शर्मा परिवार का सबसे बड़ा राज़ लगभग खुल चुका था. विक्रम ने राजेश की कहानी सबको बता दी थी. आरव को इस कहानी पर यकीन नहीं हो रहा था वो अभी भी राजेश की बताई कहानी को सही मान रहा था. विक्रम आगे कुछ बताते इससे पहले ही कबीर की आवाज़ ने सबका अटेंशन अपनी तरफ खींचा. वो कह रहा था कि घर में कोई आया है. दादा जी को फिर से ये डर सताने लगा कि कहीं ये राजेश तो नहीं. विक्रम ने अभी तक सबको ये नहीं बताया था कि राजेश विदेश से लौट आया है और अब अपना हिस्सा मांग रहा है. 

कबीर के बुलाने पर एक एक कर के सब विक्रम के रूम से बाहर निकले. उन्होने देखा सामने हीरा खडा था. वो विक्रम को देखने आया था. सब उसे देख कर बहुत खुश हुए. उसकी माँ भी अब हॉस्पिटल से घर आ गयी थीं और धीरे धीरे ठीक हो रही थीं. कुछ दिन बहन को उनके पास छोड़ कर वो विक्रम का हाल समाचार लेने आया था. सब उससे ख़ुशी ख़ुशी मिले. उसने आरव के हाथों में एक डब्बा थमा दिया. उस डब्बे में वही गुड्ड वाले लड्डू थे जो आरव को बहुत पसंद हुआ करते थे. उसने जल्दी से डब्बा खोल कर एक लड्डू खा लिया. हीरा ने उससे पूछा कैसा है? तो उसने कहा हमेशा की तरह ला जवाब. 

फिर हीरा ने बताया कि ये माँ ने नहीं उसने बनाए हैं. माँ अभी बिस्तर से ज्यादा उठती नहीं, तो उन्होंने तरीका बताया और हीरा ने लड्डू बना दिए. आरव को ख़ुशी थी कि हीरा ने उसके लिए इतनी मेहनत की थी. वो बाकी सबके लिए मिठाई लेकर आया था. क्योंकि विक्रम और उसकी माँ दोनों मौत को मात देकर घर लौट आये थे. वो विक्रम से मिलने उनके कमरे में गया और उन्हें देख कर रो पड़ा. उसने सबसे पहले अपने ही घर में चोरी करने के लिए माफ़ी मांगी. विक्रम को सारी बात पहले से ही पता थी. उन्होंने उसे गले लगाते हुए चुप कराया और समझाया कि वो आगे से ऐसी गलती कभी ना करे. उन्होंने उसकी माँ की tabiyat के बारे में पूछा और ये भी पूछा कि उसने शादी की या नहीं. इस बात पर हीरा शर्मा गया. उसने कहा कि अब उसकी शादी की उम्र निकल गयी है. वो ऐसे ही बहुत खुश है. कुछ देर बातें करने के बाद हीरा बाहर आ गया. 

सुशीला, हीरा के जाने के बाद इस घर में आई थी. वो उससे कभी नहीं मिली थी लेकिन उसके बारे में बहुत कुछ सुना था. कई ऐसी सब्जियां थीं जिन्हें बनाने के बाद उसे सुनना पड़ता था कि हीरा वाली बात नहीं है इसमें. उसे हीरा से मिलना भी था लेकीन उसके नाम से उसे चिढ़ भी थी. उसके आने के बाद तो उसे ये डर भी लग रहा था कि कहीं उसे निकाल कर हीरा को काम पर ना रख लिया जाए. वो फिलहाल अनीता के पीछे पीछे ghoom रही थी. 

हीरा के आने के बाद बेशक माहौल थोडा सा बदला था लेकिन राजेश की कहानी अभी भी सबके दिमाग में घूम रही थी. निशा बॉस दादी और अनीता से शिकायत कर रही थी कि उन्होंने भी कभी उनसे इस बारे में बात नहीं की. सबका यही जवाब था कि दादा जी ने अपनी कसम दे कर सबको चुप रहने के लिए कहा था. बॉस दादी ने ये भी कहा कि अगर उनका बेटा कुछ अच्छा कर के गया होता तो वो सबको उसकी कहानियां सुनाती लेकिन उसने इतना गलत किया कि अब वो उसका नाम तक नहीं सुनना चाहतीं. माया सदमे में थी, उसे लग रहा था कि ये कोई फिल्म चल रही है और वो बैक हिस्ट्री सुन रही है. 

कबीर दादा जी से शिकायत कर रहा था कि उसे मीटिंग में क्यों नहीं शामिल किया गया? दादा जी फिलहाल उसकी बातों का जवाब नहीं दे रहे थे, वो अपने ही डर में उलझे हुए थे. उन्हें अब ये भी डर सता रहा था कि ये raaz बाहर आने के बाद फैमिली का क्या रिएक्शन होगा और उसका विक्रम की हेल्थ पर क्या असल पड़ेगा. आरव ये सोच रहा था कि आखिर उसके पापा खुद को सच्चा साबित करने के लिए और कितने झूठ बोलेंगे? 

