस का नाम है स्विफ्टेक सॉल्यूशंस। यहां के लोग बताते हैं कि कंपनी की २००० करोड़ की मिल्कियत है। वो कहते हैं ना… अम्पायर, नहीं-नहीं, एम्पायर !! बस एक बार मेरी भी लॉटरी लग जाए इसी मिल्कियत के मुंह पर रिजाइन फेंक के मारूंगा …! यह कंपनी चमन से लेकर एक्स्ट्रा चूउउरन (चूरन) लोगों से भरी हुई है। एक से बढ़कर एक लोग इधर काम करने आते हैं।
अब जैसे कि यह बड़े से केबिन में बैठा छोटे दिल वाला इंसान, इस कंपनी का सीएफओ है। फुल फॉर्म मुझसे मत पूछना। सब यही बताते हैं कि सीएफओ है, नाम है संजय राव। इसका एक्चुअल काम मुझे नहीं पता पर यह अपने हाथों में मौजूद सारी उंगलियों से दिन भर ईमेल लिख-लिखकर पूरे ऑफिस को उंगली बहुत करता है। मुझे यह इंसान के रूप में एक चलता-फिरता जासूस लगता है। न जाने किस-किस के कौन-कौन से पाप इसके सीने में दफन हैं।
बस सही मौके का इंतजार है इसे, उस सीक्रेट का… जहर बनाकर उगलने के लिए। इनमें और मुझमें एक चीज कॉमन है हम एक दूसरे से कोई मतलब नहीं रखते। अब कहां राजा सीएफओ और कहां मैं !
चलिए अब कुछ अच्छे लोगों से भी आपकी मुलाकात करा देते हैं, ये सीएफओ के केबिन के ठीक सामने ही बैठती है अनीता वर्मा, स्विफ्टेक सॉल्यूशंस की मार्केटिंग हेड है। यह बहुत मजदूर, मेरा मतलब है बहुत ही मजबूत लड़की है। सुना है बहुत ही टॉप क्लास के कॉलेज से एमबीए किया है। शायद इसीलिए ऑफिस में कुछ सबसे काबिल लोगों में से एक है। जिम्मेदारी निभाना इन्हें बहुत अच्छे से आता है। इसकी टीम में किसी से अगर एक बार छोटी सी गलती हो जाए…. तब यह कुछ नहीं करती, आपको क्या लगा बहुत गुस्सा करती है। अरे वो गुस्सा तो अनीता मैडम उसी गलती के दोबारा करने पर करती हैं। इनका मानना है कि गलती करना बुरा नहीं है लेकिन गलतियों की गोलियां रोज खाना… यह तो अच्छी बात नहीं है (कोशिश करें कि ऐसे ही बोलें जैसे कि वह मीम)। एक और है, अय्यर…. नहीं…. चिन्नास्वामी, मुथुस्वामी वेणुगोपाल अय्यर नहीं। इसका नाम है रमेश अय्यर,
मम्मी नॉर्थ इंडियन और पापा साउथ इंडियन। यह बंदा यहां फंसा है… बेचारा है बहुत होशियार। यहां लोग कंप्यूटर समझकर नौकरी करने आते हैं लेकिन इस ऑफिस का हर कंप्यूटर इसे समझता है। १२ साल की उम्र में ही इसने अपने पड़ोसी का सिस्टम हैक कर दिया था। इसके अलावा ऑफिस में एक और मैडम है। जो है तो वैसे ६० की, लेकिन सामने से उन्हें देखकर यह कहना थोड़ा मुश्किल है। अरे भाऊ… वो कहते हैं न कि पैसा हो तो क्या कुछ नहीं हो सकता।
नाम है मिसेज शालिनी कपूर। स्विफ्टेक सॉल्यूशंस की बहुत ही पुरानी इन्वेस्टर। पति कम उम्र में चल बसे थे, पर तब से यह उस पति की हर प्रॉपर्टी पर बसी हुई हैं।
