कहते हैं जोड़ियां ऊपर से बनकर आती हैं , लेकिन जिनकी जोड़ी ऊपर से नहीं बनती, उनकी जोड़ी ऊपर वाली बनाती है । अरे नहीं समझे ? तो समझाते हैं ।
इस ऊपर वाली का नाम है पम्मी चड्ढा। कानपुर के बिरहाना रोड के पास ही है इनका मकान और मोहल्ले के बाहर वाले चौराहे पर ही है इनका अपना मेट्रीमोनियल ऑफिस - “जोड़ी जोड़ो”।
पैंतालीस साल कि पम्मी अपने पति और एक बेटे के साथ पहली मंज़िल पर रहती हैं। नीचे वाले फ्लोर पर एक किरायेदार का परिवार है। जब भी किसी को पम्मी जी से मिलना होता, तो वो बस यही कहता “वो ऊपर वाली मैडम.. घर पर ही हैं क्या?”
पंजाब के फगवाड़ा शहर की पम्मी की शादी कानपुर में हुई थी। अब पंजाब से हैं तो भाषा में हिंदी के साथ पंजाबी टच तो आएगा ही। पम्मी आंटी पुराने ख़यालात वाली औरतों की तरह नहीं हैं। वह तो एकदम फैशनेबल है, फिर चाहे पहनावा हो या सोच। एक आदर्श पत्नी और माँ होने के नाते ये अपना घर भी संभालती हैं, और लोगों के रिश्ते करवा कर उनके घर भी बसाती हैं। जहां “मनचाहा प्यार पाएं” का इश्तिहार देने वाले लोग फेल हो जाते हैं , वहां पर पम्मी आंटी की हेल्प ली जाती है । ये सबकी जोड़ियां बनाती हैं लेकिन अगर जोड़ी में कोई खामी हो तो ये जोड़ी ब्रेकर भी बन जाती हैं।
नज़र इनकी बाज़ से भी तेज़ है । छत पर उड़ती पतंगों को देखकर बता देती हैं कि कौन सी पतंग पेंच लड़ाने के लिए उड़ाई गयी है और कौन सी आशिकी करने के लिए । अगर यकीन नहीं आता तो आप ख़ुद ही इनका कारनामा सुन लीजिये । हर शाम की तरह आज भी पम्मी आंटी अपनी सहेली, मिसेस संगीता मेहता के साथ अपने घर की छत पर चाय पी रही हैं ।
पम्मी --- ओ संगीता वो देख, वो पतंग 11 नंबर वाले घर से उड़ रही है। अब ये पतंग जाकर या तो दूसरी गली के मकान नंबर 25 में गिरेगी या फिर गली नंबर 3 के मकान नंबर 41 में।
संगीता--- हैं? पम्मी तू न ऐंवइ अंदाज़े लगाती रहती है, अगले ने पेंच लड़ाने के लिए पतंग उड़ाई होगी और तू ऐसे ही बदनाम कर रही है।
पम्मी --- बाज जैसी नज़र है पम्मी की । इसने पेंच लड़ाने के लिए नहीं बल्कि नैन लड़ाने के लिए पतंग उड़ाई है । पेंच लड़ाने वाले लड़के हमेशा पतंग को ऊँचा उड़ाते हैं और नैन लड़ाने वाले लड़के पतंग को नीचे ही रखते हैं।
संगीता--- तू क्या बोले जा रही है? मैं समझी नहीं।
पम्मी --- मैं समझाती हूं! वो देख.. वो लड़का थोड़ा नीचे की तरफ पतंग उड़ा रहा है ताकि कोई पेंच ना लगा सके। उस पतंग पर कुछ लिखा भी हुआ है उस लड़के ने।
पम्मी आंटी की बात सही साबित हुई। उस पतंग को मकान नंबर 25 के ऊपर गिरा दिया गया था। यह देखकर तो संगीता भी हैरान रह गई थी! अब वो जानना चाहती थी कि पम्मी को कैसे पता चला कि वो पतंग या तो मकान नंबर 25 या मकान नंबर 41 की छत पर गिरेगी?
संगीता--- पम्मी भाभी आपको कैसे पता चला कि वो लड़का उन दोनों मकानों में से किसी एक पर पतंग गिराएगा?
पम्मी --- अरे, मकान नंबर 25 वाले अरोड़ा जी की लड़की और मकान नंबर 41 वाली सरोजनी की लड़की के साथ उस मकान नंबर 11 वाले लड़के का नया-नया इश्क़ शुरू हुआ है। हाय मैं मार जावां गुड़ खाके!! दोनों लड़कियों को घर में मोबाइल चलाने को नहीं मिलता और इसलिए वो लड़का पतंग पर अपना मैसेज लिखकर भेजता है।
संगीता--- अरे ये लड़का तो चीटर है ! उन लड़कियों को पता नहीं चलता कि उस लड़के की पतंग दो मकानों पर गिरती है?
