हम इंसान भी कितने अतरंगी किस्म के होते हैं. अपनी लाइफ को पटरी पर लाने के लिए एक से एक तरीकों की इजाद करते हैं. अगर लाइफ पटरी पर न हो तो मूल वजह को छोड़कर एक से एक वजह सोचते हैं. और उन वजहों को खत्म करने के लिए एक से एक उपाय सोचते हैं. बहाने गढ़ते हैं, शिकायते गढ़ते हैं और दोषी खोजते हैं. कि इस वजह से हमारा काम नहीं होता या हमारी गाड़ी पटरी पर नहीं आती.लेकिन हुजूर, सारा मसला गाड़ी पटरी पर लाने का होता है. गाड़ी पटरी पर तब तक नहीं आती जबतक लोको पायलेट ट्रेंड न हो. अब हमारे चुन्नी को ही ले लीजिये. बेचारा कोशिश तो बहुत करता है कि उसकी गाडी पटरी पर आ जाए लेकिन ऐसा होता ही नहीं. और अगर कभी कभी ऐसा लगता ही है कि गाड़ी पटरी पर आ ही गई, तबतक पता चलता है कि गाड़ी जल्द ही पटरी से उतर जायेगी.
अब देखिये रामकृपा की चालाकी. उसने अपने चुन्नी के दिमाग में राहू नामक ग्रह की बात डाल दी है. और वो भी ऐसा ग्रह जो अच्छे अच्छे मालदारों को कंगाल कर देता है, कहीं का नहीं छोड़ता है. क्या सेहत और क्या संपत्ति, हर चीज का दिवाला निकाल देता है. और अब आलम ये है कि अपना चुन्नी हर बात छोड़कर अब इस राहू के बारे में सोचने लगा है कि किसी न किसी तरह इस राहू को अपने सिर से हटा ही लेना है तभी उसका घर बन पायेगा नहीं तो कभी उसका सपना पूरा होगा ही नहीं. इन सब फिकरों में अपना प्रतापी काफी परेशान था उधर एक दिन फिर सुबह सुबह रामकृपा पंडित उसे मिल जाते हैं. मिलते ही वो लंबा सा टीका प्रतापी को लगा देते हैं. प्रतापी थोड़ा बिगड़ सा जाता है.
लेकिन तभी रामकृपा राहू से बचो राहू से बचो बोलने लगता है और चुन्नी को अचानक ध्यान आता है कि उसपर तो राहू का दोष है जिसके चलते उसका काम नहीं बन पा रहा है. सारा गुस्सा भूलकर वो बड़ी ही विनम्रता से पंडित रामकृपा को नमस्ते करता है और उसके हाथ को अपने हाथ में पकडे पकडे पूछता है कि महाराज, आप तो सब कुछ जानते ही हैं, आपके सिवा कौन ही इस संसार में ऐसा है जो मुझे इस संकट से निकाल सकता है. कुछ तो उपाय बताइए न महाराज. हालाँकि जब ये बातें चुन्नी रामकृपा से कह रहा होता है तब उसके दिमाग में जूतेश्वर बाबा की छवि भी साक्षात बन रही थी, वो तो अंतरयामी हैं, कहीं उन्होंने अंतरध्यान होकर ये देख लिया कि उनके रहते चुन्नी किसी और से अपने संकट के निवारण की बात पूछ रहा है तो फिर जूतेश्वर बाबा के जूतों का कहर भी झेलना पड़ सकता है. ये सब मन में सोचकर उसने तुरंत अपने गले में पहने जूते के फीते को छूकर मन ही मन जूतेश्वर बाबा से क्षमा मांगी और रामकृपा से दुबारा इसका उपाय पूछा.
रामकृपा भी कम चालाक थोड़ी था. जब चुन्नी फीते को छूकर आँख बंद किया तभी वो समझ गया कि यहाँ किसी और का ही राशन पानी चल रहा है. ये सब तीन पांच समझने की कोशिश करते हुए उसने बिना देरी किये हुए कहा कि देखिये प्रतापी जी. यह संसार माया से भरा हुआ है. माया ही इस संसार को चला रही है. माया के चक्कर में ही फंसकर हर इंसान अपना बुरा भला करता है. अब आप ही बताओ अगर आपने घर का सपना नहीं देखा होता तो क्या आज आपको इतनी चिंता झेलनी पड़ती. भैया हमारे गुरु कह गए हैं कि चिंता और चिता में केवल एक बिंदी का फर्क होता है. अत्यधिक चिंता ही इंसान को चिता के रास्ते ले जाती है. फिर आज के जमाने का कहना ही क्या? रोज़ नए नए बाबा, नए नए तांत्रिक सीधी सादी जनता को ठगने के लिए उठ खड़े होते हैं.भोले भाले इंसानों को बहकाना ही जिनका पेशा हो, उनकी क्या ही बात कहूँ लेकिन एक बात आप जान लीजिये, मुझमें और उनमें जमीन आसमान का अंतर है. हम पहले काम होने देते हैं. काम पूरा होने के बाद ही हम दान पुण्य लेते हैं. आज कल के चलताऊ ढोंगियों की तरह हम कोई काम नहीं करते.