वैसे तो ऑफिस में आज का दिन नॉर्मल दिनों की तरह ही था, लेकिन अचानक से मुझे वो चमकती लक्जरी कार आती हुई दिख जाती है। मुझे समझने में देर नहीं लगती कि इस कंपनी के सीईओ अतुल सिंघानिया, एक लंबी छुट्टी के बाद आखिर आज वापस आ ही जाते हैं।
नहीं, छुट्टियों में सिंघानिया साहब कहीं घूमने नहीं गए थे। बल्कि उनकी तबीयत अजकल कुछ ज्यादा ही खराब चल रही है। उम्र का तकाजा कहिए या कहिए नसीब, एक ही लड़का है इसलिए अतुल सिंघानिया उसे बहुत प्यार करते हैं। लेकिन वो है कहां, यहां तक कि उसका नाम भी ऑफिस में किसी को नहीं पता। सभी बस इतना जानते हैं कि अतुल सिंघानिया का यह बेटा विदेश में किसी कंपनी में काम करता है।
अतुल सिंघानिया की गाड़ी आकर जब रुकी तो हमेशा की तरह मैंने दरवाजा खोला। (कार डोर ओपन एसएफएक्स) आज सिंघानिया साहब को देखकर लगा कि "बुढ़ऊ की उम्र तो सच में कुछ ज्यादा ही हो गई है।" इतना खून पीने का भी क्या फायदा, कि बुढ़ापे में वही खून आपको नुकसान पहुंचाए… बताओ भला! खैर... छोड़ो अपना तो फर्ज बनता है कि उन्हें गाड़ी से सुरक्षित बाहर निकाले लेकिन ये क्या उन्होंने मुझे रोक दिया और बोले
अरे रवि, कैसे हो, यार तुम्हारा नाम मुझे बहुत पसंद है।.
ये मैंने क्या सुना, मुझे इस कंपनी में आए हुए 10 साल हो गए। अतुल सिंघानिया ने आज पहली बार मेरी तारीफ की वो भी मेरे नाम के साथ! ये तो कमाल हो गया। मैंने थैंक यू कहा तो बोले… तुम कॉफी लेकर मेरे केबिन में पहुंचो और सुनो रमेश अय्यर से कहो कि जो काम मैंने उसे दिया था वो खत्म करके तुरंत मीटिंग रूम में पहुंचे।
"हां सर" मैंने भी कह दिया। मैं सीधा गया रमेश अय्यर के पास और बोला "रमेश सर, बॉस ने आपको कुछ काम दिया था क्या.. वो खत्म करके तुरंत आपको मीटिंग रूम में बुलाया है" रमेश अय्यर कुछ परेशान था, वो बोला…
रमेश अय्यर (टेंस्ड): क्या कहा बॉस आए, यहां इस सिस्टम में एक छोटा सा वायरस आया है तुम चलो मैं बस इसे अभी ठीक कर के पहुंच रहा हूं।
आज बुढ़ऊ का मूड कुछ ज्यादा ही अच्छा लग रहा था। सपने में दिखा कमल का फूल फिर याद आने लगा तो सोचा आज पगार बढ़ाने की बात भी कर लेता हूं।
तो चलो, चलते हैं केबिन में। जहां इन्होंने सभी बोर्ड मेंबर्स के साथ-साथ, अनीता वर्मा, मिसेज शालिनी कपूर, रमेश अय्यर और सीएफओ संजय राव को भी बुलाया है। ऐसी मीटिंग में मुझे बड़ा मजा आता है, क्योंकि मुझे तो सभी को बस कॉफी चाय सर्व करनी होती है और बदले में वहां इन सभी की क्लास लगते हुए देखता और सुनता हूं।
