कई बार इंसान आसान से फैसले लेने में भी इतना उलझ जाता है कि चीज़े बिगड़ने लगती हैं. अब निशा और राहुल की शादी को ही ले लीजिये. दोनों की फैमिली राज़ी है फिर भी इनसे फैसला नहीं लिया जा रहा. जितनी देर हो रही है चीजें उतनी उलझती जा रही हैं. राहुल का मानना है कि निशा को मुंबई में सेट होने के बाद एक बार फिर से अपनी शादी के फैसले पर सोचना चाहिए. असल में अपनी शादी के बाद से ही उसे ऐसा लगने लगा था कि इंसान को शादी के फैसलों पर कुछ टाइम सोचना चाहिए. वो सोच रहा है कि निशा के साथ भी कहीं ऐसा ना हो कि उसे बाद में पछताना पड़े.
मगर निशा ये समझ रही है कि राहुल उस पर ट्रस्ट नहीं कर रहा. कैफे में बैठे हुए निशा इसीलिए राहुल पर बरस पड़ी थी. राहुल उसे समझाने वाला था कि उसका ऐसा कोई मतलब नहीं था मगर उसके समझाने से पहले ही उनके सामने एक बिन बुलाया मेहमान खडा था, जिसे देखते ही दोनों हैरान परेशान हो गए. ये बत्रा आंटी थीं. दोनों समझ गए थे कि अब एक बार फिर से दोनों की कोई नयी कहानी शहर भर के लिए एक नयी न्यूज़ banne वाली है.
बत्रा आंटी- अरे बच्चों, तुम लोग यहाँ? मैं तो डेंटिस्ट के पास आई थी, ये neelesh ले आया मुझे यहाँ. कहने लगा बहुत अच्छी चाय मिलती है यहाँ. मुझे क्या पता था मेरे बच्चे यहीं दिख जायेंगे. कितने प्यारे लग रहे हो दोनों. नज़र ना लगे.
दोनों जानते थे कि सबसे पहले बत्रा एंटी की ही नज़र उन्हें लगेगी. वो अभी जितने प्यार से बात कर रही है, उतनी ही बेरहमी से उनकी कहानी सबको सुनाएगी. निशा अब जल्दी से जल्दी wahan से निकलना चाहती thi. उससे अब और झूठा मुस्कुराया नहीं जा रहा. इसी बीच भगवान उसकी सुन लेते हैं और घर से फोन आ जाता है. माया nisha se कबीर के लिए उसकी फेवरेट वाली आइसक्रीम लेते आने के लिए kehti hai phone par. फोन काटते ही निशा batra aunty se कहती है कि usey घर बुला रहे hain sab, कोई काम होगा shayad. इतना कह कर वो राहुल के साथ वहां से निकल jaati है. जाते हुए बत्रा आंटी निशा के कान में कहती है..
बत्रा आंटी- जल्दी शादी कर लो, लोग तरह तरह की बातें बना रहे हैं.
निशा उनकी इस नेक सलाह के लिए उन्हें थैंक यू कहती है और वहां से खिसक लेती है. कार में राहुल उसे समझाता है कि उसका ऐसा कोई मतलब नहीं था. वो बस उसे टाइम देना चाहता है. वो अगर कहे तो कल ही शादी कर ले. निशा कहती है कि पहले वो भी यही सोचती थी मगर अब शहर भर में बातें होने लगी हैं. हमें सोसाइटी के हिसाब से ढलना पड़ता है. यही वो लोग India ke baahar होते तो आगे के 10 साल भी लिव इन में काट सकते थे मगर यहाँ रिश्तों पर mohar लगनी ज़रूरी है, नहीं तो बत्रा आंटी जैसी औरतें जीना हराम कर देती हैं. राहुल को निशा की बातें सही लगीं. उसने आगे का सारा फैसला उसी पर छोड़ दिया और कहा कि वो उसके हर फैसले में उसके साथ है.
निशा घर आ गयी थी. अनिता को अभी भी निशा की चिंता थी कि वो कुछ महीनों में उन्हें छोड़ कर फिर से चली जायेगी. Saath ही उन्हें उसकी शादी की भी चिंता थी. अनीता अपने कमरे में अकेली बैठी थी. निशा उन्हें खोजते हुए वहां पहुंच गयी. वो उसके पास बैठ गयी और उन्हें गले लगा लिया. अनीता हैरान रह गयी. उसे याद आया कि निशा ऐसा तब करती थी जब वो बहुत खुश होती थी. अनीता को लगा शायद ये उसके जॉब के बारे में हो, उसने मुंह बना कर कहा..
अनीता- क्या हुआ अब मुंबई के बदले अमेरिका बुला रहे हैं क्या? जा चली जा तेरा तो काम ही यही है ना अपनी माँ को छोड़ के चले जाना.
