रणविजय का मकसद किसी को भी नुकसान पहुंचाने का नहीं था। वो तो बस ये देखना चाहता था कि उसकी टीम कितनी सक्षम है। विक्की ने उसके साथियों को मार कर ये साबित कर दिया था कि कितने भी मुश्किल हालात क्यों ना आ जाए, वो मज़बूती से खड़ा रहेगा। 

 

विक्की को मालूम था कि डर के आगे जीत होती है, इसीलिए उसने बड़ी बहादुरी के साथ कमांडोज़ का सामना किया। मगर सभी को बस इस बात का दुख था कि रणविजय ने उन्हें बिना बताए ही उन पर हमला करवा दिया। जब रणविजय ने सभी को सच्चाई बताई तो सभी ने एक फैसला लिया और वो फैसला था रणविजय के साथ काम करने का। 

 

सभी लोगों ने फैसला बहुत ही सोच समझ कर लिया था। ये फैसला किसी ने भी उन पर थोपा नही था। इस फैसले पर मोहर सभी ने अपने निजी तौर पर लगाई थी। उन लोगों के फैसले ने रोज़ी में साथ साथ रणविजय के चेहरे पर भी मुस्कान ला दी थी। रणविजय ने खुश होते हुए कहा: 

 

रणविजय: 

मुझे मालूम था कि आप लोग मेरा साथ देंगे। एक दूसरे की ताकत को आज़माना जरूरी था। वो बात अलग थी कि मुझे उसके लिए दूसरा रास्ता अपनाना चाहिए था। मैं आपके दिल को दुखाना नही चाहता था। 

 

 

 

सभी ने रणविजय की बात पर हामी भरी। रोज़ी जानती थी कि इन सब को एक साथ लाने के लिए रणविजय ने बहुत मेहनत की थी। ये सिर्फ चोरी नही बल्कि रणविजय का सपना था। वो इस चोरी को सही अंजाम देकर दुनिया का सबसे अमीर आदमी बनना चाहता था। तभी हंसमुख की आवाज़ आई, उसने कहा: 

बॉस, ऐसी भी क्या आज़माइश जिसमें हमारी जान ही चली जाए। 

 

हंसमुख की बात से अग्री करते हुए उस्मान भी बोला : जिस जिंदगी को अच्छा बनाने के लिए हम चोरी कर रहे है, अगर वो जिंदगी ही नही रही तो चोरी का फायदा क्या। 

 

 

हंसमुख और उसमान की बात अपनी जगह सही थी। रणविजय ने भी उनकी बात को नकारा नहीं बल्कि खामोशी के साथ सुना। मगर उसके पास खड़ी रोज़ी, वो खामोश नही रही। उसने तुरंत कहा: 

 

“अब जो हो गया उसे याद करके कोई फायदा नही। हमें आगे के बारे में सोचना चाहिए।” 

 

 

रोज़ी की बात बिलकुल सही थी। एक ही बात को पकड़े रहेंगे तो आगे के प्लान के बारे में कैसे सोचेंगे। ये चोरी कोई छोटी मोटी चोरी नही थी, ये दुनिया की सबसे बड़ी होने वाली चोरी थी। अब चोरी बड़ी थी तो प्लान भी बड़ा ही था। ये तो बस शुरुआत थी। 

 

एक दूसरे की ईमानदारी, एक दूसरे की ताकत, एक दूसरे की एकता को परखना ज़रूरी था। रणविजय भी बस वही कर रहा था। इस बार विक्की ने रोज़ी की बात का जवाब देते हुए कहा: 

 

“प्लान के बारे तो बॉस ही बताएंगे। वो ही प्लान के मास्टर माइंड है। वो इसके बारे में सब कुछ जानते है।” 

 

जो बात विक्की ने कही, वही बात सभी के मन में थी। रणविजय ने एक बार फिर अपनी जेब से सिगार जलाने के लिए लाइटर निकाला और अपनी सिगार को जलाया। 

 

रणविजय ने सिगार का एक लंबा कश मारा और थोड़ा आगे बढ़ कर कहा: 

 

रणविजय: 

विक्की ने बिलकुल सही सवाल किया है। मैं चाहता हूं चोरी के प्लान के बारे में सब को सब कुछ पता हो। इस चोरी के प्लान को अच्छे से समझने के लिए मैंने तुम लोगों के लिए खास प्लान किया है।  

 

 

 

रणविजय की इस बात पर चैंग ने तुरंत कहा: 

यानी एक और सरप्राइज़। बॉस अब क्या है वो सरप्राइज़? 