पम्मी --- वो 41 नंबर वाली का घर थोड़ा नीचा है ना इसलिए उस लड़की को पता ही नहीं चलता के उसके आशिक की पतंग 25 नंबर वाले घर पर भी गिरती है।
संगीता--- ये आज कल के आशिकों का भी बुरा हाल हो रखा है।
पम्मी --- अरे अभी तो आशिकी शुरू हुई है.. जब बुरा हाल होगा तो सब पम्मी के पास ही आएंगे मदद मांगने के लिए ।
देखा आपने ! कानपुर जैसे शहर में जहां आसमान में पतंगों की सुनामी आयी होती है, वहां भी पम्मी आंटी अपनी जासूसी से पता लगा ही लेती हैं कि किसकी पतंग पेंच लड़ाएगी और किस की पतंग आशिकी करेगी। जासूसी के मामले में ‘शरलॉक होम्स’ और ‘जेम्स बॉन्ड’ से कम नहीं हैं यह।
ज़िन्दगी के हर पल को भरपूर जीने वाली, हंसमुख स्वाभाव की राज माता शिवगामी देवी... ओह, माफ़ कीजिएगा... राज माता शिवगामी नहीं बल्कि पम्मी चड्ढा है यह ।
इनके पतिदेव मिस्टर मनोहर चड्ढा प्राइवेट जॉब करते हैं और इनका इकलौता बेटा, सनी, आईटी कम्पनी में है। घर पर टाइम पास ना होने की वजह से पम्मी मैडम ख़ुद घर सँभालने के साथ-साथ अपने ऑफिस में लोगों के रिश्ते भी करवाती हैं। इनके साथ बैठी इनकी सहेली संगीता भी इसी काम में इनको असिस्ट करती हैं। ये दोनों ही मोहल्ले के सी.सी.टी.वी से कम नहीं हैं । कौन एक्स्ट्रा क्लासेस के बहाने पार्क में जाता है, दूसरे मोहल्ले का कौन-सा लड़का किस लड़की के लिए गली में चक्कर लगाने आता है - हर ख़बर रखती हैं यह मैडम । अब यह रिश्ते कैसे करवाती हैं और कैसे रिश्ते तुड़वाती हैं ख़ुद पम्मी मैडम से ही सुन लीजिये।
संगीता--- पम्मी भाभी! मैं डेढ़ महीने के लिए मायके क्या गई , आपने मेरे बिना ही मेहरा साहब के लड़के का रिश्ता करवा दिया।
पम्मी --- अरे मैंने कोई रिश्ता नहीं करवाया था , वो रिश्ता तो गलती से अपने-आप हो गया था। उस मरजाने ने सियापा कीत्ता सी।
संगीता--- किसने सियापा कर दिया था ?
पम्मी --- वही मेहरा जी के बेटे ने!
संगीता--- अरे ! उसने क्या सियापा कर दिया था ?
पम्मी --- यार मैं तो किसी फ्रेंड की शादी में गयी हुई थी। वहीं पर मेहरा साहब और उनका लड़का आया हुआ था । खाना खाते हुए मैं और मेहरा साहब बातें कर रहे थे और उनका बेटा भी पास में बैठा था । उसके हाथ में टिशू पेपर था और मैंने उससे मुंह साफ करने के लिए टिशू पेपर मांग लिया।
संगीता--- हां तो टिशू पेपर का उनके लड़के की शादी से क्या लेना देना?
पम्मी --- अरे लेना-देना टिशू का नहीं था। मरजाने ने उसी टिशू के अंदर की तरफ अपना मोबाइल नंबर लिख रखा था । मैंने अपने हल्के से होंठ साफ़ करके वो टिशू पेपर टेबल पर ही रख दिया ।
संगीता--- इसका मतलब उसने अपना नंबर किसी लड़की को देना था...
पम्मी --- वही तो ! उसने वो नंबर सुधा की बेटी सरगुन को देना था और लक की बात है, सरगुन भी उस वक्त मेरे साथ ही बैठी थी
हम जब टेबल से उठे तो सरगुन ने झट से वो टिशू उठाकर खोला और उस पर लिखा नंबर अपने मोबाइल पर सेव करने लग गयी।
संगीता--- ओ हो ! फिर क्या हुआ ? आपका नाम इस रिश्ते में कैसे जुड़ गया ?
