एक होते हैं दुखी लोग, फिर आते हैं उनसे भी ज्यादा दुखी लोग, और अंत में इन सबसे आगे वो लोग होते हैं जिनकी शादी हो चुकी होती है। शादी के पहले साल ये लोग स्टोरी डालेंगे “माई हस्बैंड इस बेस्ट इन द वर्ल्ड”, “माई वाईफ इस माई क्वीन” लेकिन शादी के 4-5 साल बाद यही लोग अपने-अपने पति-पत्नी की इतनी बुराइयां करते हैं कि इनको देखकर कुंवारे लोग डर जाते हैं। इसी चक्कर में हर कोई परफेक्ट पार्टनर की खोज में दो-तीन जगह नैन लड़ा ही लेते हैं।
अब लक्ष्मी अग्रवाल जी को ही देख लीजिए - इनकी बेटी का रिश्ता ऋषि के साथ होने वाला था। ऋषि दिखने में सुंदर था, पढ़ा-लिखा भी था लेकिन आजकल का माहौल देखकर लक्ष्मी अग्रवाल जी कोई रिस्क नहीं लेना चाहती थीं, इसलिए उन्होंने पम्मी आंटी से ऋषि के बारे में पता लगाने को कहा था।
पम्मी आंटी को पप्पू चाय वाले ने फोन करके बताया था कि ऋषि किसी लड़की से मिलने जाता है। अब पम्मी आंटी को पता लगाना था कि आखिर वो लड़की कौन है? फिलहाल पम्मी आंटी अपने घर आ गई थीं और संगीता भी अपने घर वापस चली गई थीं। जैसे ही पम्मी आंटी अपने घर पहुंचीं तो उनके पति ने उनसे कहा।
मनोहर - हां जी मैडम जी, आज कहां फंस गई थीं तुम?
पम्मी- बस पूछो मत! कोई अग्रवाल मैडम आई थीं कल। उन्हें अपने होने वाले दामाद के बारे में कुछ बातें पता करवानी थीं। उनके दामाद की ही शॉप में फंस गई थी।
मनोहर - ये सब क्यों करती रहती हो? ये जासूसी-वासूसी छोड़ो। आराम से घर पर बैठो या मेरी नौकरी की तरह सीधा-सादा काम कर लो?
पम्मी- हाय ओ रब्बा, तुम्हारी नौकरी में तो आदमी सोते-सोते बोर हो जाए इसलिए मैंने खुद का प्रोफेशन बनाया है —ड्रामा, मस्ती और जासूसी! सारा मजा यहीं है।
बोरिंग लाइफ से तो पम्मी आंटी उतनी ही नफरत करती हैं जितनी नफरत एक आशिक अपनी गर्लफ्रेंड के बेस्ट फ्रेंड से करता है।
पम्मी आंटी को पसंद है एडवेंचरस लाइफ। वो तो घर जाते ही अगले दिन की तैयारी में लग गई थीं। दिमाग में चले जा रहा था कि कैसे ऋषि से बात करनी है, कैसे उसके सारे राज जानने हैं।
अगले दिन ठीक 10 बजे पम्मी आंटी अपनी असिस्टेंट संगीता के साथ फिर से हरदेव नगर जाने को तैयार थीं लेकिन बिना पैसे के पम्मी आंटी काम नहीं करतीं। उन्होंने सबसे पहले मिसिस अग्रवाल जी को कॉल लगाया।
पम्मी- लक्ष्मी जी, जो लड़का आपने पसंद किया था वो जलेबी की तरह सीधा है।
मिसेस अग्रवाल को पम्मी की बात समझ नहीं आई। वो पूछती हैं - मतलब क्या है आपका पम्मी जी?
पम्मी- ओ जी कुछ गड़बड़ है लड़के की लाइफ में। हम आज वही कन्फर्म करने जा रहे हैं, जल्दी से 2000 रुपए भेजो।
मिसेस अग्रवाल पम्मी से कहती हैं - अरे एकदम से ऐसे 2000 रुपए कैसे भेज दूं?