निशा- तो क्या शादी के बाद भी ऐसे ही घर बैठा कर रखोगी? तब तो कहोगी जा अपने घर जा.
अनीता- अब बातें ना बना. बात बता क्या है?
निशा- बात ये है कि मैं कहीं नहीं जा रही. अपने घर पर रह कर ही अपनी आर्ट गैलरी सम्भालुंगी. जिसे मेरा काम अच्छा लगेगा वो यहाँ आएगा. मैं अपनी फैमिली को छोड़ कर कहीं नहीं जाने वाली.
अनीता को निशा की कही बात पर yakeen ही नहीं हो रहा था. उसे पता था निशा जो एक बार ठान लेती थी फिर किसी की नहीं सुनती थी. फिर आखिर अब ये चमत्कार कैसे हुआ? उसने निशा को गले लगा लिया. वो बहुत खुश थी.
निशा- अभी एक और न्यूज़ है, देखना कहीं ख़ुशी के मारे अब तुम्हें ना अटैक आ जाए.
अनीता- कोई बात नहीं, घर में अभी खुशखबरियों की बहुत कमी है, तू suna मैं अटैक झेलने के लिए तैयार हूँ.
निशा ने बताया कि वो और राहुल शादी के लिए तैयार हैं. अब दोनों families जब भी चाहें मिल कर शादी की डेट फिक्स कर सकती हैं. इसके बाद तो अनिता के पैर जैसे ज़मीन पर लग ही नहीं रहे थे. उनकी तो आज एक साथ दो दो मुरादें पूरी हो गयी थीं. वो आज खुश होने में कबीर को भी मात दे रही थीं. उनका बस चलता तो वो poore घर में कबीर की तरह ही डांस कर कर के सबको ये बताती. निशा अपनी माँ को ज़माने बाद इतना खुश देख रही थी. उन्हें ऐसे देख उसकी आंखें ख़ुशी के आंसुओं से भर आई थीं.
अनीता ये गुड न्यूज़ सुनाने के लिए विक्रम के पास गयीं. बेटी की शादी के बारे में सुनते ही विक्रम को लगा कि उनकी आधी तबियत तो ठीक भी हो गयी. घर में सबको पता लग गया था और सभी बहुत खुश थे. सब लोग फिर से हॉल में इकट्ठे हुए. आज बहुत दिनों बाद किसी ख़ुशी की बात के लिए सब लोग एक साथ जमा हुए थे. फिलहाल ये प्लानिंग चल रही थी कि राहुल के पेरेंट्स को कब मिला जाए. दादा जी ने राहुल के पापा को फोन कर के बधाई दी. उनहोंने कहा कि उन्हें भी अभी अभी राहुल ने ये खुशखबरी दी है. राहुल के पापा ने कहा कि कोई शुभ दिन देख कर दोनों परिवार मिल लेते हैं और आगे की डेट्स रख लेते हैं.
निशा sabko खुश देख कर खुद भी बहुत खुश थी. अब उसे एक ही काम करना था, वो नहीं चाहती थी कि शादी से पहले राहुल से कुछ भी छुपा रहे. वो सोच रही थी कि अपनी फैमिली का सीक्रेट वो उसे बता दे. इस खुशखबरी के बाद बाकी सब राजेश को कुछ देर के लिए भूल ही गए थे.
बत्रा आंटी दो दो कहानियां ले कर आई थीं. उन्हें पूरी फैमिली हॉल में ही दिख गयी. उनहोंने सभी को नमस्ते किया और अनीता को इशारे से अलग बुला लिया. निशा मन ही मन हंस रही थी. उसे पता था कि वो उसी के बारे में बताने आई है लेकिन जब वो सुनेगी कि हमने शादी का फैसला कर लिया है तब unka चेहरा देखने लायक होगा. हालांकि बत्रा आंटी सिर्फ निशा की ही नहीं बल्कि किसी और की बात करने भी आई थी.
बत्रा आंटी- बहन जी, ये क्या सुन रही हूँ, आपने हीरा को काम पर रख लिया? याद है ना उसने क्या किया था? उस रात मैं और सोहम ना होते तो इसने पूरा घर लूट के ले जाना था. फिर भी आप लोगों ने इसे वापस बुला लिया? अब तो पूरी कॉलोनी dari हुई है कि कहीं उनके घरों में भी ना घुस जाए ये चोर.
बत्रा आंटी के लिए पानी लेकर जा रहे हीरा के पैर दरवाजे पर ही रुक गए. वो बत्रा आंटी के पैर छूने जा रहा था लेकिन यहाँ तो बत्रा आंटी उसी को भला बुरा कह रही थी. वो अंदर नहीं गया, दरवाजे से ही बातें सुनता रहा.
