मिस्र से लेकर यूनान तक की सभ्यताओं ने जब अपने पैरों पर चलना भी शुरू नहीं किया था, उससे पहले से ही हमारी भारतीय वैदिक ज्ञान पद्धति, अंतरिक्ष विज्ञान और ज्योतिष शास्त्र के जरिए मानवता को नई दिशा दिखा रही है। ज्योतिषी कोई जादू नहीं बल्कि विज्ञान है और जो कोई भी इस विज्ञान को समझ गया, वो पूरी दुनिया को अपने आगे झुका सकता है।” 

अपने बेटे चिंतामणि को ज्योतिष का ज्ञान दे रहा नारायण आप्टे अभी आगे कुछ बोलता, तभी उसकी पत्नी राधिका की नजर उसके ऊपर पड़ी।

राधिका से नजरें टकराते ही नारायण समझ गया, वो गुस्से में है और अगले ही पल राधिका का गुस्सा फट पड़ा। “वाह पंडितजी, घर में खाने को दाना नहीं है और ज्योतिष सीखा कर बेटे को संसार जीतने की राह पर भेज रहे हो। अरे खुद तो बताओ, इस ज्योतिष ने तुम्हें दिया क्या है.?

 

मुंबई के कांदिवली में अपनी पत्नी राधिका और बेटे चिंतामणि एवं बेटी आभा के साथ रहने वाले नारायण के लिए पत्नी के ताने कोई नई बात नहीं थे। इसलिए उसने भी माहौल को हल्का करने के लिए मुस्कुराते हुए कहा, “अरे भाग्यवान जरा धीरज रखो। एक दिन हमारे भी कुंडली के सितारे चमकेंगे और फिर उसकी रोशनी में चमकता हुआ हमारा नाम भी पूरा शहर देखेगा।”

अपनी पत्नी को ये समझाते हुए नारायण फिर से अपना पंचाग देखने लगा लेकिन, आज राधिका भी उसे छोड़ने के मूड में नहीं थी। 

“मैंने अपने जीवन के बीस साल ये सब सुनकर बिता दिए, लेकिन पता नहीं तुम्हारी किस्मत की रेखा कब चमकेगी। मेरी बात कान खोलकर सुन लो, अगर आज घर में राशन नहीं आया, तो घर में कदम मत रखना।”

अपनी पत्नी की धमकी को सुनता हुआ नारायण अभी भी अपनी भाग्यरेखाओं को ही देख रहा था, क्योंकि उस का हर काम पंचाग और ग्रहों की चाल पर आधारित होता और शुभ मुहूर्त होने पर ही वो बाहर निकलता। 

तभी राधिका ने उससे वो पंचाग छीन लिया और गुस्से में कहा, “पंडितजी हम कह दे रहे हैं, बहुत बुरा हो जाएगा। आज मुहूर्त और ग्रह की परवाह किए बिना आपको बाहर जाना होगा और राशन लाना ही होगा। अरे चिंतामणि तो जैसे तैसे कॉलेज पहुँच गया, लेकिन अपनी बेटी आभा का कभी सोचा है। उसे हम कैसे पढ़ाएंगे? कुछ सालों के बाद उसकी शादी भी करनी होगी।”

 

पत्नी की कहीं बातें नारायण के मन पर पहाड़ सी प्रतीत हो रही थी, इसलिए वो चुपचाप बाहर निकल गया। नारायण वैसे तो खुद को ज्योतिष का बहुत बड़ा तोप समझता था और उसका काम भी सही चल रहा था, लेकिन अब बाजार में नए और सस्ते राशिफल बताने वाले ऐप्स के आने के बाद लोगों ने नारायण के पास आना कम कर दिया था। 

सड़क के किनारे चलते हुए नारायण का मन भी अभी यही सोचकर बेचैन था, “राधिका ने बिना शुभ मुहूर्त और शुभ दिशा को देखे मुझे बाहर भेज दिया। पता नहीं, आज कोई जजमान मिलेगा भी या नहीं?”

यही सोचते हुए नारायण शहर के सबसे बड़े मंदिर के बाहर बने अपने छोटे से केबिन में जाकर बैठ गया। मंदिर में धीरे धीरे लोग आ रहे थे और भगवान का आशीर्वाद लेकर जा रहे थे, लेकिन नारायण के पास अभी तक कोई नहीं आया था।

 

थोड़ी देर इंतजार करने के बाद आखिरकार भगवान ने उसकी सुनी और एक बीस बाइस साल के लड़का और लड़की ने नारायण के पास आते हुए कहा, “बाबा, हमें अपना भविष्य जानना है। आप बताइए, हम पूरी जिंदगी साथ तो रहेंगे न?”