पम्मी- लो! कर लो गल! मिसिस अग्रवाल, सवाल आपकी बेटी की पूरी जिंदगी का है। पैसे भेजोगे तो कोई खबर मिल जाएगी वरना हमारी तरफ से, टाटा बाय-बाय है जी।
मिसेस अग्रवाल को पम्मी के इस रिएक्शन का अंदाजा नहीं था। वो झटपट कहती हैं - ओ सॉरी जी सॉरी! आप गुस्सा मत करो। अभी ऑनलाइन आपके नंबर पर पैसे भेज रही हूं।
पैसे आने के बाद पम्मी आंटी ने दूसरा कॉल लगाया सीधा पप्पू चाय वाले को। उसने पम्मी आंटी को बताया था कि आज ऋषि भइया लखनपुर के कैफे में किसी लड़की से मिलने जा रहें हैं। बस फिर क्या था? पम्मी आंटी और संगीता जी कछुए की रफ्तार वाले रिक्शे में सवार होकर पहुंच गए लखनपुर के इकलौते कैफे पर।
अब कैफे के एक टेबल पर बैठी थीं पम्मी आंटी और उसी टेबल के सामने वाली कुर्सी पर बैठी थीं संगीता मैडम। उनकी आधे घंटे पहले ऑर्डर की हुई चाय के ऊपर मलाई की छोटी सी परत जम गई थी। उन दोनों का ध्यान अपने मोबाइल स्क्रीन के साथ-साथ कैफे के मेन दरवाजे पर भी था।
आखिर इंतजार की घड़ी खत्म हुई। ऋषि एक लड़की के साथ कैफे में एंटर हुआ और एक टेबल पर बैठ गया। उसे देखते ही पम्मी आंटी ने दबी हुई आवाज में संगीता से कहा
पम्मी- नी संगीता! ये मरजाना तो बड़ा चालाक निकला। शक्ल से देख, कितना शरीफ लगता है और यहां दूसरी लड़की के साथ डेट पे आया हुआ है।
संगीता- अरे ये भी तो हो सकता है कि इसकी कोई दोस्त हो?
पम्मी- एक लड़का और लड़की कभी दोस्त नहीं हो सकते।
संगीता - ये तो फिल्म का डायलॉग है।
पम्मी - चाहे डायलॉग हो पर बात तो सच ही है। देख देख! कैसे हंस-हंस के बातें कर रहा है उसके साथ। हाए मेरे इक्कयावन हजार गए संगीता.. मैंने तो सोचा था कि इन्नी मेहनत करनी पड़ रही है, इस केस के तो ज्यादा पैसे लूंगी, मगर अब तो मिसिस अग्रवाल को बताना ही पड़ेगा कि यह रिश्ता तोड़ दें।
संगीता- अरे अभी कुछ कन्फर्म नहीं हुआ, पहले पता तो कर ले कि यह लड़की इसकी लगती क्या है।
पम्मी आंटी की आंखों की तरह उनके कान भी बड़े तेज़ थे। उन्होंने सुन लिया था कि ऋषि अपने साथ बैठी लड़की को कह रहा था, “तुम फिक्र मत करो, मैं जल्द सब ठीक कर दूंगा।” कुछ देर बाद उस लड़की को किसी का कॉल आया और वो कैफे से अकेली बाहर चली गई ।
पम्मी आंटी ने कैफे की खिड़की से ही उस लड़की को ऑटो रिक्शा में बैठते हुए देख लिया था। ऋषि अभी भी अपने मोबाइल की स्क्रीन को देखते हुए अपनी कॉफी खत्म कर रहा था। पम्मी आंटी को सही मौका मिल गया था। वो सीधा ऋषि के टेबल पर ही जाकर बैठ गई। उन्हें अचानक सामने देख कर ऋषि घबरा गया था। इससे पहले कि ऋषि कुछ कहता, पम्मी आंटी ने अपनी बात रख दी।
पम्मी- ऋषि बेटा, तुम मुझे नहीं जानते पर मैं तुम्हें जानती हूं। तुम्हारा रिश्ता तो कहीं और पक्का हुआ है, लेकिन तुम तो यहां किसी और के साथ इश्क लड़ रहे हो।
ऋषि कुछ छुपाने की कोशिश करता हुआ पम्मी से कहता है - अरे वो तो सिर्फ़ मेरी दोस्त है... और आप मुझे कैसे जानती हो?
पम्मी- बेटा जी पम्मी नाम है मेरा, और जिस लड़की से तुम्हारे रिश्ते की बात चल रही है, वो मेरे रिश्तेदार की बेटी है। अब तुम सच-सच बताओ कि वो जिस लड़की के साथ तुम बैठे थे वो कौन थी?