अनीता- हीरा से गलती हुई, उसकी माँ की जान का सवाल था. उसने galti की, तो मानी भी. मुझे उस par इतना यकीन है कि अगर उस दिन वो ना भी पकड़ा जाता तो बाद में लौट कर वो poori सच्चाई बता देता. मुझे उसने हमेशा माँ बोला है और मैं उसकी आँखों की सच्चाई पढ़ सकती हूँ. फ़िलहाल वो लौटा नहीं है, बस इनकी तबियत जानने आया है aur अगर वो dobara इस शहर में लौटा तो इसी घर में रहेगा. हम भी देखेंगे उसे कौन चोर कहता है?
ये सब सुन कर तो बत्रा आंटी का मुंह ही बन गया. बाहर खड़े हीरा की छाती चौड़ी हो गयी. उसे लगा कि उसने जिंदगी में एक ही अच्छा काम किया है और वो है इस घर में नौकरी. उसे लग रहा था कि अनीता में इस समय उसकी अपनी माँ उतर आई है. वो वहीं खड़ा खड़ा आंसुओं में भीग गया. इसके बाद वो वहां से चला गया. बत्रा आंटी को ये झटका लगा कि ऐसा पहली बार हुआ जब उसने कुछ कहा हो और अनीता ने पलट कर उसे ऐसा जवाब दिया हो.
खैर बत्रा आंटी भी हार मानने वाली कहाँ थी. Unhone अपना दूसरा तीर छोड़ा..
बत्रा आंटी- जैसी आपकी मर्ज़ी. Apka ghar hai. आप चाहे जिसे घर में रखें. खैर मैं तो ये बताने आई थी कि निशा को उस राहुल के साथ मैंने कैफे में देखा..आप बताओ कोई क्या कहेगा? पूरा शहर पहले से ही बाते बना रहा है, ये लोग फिर भी नहीं मान रहे.
अनीता- अब तो और नहीं मानेंगे. जहाँ मन वहां घूमेंगे और अगर कोई कुछ बोला तो अब मैं उसे बताउंगी. दोनों जल्दी ही शादी कर रहे हैं हफ्ते भर में तो डेट भी फिक्स हो जाएगी. अब पति पत्नी तो जहाँ चाहे घूम सकते हैं ना.
ये था बत्रा आंटी के लिए असली झटका. कुछ देर तक तो वो अनीता का चेहरा ही देखती रही. उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि ये क्या हो गया. ये तो बत्रा आंटी जैसी मेहनती chugalkhor महिला के लिए बहुत बड़ा शॉक था. अब उन्हें फिर से एक नया topic खोजने में मेहनत करनी पड़ेगी. अनीता उनका मुंह मीठा कराती है. जाते हुए निशा उनकी तरफ मुस्कुरा कर उन्हें बाय बोल रही थी. बत्रा आंटी को देख कर लग रहा था जैसे उन्हें करोड़ों का घाटा हो गया हो. वो पैर पटकते हुए निकल गयीं, जिसे देख कर पहले निशा और उसके पीछे बाकी सब लोग हंस पड़े.
Dusri taraf, राजेश को पता चल गया है कि निशा और राहुल शादी कर रहे हैं. उसे भतीजी की शादी की खबर सुन कर बहुत अच्छा लग रहा tha. वो सोचने लगा कि क्या वो अपने ही परिवार के साथ ये सब कर के अच्छा कर रहा है? क्या उसे सबसे माफ़ी मांग कर अपने परिवार में अपनी जगह बनाने की कोशिश करनी चाहिए? क्या उसे दादा जी और विक्रम के पास जा कर उनसे माफ़ी मंगनी चाहिए?
इन बातों पर वो और सोच पाता इससे पहले ही उसके मोबाइल पर एक नंबर फ्लैश होने लगा. वो नंबर देखते ही काँप गया. उसकी हिम्मत नहीं हुई की फोन उठाये. इस एक फोन कॉल ने उसके अंदर उठ रहे सभी अच्छे ख्यालों को फिर से दबा दिया. उसके अंदर से आवाज़ आने लगी कि उसे इमोशनल हो कर कमज़ोर नहीं पढ़ना है. वो खुद को मजबूत करने के लिए याद करने लगा कि कैसे उसे सब छोड़ कर विदेश भागना पड़ा था. कैसे उसने वहां कई साल भिखारियों की जिंदगी जी.
उसने खुद को मजबूत करते हुए खुद से कहा, शर्मा फैमिली को उससे अब कोई नहीं बचा सकता, वो खुद भी नहीं. एक बार फिर से वही नंबर फ्लैश हुआ, इस बार राजेश ने कांपते हाथों से कॉल उठा लिया और चुपचाप उधर से आ रही आवाज़ सुनने लगा.
क्या राजेश निशा की शादी सही से होने देगा? राजेश को बार बार किसका कॉल आ रहा था जिसे देख कर वो अंदर तक काँप गया?
जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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