मीटिंग रूम में सभी इकट्ठे थे, कुछ एक फुसफुसा भी रहे थे। एक बोला (फुसफुसाते हुए) “अखिर ऐसा क्या हो गया? अतुल सिंघानिया आज आते ही मीटिंग कैसे कर सकते हैं”। तो दूसरा बोला “लगता है आज किसी न किसी की नौकरी तो जाने वाली ही है”। तबी तीसरे ने फुसफुसाया “अरे देखा नहीं कितना कमजोर हो गया है, शर्तिया आज खुद अपना रिजाइन देगा”।
हाथ में ब्लैक कॉफी लिए मैं, हर बार की तरह ये सब बातें पीछे खड़ा सुन ही रहा था कि तबी दरवाजा खुला और अतुल सिंघानिया ने एंट्री ली। अतुल सिंघानिया खुश थे, इतना खुश तो मैंने भी पहले कभी उन्हें नहीं देखा था। कमजोरी में भी जितनी तेजी से अपनी सीट की तरफ बढ़ सकते थे, बढ़ रहे थे लेकिन उनकी नज़रें… मानो किसी को ढूंढ रही हों। रमेश अय्यर अभी भी केबिन में नहीं आया था। मुझे लगा उन्हें रमेश की ही तलाश है तब तक उन्हें कॉफी दे देता हूं, सो मैंने टेबल पर उनके सामने कॉफी रख दी। अतुल सिंघानिया ने पूछा, “व्हेयर इज रमेश?”
मैंने बोला... सर वो बस कुछ ही देर में आ रहे हैं उनके सिस्टम में कुछ दिक्कत है ।”
अतुल सिंघानिया के हाथ में एक लिफाफा था और सभी ये उम्मीद कर रहे थे कि ज़रूर इस लिफाफे में कुछ न कुछ ऐसा है जो अतुल सिंघानिया की खुशी की वजह है।
वो चेयर पर बैठ गए, एक-एक को घूरकर देखने लगे। यहां तक कि उन्होंने ऑफिस में लगी हर तस्वीर को घूर-घूरकर देखा। सभी उनके बोलने का इंतजार कर रहे थे। मुझे भी लगा वो रमेश के आने का वेट कर रहे हैं... लेकिन उन्होंने कहना शुरू किया कि कैसे उन्होंने इस कंपनी को कई साल दिए हैं, एक छोटी सी पोस्ट पर काम करना शुरू किया था और आज इस कंपनी में 18 साल तक काम करने के बाद वो स्विफ्टेक सॉल्यूशंस का सीईओ हैं और अब उन्हे लगता है कि थोड़ा आराम करना चाहिए।
लोगों ने मान लिया कि वाकई अतुल सिंघानिया आज रिजाइन करने वाले हैं। इतने में रमेश अय्यर मीटिंग रूम में आया, आते ही उसने माफी मांगी और कहा कि
रमेश अय्यर: सॉरी सर, ऑफिस के सिस्टम में एक बग था जिसकी वजह से ऑफिस के सभी सिस्टम्स को खतरा था, लेकिन मैंने अभी ठीक कर दिया है। आपने जैसा कहा था मैंने वैसा ही एक मेल ड्राफ्ट करके सभी ऑफिस एम्प्लॉइज की मेल आईडी पर सेंट कर दिया है।
अतुल सिंघानिया ने कहा गुड, तो ठीक है आप सभी को यह बताने का समय आ गया है कि आखिर मैंने आप सभी को यहां क्यों बुलाया है। एक्चुअली मैंने इस कंपनी के लिए एक नए सीईओ के अनाउंसमेंट का फैसला कर लिया है। यहां तक कि मैंने खुद अपना resignation बोर्ड मेंबर्स को देने का फैसला किया है। इस बंद लिफाफे में मेरा इस्तीफ़ा है... लेकिन कुछ ही देर में आपको अपने अपने सिस्टम्स पर उस मेलबॉक्स में आपके नए सीईओ का नाम भी मिल जाएगा।