रामकृपा अपनी बात प्रतापी को समझा ही रहा था कि पास में ही पटरी के कोने में लेटे हुए अजगर ने कहा कि नहीं नहीं, एकदम नहीं, आप कोई चलताऊ ढोंगी नहीं, नो नो नेवर, यू आर वेरी ट्रेंड ढोंगी बाबा जी. अजगर ने जिस अंदाज में ये बात कही थी, रामकृपा को बुरी लगी. रामकृपा ने मन ही मन में सोचा कि ससुरे तुझसे तो बाद में निपटूंगा. पहले इस प्रतापी को बोतल में उतार लूँ.
उधर रामकृपा की बातें सुनकर एक बार तो अपना प्रतापी भी डगमगा गया. उसे समझ ही नहीं आया कि रामकृपा ने ये जो लम्बा चौड़ा प्रवचन दिया है, उसमें उपाय जैसी कौन सी बात थी? उसने एकबार फिर से पूछा लेकिन महाराज, लगता है आप मेरी प्रतीक्षा ले रहे हैं. मुझ बेचारे निर्धन गरीब दुखिया के कष्ट का निवारण बताइए, आपकी ये बड़ी बड़ी बातें मेरे पल्ले नहीं पड़ती हैं.
रामकृपा ने कहा कि अच्छा अच्छा ठीक है, अगर तुम्हारी यही इच्छा है तो ध्यान से सुनो और कान खोलकर सुन लो कि अगर तुमने इस बात को किसी से भी बताया तो सोच लेना मुझसे बुरा तुम्हारा काल कोई नहीं होगा. फिर ये राहू क्या, खुद मैं, पर्सनली तुम्हारी कुंडली बिगाड़ने का जिम्मा ले लूँगा.
चुन्नी ने घबराते हुए कहा कि महराज आप एकदम निश्चिन्त रहें और उपाय बताएं.
तब रामकृपा ने उसके कान में कुछ फुसफुसाया जिसे सुनकर चुन्नी की बांछें खिल गयी और उपाय सुनते ही चुन्नी ने कहा कि यह तो मेरे बाएं हाथ का खेल है. आप बताइए, इस उपाय पर कब से काम शुरू करूँ.
तब प्रतापी ने किसी सिद्ध योगी की मुद्रा बनाते हुए कहा कि प्रतापी, तेरी ये अधीरता ही तुझे काम में धकेले दे रही है. तेरी ये चंचलता तुझे कहीं का नहीं छोड़ेगी. संभल जा. मैंने जो उपाय बताया है वो सुनने में आसान है लेकिन करने में बहुत ही कठिन है. पहले अपने आप को उस उपाय के लायक बनाओ. फिर आना मेरे पास. इतना कहकर रामकृपा वहां से जाने लगा तबतक पीछे से चुन्नी ने आवाज़ लगाई कि महाराज आज की चाय तो मुझे पिलाने का मौका देते.लेकिन रामकृपा ने उसकी बात पर एकदम ध्यान नहीं दिया और वो आगे बढ़ गया.
इधर झूमते झामते चुन्नी मोची के पास आ गया. मोची एक बहुत ही अतरंगी किस्म के जूते को ठीक करने पर लगा हुआ था. ऐसा जूता जिसमें एक तो कीलें बहुत सारी थीं दूसरे उसमें रंग इतने ज्यादा थे कि उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि कौन से रंग का टुकड़ा लगाकर वो जूता ठीक करे. बात अभी इतनी भर नहीं थी. बात इसके आगे भी थी, और वो ये कि जूते के मालिक ने उसे हिदायत दी थी कि जब वो आये तो जूता एकदम ठीक होना चाहिए और ऊपर से पालिश जबरदस्त होना चाहिए. अब मोची यही गणित लगाने में व्यस्त था कि ससुर इस रंग बिरंगे जूते को आखिर कौन से रंग से पालिश करे? मोची को अपने काम में इतना डूबे हुए देखकर चुन्नी ने छेड़ते हुए कहा, क्या उस्ताद कहाँ से टपा लिए इतना महंगा जूता?
अब मोची तो वैसे ही झुंझलाया हुआ था, छुटते ही जवाब दिया, आपके गोंडा वाले असल बाप से.
चुन्नी को काटो तो खून नहीं. चुन्नी को लगा कि मोची को ये कैसे पता है कि मैं गोंडा से भागकर आया हूँ और मेरा बाप गोंडा में ही रहता है. कहीं कभी परी पीकर, या गांजा पीकर उसने सब कुछ नशे में मोची से बक तो नहीं दिया है न. अगर ऐसा है तब तो बहुत बुरा किया है उसने. चुन्नी ये सब सोच ही रहा था कि मोची ने उसे टोका कि क्या बे सही में तेरे बाप की जूते की कंपनी है क्या गोंडा में?