जब ऋषि को पता चला कि पम्मी मिसिस अग्रवाल जी की रिश्तेदार हैं, तो वो और भी घबरा गया और अब इज़्जत के साथ पम्मी जी से बात कर रहा था। उसने पम्मी आंटी से कहा, "ओह सॉरी-सॉरी आंटी जी, मैं आपको पहचान नहीं पाया। ये जो लड़की मेरे साथ बैठी थी ये तो मेरी बस बेस्ट फ्रेंड है।"
पम्मी- इतिहास गवाह है बेटा जी, कि लड़की का बेस्ट फ्रेंड ही उसे प्रपोज करता है। तुझ जैसे बेस्ट फ्रेंड ही लड़की का ब्रेकअप करवाते हैं और फिर लड़की के आशिक को साइड करके खुद लड़की से शादी कर लेते हैं।
ऋषि घबराते हुए पम्मी को फुसलाने की कोशिश करता है - अरे नहीं, आंटी जी मैं वो वाला बेस्ट फ्रेंड नहीं हूं, मैं असली वाला बेस्ट फ्रेंड हूं। बातें तो चलती रहेंगी लेकिन आप पहले यह बताइये कि आप चाय लेंगी या कॉफी।
चाय का नाम सुनके पम्मी आंटी थोड़ा शांत हो गई थीं। घबराए हुए ऋषि ने नई चाय का ऑर्डर देते ही पम्मी आंटी की पिछली चाय का भी बिल दे दिया था। पम्मी के कहने पर संगीता साइड वाले टेबल पर ही बैठी हुई थी। ऋषि के माथे पर घबराहट से पसीना आए जा रहा था। पम्मी आंटी ने ऋषि से फिर पूछा।
पम्मी- बेटा, ये बेस्ट फ्रेंड जैसे खेल शादी से पहले ही ठीक लगते हैं। शादी के बाद कोई लड़की अपने पति को लड़कों के साथ नहीं घूमने देती, ये लड़कियां तो बहुत दूर की बात है।
ऋषि, पम्मी को कहता है - जी आंटी जी समझ गया।
पम्मी- तेरे को मम्मी की कसम है सच-सच बताना। इस लड़की को पता है कि तेरा रिश्ता कहीं और होने जा रहा है?
ऋषि थोड़ा हिचकते हुए पम्मी से कहता है - आंटी जी मम्मी की कसम नहीं खानी चाहिए। मैं बिना कसम खाए सच-सच बता रहा हूं, मैंने इसे अपने होने वाले रिश्ते के बारे में बताया हुआ है। ऋषि की घबराहट धीरे-धीरे बढ़ती जा रही थी। उसने पम्मी आंटी की बात टालने के लिए उनसे कहा। पम्मी मैम, मुझे एक क्लाइंट से कॉल पर जरूरी बात करनी थी, मैं बस एक मिनट में आया। फोन पर कॉल लगाकर किसी से बात करते हुए ऋषि ट्रैफिक भरी सड़क में कहीं गायब हो गया था। कैफे की खिड़की से बाहर की तरफ देखते हुए पम्मी मैडम ने संगीता से कहा।
पम्मी- मैं जानती थी कि ये लड़का वापस नहीं आएगा। दाल में जरूर कुछ काला है।
संगीता - पर हमने तो दाल ऑर्डर ही नहीं की।
पम्मी - ओ तू पागल तो नहीं हो गई! मैं मुहावरा बोल रही हूं। इस बेस्ट फ्रेंड वाली प्रजाति ने पता नहीं कितने आशिकों की जिंदगी में आग लगा रखी है। इंडिया में सबसे ज्यादा ब्रेकअप तो लड़कियों के बेस्ट फ्रेंड की वजह से ही होते हैं। पर संगीता मेरा मन कहता है कि ऋषि इस लड़की का बेस्ट फ्रेंड नहीं है, इसका तो पक्का चक्कर चल रहा है लड़की के साथ।
पम्मी आंटी अभी संगीता के साथ बैठे हुए इस केस को सुलझाने की कोशिश कर ही रही थीं कि अचानक उन्हें एक कॉल आ गया।
पम्मी- हैलो, हां जी कौन?
सामने से एक लड़की कॉल पर कहती है - "पम्मी चड्ढा , अगर तुमने ऋषि की शादी में ज्यादा टांग अड़ाई, तो अंजाम बुरा होगा। इस केस से दूर रहो!"
यह कौन है जिसकी इतनी हिम्मत हो गई कि पम्मी आंटी को ही धमकी दे दी। अब किसका अंजाम बुरा होगा? पम्मी आंटी का पंगा अब किस से पड़ने वाला है यह जानने के लिए पढ़ते रहिए।
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