इसके बाद अतुल सिंघानिया ने मीटिंग खत्म करने से पहले… एक घटिया सी फेयरवेल स्पीच दी जिसमें भर-भर के हर एक इंसान के लिए सिर्फ झूठ बोला और अपनी लक्जरी गाड़ी में चलते बने... फिर सब वापस अपने कंप्यूटर पर मेल चेक करने चले गए। मैंने भी सोचा चलो अच्छा हुआ अब कम से कम इसके जाने से ऑफिस में किसी नए सीईओ के लिए काम करने को मिल जाएगा। पैसे बढ़ाने की बात भी अब अगले सीईओ से कर लेंगे और इसके लिए मैं उसके जॉइनिंग डे से ही उसे भर-भर के मक्खन लगाया करूंगा।
मैं मीटिंग रूम में सबके जाने के बाद सफाई करने में लग गया कि तभी, रूम के बाहर कुछ शोर-शराबे की आवाज सुनी। मैंने खिड़की से देखा तो लोग हैरान-परेशान दिखे, कुछ लोग इधर-उधर भाग रहे थे, और कुछ लोग ढूंढ रहे थे उस इंसान को जिसे पता नहीं था कि आने वाला अगला ही पल उसकी लाइफ को हमेशा-हमेशा के लिए बदल कर रख देने वाला था।
मैं सफाई कर के मीटिंग रूम से बाहर निकला तो अनीता मैडम, शालिनी मैडम और संजय राव की नज़रें सिर्फ मुझे ही देखे जा रही थीं। मानो मैंने कोई बहुत बड़ा पाप किया हो, लेकिन मैंने तो अभी बस टेबल ही साफ किया था। मैं बस अपने पैंट्री एरिया की तरफ बढ़ने लगा जहां मेरा ठिकाना है लेकिन लोगों की फुसफुसाहट में मैं रावी, यानी मेरा ही नाम सुन रहा था। कोई पूछ रहा था, "अखिर ये रवि सिंह है कौन?"। किसी ने बोला, "अरे वो सब तो ठीक है लेकिन ये रवि सिंह आएगा कब और क्या करेगा इस कंपनी का।"
मैंने सोचा ये हुआ क्या है इन्हें!? क्यों ये सारे के सारे रवि चालीसा पढ़ रहे हैं!? कि इतने में अनीता वर्मा ने मुझे रोक लिया और मुझसे पूछा.
अनीता वर्मा (टॉन्टिंग ): तो क्या अब मुझे आपको रिपोर्ट भेजनी होगी… रवि…. सर !!?
मैंने पहली बार इस लड़की को मुझसे कॉफी मांगने के अलावा कुछ और कहते सुना था। मैंने कहा भी "अनीता मैडम, आप मुझे सर क्यों कह रही हो? मैंने आपका क्या बिगाड़ा है?" लेकिन अनीता मैडम के ऊपर माता आई हुई थी, उन्होंने कहा
अनीता वर्मा (फ्यूरियस): ज्यादा अनजान मत बनो और साफ-साफ बताओ कि आखिर ये तुमने कैसे किया? क्या वाकई अब ये कंपनी तुम संभालोगे!? ये कैसा मजाक चल रहा है यहां हां!"
हाहाहाहाहाहा (बुरी तरह से हंसते हुए)। मजाक तो आप कर रही हो मैडम, मैं और कंपनी संभालूंगा!! अरे मुझसे मेरी ट्रे में 3 कॉफी कप नहीं संभाले जाते ये कंपनी कैसे संभालूंगा! तभी मिसेज शालिनी कपूर मेरे पास आकर बोली,
शालिनी कपूर: संभालनी तो पड़ेगी, क्योंकि अतुल सिंघानिया ने तुम्हारा ही नाम इस कंपनी के सीईओ के लिए सजेस्ट किया है।"
इसके बाद मुझे बस सुबह का सपना याद आया और मैंने सोचा, कि वो कमल के फूलों वाला तालाब…. क्या उसका मतलब…………… ये था या कुछ और ही होने वाला है!!
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