पम्मी आंटी जो अपने घर की छत पर संगीता के साथ चाय पी रही थी । उनके घर लक्ष्मी  अग्रवाल जी आईं थी अपने होने वाले दामाद की जासूसी करवाने के लिए । लक्ष्मी अग्रवाल जी तो इतनी परेशान थी कि जब पम्मी आंटी का ऑफिस बंद मिला तो उनके घर ही पहुंच गयी। माथे पर परेशानी लिए हुए लक्ष्मी अग्रवाल ने पम्मी आंटी से कहा।  

“पम्मी जी मेरी बेटी की शादी ऋषि मल्होत्रा नाम के लड़के से हो रही है । अपने कानपुर में ही हरदेव नगर में घर है उसका । लड़का बहुत अच्छा है लेकिन बेटी की शादी का मामला है इसलिए कोई रिस्क नहीं लेना चाहती ।”  

 
पम्मी -  ओ तुसी परेशान ना हो लक्ष्मी जी, मैं उस मनीष मल्होत्रा की सारी हिस्ट्री आपके सामने ले आउंगी।  

 
मिसेस अग्रवाल थोड़ा परेशान होते हुए कहती है- पम्मी जी , मनीष मल्होत्रा नहीं ऋषि मल्होत्रा।   
 

पम्मी - ओही जी ऋषि मल्होत्रा की ही बात कर रही हूं । वैसे मुंडा काम की करदा सी ?   
 

मिसेस अग्रवाल अपने होने वाले दामाद के बारे में बताते हुए कहती है - लड़का तो कपड़ों की होल सेल सप्लाई करता है । हरदेव नगर के चौंक में ही दुकान है उसकी । यह देखो यह फोटो है उसकी।  
 

पम्मी - वाह मुंडा तो वादड़ सोणा है, हलकी-हलकी दाढ़ी मूंछे रखीं हैं। तुसीं फ़िक्र ना करो मिसेस अग्रवाल जी कुछ दिनों में ही इसकी सारी डिटेल मिल जाएगी आपको।   
 

मिसेस अग्रवाल! पम्मी आंटी से उनकी  फ़ीस के बारे में पूछते है ।   
 

पम्मी - देखो जी रिश्ता जुड़ गया तो कम से कम 51000 और सोने की अंगूठी का शगुन लेती हूं। अगर रिश्ता तुड़वाना पड़ गया तो 5100 से 11000 रूपये लगेंगे, क्योंकि किराया भाड़ा भी लगेगा ना जासूसी में।    
 

मिसेस अग्रवाल! पम्मी आंटी से कान्फर्मैशन लेते हुए कहते है -  पैसे की फ़िक्र मत कीजिये , वैसे मेरा काम तो कर देंगी ना आप।   
 

पम्मी - एक बार जो कमिटमेंट कर दी तो काम पूरा ही करूंगी , “ये पम्मी की गारंटी है “ । बस आप 1100 रुपए एडवांस जमा करवा दीजिये ।   
 

मिसिस अग्रवाल जी ने आगे बिना कोई सवाल-जवाब किये पम्मी आंटी को 1100 रुपए थमा दिए, और अपने घर चली गई  थी । अब पम्मी आंटी ने शुरू करनी थी उस लड़के की जासूसी । अगली सुबह पम्मी आंटी और उनकी असिस्टेंट संगीता रिक्शे पर बैठकर निकल पड़े थे हरदेव नगर की तरफ।   
पम्मी आंटी की स्कूटर सर्विस के लिए वर्कशॉप में है तो आज उन्हें  मोहल्लों की तंग गलियों से निकलने के लिए रिक्शा यूज़ करना पड़ रहा है। इस रिक्शा की  धीमी रफ्तार पम्मी आंटी को कभी भी पसंद नहीं आती । बेचारी रिक्शे में बैठी हुई संगीता से कह रही हैं ।  
 

पम्मी -  यार इस रिक्शे की स्पीड कितनी स्लो है । गलियों में पैदल जा रहे लोग भी इससे आगे निकल रहे हैं  ।    
 

संगीत - पम्मी भाभी थोड़ा धीरे बोलो , अगर रिक्शा वाले भइया ने सुन लिया तो यहीं सड़क पर उतार देंगे हमें ।   
 

पम्मी - ठीक है पर इसको बोल तेज़ चलाए , मरजाना कछुए से भी स्लो चल रहा है।   
 

संगीता  - अरे ट्रैफिक भी तो देखो कितना ज्यादा है , बेचारा उड़ा के थोड़े ले जाएगा।   
 

