अंधेरे ने आस-पास की पहाड़ियों को अपने आगोश में ले लिया था। ऐसे में वहाँ एक शराबी गाना गुनगुनाते हुए रम की बोतल हाथ में लेकर आया और उस खाली प्लॉट पर घास पर बैठ गया। चारो तरफ़ सुनसान माहौल था, शाम को 7 बजे के बाद इस तरफ़ से लोग भी कम ही गुजरते थे। ऐसे में ये खाली प्लॉट शराबियों के लिए परफेक्ट जगह थी। वैसे भी इस देश में 2 तरह के लोगों को खाली जगह ढूँढने में कई तरह की दिक्कतें आती है, एक तो वह जवान लड़के लड़कियाँ जिनकी जवानी किसी चूल्हे पर चढ़ी चाय की तरह उबाल मारती है और उन्हें वह चाय कप में डालने के लिए एक खाली जगह चाहिए होती है और दूसरे ये शराबी लोग जिन्हें बैठ कर पीने के लिए कोई खाली जगह नहीं मिलती है।

आज जैसे इस शराबी का सपना पूरा हो गया था। तभी एक पहाड़ी कुत्ता उसके पास आया और उसे चाटने लगा और अंदर की तरफ़ चला गया। शराबी उसके पीछे-पीछे अपनी रम की बोतल उठाकर चल दिया। थोड़ा अंदर जाने पर पेड़ो के पीछे उसे एक खंडहर दिखा, जिसपर बोर्ड लगा था "ये जगह बेचने के लिए है, खरीदने के लिए इस नंबर पर संपर्क करे"। शराबी अंदर घुसा और पहाड़ी कुत्ते को ढूँढने लगा लेकिन कुत्ते का कही नामोनिशान नहीं था। इस चक्कर में शराबी को खंडहर पसंद या गया।

शराबी 

ये तो पीने के लिए बढ़िया जगह मिल गई।  

 

तभी वह कुत्ता कहीं से मुंह में एक शराब की बोतल लेकर आया, उस शराबी ने वह बोतल देखी, एक पत्थर उठाया और कुत्ते को डराने के लिए पत्थर फेंकने की एक्टिंग करने लगा। कुत्ते के मुंह से बोतल गिर गई और कुत्ता वहाँ से भाग गया। शराबी ने बोतल उठाकर उस पर से धूल हटाई, ऐसा लग रहा था मानो वह सदियो पुरानी शराब है, शराबी ये देख कर खुश हो गया कि आज वह कुछ अलग शराब पिएगा, शराबी ने ढक्कन खोला तो देखा कि बोतल खाली थी।

 

शराबी 

इसमें तो शराब ही नहीं है॥

 

 

तभी आसपास ज़ोर-ज़ोर से हवा चलने लगी। वह पहाड़ी कुत्ता भौंकने लगा।

 

शराबी 

अच्छा तो तू बाहर चला गया था, कोई नहीं, मैं अपना प्रोग्राम शुरू करता हूँ।

 

 

शराबी ने रम की बोतल खोलकर अपनी शर्ट की पॉकेट से डिस्पोजेबल ग्लास निकाला और घास में टिकाकर उसमे रम डालने लगा। फिर ग्लास में एक उंगली डुबोकर उसको हल्का-सा ज़मीन पर छिड़का,

ज़मीन पर शराब छिड़कते ही ज़मीन हिलने लगी। ये देखकर शराबी बहुत ज़ोर से हंसा।

 

शराबी 

अरे तू तो एक बूंद में इतनी टल्ली हो गई, कोई नही। अब और नहीं पिलाऊंगा तुझे।

 

 

शराबी ने ये बोलते हुए रम से भरा ग्लास, एक सांस में गटक लिया और गटकते ही हवा का चलना और ज़मीन का हिलना दोनों बंद हो गए। शराबी अब एक के बाद एक पेग बनाता जा रहा था और नशे में डूबता जा रहा था। तभी उसे पीछे से एक आवाज़ सुनाई दी,

भूत

ओए पुत्तर

 

 