सबने हीरा से उसके हाथों की चाय पिलाने के लिए कहा. सुशीला ये सुन कर खुश नहीं thi. हीरा किचन में जाता है और सुशीला भी उसके पीछे पीछे जाती है. वो उसे चुपचाप चाय बनाते देख रही thi. वो देखती है कि 4 साल बाद भी उसे याद है कि कौन सा सामान कहाँ रखा हुआ है. 

सुशीला- दादी जी की चाय में चीनी मत रखना. हमको पता है तुम उनके कहने पर छुपा कर उनकी चाय में चीनी रख देते थे मगर अब उन्हें डॉक्टर ने मीठा साफ़ मना किया है. 

हीरा- अच्छा किया जो तुमने बता दिया नहीं तो हम सच में चीनी रखने वाले थे. तुमने किचन को चमका के रखा है. 

सुशीला- हां, हम अपना काम इमानदारी से करते हैं.

हीरा- जानते हैं, तभी तो 3 साल से हो यहाँ, वरना छोटी अम्मा की आंखें इतनी तेज हैं कि तुरंत पकड़ लेती हैं बेईमान को. 

सुशीला- तुम उन्हें अम्मा क्यों कहते हो? 

हीरा- इस परिवार ने हमको अपने घर जैसा प्यार दिया है. इसीलिए सबको ऐसे ही बुलाते हैं. उनसे पूछे थे कि आपको अम्मा बुलाएं तो बहुत खुश हुई थीं. वो छोटी अम्मा. दादी बड़ी अम्मा. 

सुशीला- तो अब तुम यहीं रहोगे?

हीरा उसकी बात पर मुस्कुराया, उसे पता था कि सुशीला के मन में क्या डर चल रहा है. उसने usse कहा..

हीरा- हम समझते हैं तुम्हारा टेंसन, मगर घबराओ मत हम किसी का हक़ नहीं मारते हैं. अभी तो बस बाबू जी का हाल समाचार लेने आये थे लेकिन हमको सब बुलाएगा भी तब भी तुम्हारा नौकरी खाने नहीं आयेंगे. टेंसन फ्री रहो. 

सुशीला उसकी बातें सुन कर हैरान रह गयी. उसे उम्मीद नहीं थी कि हीरा ऐसा कुछ कहेगा. अब उसे yakeen हो गया था कि उसने सच में मजबूरी में चोरी की होगी वरना ऐसा इंसान चोर नहीं हो सकता. वो हीरा को देखे जा रही thi. हीरा के टोकने पर उसका ध्यान उस पर से हटता है फिर दोनों सबके लिए चाय ले जाते हैं. हीरा ने कबीर के लिए उसका फेवरेट शेक बनाया tha और सुशीला को बताया कि अगर वो कबीर को ये शेक पिलाती रहेगी तो वो हमेशा उसकी बात मानेगा, उसे ये शेक बहुत पसंद है. सच में ये शेक पीते ही कबीर ख़ुशी से उछलने लगा. 

एक बोझ लेकर ही सही लेकिन हीरा के आने से  शर्मा परिवार को कुछ देर के लिए हंसने का मौक़ा ज़रूर मिला था. हर कोई इस समय अपनी सोच में डूबा हुआ था लेकिन हीरा का मन रखने के लिए सब एक साथ बैठे थे. सुशीला कुछ बोलती नहीं थी लेकिन उसे सब दिखता था. वो समझ गयी थी कि घर में कोई टेंशन चल रही है. उसने हीरा को कहा कि वो servants room में जा कर आराम कर ले. बाकी का काम वो देख लेगी. हीरा भी चला गया. 

शाम को दोनों एक साथ market गए सब्जी लाने. सुशीला ये देख कर हैरान थी कि अभी भी सभी dukaan वाले, ठेले वाले heera ko अच्छे से पहचानते हैं. सब उसका हाल चाल पूछ रहे थे और वो सबको अपनी कहानी सुना रहा था. इसी बीच सुशीला ने उसे बताया कि बीते कुछ महीनों से घर में कुछ भी सही नहीं चल रहा. सब परेशान रहते हैं. एक dusre से बहस भी बढ़ गयी है. इनकी लड़ाइयां देख एक बार तो कबीर बाबा भी एक दम गुमसुम हो गए थे. ये सब सुनने के बाद हीरा काफी परेशान हो गया था लेकिन वो कर भी क्या सकता था. सब उसे कितना भी मानते हों लेकिन था तो वो एक नौकर ही वो भला उनके बीच क्या ही बोलता?

Dusri taraf, दादा जी ने घर के सब बड़ों को इकठ्ठा कर उन्हें समझाया कि राजेश का राज़ खुलने के बाद सबके पास बहुत से सवाल होंगे लेकिन अभी विक्रम की ऐसी कंडीशन नहीं कि हम खुल कर इस बारे में बात करें. वो जब थोडा ठीक हो जायेगा तब उससे जिसे जो पूछना है पूछ सकता है. तब तक उससे इस बारे में कोई भी बात नहीं करेगा और ना उससे किसी तरह की बहस करेगा. दादा जी की आखिरी बात का इशारा आरव की तरफ था. सबने इस बात पर हामी भरी और अपने अपने काम में लग गए. 

