नेरेटर: जैसे ही ध्रुव ने उन लोगों को रुकने को कहा तो वो चौंक गए। उन्हें लगा ध्रुव डर गया है। वो सोच रहे थे कि ध्रुव उनसे माफी मांगेगा और जहां से आया है वहां वापस चला जायेगा। मगर ऐसा बिलकुल भी नहीं हुआ। ध्रुव ने लेदर की जैकेट पहनने हुए थी। उसने उस जैकेट को उतारते हुए कहा:

ध्रुव: ये जैकेट मैंने अभी यहां आने से पहले ही खरीदी थी। ये गंदी ना हो जाए इसीलिए इसे उतार देता हूं।

नेरेटर: ध्रुव ने अपनी लेदर की जैकेट उतारी और उसे संभाल कर रखने के लिए जगह ढूंढने लगा। ध्रुव ने अपने हाथ में एक महंगी घड़ी भी पहनी हुई थी। उसने घड़ी को अपने हाथ से उतारते हुए कहा:

ध्रुव: ये घड़ी बहुत मंहगी है। ये मुझे किसी ने गिफ्ट दी थी। इसे मैं बड़े संभाल कर रखता हूं। बस ख़राब नहीं होनी चाहिए।

नेरेटर: ध्रुव ने अपनी घड़ी कलाई से निकली और जैकेट की जेब में रख दी। उसे वहां कोई ऐसी जगह नही मिली जहां वो अपनी जैकेट को रख सके। उसने सामने खड़े लोगों से कहा:

ध्रुव: जहां तुमने इतना इंतजार किया है, थोड़ी देर और सही। बस में गाड़ी में जैकेट को रख कर अभी आता हूं। ध्रुव की इस बात को सुन कर उन्हे अभी भी यही लग रहा था कि वो जैकेट रखने के बहाने यहां से भाग जायेगा।

उनका मकसद भी तो यही था। मगर ऐसा हुआ नहीं। ध्रुव ने अपनी जैकेट को गाड़ी में बैठे बल्ली को पकड़वाई और वापस अपनी जगह आ गया। उसके वापस आने पर उस आदमी ने कहा:

क्यों अपनी मौत को खुद दावत दे रहे हो। अच्छा मौका मिला था अपनी जान बचाने का, वो भी तुमने गँवा दिया।

नेरेटर: उस आदमी की बात का ध्रुव पर कोई असर नहीं हुआ। वो तो उन लोगों से लड़ने को एक दम तैयार था। उसने कड़क आवाज़ में कहा।

ध्रुव: मौत से नामर्द डरते हैं। मर्द तो मौत का सामना करते हैं। अभी तक तुम्हारा पाला किसी असली मर्द से नहीं पड़ा शायद।

नेरेटर: ध्रुव की बात सुन कर वहां खड़े सभी लोग ज़ोर ज़ोर से हंसने लगे। वो बातें करके और समय ख़राब नही करना चाहते थे। तभी उस आदमी ने अपने साथियों को ऑर्डर देते हुए कहा:

अब खड़े खड़े इसका मुंह क्या देख रहे हो। इसका जरा अच्छे से लखनऊ में स्वागत करो।

नेरेटर: उस आदमी का ऑर्डर पाकर दो आदमी डंडे को लेकर ध्रुव को तरफ बढ़े। इस बार बिना कुछ कहे एक आदमी ने डंडे से ध्रुव पर हमला कर दिया। ध्रुव ने तुरंत उसके डंडे को हाथ से पकड़ा और घूम गया।

दूसरे आदमी ने जैसे ही डंडे से वार किया तो ध्रुव ने पकड़े हुए डंडे को उसके सामने कर दिया। दोनों डंडों के टकराने की आवाज़ ऐसी थी जैसे किसी के हड्डियां टूटने की आवाज़ हो।

दूसरे ही पल ध्रुव ने अपने सामने वाले आदमी को एक ज़ोरदार लात मारी।

ध्रुव ने उस आदमी के पेट पर लात इस ज़ोर से मारी थी कि उसने डंडे को छोड़ कर अपने पेट को पकड़ लिया था।

अपने साथी को पिटता देख दूसरे आदमी को गुस्सा आ गया। गुस्से में उसकी आंखे एक दम लाल हो गई थी। उसने ध्रुव की तरफ देखा। तभी ध्रुव ने कड़क आवाज़ में कहा:

ध्रुव: अब तेरी बारी है।

नेरेटर: अपनी बात को कह कर ध्रुव ने उसकी चिन पर एक ज़ोर दार मुक्का मार दिया।

वो मुक्का इतना वजन दार था कि वो आदमी पीछे की तरफ उड़ता हुआ गिरा। इस मुक्के से उसकी बत्तीसी हिल गई थी। ध्रुव ने देखा कि वो आदमी ज़मीन पर लेटा हुआ हाथ से अपने मुंह को देख रहा है। तभी ध्रुव की आवाज़ आती है:

ध्रुव: धन्यवाद दो हमें , चाहते तो तुम्हारी बत्तीसी को जबड़े से निकल देते, मगर शुक्र करो, अभी सिर्फ हिलाया है।

नेरेटर: वहां मौजूद लोगों ने जब अपने साथियों को पिटता हुआ देखा तो थोड़ा डर गए। ध्रुव ने उन सभी के डर को उनके चेहरे से पहचान लिया था। उसने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा:

ध्रुव: तुम लोग वहां इतनी दूर क्यों खड़े हो। आओ, मुझे मारो, वैसे भी डर के आगे जीत होती है।

नेरेटर: ध्रुव की तंज भरी बातो को सुन कर वहां खड़े सभी लोगों को गुस्सा आ गया था। उन्होंने आगे आकर ध्रुव को चारों तरफ से घेर लिया था। वो सभी ध्रुव पर डंडे से हमला करने को तैयार थे।

ध्रुव की नज़रे भी उन पर बराबर थी। वो एक दम होशियार था। एक तरह जहां ध्रुव उनके हमले का जवाब देने को तैयार था तो वहीं दूसरी तरफ जैसे ही कमांडोज़ के लीडर ने अपने चेहरे से मास्क हटाया तो रोज़ी उसका चेहरा देख कर दंग रह गई। इससे पहले वो कुछ कह पाती, तुरंत रणविजय ने कहा:

रणविजय: मार्टिन, मार्टिन डिसूज़ा नाम है इसका, ये मेरा खास आदमी है।

नेरेटर: रणविजय की बात सुन कर विक्की को बहुत गुस्सा आया। उसने अपने गुस्से को निकालने के लिए पास रखी कुर्सी पर इस ज़ोर से लात मारी कि चेयर ही टूट गई। उसके गुस्से को कम करने के लिए रणविजय ने कहा:

रणविजय: तुम्हारा गुस्सा जायज़ है। तुम्हारी जगह अगर मैं होता तो शायद इसी तरह गुस्सा करता। मगर पहले मेरी पूरी बात तो सुनो।

नेरेटर: इस बार रणविजय की बात का जवाब देते हुए चैंग ने कहा:

चैंग: बॉस, हम तुम्हारे लिए काम कर रहे हैं, इसका मतलब ये नहीं कि हमारी जान की कोई कीमत नहीं।

नेरेटर: चैंग की बात पर हसमुख ने भी हां में सर हिलाया। इस समय कोई भी रणविजय की बात को सुनना नही चाहता था। उन्हें इस बात का बहुत अफसोस था कि रणविजय ने उन्हें मारने के लिए अपने आदमी भेजे थे। विक्की के दिल में जो गुस्सा था उसे ज़ाहिर करते हुए उसने कहा:

विक्की: इतिहास गवाह रहा है कि घर के भेदी ने ही हमेशा घर को बर्बाद किया है। हम सब तुम पर खुद से भी ज़्यादा भरोसा करते है मगर आज वो भरोसा टूट गया।

नेरेटर: विक्की ने रणविजय को अपनी सफाई में कुछ कहने का मौका ही नहीं दिया। विक्की की रणविजय को लेकर जो नाराज़गी थी वो उसके चेहरे पर साफ़ नज़र आ रही थी। उसने अपनी बात को जारी रखते हुए कहा:

विक्की: कोई और अगर हमें धोखा देता तो समझ में आता मगर आप, आप तो हमारे अपने थे, आपने ही तो हम सब को जमा किया था। जिस चोरी को करने हम जा रहे है उसमें अगर इस तरह धोखा मिलेगा तो....

नेरेटर: अपनी बात को कहते कहते विक्की रुक गया था। उसने नाराज़गी के साथ अपने चेहरे को रणविजय के दूसरी तरफ मोड़ लिया था। शायद वह आगे रणविजय से कुछ बात ही नहीं करना चाहता था। उसमान ने विक्की की अधूरी बात को पूरा करते हुए कहा:

उसमान: तो हम लोग आपके साथ काम नहीं कर पाएंगे।

नेरेटर: उसमान की बात से सभी लोग सहमत थे। चैंग और हसमुख ने भी नाराज़गी वाले भाव से अपना सर हाँ में हिला दिया था। इस मिशन को लेकर सभी ने अपनी बात रख दी थी मगर रोज़ी, जो अभी तक खामोश थी। उसने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा:

रोज़ी: तुम लोगों के मन में जो बात आयी वह तुमने बोल दी मगर एक बार बॉस की बात तो सुन लो, जब तक तुम उनकी बात नहीं सुन लेते, तब तक कोई भी फैसला लेना जल्द बाज़ी होगा।