शराबी ने मुड़कर देखा लेकिन उसे कोई नहीं दिखा। जैसे ही उसने एक और पेग बनाया, उसे फिर पीछे से आवाज़ आई,

 

 भूत

ओए पुत्तर

 

 

इस बार शराबी ने मुड़कर नहीं देखा।

भूत

ओए पुत्तर मेरी बात सुन  

 

 

शराबी ने मुड़कर देखा की 65 साल का एक लंबा चौड़ा बूढ़ा आदमी खड़ा था, जिसके दोनों पैर आधे मुड़े हुए थे और ज़मीन पर नहीं थे। उसकी दोनों आँखें लाल, नाखून लंबे और गंदे थे और जैसे ही वह हंसा, उसके काले-पीले गंदे दांत रूखे सफ़ेद होठों से बाहर झांकने लगे।

शराबी ने नशे में उसकी ओर क़दम बढ़ाए.

 

शराबी 

ओये बेवड़े, तू कौन है?

 

 

भूत ने अपनी आवाज़ धीमी करते हुए कहा

 

भूत

पुत्तर मैं वही हूँ जिसे तूने बुलाया।

 

शराबी 

बुलाया? मैंने तो किसी को नहीं बुलाया।  

 

 

भूत

अरे पुत्तर तूने बोतल खोलकर कहा था कि इसमे तो शराब ही नहीं है, कहा था न, हा-हा हा हा

 

शराबी 

ओह यार मैंने भी पी रखी है, तू भी टाइट हो रखा है, माफ़ कर यार, मैं अपनी दारू शेयर नहीं करता

 

 

उसने धीरे-धीरे खड़े होने की कोशिश की, लेकिन उसके क़दम लड़खड़ा रहे थे। भूत ने शराबी को घूर कर देखा, शरानी ने वापस घूर कर देखा। भूत की आँखें सफ़ेद और नाखून नुकीले हो गए और हंसते-हंसते वह हवा में उड़ने लगा।

 

भूत

ओए पुत्तर आज मैं भी पियूँगा, हाहाहाहा

 

 

शराबी के होश उड़ गए, उसका चेहरा पीला पड़ गया। उसने पीछे हटने की कोशिश की, लेकिन उसके पैरों में ताकत नहीं बची थी।   उसका सारा नशा उतर आया।  

 

शराबी 

भूत......... बचाओ...... भूत"

 

 

शराबी ने भूत से मदद की गुहार लगाई, लेकिन उसकी आवाज़ हवा में कहीं खो गई। अचानक, भूत ने अपनी पूरी ताकत लगा दी और उस शराबी आदमी की आत्मा को उसके शरीर से बाहर खींच लिया। उस सुनसान रास्ते पर फिर से अँधेरा छा गया। उस शराबी का नाम रात के सन्नाटे में खो गया।

 

इस वक़्त साधुपुल गाँव में ज्यादातर लोग सो रहे थे। तभी पिंकी के घर की खिड़की खुली और सोनू ने गार्डन की तरफ़ जम्प मारी। क़िस्मत देखिए, गिरा भी तो फूलों के गमले पर।

चोर निगाहों से सोनू ने चारों तरफ़ देखाकि कहीं किसी ने उसको देखा तो नहीं।

जब उसे कन्फर्म हो गया तो वह जॉगिंग की ऐक्टिंग करता हुआ चौराहे की तरफ़ बढ़ने लगा

तभी उसे बीच में साधुपुल गाँव के बड़े मास्टर लालचंद की बीवी कुसुम आंटी मिली, जिन्होंने सोनू को रोकते हुए पूछा

 

कुसुम आंटी 

सुबह सुबह कहाँ चली सवारी?