ट्रैफिक में कछुए की रफ़्तार से चलने के बाद आखिरकार पम्मी आंटी और संगीता पहुंच गए थे हरदेव नगर के चौंक पर । यहां पर संगीता को होने वाले दूल्हे राजा की शॉप नज़र नहीं आ रही थी । लेकिन पम्मी आंटी की बाज़ जैसी नज़र ने  सड़क पर चल रही गाड़ियों के उस पार देख कर संगीता से कहा।   
 

पम्मी - नी संगीता ! वो देख सड़क के दूसरी तरफ  “मल्होत्रा होलसेल क्लॉथ” का बोर्ड नज़र आ रहा है । वहीं होगा अपना मनीष मल्होत्रा।   
 

संगीता - भाभी जी मनीष मल्होत्रा नहीं , ऋषि मल्होत्रा।  
 

पम्मी - चल कोइ ना , चाहे कोई भी मल्होत्रा हो , काम तो कपड़ों का ही करता है ना ।

 

पम्मी आंटी और संगीता ग्राहक बनकर  “मल्होत्रा होलसेल क्लॉथ ” के स्टोर में चले तो गए थे लेकिन उन्हें वहां ऋषि कहीं पर भी नज़र नहीं आ रहा था । पम्मी मैडम ने वहां बैठे सेल्समैन  से इस तरीके से कपड़ों के रेट्स के बारे में पूछा जैसे वो अभी इसी वक्त लाखों का आर्डर बुक करवा देंगी। बेचारे सेल्समैन ने भी एक्साइटमेंट में देखते ही देखते कपड़ों के थान के सैम्पल्स के ढेर लगा दिए थे उनके सामने । ये सीन देखकर तो संगीता के माथे पर पसीना आए जा रहा था उसने पम्मी के कान में कहा ।  
 

संगीता - पम्मी भाभी आप क्या करे जा रहे हो , जिसके बारे में पता करना था वो तो यहां है नहीं। हमने कुछ ख़रीदना तो है नहीं , देखो कितने कपड़ों का ढ़ेर लगवा दिया है आपने।   
 

पम्मी - औ तू घबरा मत , मैं आप सारी बात संभाल लुंगी ।  
 

कपड़ो को देखते-देखते पम्मी आंटी की नज़रें ऋषि को भी ढूंढे जा रहीं थी।  मगर ऋषि उन्हें कहीं भी नज़र नहीं आ रहा था । उनके सामने बैठा सेल्समैन मन ही मन में सोचे जा रहा था कि आज अच्छी सेल करके उसे बॉस से इंसेंटिव मिलेगा ।  
पम्मी आंटी को अब कुछ ऐसा बहाना लगाकर दूकान से निकलना था कि उस सेल्समैन को कोई शक़ भी ना हो और उसे इतने सारे कपड़े दिखाने पर बुरा भी ना लगे। पम्मी आंटी ने बड़े ही नखरीले अंदाज़ में फोन निकाला और अपने पति को फोन लगाया ।  
 

मनोहर - हैलो हां बोलो पम्मी।   
 

पम्मी -  ओ जी मैं ना यहां हरदेव नगर में एक दूकान पर आयी थी, यहां मैंने हमारे स्टोर के लिए काफी अच्छे कपड़े देखे हैं,  आप भी इस तरफ आ जाओ हम शॉपिंग कर लेंगे।     
 

मनोहर - अरे तुम भूल गयी आज वीरवार है , पंडित जी ने आज के दिन कोई भी सामान खरीदने से मना किया है।   
 

पम्मी - ओ हो ! मैं तो भूल ही गयी थी कि आज वीरवार है , चलो कोई ना कल हम दोनों इस शॉप में आएंगे । बड़ा ही चंगा कलेक्शन है इनके पास आपको भी अच्छा लगेगा । चंगा जी फ़ोन रख दी हां बाए।   
 

पम्मी आंटी ने फ़ोन लाउड स्पीकर पर लगाकर बात की थी, और सेल्समैन भी बेचारा अब कुछ कह नहीं सकता था । पम्मी आंटी कल फिर आने का बोलकर बड़े ही एटीट्यूड से दुकान से बाहर आयीं थी । दूकान से बाहर आते ही संगीता ने कहा।   
 

संगीता - पम्मी भाभी तुम्हारा कौन सा स्टोर खुल रहा है, जिसके बारे में भाई साहब से बात कर रही थी।   
 