लड़के के इस सवाल को सुनकर लड़की शर्मा गई और ये देखकर नारायण ने भी मुस्कुराते हुए कहा, “आप लोगों की जोड़ी कितनी प्यारी है, किसी की नजर ना लगे। अब आप लोग अपना हाथ दिखाइए।”

नारायण की बातों को सुनकर उस लड़के और लड़की ने अपने हाथ बढ़ा दिए और नारायण भी उनके हाथों की लकीरों के बीच उनके साथ रहने की संभावना तलाशने लगा। लेकिन, थोड़े ही देर में नारायण के चेहरे की मुस्कुराहट गायब हो चुकी थी।

उसने लड़की की तरफ देखते हुए कहा, “अपनी लाइफ बचा लो बेटी। इसने तुम्हारे जैसी कई लड़कियों का जीवन प्यार में फंसा कर तबाह किया है और ये तुम्हारी लाइफ भी बर्बाद कर देगा। तुम इसके साथ रहने के बारे में सपने में भी मत सोचना बेटी।”

नारायण की इन बातों को सुनकर लड़की सन्न रह गई, तभी लड़के ने गुस्से में तमतमाते हुए कहा, “अबे बुड्ढे तू ये क्या बोल रहा है?”

उस लड़के की इस बदतमीजी को देख नारायण के चेहरे का भी रंग बदलने लगा। तभी उस लड़के ने लड़की की तरफ देखते हुए कहा, “बेबी, तुम्हें याद है न, उस ऑनलाइन ऐप वाले ने क्या प्रेडिक्ट किया था। उसने तो कहा था, हमारा साथ जन्मों जन्म का है। वैसे भी इस बाबा के पास कौन आता है, जबकि वो ऐप्स वाले तो इतना सही फ्यूचर बताते हैं, जो बड़े बड़े सुपरस्टार भी उनका प्रचार करते हैं।”

इतना कहकर वो लड़का नारायण को घूरते हुए वहां से उस लड़की को लेकर चला गया। इस हंगामे के बीच वहाँ लोगों की भीड़ लग चुकी थी और मंदिर के मुख्य पुजारी महंत आत्माराम भी वहां पहुँच चुके थे।

लोगों की भीड़ को वहां से हटाते हुए आत्माराम, नारायण को उसके केबिन के अंदर ले गए और उसे समझाते हुए कहा, “ये तुम क्या करते हो नारायण। सुबह सुबह तुमने इतनी बहस भी कर ली और एक पैसे की बोहनी भी नहीं हुई।”

“तो मैं क्या करता पंडितजी…उस लड़की की जिंदगी वो लड़का बर्बाद कर देगा, ये देखते हुए भी मैं झूठ बोल देता.?” आत्माराम को जवाब देता हुआ नारायण इस वक्त बेहद निराश था।

ये देख आत्माराम ने एक पानी का ग्लास नारायण की ओर बढ़ाया और उससे कहा, “देखो नारायण, जब लोग कुंडली दिखाने आते हैं न, तो वो कुछ पॉजिटिव सुनने की उम्मीद लेकर आते हैं। ऊपर से ये बीस बाइस साल के लड़के लड़कियां, तो और भी पॉजिटिव चीजें ही सुनना चाहते हैं।”

महंत की बातों को सुन नारायण ने भी अपनी दुविधा उनसे बताते हुए कहा, “मैं झूठ तो नहीं बोल सकता न पंडितजी और ऊपर से वो इस लड़की के फ्यूचर का सवाल था।”

नारायण का जवाब सुन आत्माराम वहां से जाने लगे और वो जाते जाते बोले, “नारायण, मैं तुम्हें झूठ बोलने नहीं कह रहा। तुम्हें तो बस उन्हें पॉजिटिव चीजें बतानी थी और नेगेटिव बातों को छिपा लेना था। ज्योतिषी में लोग ऐसे ही पैसा कमाते हैं नारायण।”

आत्माराम की बातों को सुनकर नारायण चुप था और फिर से वो किसी जजमान के आने का इंतजार करने लगा। लेकिन, आज के हंगामे के बाद उसकी दुकान पर अब कोई भी आने से कतरा रहा था और शाम होते होते भी नारायण को कोई दूसरा जजमान नहीं मिला। 

“आज का दिन ही खराब था। अब घर चलो नारायण और बीवी की कड़वी बातें सुनने के लिए तैयार हो जाओ।” यही सोचते हुए वो घर जाने के लिए निकल गया।