 

 

इसपर सोनू ने रुककर हांफते हुए जवाब दिया,

 

सोनू

वह जॉगिंग कर रहा था आंटी, सेहत के लिए अच्छा होता है न, सुबह-सुबह ऐसे भागना। इससे आपका मन और तन दोनों ही हेल्थी रहते हैं "  

 

कुसुम आंटी 

अच्छा सोनू, वह अपने पापा से पूछना आज डलवाने के लिए कब आऊँ? "  

 

सोनू

दोपहर में तो पापा बाक़ी औरतों के साथ बिजी रहेंगे तो आपको टाइम नहीं दे पाएंगे... इसलिए आप एक काम करना, शाम को 5 बजे के आसपास आ जाना, उस समय पापा खाली रहते हैं। उस समय वह अच्छे से डाल देंगे।

 

कुसुम आंटी 

हाँ और जाकर बोल देना इस बार आराम से डालें। बोलना कुसुम आंटी ने कहा है। 

 

सोनू

अरे कुसुम आंटी आप फिकर मत करो, इस बार ऐसा कुछ नहीं होगा"  

 

 

इसपर कुसुम आंटी ने सोनू के गाल खींचे और उसको प्यार से कहा,

 

कुसुम आंटी 

काफी बड़ा हो गया है तू भी

 

सोनू

अच्छा मैं चलता हूँ, पापा इंतज़ार कर रहे होगे

 

 

ये बोलकर सोनू अपने घर की तरफ़ चल दिया। घर के बाहर पहुँचकर उसने देखा एक तरफ़ औरतें बैठी हुई थीं। । सोनू घर में घुसा, तभी उसको साइड वाले कमरे से एक औरत के हल्के से आहह-चिल्लाने की आवाज़ आई. दरवाज़ा खोलकर सोनू ने देखा की उसके पापा एक औरत को चूड़ियाँ पहना रहे थे। सोनू जाकर अंदर कुर्सी पर बैठ गया और बगल में रखी पानी की बोतल से पानी पीने लगा। सोनू को ऐसे पसीने-पसीने में देखकर उसके पापा टोनी ने पूछा और मिल्खा सिंह, हो गई जॉगिंग?

 

 

सोनू ने पानी पीकर बोतल नीचे रखी और कहा,  

 

सोनू

पापा आप चूड़ियाँ पहनाने पर ध्यान दो, शिकायातें आ रही है गाँव से।

 

 

इसपर उसके पापा ने उस औरत को आखिरी चूड़ी पहनाते हुए कहा, कैसी शिकायातें?

 

सोनू

यही की आपको चूड़ियाँ ढंग से पहनानी नहीं आती, मुझे रास्ते में आते हुए लालचंद मास्टर की बीवी कुसुम आंटी मिली थी। कह रही थी की लास्ट टाइम आपने जो चूड़ियाँ पहनाई थीं, उनको बहुत दर्द हुआ था और खून भी आ गया था।

 

टोनी 

भूल गया तू, तुम्हारे परदादा ने 1947 से पूरे गाओं की औरतों को चूड़ियाँ पहनानी शुरू की थी! न उन्हे, न तेरे दादा को आजतक किसी ने कुछ नहीं कहा! बड़ी आई कुसुम!

भाभीजी आप ही बताइए टोनी ने आपको कभी भी ग़लत साइज की चूड़ियाँ पहनाई है?

 

 भाभी जी 

नहीं टोनी जी, बल्कि आप के जैसी हाथ की सफ़ाई तो किसी की भी नहीं है, मैं 2 महीने पहले मनाली की तरफ़ गई थी, वहाँ पर एक चूड़ी वाले ने इतनी बुरी तरह मुझे चूड़ियाँ पहनाई की सारी की सारी टूट गईं।

 

टोनी 

इस पर टोनी ने बड़े प्यार भरे लहजे में कहा, "भाभीजी, मैं तो किसी भी औरत का चेहरा देखकर बता देता हूँ कि उनके हाथ में कौन-सी चूड़ी फिट आयेगी। मुझे अपने पापा टिंकू जी और दादा मोनू जी से विरासत में यही एक हुनर मिला है जो अब मेरे बेटे सोनू को भी आता है। इसका नाम मैने अपने दादाजी मोनू के नाम से मिलता जुलता रखा था, ताकि इसमें भी अपने दादाजी जैसा हुनर आ जाए। वैसे भाभीजी लास्ट टाइम के 40 रुपए बचे है।"

 