पम्मी - ओ कोई स्टोर नहीं खुल रहा , जब भी मैं ऐसी बड़ी-बड़ी बातें करती हूं तो उनको पता चल जाता है कि मैं कहीं फंस गयी हूं । फिर वो सिचुएशन के हिसाब से बात बना लेते हैं । यह पंडित जी वाला बहाना तो हमेशा काम करता है।    
 

पम्मी आंटी ने अपनी बाज़ जैसी नज़र घुमाई तो उन्हें ऋषि की दुकान से कुछ दूरी पर एक चाय वाले का छोटा सा स्टॉल दिखा । उस स्टॉल को देखकर तो पम्मी आंटी की आंखों में खुशियों की  चमक आ गयी थी । पम्मी आंटी ने एक्साइटेड  होते हुए संगीता से कहा।  

 
पम्मी-  चल संगीता उस चाय वाले के पास चलें , उससे मिलेगी हमको उस ऋषि की हर ख़बर।  
 

संगीता - अरे आपको कैसे पता कि वो चाय के स्टाल वाले को ऋषि की ख़बर होगी।   
 

पम्मी -  बाज़ जैसी आँख है पम्मी की , मैं बंदा देख पहचान जाती हूं कि वो काम का है या नहीं ।   
 

उस स्टॉल पर लिखा था ‘पप्पू चाय वाला” पम्मी आंटी ने उस चाय वाले के पास जाकर दो कप चाय और दो नान खटाई ऑर्डर की। चाय पीने में कुछ खास नहीं थी लेकिन चाय पीते-पीते पम्मी आंटी ने पप्पू चाय वाले से उसका सारा बायोडाटा पता कर लिया था। उस बेकार चाय की खूब तारीफ करते हुए पम्मी आंटी ने 20 रुपए की चाय और 10 रुपए की नान खटाई के बदले पप्पू को 100 रुपए देते हुए कहा।   
 

पम्मी - पप्पू जी आप बहुत अच्छे आदमी हो , ये बाकी के 70 रुपए भी आप ही रखो।  
 

पप्पू के लिए फ्री के 70 रुपए लॉटरी से कम नहीं थे । फिर पम्मी आंटी ने अपने हुकुम के इक्के की चाल चली। उन्होंने पप्पू को 500 रुपए का लालच देकर ऋषि की ख़बर देने के लिए मना लिया था । उस पप्पू चाय वाले ने पम्मी आंटी को ऋषि का सारा टाइम टेबल बता दिया था ।  
ऋषि कब दुकान पर आता है, किस वक्त बाहर जाता है । उसकी गाड़ी के नंबर से लेकर उसके जूतों का रंग तक बता दिया था उस पप्पू ने। पम्मी आंटी ने उसे अपना नंबर देते हुए कहा था कि, कोई बड़ी ख़बर देने पर वो पप्पू को 200 रुपए और भेज देंगी । कुछ देर बाद पम्मी आंटी ने एक रिक्शा वाले को रोका और संगीता के साथ वापस अपने घर की ओर चल पड़ी थी । रास्ते में जाते हुए संगीता ने पम्मी आंटी से पूछा।   
 

संगीता - पम्मी भाभी ! आपको कैसे पता चला कि वो चाय वाला ऋषि के बारे में इतना कुछ जानता होगा।   
 

पम्मी - यार चाय वाले किसी जेम्स बॉन्ड से कम नहीं होते। इनकी नज़र हर तरफ होती है। इस चाय वाले के पास कोई ग्राहक नहीं था मैं समझ गयी थी इसकी चाय अच्छी नहीं होगी और यह वेल्ला बैठा पूरा दिन आस पास के दुकान वालों की ख़बर रखता होगा।  

 
बातें करते करते संगीता और पम्मी आंटी अभी अपने मोहल्ले में पहुंचे ही थे कि उस पप्पू चाय वाले का फ़ोन आ गया था।  
 
पम्मी - हैलो हांजी कौन? 
 

पप्पू- हम पप्पू चाय वाला बात कर रहे हैं । मैडम जी हम आपको एक बात बताना भूल गए थे कि यह ऋषि बाबू किसी लड़की से भी चुपके-चुपके मिलने जाते हैं।    
 

अग्रवाल जी का शक़ सही साबित हुआ था ।  अब खोजना ये था कि ऋषि किस से मिलने जाता था? कौन है वो लड़की? क्या पम्मी आंटी इस केस को सुलझा पाएंगी? आगे कौन से पंगे होने वाले हैं यह जाने के लिए पढ़ते रहिए। 
  

  
     

 

 

 

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