 

नारायण के पास इस वक्त खाने के भी पैसे नहीं थे, इसलिए पैसे बचाने के लिए वो कांदिवली की गलियों से होते हुए पैदल ही घर जाने लगा। इन अंधेरी गलियों से नारायण का रोज का आना जाना था और उसे इसकी आदत थी। लेकिन, आज नारायण को इन गलियों का अंधेरा कुछ ज्यादा ही घना लग रहा था।

“आज तो ऐसा लग रहा है, जैसे इस गली के सब लोग अपना घर छोड़कर ही चले गए हैं। आखिर यहां इतना अंधेरा क्यों है? यही सोचते हुए नारायण आगे कदम बढ़ा रहा था, तभी उसे लगा जैसे उसके पीछे से प्रकाश की किरणें अचानक ही जगमगा उठी। ये एहसास होते ही नारायण पीछे मुड़ा, लेकिन वहां कोई नहीं था।

“मुझे ही कोई भ्रम हो रहा है। छोड़ नारायण ये सब अब जल्दी घर चल, वरना राधिका और भी भड़केगी।” राधिका का ख्याल आते ही नारायण के कदम और भी तेजी से आगे बढ़ने लगे और थोड़े ही देर में वो अपने घर के भीतर खड़ा था।

 

नारायण को देख उसकी बेटी आभा पानी का ग्लास देने के लिए उठी, लेकिन राधिका ने उसे रोक लिया और खुद नारायण की तरफ बढ़ते हुए उससे बोली, “आ गए पंडितजी। वैसे राशन की थैली कहां है?”

पत्नी के सवालों को सुन नारायण ने घबराते हुए कहा, “वो भाग्यवान, आज कोई भी जजमान नहीं मिला। इसलिए पैसे भी नहीं मिले और राशन भी नहीं आ पाया।”

नारायण से इतना सुनते ही राधिका भड़क उठी, “जजमान नहीं मिला या जो मिला उससे आपने लड़कर भगा दिया। अरे चिंतामणि का दोस्त भी उस वक्त मंदिर में ही था और उसने हमें बताया है कि वहाँ क्या हुआ। वैसे आप अब ये बताइए कि घर में खाना कहां से बनेगा.?”

पत्नी की कहीं बातें नारायण के सीने में खंजर की तरह चुभ रही थी, लेकिन वो चुप था। तभी उसके बेटे ने आगे आते हुए कहा, “बाबा, अब ऑनलाइन एस्ट्रोलॉजी का ही मार्केट है और वहाँ एस्ट्रोलॉजर को नौकरी की तरह हर महीने पैसे भी मिलते है। आपको भी उन्हीं के साथ रजिस्टर करवा लेना चाहिए।”

बेटे की बातों को सुन नारायण ने उसे साफ मना कर दिया, “मैं ये नहीं करूंगा चिंतामणि। अपने पूर्वजों से हमें ये ज्ञान इस तरह बाजार में बेचने के लिए नहीं मिला है।”

नारायण की इन बातों को सुन राधिका फिर से भड़क उठी, “अरे बाजार में नहीं बेचने को मिला है, तो ऐसे ज्ञान का क्या फायदा, जिससे घर भी नहीं चलता। चिंतामणि सही कह रहा है और आज उसने इस ऐप पर खुद की आईडी बनाकर हजार रुपये भी कमाए हैं।”

अपनी पत्नी की इन बातों को सुन नारायण भी चिंतामणि पर भड़क उठा, “ये तुमने क्या किया चिंतामणि। क्या मैंने तुम्हें ज्योतिष का ज्ञान इसलिए दिया था?”

नारायण अभी चिंतामणि को आगे कुछ कहता, तभी राधिका बीच में आ गई, “खबरदार, जो तुमने चिंतामणि को कुछ भी कहा। आज उसी की वजह से हमारे घर में राशन आया है, वरना हम सब आज भूखे सोते। अब जाओ और हाथ मुँह धोकर खाने के लिए आ जाओ।”

अपनी पत्नी के इस रवैये को देख नारायण की आगे कुछ बोलने की हिम्मत नहीं हुई और उसकी भूख भी मर गई। इसलिए हाथ मुँह धोकर नारायण सीधे अपने कमरे में चला गया।

“इन लोगों ने ज्योतिष को धंधा बना दिया है। अरे ज्योतिष हमें जीवन की राह दिखाता है और इसके बदले जजमान ने खुशी खुशी जो दे दिया, वो हम रख लेते हैं। लेकिन, इनके लिए तो ये लोगों को बेवकूफ बनाने और उनसे वसूली करने का धंधा बन गया है।” अपना गुस्सा नारायण पत्नी के सामने तो नहीं उतार सका, इसलिए अब वो अकेले में खुद से ही बातें कर रहा था।