औरत 

​यह सुनकर तुरंत उस औरत ने जवाब दिया, टोनी जी वह वाला हिसाब अगली बार कर लेंगे।

 

 

ये बोलते हुए वह उठीं और चली गई। इसके बाद टोनी ने सोनू की तरफ़ देखते हुए सवाल किया।

 

टोनी 

बेटा 26 साल का हो गया है तू, पढ़ाई भी ख़त्म हो चुकी है, पूरे गाँव में लफ़ंडरबाज़ी करता रहता है। अब देख मैं भी बूढ़ा हो रहा हूँ। आख़िर तू कब से दुकान पर बैठना शुरू करेगा? वैसे भी अब सारी दुकान संभालने की जिम्मेदारी तेरी ही है।

 

सोनू

पापा मैंने बोला तो है, मुझे अन्नू के साथ मिलकर अपना रेस्टोरेंट खोलना है और शेफ बनना है बिलकुल संजीव कपूर की तरह। मैं चाहता हूँ मैं अच्छा-अच्छा खाना बनाऊँ और लोगों को खिलाऊँ।

 

टोनी 

बेटा खाना ही बनाना है तो, वह तो तू घर पर भी कर सकता है, उसके लिए रेस्टोरेंट खोलने की क्या ज़रूरत। वैसे भी अन्नू का बाप उसे अपने भैंस के तबेले से कही और नहीं जाने देगा, तू भी मेरी चूड़ियों की दुकान संभाल ले। बड़ा मज़ा आता है यार, नरम नाज़ुक कोमल हाथों में चूड़ियाँ पहनाओ और भाभी बोले-आह्ह, धीरे सोनू जी, दर्द होता है

औरतें तेरे लिए दीवानी हो जाएगी और गाने गाएगी... गोरी हैं कलाइयाँ ......

 

सोनू 

मैं आपको पहले भी बोल चुका हूँ और अब दुबारा बोल रहा हूँ की मुझे इस खानदानी दुकान में बैठकर, औरतों को चूड़ियाँ पहनाने का कोई शौक नहीं है। मैं अन्नू के साथ मिलकर अपना रेस्टोरेंट खोलूंगा और पूरे शिमला में हमारा रेस्टोरेंट नंबर 1 बनेगा।

 

टोनी 

बेटा तुझे तो चूड़ियों पर फोकस करना था, तू ये चूल्हा कब से गरम करने लग गया...

 

सुनसान रास्ते पर अँधेरा छाया हुआ था। चारों ओर सन्नाटा था, बस कभी-कभार हवा की आवाज़ सुनाई दे जाती थी। एक शराबी लड़खड़ाते कदमों से अपनी दुनिया में मगन कहीं जा रहा था। एक बड़े से पीपल के नीचे हल्का होने के बाद अपनी रम की बोतल गटक रहा था,  तभी अचानक, पीछे से एक आवाज़ आई।

 

भूत:

ओए पुत्तर, क्या हाल है?

 

 

ये आवाज़ सुनकर जैसे ही उसने अपनी नजरें उठाईं और देखा कि सामने एक धुंधला-सा साया उभरा है, जो धीरे-धीरे साफ़ हो रहा था। वह साया उसी 65 साल के भूत का था, जिसके मुँह से शराब की बू आ रही थी और उसका शरीर जैसे अंधेरे में हवा में उड़ रहा था॥  

भूत 

पुत्तर, शराब पीना सेहत के लिए हानिकारक होता है

 

शराबी

नहीं नही, ये सब झूठ है। तू कोई भूत-वूत नहीं हो सकता। ये सब मेरा भरम है, मैं तो बस पी रहा हूँ।  

 

भूत ज़ोर ज़ोर से हंसने लगा

हा हा ह हा हा, पीऊंगा तो मैं भी


 इसके बाद शराबी वहां से डरकर भाग गया और भूत भी उसके पीछे पीछे साधुपुल गांव की तरफ बढ़ गया। अब आगे साधुपुल गांव में ये भूत क्या करेगा? आखिर वो भूत कौन था, जानने के लिए पढ़िए अगला एपिसोड। 

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