नेरेटर: बात तो रोज़ी ने बिलकुल सही कही थी। किसी भी मसले का हल सिर्फ एक तरफ की बात सुन कर नहीं निकाला जा सकता। सही फैसले के लिए दोनों तरफ की बात सुननी चाहिए। रोज़ी सभी लोगो को रणविजय की बात सुनने के लिए तैयार कर रही थी। उसने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा:

रोज़ी: जिस आदमी ने आप सभी को इकठ्ठा करने के लिए अपनी ताकत के साथ साथ अपने पैसों तक की परवाह नहीं की। उसे एक ही पल में मुजरिम ठहरा दिया। एक दम पराया सा कर दिया।

नैरेटर: रोज़ी की इस बात ने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया था। उनके मन में बार बार यही बात आ रही थी कि जो शख्स उनके लिए हर मोड़ पर खड़ा रहा, वो उनकी जान का दुश्मन कैसे बन सकता था? इस बार कुछ कहने की बारी रणविजय की थी। उसने एक लम्बी सांस छोड़ते हुए बड़े ही आराम से कहा:

रणविजय: तुम सभी लोग मेरे अपने हो। मैं सिर्फ विक्की की ताकत को आज़माना चाहता था और उसकी ताकत को आज़माने के लिए मुझे यही सही रास्ता लगा। अब अगर तुम्हे लगता है मैंने गलत किया तो मैं आगे कुछ नहीं कहूंगा।

नैरेटर: रणविजय ने सभी के सामने अपनी बात रखी और खामोश हो गया। उसकी इस बात ने सभी के दिलों पर उसके लिए जमे मैल को एकदम धो दिया थ। सच्चाई जानने के बाद विक्की का गुस्सा भी थोड़ा कम हो गया। हसमुख ने माहौल को थोड़ा हल्का करने के लिए तुरंत कहा:

हसमुख: मुझे पता था। ये तुम्हारी परीक्षा है और तुम इस परीक्षा में कामयाब हो गए।

नेरेटर: हसमुख ने ये बात विक्की के लिए कही थी। चैंग के चेहरे पर जो negative expression थे वह भी छू मंतर हो गए। उसके चेहरे की मुस्कान बता रही थी कि अब उसकी समझ में सारी बात आ गयी। उसने खुश होते हुए कहा:

चैंग: जिस तरह मैंने railway की site को hack करके उसकी सही location देखी थी। उसी तरह बॉस को तुम्हारी ताकत को परखना था।

नेरेटर: चैंग ने बिलकुल सही बात कही थी। ये बात सभी की समझ में आ गयी थी कि इतने बड़े मिशन के लिए हमें हर तरह से तैयार रहना होगा। रणविजय की नज़र में जैसा उसने विक्की के बारे में सोचा था, वह उससे कहीं ज़्यादा ताकतवर निकला। कुछ समय पहले जो नाराज़गी वाला माहौल था वह अब ख़ुशी में बदल गया था। रोज़ी ने खुश होते हुए कहा:

रोज़ी: अब आप लोगों को सारी बात पता चल गयी है। अब आपका क्या फैसला है?

नेरेटर: सभी ने रोज़ी की बात सुनी मगर अभी तक किसी ने कोई जवाब नहीं दिया था। थोड़ी देर एक दूसरे को देखते रहे। उधर रोज़ी और रणविजय उनके जवाब का इंतज़ार कर रहे थे। एक तरफ सभी के मन की बात जबान पर आने में देरी हो रही थी, वही दूसरी तरफ ध्रुव एक घेरे में था।

वह अपनी नज़रो से अपने चारों तरफ खड़े लोगों को देख रहा था। उन्होंने अपने हाथों में लिए डंडो को ज़मीन पर मारना शुरू कर दिया। (Background में ज़मीन पर डंडे मारने की आवाज़) तभी उस आदमी की आवाज़ आयी:

अब तुम चक्रव्यूह में फंस चुके हो। इस चक्रव्यूह से आज तक कोई निकल नहीं पाया है। अब तुम्हारी लाश ही यहाँ से बाहर जाएगी।

नैरेटर: ध्रुव चुपचाप उनकी बातें सुन रहा था। वह ख़ामोशी के साथ उस चक्रव्यूह से निकलने के बारे में सोचा रहा था। क्या वह इस चक्र व्यूह से बाहर निकल पायेगा? सच्चाई जानने के बाद उधर क्या जवाब होगा सभी लोगों का? क्या वह रणविजय के साथ काम करने से इंकार कर देंगे? जानने के लिए सुनिए अगला एपिसोड।

Continue to next

No reviews available for this chapter.