 

एक तरफ सभी के दिल में उस सरप्राइज़ के बारे में जानने की उत्सुकता थी तो वही दूसरी तरफ ध्रुव अर्जुन की तरह उस चक्रव्यूह में फंस गया था जिसके अंदर से निकलने के लिए मौत का सहारा लेना पड़ेगा। 

 

जिस ज़ोर ज़ोर से वो लोग डंडों को ज़मीन पर मार रहे थे, उससे शोर और ज़्यादा तेज़ रहा था। उस शोर के साथ जो उनकी हंसी थी वो माहौल को और डरावना बना रही थी। 

 

इस कंडीशन को देख कर गाड़ी में बैठा बल्ली भी बेचैन हो गया। उसने खुद से बात करते हुए कहा। 

 

बल्ली: 

ध्रुव ने अभी तक इन लोगों को ज़मीन की धूल क्यों नहीं चटाई, कहीं वो कमज़ोर तो नहीं पड़ गया। 

 

 

उस डरावने शोर से बचने के लिए ध्रुव में अपने कानों पर अपने हाथों को रख लिया था। ये देख कर उन लोगों को लगा कि ध्रुव डर गया है। वो ध्रुव को हारा हुआ मान रहे थे। वो और ज़ोर ज़ोर से हंसने लगे। बल्ली ये सब गाड़ी में बैठा हुआ देख रहा था। एक बार फिर उसने खुद से बातें करते हुए कहा: 

 

बल्ली: 

ध्रुव ने अपने कानों पर हाथ क्यों रख लिए, कहीं ये कमज़ोर तो नहीं पड़ रहा। मुझे अब उसकी मदद के लिए जाना होगा। मैं उसे अकेला मरने के लिए नहीं छोड़ सकता। 

 

 

बल्ली का मिज़ाज भले ही जॉली टाइप का था मगर वो ध्रुव का सबसे भरोसेमंद साथी था। वो जानता था कि ध्रुव अकेला ही इन लोगों को मार गिराएगा मगर इस समय कंडीशन उसे थोड़ी उल्टी लग रही थी। उसने गाड़ी से बाहर निकलने के लिए दरवाज़े को खोला। 

 

 

उधर ध्रुव ने अपने कानों के ऊपर से हाथों को हटाया और उन्ही हाथों के इशारे से उन्हें खामोश रहने को कहा। सभी लोग उसके इशारे को समझ गए थे। उन्होंने डंडों को ज़मीन पर मारना बंद कर दिया था। तभी उस आदमी की आवाज़ आई: 

 

आदमी: 

क्यों, फट गई ना। यही तो इन डंडों का खौफ है। अब जल्दी से माफी मांगो और यहां से चले जाओ। 

 

 

 

सभी के शांत होने पर ध्रुव ने अपने दोनों हाथों को जोड़ दिया। उधर बल्ली जो अपने दोस्त की मदद के लिए गाड़ी से उतर गया थे, ध्रुव को उनके सामने हाथ जोड़ा देख चौंक गया था। उसने तुरंत खुद से बात करते हुए कहा: 

 

बल्ली: 

ये ध्रुव कर क्या रहा है?  उससे पहले मैंने ध्रुव को किसी के भी आगे हाथ जोड़े हुए नहीं देखा। है भगवान ये देखने से पहले तूने मुझे अपने पास बुला क्यों नहीं लिया?  

 

 

बल्ली ने ये अपनी आखिरी बात, अपने सर को ऊपर आसमान की तरफ उठाते हुए कही थी। उसे लगा इस बार ध्रुव हार जाएगा मगर ऐसा नहीं हुआ। एक कड़क आवाज़ के साथ ध्रुव ने अपने जोड़े हुए हाथों का मुक्का बनाते हुए कहा: 

 

ध्रुव: 

तुम लोग सोच रहे हो कि मैं तुमसे माफी मांगूगा। गलत सोच रहे हो। ये जो मुक्का देख रहे हो, ये मैने तुम्हारे लिए ही बनाया है। जब तुम्हे ये पड़ेगा, तब मेरी ताकत का अंदाज़ा होगा। 

 

 

ध्रुव की इस बात ने उन सभी को चौंका दिया था। जैसे वो सोच रहे थे वैसे कुछ नहीं हो रहा था। ध्रुव की बातों ने उन सभी को बहुत ज़्यादा गुस्सा दिला दिया था। ध्रुव ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा: 

 

ध्रुव: 

वैसे तो डर के आगे जीत होती है मगर जब मैं मारता हूं तो सिर्फ डर ही डर होता है। इसके आगे जीत नहीं बल्कि मौत होती है। 

 

 

ध्रुव निहत्था था मगर उसकी बातें बड़ी बहादुरी वाली थी। वो उन लोगों के सामने थोड़ी एक्टिंग कर रहा था। वो लोग समझ गए थे कि अब समय आ गया है ध्रुव पर हमला करने का। ध्रुव ने अपने मन की बात को ज़बान पर लाते हुए कहा: 

 

ध्रुव: 

किसी ने सच ही कहा है, जब गीदड़ की मौत आती है तो वो शेर के सामने आ जाता है। 

 

 

ध्रुव ने खुद को शेर बताते हुए ये बात कही थी। सभी लोगों ने अपने बीच में खड़े ध्रुव पर हमला करने के लिए डंडों को ऊपर उठा लिया था। ध्रुव ने फुर्ती दिखाई और कुछ दूरी पर पड़े उन्ही के साथियों के डंडे को उठा लिया। 

 