पम्मी --- वो हुआ यूँ कि मेहरा जी अपना चश्मा टेबल पर भूल गए थे। जब वो अपना चश्मा लेने गए, तो उन्होंने सरगुन को उनके बेटे का नंबर नोट करते हुए देख लिया था। उन्हें लगा कि मैंने बहाने से उनके लड़के का नंबर सरगुन को दिया है ।
संगीता--- हाय यार ! तेरी तो बहुत बदनामी हो जानी थी ।
पम्मी --- लै! ऐसे कैसे बदनामी हो जाती?! तुझे को पता ही है “पम्मी किसी से कम नहीं है।” मेहरा साहब ने शादी में ही मुझे साइड में अकेले बुला लिया था और वो तो बातें सुनाने लग गए थे! पहले तो मेरा मन किया कि इनको सब सच-सच बता दूँ पर फिर सोचा कि सरगुन भी अच्छी लड़की है । मेहरा साहब का घर परिवार भी ठीक है। मैंने प्लान बना लिया था कि उन दोनों की शादी करवा ही दूं ।
संगीता---- हा हा हा ! ये की आपने अच्छी बात! फिर कैसे करवाई आपने उनकी शादी ?
पम्मी --- उस वक्त शादी पक्की करवाना तो बाएं हाथ का खेल था। मैंने बोला “ मेहरा जी, अगर यह बात फैल गयी तो बदनामी तो आपके लड़के की ही होनी है.. हैं! अब सरगुन भी अच्छी लड़की है और दोनों जवान हैं। आपको तो पता ही है अगर बच्चों की बात ना मानो तो वो घर से भाग भी जाते हैं।”
मैंने मेहरा जी को ऐसा पाठ पढ़ाया कि वो तो एक महीने में ही शादी करवाने को राज़ी हो गए। रिश्ते के बाद तो उन्होंने मुझे एक सोने की अंगूठी के साथ इक्की-हजार का शगुन भी दिया ।
संगीता--- वाह आपकी तो बैठे-बैठे लॉटरी लग गई।
पम्मी --- अरे कहां यार ! तुझे तो पता ही है ये तो तुक्का लग गया। वरना रिश्ते करवाने में तो बहुत ही ज़्यादा मेहनत लगती है। कभी लड़का नखरीला होता है तो कभी लड़की।
पम्मी मैडम के साथ ऐसी घटनाएं होना तो आम बात है । ये कहती हैं ‘पम्मी किसी से कम नहीं’ और वैसे इनकी बात काफ़ी हद तक सही भी है । इनके जैसी हंसमुख और जासूस औरत आपको कहीं नहीं मिलेगी ।
इनके मोहल्ले के कुछ घरों को देखकर आपको गुज़रा ज़माना याद आ जाएगा । हर घर की छत दूसरे घर के साथ जुड़ी हुई है । पम्मी मैडम ने अपना घर बिलकुल नए ज़माने के हिसाब से बनवाया है और घर का लोन तो किरायेदारों के किराये से चुकाया जाता है । अभी पम्मी मैडम छत पर संगीता के साथ गप्पे लड़ा ही रहीं थी कि अचानक उनके घर की बेल बजी ।
नीचे वाले फ्लोर की बेल अलग थी और ऊपर वाले फ्लोर की अलग थी । यह बेल की आवाज़ पम्मी मैडम वाले फ्लोर की थी । जब पम्मी सीढ़ियों से उतरते हुए संगीता के साथ नीचे पहुंची तो उन्होंने देखा कि कोई उनके किरायेदार से
ऊपर वाली पम्मी जी घर पर ही हैं क्या? सीढ़ियों से नीचे उतरते हुए पम्मी मैडम ने जवाब दिया
पम्मी ---- आहो जी मैं यहीं हूं ! बताइये क्या काम है ?
उस औरत ने पम्मी से कहा - मैडम मेरा नाम लक्ष्मी अग्रवाल है। पम्मी जी, बहुत बड़ा मसला है - मेरी बेटी की शादी हो रही है, लड़का तो एकदम परफेक्ट लगता है, लेकिन मेरे दिल में कुछ शंका है। आप ही पता कीजिए, कहीं कोई राज़ तो नहीं छुपा? क्या आप मेरी हेल्प करोगी प्लीज ? (toing)
पम्मी मैडम को आज घर बैठे ही नया क्लाइंट मिल गया था । इस जासूसी वाले नए केस में क्या होगा ? क्या मिसेस अग्रवाल की लड़की की शादी होगी या पम्मी मैडम उसका ब्रेकप करवाएंगी ? कहानी के अगले मोड़ पर कौन सा रोचक किस्सा छिपा हुआ है यह जानने के लिए पढ़ते रहिए।
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