 

ये रात नारायण के लिए कुछ ज्यादा ही काली थी। करवट बदलते बदलते नींद ने कब उसकी आँखों को छुआ, ये नारायण को पता भी नहीं चला। 

अगली सुबह जब उसकी आंखें खुली, तो उसके मन में एक ख्याल आया, “सब लोग अभी सो रहे होंगे और राधिका जागते ही मुझे बाहर भेजेगी। एक काम करता हूँ, अभी ही अपना आज का राशिफल और दिशा-शूल देख लेता हूँ, ताकि ये तो पता चले, आज मेरे लिए कौन सी दिशा में जाना शुभ रहेगा।”

ये फैसला कर नारायण ने अपना पंचाग खोल लिया और अपनी किस्मत के सितारों की गणना करने लगा। अपने सितारों की गणना करते हुए जैसे जैसे नारायण की उंगलियां चल रही थी, उसके चेहरे की मुस्कुराहट वैसे वैसे बढ़ते जा रही थी। 

“बृहस्पति पहले घर में, शुक्र पहले घर में और चंद्रमा  केंद्र में, साथ ही गुरु और चंद्र का गजकेशरी योग भी बन रहा है। हे भगवान, इतना शुभ योग तो मेरे पूरे जीवन में आजतक कभी भी नहीं बना था। इस योग में आज अगर मैंने सही दिशा में यात्रा कर ली, तो मुझे आज लाभ ही लाभ होगा।”

अपने सितारों की बुलंदी देख नारायण की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था और जब उसने अपना दिशा-शूल देखा, तो उसके लिए दक्षिण की दिशा आज शुभ थी, “दक्षिण की दिशा आज शुभ है, यानी मैं अभी कांदिवली में हूँ और मुझे आज दक्षिण की ओर जाना होगा। नारायण हो न हो, ये सब इशारे तुझे आज दादर वाले उस मंदिर तक भेजना चाहते हैं।”

ये सोचकर नारायण जल्दी जल्दी उठकर तैयार होने लगा। लेकिन अपने पति को इस तरह तैयार होकर बाहर जाते देख राधिका से रहा नहीं गया और उसने नारायण को रोकते हुए कहा, “क्या हुआ पंडितजी, आज इतनी सुबह सुबह कहां चल दिये.?”

पत्नी के सवालों को सुन नारायण ने उससे मुस्कुराते हुए कहा, “मेरी किस्मत के सोए सितारे जाग गए हैं राधिका। अब बस थोड़ा इंतजार और कर लो, फिर हम सबका जीवन आज से बदलने वाला है।”

 

अपनी पत्नी को खुशी खुशी ये सब बताकर नारायण तुरंत वहां से निकल गया और थोड़े ही देर में वो दादर जाने वाली ट्रेन में सवार हो गया, “देखा नारायण, आज का दिन कितना शुभ है, जो इतनी भीड़ में भी तुझे सीट मिल गई। अरे मुंबई लोकल में सीट हासिल कर के आधी जंग तो तू ऐसे ही जीत गया।”

अपनी सीट पर बैठकर मंद मंद मुस्कुराता नारायण अपने किस्मत के ऊपर गर्व कर ही रहा था, तभी अचानक उसे लगा जैसे उसके पीछे कल रात वाली ही तेज रोशनी चमकी हो। ये एहसास होते ही नारायण पीछे मुड़ा, लेकिन वहाँ कुछ नहीं था। नारायण अभी खुद को संभालता, ठीक तभी उसे एक जोर के धमाके की आवाज सुनाई दी। अगले ही पल नारायण की आंखों के सामने बैठे लोग वहां हुए एक विस्फोट के बाद आग के गोलों में बदल गए और उस बोगी में चीख पुकार मच गई। इस विस्फोट के बाद नारायण की धड़कने भी तेज हो गई थी और उसकी आंखों के सामने भी अंधेरा छाने लगा।

 

आखिर कुंडलि के सितारों में सर्वश्रेष्ठ योग बनने के बाद भी नारायण के साथ क्यों हुआ ऐसा?

क्या इस हादसे में वो गवां देगा अपनी जान.?

ये हादसा कैसे बदलेगा नारायण की ज़िन्दगी? 

जानने के लिए पढ़ते रहिए… 'स्टार्स ऑफ़ फेट'!

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