बस फिर क्या था। ध्रुव ने उस डंडे को इस तेज़ी से गोल घुमाया कि किसी को भी ध्रुव पर हमला करने का मौका नहीं मिला। डंडे पड़ने के साथ जो आवाज़ें थीं वो बड़ी दर्दनाक थीं । 

 

 

जिस ज़ोर से ध्रुव ने उन लोगों के डंडा मारा था, किसी ना किसी की पसली तो ज़रूर टूटी होगी। डंडा लगने से जितना दर्द उन लोगों को हो रहा था, उतनी ही खुशी बल्ली को भी हो रही थी। जब उसने ध्रुव की ताकत को देखा तो अपने कदमों को जहां थे वहीं रोक लिया । वापस गाड़ी की तरफ आते हुए बल्ली ने कहा: 

 

बल्ली: 

इस लड़ाई को देखने में जितना मज़ा गाड़ी के अंदर से आएगा, बाहर से नहीं । पास जाने में खतरा भी है। खतरों से ध्रुव को ही निपटने दो।  

 

 

अपनी बात को कह कर उसने गाड़ी का दरवाज़ा खोला और उसमें बैठ गया। बल्ली गाड़ी में इस सुकून से बैठा जैसे कुछ हुआ ही ना हो। उधर ध्रुव अपनी जगह वैसे ही मज़बूती से खड़ा था जैसे उन लोगों को पीटने से पहले। 

 

उस आदमी को ध्रुव के इस हमले पर बहुत गुस्सा आया। इस बार उसने खुद ध्रुव पर हमला करने का विचार बनाया मगर वो सही समय का इंतजार कर रहा था। 

 

इतने ज़ोरदार डंडे लगने पर भी कुछ लोग फिर उठ गए थे। ध्रुव उनका सामना करने  में बिज़ी था कि अचानक किसी ने ध्रुव के पीछे आकर डंडे से वार कर दिया। ये वार किसी और ने नहीं बल्कि उस आदमी ने ही किया था जो ध्रुव पर हमला करने का मौका ढूंढ रहा था। 

 

डंडा ध्रुव की कमर पर लगा था मगर आवाज़ बल्ली की निकली। इससे पहले वो आदमी ध्रुव पर दूसरा वार करता, ध्रुव ने अपने एक हाथ से उस डंडे को पकड़ते हुए कहा: 

 

ध्रुव: 

हमला करना है तो मर्दों को तरह सामने से आकर करो..  

 

 

 

ध्रुव ने उस आदमी के इतनी ज़ोर से लात मारी कि बहुत दूर जाकर गिरा। . उस आदमी के हमले से ध्रुव को और ज़्यादा गुस्सा आने लगा था। गुस्से से उसकी आंखें लाल हो गई थी। उसी गुस्से में ध्रुव ने उन लोगों को चुन चुन कर मारा और सभी की हालत खराब कर दी । उस आदमी को तो ऐसा मारा कि दोबारा उसकी उठने की हिम्मत ही नहीं हुई। तभी बल्ली ने खुद से बात करते हुए कहा: 

 

बल्ली: 

ध्रुव को इस आदमी को तो जान से मार देना चाहिए। साला पीछे से हमला करता है। 

 

 

जिस तरह उस आदमी ने ध्रुव पर धोखे से वार किया था, उसका मन हो रहा था कि जान से मार दे मगर तभी कुछ गोलियों के चलने की आवाज़ें आने लगी।  

 

उन आवाज़ों के आने पर ध्रुव जहां था, वहीं पर रुक गया। उन गोलियों की आवाज़ के साथ साथ कुछ गाड़ियां भी वहां आ गई थी।  

 

एक के बाद के गाड़ी के आने पर ध्रुव के साथ साथ बल्ली भी चौंक गया था। थोड़ी देर तक तो उनकी समझ में आया ही नहीं कि ये सब क्या हो रहा है। इस बार ध्रुव ने खुद से बात करते हुए कहा: 

 

ध्रुव: 

लगता है इनके और भी साथी आ गए।  

 

 

यही बात बल्ली की ज़बान पर भी थी। ऐसी कंडीशन में बल्ली का गाड़ी के अंदर बैठना ठीक नहीं था। वो तुरंत गाड़ी से निकला और ध्रुव के पास चला गया। उसने ध्रुव के पास आकर कहा: 

 

बल्ली: 

भाई, तू बिलकुल भी चिंता ना कर, मैं तेरे साथ हूं। हम दोनों एक साथ मिल कर लड़ेंगें। दोनों की नज़र गाड़ियों पर थी। उन गाड़ियों ने ध्रुव और बल्ली को चारों तरफ से घेर लिया था। उस समय दोनों की समझ में कुछ नहीं आ रहा था। 

 

जिस तरह उन गाड़ियों में से ब्लैक कलर के कपड़े पहने लोग निकले, उन्हें देख कर दोनों थोड़ा टेंशन में आ गए । उन सभी के हाथों में गंस थी। क्या ध्रुव और बल्ली के सामने उनकी मौत खड़ी थी? दूसरी तरफ रणविजय इस बार अपने सभी साथियों को क्या सरप्राइज़ देने वाला था? जानने के लिए इस कहानी का अगला एपिसोड पढ़ना ना भूले। 

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