माया और आरव कमरे में थे माया उसे कह रही थी कि उसे अभी भी यकीन नहीं हो रहा कि उनके घर में इतने सालों से कोई सीक्रेट था. वो पापा की साइड लेते हुए कह रही thi कि उनके साथ उनके भाई ने गलत किया. ये बहुत बड़ा धोखा है. काफी देर तक सुनने के बाद आरव ने माया से कहा कि उसे पूरे सच का नहीं पता है. पापा के साथ धोखा नहीं हुआ बल्कि पापा ने ही अपने भाई को धोखा दिया है. उसने माया से राजेश की बताई हुई कहानी कही. जिसके बाद माया का सवाल था कि उसे इस बारे में कैसे पता चला? तब aarav ने बताया कि उसकी मुलाक़ात पापा के एक पुराने दोस्त से हुई thi जो इस फैमिली के सभी सीक्रेट जानते हैं. माया ने आरव से कहा कि जो सीक्रेट फॅमिली के लोग नहीं जानते वो भला उनका कोई पुराना दोस्त कैसे जान गया होगा? वो भी ऐसा दोस्त जिसके बारे में आरव को भी नहीं पता था. 

माया की बात समझने की जगह उल्टा आरव को लगता है माया पापा की बातों में आ गयी है. वो उससे कहता है कि पापा को पूरी तरह से ठीक हो लेने दो फिर सच अपने आप सामने आ जायेगा. तब वो भी मानेगी कि पापा झूठे थे. माया को ये अच्छा नहीं लगता कि आरव अपने पिता के लिए ऐसे सोच रहा tha. लेकिन वो कुछ बोलती नहीं. 

Wahin, निशा का घर में मन नहीं लग रहा इसलिए वो बाहर निकल गयी. वो राहुल से मिलने जाती है लेकिन फैसला करती है कि वो अभी अभी सामने आये फैमिली सीक्रेट के बारे में उससे कोई बात नहीं करेगी. वो राहुल को साथ लेकर एक कैफे में जाती है. दोनों वहां kuch time sath bitate hain, राहुल उससे पूछता है कि वो आज इतनी चुप चुप क्यों है? जिस पर वो कहती है कि वो उनकी शादी के बारे में सोच रही है. निशा अचानक से कहती है..

निशा- चलो राहुल शादी कर लेते हैं. 

राहुल- शांत निशा शांत, इतनी हड़बड़ी में ऐसे फैसले नहीं लिए जाते. मैंने तुम्हें कहा ना कि पहले तुम मुंबई वाली जॉब में खुद को सेटल कर लो उसके बाद डिसीजन लेना. 

निशा- मैं इतने दिन से सोच ही रही थी. और अब मैंने फैसला कर लिया है कि हम दोनों बहुत जल्द शादी करेंगे और hum आज कल में ही पूरी फैमिली को ये गुड न्यूज़ देंगे. 

राहुल- मुझे ये सही नहीं लग रहा. मुझे स्ट्रांग फिलिंग आ रही है कि तुम्हारे मुंबई जाने के बाद बहुत चीज़ें बदलेंगी और उनसे हमारे रिश्ते पर भी बहुत फर्क पड़ेगा. 

निशा- ओके तो तुम्हें मुझ पर इतना ही ट्रस्ट है? मैंने उस दिन भी सुन ली तुम्हारी बातें मगर इसका मतलब ये नहीं है कि तुम सही हो. तुम जो कह रहे हो उसका यही मतलब निकलता है कि तुम्हें मुझ पर ट्रस्ट नहीं है. तुम्हें लगता है मैं तुम्हें एक ऑप्शन की  तरह देखती हूँ और मुंबई जाते मुझे कोई और पसंद आ जायेगा और मैं तुम्हें हटा कर उससे शादी कर लूंगी. तुम्हारे लिए मेरा कैरेक्टर ऐसा ही है? लेकिन मिस्टर सक्सेना ये जान लो कि अगर ऐसा ही करना होता तो main pehle ही kisise शादी कर लेती jab main abroad mein thi.

असल में निशा ने घर और यहाँ दोनों जगह की frustration राहुल पर निकाल दी थी. राहुल ने अभी तक निशा को इतना भड़कते kabhi नहीं देखा था. वो usse कहना चाहता था कि उसका ऐसा कुछ मतलब नहीं था लेकिन उसके कहने से पहले ही दोनों के सामने कोई ऐसा आ कर खड़ा हो गया जिसे देख दोनों के मुंह खुले के खुले रह गए. 

 

अचानक से निशा और राहुल के सामने ये कौन आ गया? क्या फैमिली विक्रम को बहस और टेंशन से दूर रख पाएगी? क्या विक्रम की जान पर अभी भी खतरा बना हुआ है?

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

 

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