बात का लहजा तुरंत भांपकर चुन्नी समझ गया कि नहीं नहीं, इसके मुंह पर यूं ही गोंडा का नाम आया था. इसे मेरे बारे में कुछ नहीं पता है. और मेरे बाप के बारे में तो एकदम नहीं पता वरना ये मुझे मिस चड्ढा के यहाँ से कबका निकलवा चुका होता. फिर एकबार को चुन्नी के ध्यान में आया कि आखिर इसी मोची के शरीर में रह रह कर जूतेश्वर बाबा प्रवेश करते हैं. उन्हें तो सब पता है मेरे बारे में कहीं मोची के मुंह से उन्होंने ही तो नहीं कुछ बक दिया.
चुन्नी को बुदुर बुदुर बुदबुदाते देखकर मोची ने हाथ के जूते को चुन्नी पर फेंकते पर हुए कहा कि कमबख्त यहाँ तेरा अराध्य श्री श्री जूतेश्वर एक गांजे को तरस रहा है और वहां तू दिन में सपने देखने में लगा हुआ है. आखिर क्या चाहता है? मैं इस मोची के शरीर को छोडकर तेरे शरीर में आ जाऊं? यू ब्लडी फूल?
इतना सुनते तो प्रतापी को एकदम यकीन हो गया कि जूतेश्वर बाबा आ गए हैं. उनके सिवाय और कौन जानता है कि मैं गोंडा का हूँ. प्रतापी तुरंत मोची के पैरों पर गिर गया. बाबा बाबा क्षमा, क्षमा बाबा. अभी गांजा तैयार कर देता हूँ बाबा. गलती हो गयी. आप तो जानते ही हैं कि ये राहू के चक्कर में आजकल दिमाग बहुत डिस्टर्ब रहने लगा है. आपसे उस दिन उपाय पूछा भी था लेकिन आप उस दिन इतने क्रोध में थे कि सिवाय जूता मारने के आपने कोई उपाय नहीं बताया, अब जब इस संसार में भगवान् ही अपने भगत के सर से हाथ उठा ले तब फिर कौन उसका सहारा होगा बाबा? कौन सहारा होगा?
मोची को चुन्नी की हालत पर दया आई. उसने चुन्नी को पास बुलाया और बोला बेटा, हम तेरी भक्ति से प्रसन्न हैं. ये मोची जिसके शरीर में हम तेरे लिए चले आते हैं, ये आदमी अच्छा है लेकिन कभी कभी ऐसे ऐसे कस्ट से मरने वाले कस्टमर इस्कू मिल जाते हैं न कि बेचारे का फोकस बिगड़ जाता है. लेकिन तेरे कू घबराने का नई. मेरे होते ये राहू फाहू तेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते. बस तुझे एक बात का ख्याल रखना है आज जो उपाय मैं तुझे बताने जा रहा हूँ उसका एकदम ध्यान से पालन करना है वरना राहू छोडो मैं ही तेरा काल बन जाऊँगा. हर किसी को नहीं बताता मैं ये सब. अगर उपाय का पालन कर सकते हो तो अभी बता दो, बाद में पलटना नहीं है.
चुन्नी ने हाथ जोड़ते हुए कहा कि महाराज भव सागर में फंसा हूँ. अब तो आप ही पार निकाल सकते हैं. आप जो भी उपाय मुझे बतायेंगे उसका पालन मैं जरूर करूँगा.
तब मोची ने उसके कान में जो कहा उसे सुनकर चुन्नी के चहरे पर मुस्कान छा गयी. उसने तुरंत कहा, बस बाबा? इतनी सी बात? बताइए कब करना है? ये तो मेरे बाएं हाथ का खेल है. जब आप कहेंगे तब हो जाएगा.
मोची ने चुन्नी की बात सुनी और कीलों वाला जूता उसकी और फेंकते हुए कहा मूर्ख, अधर्मी, बड़े बूढों की बात को हलके में लेता है. हमने वर्षों नेपाल के जंगलो में भटककर तपस्या करके ये सब उपायों और मन्त्रों को साधा है, और तू कहता है कि बाएं हाथ का खेल है. भाग जा यहाँ से और भूलना नहीं, ज़रा सी भी गलती हुई तो सोच लेना राहू से पहले मैं ही तेरा खून पी जाऊँगा.
रामकृपा की अजब कहानी
मोची की दुनिया अनजानी
फंस गए दोनों के बीच में
अपने चुन्नी परम प्रतापी
अब देखना ये है दोस्तों कि रामकृपा और जूतेश्वर ने ऐसे कौन से उपाय चुन्नी को बता दिए हैं जिससे उसका राहू का संकट टलने वाला है. जानने के लिए आगे बढ़ते रहिए और कहानी पढ़ते रहिए।
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